दिनेश की इसी सादगी पर तो शिवानी मरती थी। पहली बार वह उससे इतने दिन दूर रही थी। यह कुछ दिन ही उसे साल बराबर लग रहे थे। वह जल्दी से जल्दी सारा काम समेट दिनेश के साथ बैठ अपने दिल की बहुत सारी बातें करना चाहती थी और साथ ही उससे उसकी सुनना भी । दिनेश की आंखों में छुपे प्रेम निमंत्रण को उसकी आंखों ने पढ़ लिया था।
वो सब सोच ही उसे एक सुखद एहसास की अनुभूति हो रही थी।
सारा काम निपटाने व खाना खाने के बाद, उसे बस एक ही बात खल रही थी कि उसे आए इतनी देर हो गई लेकिन किरण उससे अब तक मिलने क्यों नहीं आई।
खैर अभी वह भी नहीं चाहती थी कि कोई इस समय उसके और दिनेश की बीच आए।
बच्चों को सुलाने के बाद वह तैयार हो जैसे ही कमरे में आई उसे आंखों में भरते हुए दिनेश बोला "क्या बात है, आज किस पर बिजलियां गिराने का इरादा है!"
"बिजलियां तो दुश्मनों पर गिराएंगे। तुम पर तो प्यार बरसाने का इरादा है।"
" तुम्हारी यही मीठी बातें तो हमें तुम्हारा दीवाना बनाती
है। " दिनेश उसके गले में बाहे डाल उसे अपने करीब लाते हुए बोला।
शिवानी ने उसके करीब आते ही शर्म से अपनी नजरें झुका ली।
"अरे, तुम तो आज भी बिल्कुल वैसे ही शर्मा रही हो जैसे हम पहली बार मिले थे तब शर्मा रही थी। कभी तो खुलकर मिला करो।" कहते हुए दिनेश ने उसका माथा चूम लिया।
धीरे धीरे रात घेराती गई और वह दोनों एक दूसरे में समाते गए।
लेकिन शिवानी को यह नहीं मालूम था कि यह रात उनके
मिलन की अंतिम रात होगी।
सुबह की उजली किरण, उसके जीवन में उजाला नहीं अंधकार लेकर आ रही है।
सुबह शिवानी घर के काम निपटा रही थी और दिनेश अपने ऑफिस जाने की तैयारी कर रहा था। तभी कुमार किरण को खींचते व बुरी तरह चिल्लाते हुए उसके घर पहुंचा।
आते ही उसने किरण को बुरी तरह धक्का दिया जिससे उसका सिर दीवार में लगा।
यह देख शिवानी और दिनेश दोनों बाहर आए । शिवानी गुस्से से बोली "यह क्या बदतमीजी है! तुम्हारी इतनी हिम्मत हो गई थी कि तुम मेरे घर में ही आकर इसे मारो और यहां पर चिल्लाओ।"
"मारूं , चिल्लाऊं नहीं तो और क्या करूं ! अभी तो उसे धक्का ही दे दिया है, जी करता है, इसे जान से मार दूं। औरत नहीं, औरत जाति पर कलंक है यह। "
"ऐसा क्या कर दिया इसने! जो तुम इस पर इतना बड़ा लांछन लगा रही हो।"
"आप भी सुन ना सकोगी। भैया भैया कहती थी, भैया का यह काम करना है भैया का वह काम करना है । अरे, मुझे नहीं पता था कि मेरे और आपके पीछे से यह दोनों गुल खिला रहे थे।"
"क्या कह रहे हो तुम! साफ-साफ क्यों नहीं कहते किसकी बात कर रहे हो!"
शिवानी गुस्से से दहाड़ती हुई बोली।
"मुझ पर क्यों चिल्ला रही हो। अपने पति से पूछो और इस छिनाल से। जिन्होंने हम दोनों का भरोसा तोड़ा है!"
"क्या बक रहे हो तुम! मुझसे क्या पूछे। मेरा क्या मतलब
तुम्हारे झगड़े से इतनी देर से सुन रहा हूं ,तुम्हारी बेफिजूल की बकवास! आज ही तुम दोनों यह मकान खाली कर दो। जब से आए हो जीना हराम कर रखा है तूने हमारा।"
दिनेश दांत भींचता हुआ बोला।
"हां हां मेरी जिंदगी बर्बाद करके, अब तो कहोगे मकान खाली कर दो। जिससे कि तुम दोनों के कुकर्मों पर पर्दा पड़ जाए। पर ऐसा मैं होने नहीं दूंगा। मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी
तुमने। चैन से तो तुम्हें भी नहीं रहने दूंगा मैं। समाज में मेरी बदनामी तो होगी ही पर बच तुम भी नहीं पाओगे।" कुमार भी गुस्से से बोला।
"क्या पहेलियां बुझा रहे हो। बताते क्यों नहीं क्या हुआ है। किरण तुम क्यों नहीं बोलती। क्या बोल रहा है, यह इतनी देर से!" किरण से पूछते हुए, शिवानी के चेहरे पर घबराहट असमंजस के भाव आ जा रहे थे।
"वह क्या बोलेगी, मैं बताता हूं ना! इन दोनों ने आपके और मेरे भरोसे को तार-तार कर दिया है। आपकी और मेरे पीछे से इन दोनों ने वासना का गंदा खेल खेला है! और कुछ भी सुनना चाहती हो क्या!"
"तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है। पता भी है तुम क्या कह रहे हो। यह तो मुझे पता था तू एक नंबर का बदमाश है लेकिन इतना नीच होंगा मुझे नहीं पता था। " दिनेश उस पर दहाड़ते हुए बोला।
"नीच मैं नही, आप हो। जो अपनी बीवी के होते हुए दूसरे की बीवी पर नजर रखते हो। मैं दूसरे सब काम करता हूं लेकिन किसी का भरोसा व प्यार में विश्वासघात नहीं करता।"
यह सब सुनकर शिवानी का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। अनजानी आशंकाएं उसके मन को घेरने लगी। किसी तरह अपने आप को शांत करते हुए वह बोली " किस आधार पर तुम मेरे पति पर आरोप लगा रहे हो। हमने तुम्हें सहारा दिया और तुम हमारा ही आशियाना उजाड़ने चले हो।"
"शिवानी जी आपकी बहुत इज्जत करता हूं। मैं आपका आशियाना नहीं उजाड़ रहा बल्कि आपके पति का असली चेहरा दिखा रहा हूं। इस आशियाने को और पति पत्नी के उस पवित्र रिश्ते को तो इन्होंने पहले ही कलंकित कर दिया, अपने बुरे कर्मों से!
यह देखिए और कहिए कि कौन नीच है!"
कहते हुए उसने फोन में वीडियो चलाकर शिवानी के सामने कर दिया।
उसे देखते हुए शिवानी और दिनेश दोनों के ही होश उड़ गए किरण और दिनेश एक ही बिस्तर पर वो भी बिना कपड़ों.....!
"बंद करो इसे मैं और नहीं देख सकती हूं!" कहते हुए
शिवानी ने अपनी आंखें बंद कर ली। उसकी आंखों से आंसू बह निकले।
उसकी ओर देखते हुए दिनेश उससे बोला "शिवानी यह सब झूठ है। मुझे नहीं पता यह सब कब और किसने बनाया। मुझ पर विश्वास करो। मेरा सिर फटा जा रहा है। यह सब क्या है!!!!! मुझे लगता है, यह सब इस बदमाश की ही साजिश है। शिवानी तुम सुन रही हो ना!!!! मैं क्या कह रहा हूं!!!!!बोलो ना बोलती क्यों नहीं!!!" दिनेश उसे झिंझोड़ते हुए बोला
शिवानी कुछ ना बोली और वहीं चुपचाप फर्श पर बैठ गयी।
"शिवानी तुम कुछ बोलती क्यों नहीं। क्या, तुम इसे सह समझ रही हो। यह मुझे बस फंसाने की साजिश है। समझो मेरी बात!"
"शिवानी जी आपको यकीन नहीं होता ना तो किरण से पूछ लीजिए। क्या क्या गुल खिलाए हैं, इन दोनों ने आपके पीछे से!"
शिवानी कुछ देर चुपचाप बैठी रही और फिर उठ कर किरण के पास गई और उससे बोली "किरण यह सब झूठ है ना! सच-सच बता मुझे तो इस पर बिल्कुल यकीन नहीं ! तू कुमार से मत डर। मैं तेरे साथ हूं। तू मेरी छोटी बहन से बढ़कर। मुझे तुम दोनों पर ही पूरा विश्वास है ।बस एक बार तुम्हारे मुंह से सुनना चाहती हूं। कह दे यह वीडियो झूठा है। बोलना बोलती क्यों नहीं! झूठ है ना!!! यह सब साजिश है ना कुमार की!"
"नहीं दीदी, यह सब सच है!" कह कर किरण जोर जोर से रोने लगी।
सुनते ही शिवानी गुस्से से लाल हो गया उसने किरण के मुंह पर कई थप्पड़ मारे और चिल्लाते हुए बोली "क्या कह रही है तू ! नहीं यह सच नहीं हो सकता। कह दे झूठ है, यह सब;!!! मैंने तुझ पर इतना विश्वास किया और तूने मेरी ही गृहस्ती में आग लगा दी! क्या मिला तुझे यह सब करके। भगवान तुझे तेरे किए की सजा जरूर देगा तू कभी सुखी नहीं रहेगी।" कहते हुए शिवानी सिसक उठी।
यह सब सुन कुमार के चेहरे पर कुटिल मुस्कान तैर गई। उसे छुपाते हुए वह गुस्से से शिवानी से बोला अब तो आपको यकीन हो गया। मेरी तो जितनी बदनामी होगी, होती रहेगी लेकिन छोडूंगा मैं आपके पति को भी नहीं। अभी सारे मोहल्ले वालों के सामने इसका असली चेहरा दिखाता हूं। कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहेगा यह और उसके बाद पुलिस स्टेशन जाऊंगा।"
सुनकर दिनेश का चेहरा सफेद हो गया। उसे समझ नहीं आ रहा था, यह सब क्या हो गया। उसने तो कुछ किया भी नहीं और इतना बड़ा आरोप!
कहां से यह वीडियो बन गया। सबसे बड़ी बात शिवानी, शिवानी को कैसे समझाएं। सोच सोच कर उसका सिर फटा जा रहा था।
क्रमशः
सरोज ✍️