Risky Love - 18 in Hindi Thriller by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | रिस्की लव - 18

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रिस्की लव - 18



(18)

मुकेश ने सर हिलाकर मना कर दिया कि उसे ‌अंजन के ऊपर हमला करने वालों के बारे में कुछ भी नहीं पता है। एंथनी बड़े आश्चर्य से उसकी तरफ देख रहा था। उसे इस तरह घूरते देखकर मुकेश ने कहा,
"मैं सचमुच नहीं जानता हूँ कि अंजन साहब पर हमला किसने किया था।"
एंथनी ने उसी तरह अविश्वास से कहा,
"तो फिर किससे डर कर भाग रहे थे ?"
मुकेश ने समझाया,
"मैं हमला करने वाले के डर से ही भाग रहा था पर वह कौन है मै नहीं जानता हूँ।"

उसकी बात सुनकर एंथनी ने हंसकर कहा,
"कैसी बहकी बहकी बातें कर रहे हो। तुम उसे जानते नहीं हो फिर भी उससे डर कर भाग रहे हो।"
मुकेश को भी लगा कि वह अपनी बात ठीक से कह नहीं पाया है। उसने एंथनी को वह सब बता दिया जो उसके साथ हुआ। सब बताने के बाद वह बोला,
"अब समझ आया। भागते हुए उनमें से एक ने मेरी तरफ देखा था और अपनी उंगली मेरी तरफ दिखाई थी। फिर जब फोन आया तो मैं डर गया। मुंबई छोड़कर भाग आया।"
एंथनी अपने मोढ़े से उठा। उसने दोनों हाथ उठाकर अंगड़ाई ली। उसके बाद अपने पांव खोलने के लिए चहलकदमी करने लगा। टहलते हुए वह कुछ सोच रहा था। मुकेश समझ नहीं पा रहा था कि आखिर वह क्या सोच रहा है। एंथनी वापस आकर अपने मोढ़े पर बैठ गया। उसने कहा,
"तुमने जिसे देखा था उसके चेहरे पर नकाब था। इसके अलावा कुछ और देखा था।"
"नहीं.... जो हुआ बस कुछ सेकेंड्स में हुआ। उस समय वैसे भी रात का समय था। चांदनी में जो दिखाई पड़ा वह बता दिया। दूसरे वाले की तो बस छाया जैसी दिखी थी।"
एंथनी एक बार फिर कुछ सोचकर बोला,
"जिसने फोन किया था उसकी आवाज़ से कुछ बता सकते हो।"
मुकेश ने आश्चर्य से कहा,
"भला आवाज़ से कैसे कुछ बता सकता हूँ। हाँ धमकी देने वाला एक मर्द था इतना कह सकता हूँ।"
एंथनी ने कहा,
"चलो... वो नंबर ही दे दो जिससे कॉल आई थी।"
मुकेश ने धीरे से कहा,
"बताया तो था कि डर की वजह से सिम और फोन तोड़कर फेंक दिया था।"
एंथनी एक बार फिर उठकर खड़ा हो गया। हवा में हाथ फेंकते हुए बोला,
"हाँ.... बताया था। मतलब उन लोगों तक पहुँचने की कोई राह नहीं है।"
मुकेश ने कहा,
"पर तुम तो जासूस हो। पता कर लोगे उनके बारे में।"
एंथनी ने उसकी तरफ देखकर कहा,
"बिल्कुल.... मैं तलाश भी कर लूँगा। इस समय अंजन सर को तुम्हारे बारे में नहीं बता सकता हूँ। बहुत रात हो गई है। कल सुबह उनसे बात करूँगा। फिलहाल मेरे सोने का कोई इंतजाम हो सकता है। नींद आ रही है।"
मुकेश सोच में पड़ गया। वह तो अपने परिवार के साथ फर्श पर दरी डाल कर सोता था। वह दरी भी ललित ने दी थी। एंथनी उसकी दुविधा समझ गया। उसने कहा,
"कोई बात नहीं है। इस पेड़ के नीचे लेट जाता हूँ।‌ वैसे भी सवेरा होने में वक्त ही कितना बचा है।"
मुकेश उठते हुए बोला,
"एक चटाई है लाकर दे देता हूँ।"

चटाई बिछाकर एंथनी पेड़ के नीचे लेट गया। लेकिन उसे नींद नहीं आ रही थी। पहली बार था जब वह इस प्रकार पेड़ के नीचे लेटा हो। उसे आराम महसूस नहीं हो रहा था। उसने अपना दिमाग दूसरी तरफ लगा दिया। वह अब अंजन पर हमला करने वालों के बारे में सोच रहा था। उसने सोचा था कि शायद मुकेश उन्हें जानता होगा। नहीं तो कुछ ऐसा अवश्य बता देगा जिससे हमला करने वालों तक पहुँचने की राह मिल जाएगी। लेकिन मुकेश कुछ भी नहीं बता पाया। अब उसे खुद ही कोई सूत्र तलाश करना पड़ेगा। जिसे पकड़ कर वह आगे बढ़ सके।
एंथनी उसी विषय में सोच रहा था। लेकिन थकावट उस पर हावी हो गई। वह चटाई पर ही सो गया।

मुकेश अंदर पहुँचा तो राजेश्वरी जागी हुई थी। उसने मुकेश से कहा,
"इतनी देर तक क्या बातें कर रहे थे ?"
मुकेश दरी पर लेटते हुए बोला,
"एंथनी बता रहा था कि वह हमें खोजते हुए किस तरह यहाँ आया।"
राजेश्वरी को यह टालने वाला जवाब लगा। उसने कहा,
"वह तो कह रहा था कि जासूस है। उसने अंजन साहब पर हमला करने वाले के बारे में कुछ पता किया।"
"नहीं... उसे तो लग रहा था कि शायद मैं हमला करने वाले को जानता हूंँ।"
राजेश्वरी चिंतित हो गई। उसे लगा था कि एंथनी ने हमला करने वाले के बारे में कुछ बताया होगा। पर उसे तो कुछ पता ही नहीं था। वह बोली,
"अब जाने क्या होगा ? कब तक हम लोगों को अपने घर से दूर रहना पड़ेगा ?"
मुकेश को भी नींद आ रही थी। उसने कहा,
"परेशान ना हो। सुबह एंथनी अंजन साहब से बात करेगा। हो सकता है वह हमारे लिए कोई रास्ता निकाल दें। अब कुछ देर के लिए तुम भी सो जाओ।"
यह कहकर मुकेश ने करवट बदल ली।

सुबह एंथनी ने अंजन को फोन किया। उसने उसे मुकेश के बारे में बता दिया। यह भी बता दिया कि उसे अंजन पर हमला करने वालों के बारे में कुछ नहीं पता है। अंजन ने मुकेश से बात की। मुकेश ने उसे अपनी समस्या के बारे में बताया। उसकी समस्या सुनकर अंजन ने उसे गुजरात के संजन जाकर किसी दामोदर पारिख से मिलने को कहा। उसने कहा कि वह वहाँ तक जाने के लिए पैसे एंथनी से ले ले। वह एंथनी को वापस कर देगा। दामोदर पारिख से मिले वह उसके लिए उचित व्यवस्था कर देंगे।

एंथनी मछुआरों की बस्ती में था। वह अंजन पर हुए हमले के बारे में पूँछताछ करने के लिए गया था। मुकेश ने बताया था कि उसने हमलावरों को मोटरबोट पर जाते हुए देखा था। एंथनी ने अंदाजा लगाया कि ज़रूर वह मोटरबोट उन्होंने मछुआरों की बस्ती से ली होगी। इसलिए यहाँ आया था। वह बस्ती के मुखिया से मिलने गया था।
उसने बस्ती के मुखिया जनार्दन से कहा कि वह अपने लोगों से पूँछकर बताएं कि उनमें से किसी ने हमले वाले दिन अपनी मोटरबोट किसी को दी थी। जनार्दन ने उसे आश्वासन दिया कि उसे कुछ समय दे। वह इस बारे में जानकारी प्राप्त कर उसे बताता है।
एंथनी जनार्दन के घर पर इंतज़ार करने लगा। करीब एक घंटे बाद जनार्दन एक मछुआरे को लेकर उसके पास आया। उस मछुआरे का नाम विक्टर था। उसने बताया कि उस दिन एक आदमी उसके पास आया था। उसने कहा था कि कुछ समय के लिए उसकी मोटरबोट चाहिए। उसने उसके लिए अच्छे पैसे दिए थे। पैसों के लालच में उसने अपनी बोट दे दी।
विक्टर ने उस आदमी का हुलिया बताया। एंथनी एक अच्छा स्केच आर्टिस्ट भी था। वह जब भी किसी केस की पड़ताल के लिए जाता था तो अपने साथ अपनी स्केचबुक और पेंसिल लेकर जाता था। आवश्यकता पड़ने पर वह स्केच बना लेता था। विक्टर के बताए हुलिए के आधार पर उसने उस आदमी का स्केच बना लिया।
स्केच बनने के बाद उसने विक्टर को दिखाया। उसने स्केच को देखकर कहा कि वह आदमी ऐसा ही दिखता था। एंथनी ने उस स्केच को ध्यान से देखा। वह उस तस्वीर को अपनी आँखों में बसा लेना चाहता था।
स्केच के अनुसार उस आदमी का चेहरा लंबा था। लंबी नुकीली नाक थी। कंधे तक लंबे घुंघराले बाल थे। उसकी मूंछें और ठुड्ढी पर ट्रिम की गई दाढ़ी मिलकर एक गोला बना रही थीं।
विक्टर ने बताया था कि उसकी आँखें भूरे रंग की थीं। वह हिंदी बोल रहा था लेकिन बोलने के अंदाज़ से लगता था कि विदेश से आया है।

स्केच लेकर एंथनी अंजन से मिला। उसे स्केच दिखाकर वो बातें बताईं जो विक्टर ने बताई थीं। अंजन उस स्केच को ध्यान से देख रहा था। एंथनी उसके चेहरे पर आते हुए भावों को परखने का प्रयास कर रहा था। कुछ देर स्केच को देखने के बाद अंजन ने कहा,
"मुझे ऐसा तो नहीं लगता है कि मैं इसे जानता हूँ। मैं अभी अपने आदमी से कहता हूंँ कि इसकी एक कॉपी निकाल कर मुझे दे दे।"
"उसकी आवश्यकता नहीं है। आप इसे रख लीजिए।"
"फिर तुम इसे ढूंढ़ोगे कैसे ?"
अंजन ने अचरज से पूँछा। एंथनी हंसकर बोला,
"मेरी आँखों ने इसे स्कैन करके दिमाग में सेव कर दिया है। मैं तो इसे सिर्फ आपको दिखाने लाया था।"
एंथनी उठकर खड़ा हो गया। चलते हुए बोला,
"आप आराम से इस स्केच को देखकर याद करने की कोशिश करिएगा। शायद कुछ याद आ जाए।"
एंथनी चला गया। अंजन सोच रहा था कि यह आदमी भी कुछ अलग है। ऊपर से देखने में बेवकूफ जैसा लगता है। लेकिन इसमें कमाल की खूबियां हैं। सबसे बड़ी खूबी यह थी कि इस पर यकीन किया जा सकता था। तभी तो अंजन अपने सीक्रेट काम उससे करवाता था। उसे पूरा यकीन था कि वह उस पर हमला करवाने वाले का पता कर लेगा।
उसने अपना ध्यान एंथनी से हटाकर स्केच पर लगा दिया।

जब अंजन स्केच देख रहा था तब एंथनी ने महसूस किया था कि जैसे कुछ है जिसे वह याद करने की कोशिश कर रहा है। लेकिन उसे याद नहीं आ रहा था। वह स्केच उसके पास छोड़ आया था। उसे स्केच की आवश्यकता भी नहीं थी। जब भी वह चाहता तो अपने दिमाग के मॉनीटर पर उस तस्वीर को देख सकता था।
विक्टर ने बताया था कि उस आदमी के बोलने के तरीके से लग रहा था कि वह विदेश से आया है। एंथनी ने इस सूत्र को पकड़ कर आगे बढ़ने के बारे में सोचा। उसने सोचा कि वह जो भी होगा किसी होटल में ठहरा होगा। बीच हाउस से कुछ दूर एक फाइव स्टार होटल था। एंथनी ने अपनी जाँच की शुरुआत के लिए उसे ही चुना।

अंजन स्केच को ध्यान से देख रहा था। वह उलझन में था। कभी उसे लगता था कि वह इस आदमी को नहीं जानता है। पर जब वह इस बात के लिए अपना मन पक्का करने की कोशिश करता तो मन में आता कि एक बार और स्केच को देख ले।
कुछ था जिसके कारण उसे लगता था कि यह आदमी पहचाना हुआ है। पर उसे ऐसा क्यों लग रहा था वह बात वो पकड़ नहीं पा रहा था।
वह बहुत परेशान हो गया था। अभी तक वह होश खोने से पहले देखे गए व्यक्ति की झलक को लेकर उलझन में था। अब एक नई उलझन पैदा हो गई थी।