भाग 2
पिछले अंक में आपने पढ़ा कि अलीशा ने तलाक के बाद अपने कॉलेज के प्रोफेसर अब्राहम से शादी नयी जिंदगी की शुरुआत करने जा रही थी , अब आगे पढ़िए ….
कहानी - जुड़वां बच्चों के तीन पिता !
डेनियल माँ को छोड़ने कार तक आया तो अलीशा ने कहा “ बेटा , मुझे पूरी उम्मीद है तुम मेरे साथ रहना पसंद करोगे .है न ? “
“ मॉम , मैं आपके साथ रहना चाहता हूँ पर क्या अब्राहम अंकल को यह मंजूर होगा ? “
“ बेटे , अब्राहम बहुत सज्जन प्रकृति के हैं . हमलोगों ने मिल कर फैसला किया है कि तुम हमारे साथ रहोगे .हाँ , शादी के बाद उन्हें पापा कहोगे तो उन्हें भी अच्छा लगेगा .”
क्रिसमस की रात को अचानक अर्नाल्ड शराब के नशे में चूर अलीशा के घर आया . उसकी माँ उस समय घर में नहीं थी .वह अलीशा को बोला “ डार्लिंग , शादी मुबारक हो . पर आखिरी बार तुम्हें भोगने की प्रबल इच्छा हो रही है .आओ न दूर क्यों हो , एक जाम तुम भी पिओ .”
वह शराब की ग्लास ले कर उसे जबरन पिलाना चाह रहा था .अलीशा उससे दूर होने का प्रयास कर रही थी .अर्नाल्ड ने अलीशा को कस कर पकड़ लिया और कहा “ याद है न , क्रिसमस की रात तुम मेरे हाथों से जाम पीती और मेरी बाहों में सो जाती थी . आओ , आज आखिरी बार सही .”
अलीशा ने उसे जोर से धक्का दे कर अपने को छुड़ा लिया और कहा “ अभी तुरंत यहाँ से दफा हो जाओ .”
“ मैं , नहीं जाता .तुम क्या कर लोगी .” बोल कर झपट कर उसने अलीशा को अपनी बाहों में जकड़ कर किस करने जा ही रहा था कि अलीशा ने उसके दोनों गालों पर जोर का तमाचा जड़ दिया और अलग हो गयी . फिर उसने हॉकी स्टिक ले कर कहा “ तुम जा रहे हो या मैं तुम्हारी खोपड़ी खोल कर रख दूँ .”
अर्नाल्ड को अलीशा से पिटने की उम्मीद नहीं थी . वह अपमानित हो कर भाग खड़ा हुआ पर जाते जाते बोला “ यह तमाचा तुम्हें बहुत महंगा पड़ने वाला है .”
आज नववर्ष का पहला दिन था , आज संध्या में अलीशा और डॉ अब्राहम की शादी होने वाली थी . अलीशा की माँ ने उससे कहा “ जरा पार्लर जा कर संवर तो ले .”
“ नो मम्मा , मैं पार्लर नहीं जाने वाली हूँ . हाँ थोड़ी देर में जा कर वेडिंग रिंग ले कर आती हूँ . उसका साइज एडजस्ट करने के लिए दिया है .”
“ नहीं , ऐसा कैसे चलेगा .हमारी गुजराती पड़ोसन पटेल और उनकी बेटी अपने घर में ही पार्लर का काम करती हैं .तुम कितनी देर में आ रही हो , मैं उन्हें घर पर बुला लेती हूँ . घर पर ही ब्राइडल मेकअप कर देंगी .”
अलीशा ने भी एक सेकंड हैंड कार ले ली थी .वह अपनी कार से ज्वेलरी शॉप गयी . कुछ देर में वह वेडिंग रिंग ले कर अपनी कार की तरफ बढ़ी .इसी बीच पलक झपकते ही एक वैन आया और उसमें सवार आदमी ने आनन फानन में अलीशा को अंदर खींच लिया . उसका मुंह बांध दिया गया , वह चीख भी नहीं सकी .दो नक़ाबपोशों ने अपना मुंह काला कर उसे एक सड़क पर फेंक दिया .
वह उठ कर अपने कपड़े ठीक कर ही रही थी कि कार से फादर मूर उसी रास्ते आ रहे थे .अलीशा का मुंह बंधा देख कर उन्होंने कार रोकी उसका मुंह खोला और पूछा “ अलीशा , यह सब क्या है ? शाम को तुम्हें चर्च आना है और तुम इस हाल में ? “
अलीशा ने रोते हुए सारी आपबीती बताई और कहा “ मुझे पुलिस स्टेशन ड्राप कर दें , मैं वहां रिपोर्ट लिखवाऊंगी .”
“ फिर तो इन्क्वारी और तुम्हारा मेडिकल आदि होगा .इसके बाद थाना और कोर्ट कचहरी का सिलसिला सालों चलता रहेगा .तुम्हारी शादी तो नहीं हो पायेगी .”
“ फादर तब आप ही बताएं मैं क्या करूँ ? ”
“ देखो तुमने सच्ची बात मेरे सामने कन्फेस कर ली है .तुम तो निर्दोष हो .मैं गॉड से तुम्हारी सलामती की दुआ मांगूंगा . तुम घर चल कर माँ से बात कर लो पर मैं समझता हूँ यह शादी हो जाने दो .”
अलीशा ने अपनी पर्स चेक की तो देखा कि वेडिंग रिंग और अन्य सभी चीजें उसमें सुरक्षित थीं .फिर कहा “ आप प्लीज मुझे मेरी कार तक छोड़ दें .”
“ ओके , वहां से मैं भी तुम्हारे साथ घर तक चलूँगा .”
घर पहुँच कर फादर और माँ ने बात की .फादर ने उन्हें भी समझाया कि इस हादसे को छोड़ कर आगे बढ़ने में ही अलीशा की भलाई है . फादर के जाने के कुछ देर बाद पार्लर वाली पटेल आयी . अलीशा का ब्राइडल मेकअप हुआ . वह खूबसूरत सफ़ेद वेडिंग गाउन पहन कर गुलाब के फूलों और सफ़ेद रिबन से सजी गाड़ी में चर्च पहुंची . वह आसमान से उतरी परी जैसी सुंदर दिख रही थी . डॉ अब्राहम अपनी माँ के साथ वहां पहले ही पहुँच गए थे .
कुछ रीति रिवाज के बाद फादर ने अब्राहम और अलीशा दोनों को बुलाया और दोनों को एक दूसरे का दाहिना हाथ पकड़ने को कहा .
फादर के कहने के अनुसार अब्राहम ने कहा “ मैं डेरिक अब्राहम अलीशा गोमेज को अपनी पत्नी स्वीकार करता हूँ .मैं वादा करता हूँ कि मैं तुम्हारे प्रति सदा वफादार रहूँगा , सुख और दुःख , अमीरी या गरीबी , स्वस्थ या रोग हर परिस्थिति में तुम्हारा सम्मान करूँगा और आजीवन तुमसे प्यार करता रहूँगा . “
फिर फादर के कहने से अलीशा ने कहा “ मैं अलीशा गोमेज को अपना पति स्वीकार करती हूँ .मैं वादा करती हूँ कि मैं तुम्हारे प्रति सदा वफादार रहूँगी , सुख और दुःख , स्वस्थ या रोग , अमीरी या गरीबी , अच्छे या बुरे दिनों में हर परिस्थिति में तुम्हारा सम्मान करूँगी और आजीवन तुमसे प्यार करूंगी . “
इसके बाद फादर ने दोनों से एक दूसरे को वेडिंग रिंग पहनाने को कहा और वे बोले “ मे द लार्ड ब्लेस दीज रिंग्स व्हिच यू विल गिव टू ईच अदर ऐज अ साइन ऑफ़ लव एंड फिडेलिटी . “
अंगूठी पहनने के बाद उन्होंने दोनों को आर्शीवाद दे कर कहा “ मेरे बच्चों , आज से तुम पति पत्नी हुए . “
कुछ गिने चुने मेहमान भी वहां मौजूद थे . सभी ने वर वधू को शुभकामनाएं दीं . चर्च के बैकयार्ड में ही एक रिसेप्शन रखा गया था . उसके बाद अलीशा और अब्राहम के लिए शहर के सबसे अच्छे होटल में सुहाग रात के लिए सुइट रिजर्व था . विवाहोपरांत दोनों को अपनी पहली रात वहीँ बितानी थी . अलीशा ने कहा “ एक जरूरी बात बतानी थी . इसके पहले मुझे बिलकुल समय नहीं मिला आपसे बात करने के लिए . “
“ हाँ कहो . “
अलीशा ने कुछ घंटे पहले हुए हादसे की बात उन्हें बता दिया . इस बारे में फादर मूर से हुई बातें और कन्फेशन की बात भी बताई .
कुछ पल के लिए अब्राहम को गंभीर देख कर वह बोली “ मैं क्या करती ? मैंने तो फादर से FIR करने के लिए कहा था , पर उन्होंने मुझे और मम्मा दोनों को मना कर दिया . “
अब्राहम ने कहा “ उन्होंने ठीक किया , इसमें तुम्हारा क्या कसूर था ? “ बोलकर उसे आगोश में ले लिया और प्यार से कहा “ अभी मैं तुम्हारी मानसिक स्थिति समझ सकता हूँ . हमारा एक बेटा डेनियल तो है . जब तुम नार्मल हो जाओ क्या तुम मुझे एक बेटी देना पसंद करोगी ? “
“ आपकी जैसी इच्छा “ बोलकर अलीशा ने खुद को अब्राहम की बाहों में समर्पित कर दिया .
क्रमशः