" तुम!!!! तुम्हे क्या जरूरत थी। उस लड़के के साथ ऐसा मज्ज़ाक करने की?? बेचारा कितना शर्मिंदा महसूस कर रहा था। और वो तुम्हे दीदी क्यो बुला रहा था ? " मि पटेल ने काफी कोशिश कर आखिर मे मीरा पर अपनी आवाज ऊची की।
" डैड। शांत हो जाइए। आपसे नही होता फिर भी क्यो कोशिश कर रहे हैं डाटने की। मजा तो आपको भी आया ना।" मीरा ने उन्हें समझाते हुए कहा।
" अरे बेटा पर वो हमारे मेहमान थे। लोगो को क्या लगेगा मैने कैसे संस्कार दिए है तुझे।" मि पटेल कुछ रोने जैसे हो गए ये देख अजय उनके पास आ गया।
" अंकल पहले आप शांति से बैठ जाइए। जो लोग आपके संस्कारो पर उंगली उठाए उन्हे बेटी भी क्यो देनी?" अजय ने उनका हाथ थामे कहा। " मीरा के लिए ऐसा कोई धुड़ये जो उसे आप के जैसे रखे संभालके। प्यार से।"
" बिल्कुल सही। पता है बॉस भी मुझे बोहोत संभालते है। " मीरा आगे कुछ कहे उस से पहले अजय ने रोका, " बिल्कुल नही। वो आदमी बिल्कुल नही।"
" हा सही तुम चुप रहो। मैने देखा किस तरह तुमने पूरी शाम उसके आगे पीछे बिताई।" मि पटेल।
" उनमें क्या बुराई है डैड ?" मीरा।
" मीरा।" अजय ने उसे रोकने की कोशिश की।
" रुको अजय उसे बोलने दो।" मि पटेल। " उम्र जानती हो? तुमसे कितना बड़ा है, जात भी अलग है। अपने आप को देखो, जमीन पे पावों कभी कभी रखती हो। वो मिटी से जन्मा है, जमीन पर ही रहता है। कहा से वो तुम्हारे लिए सहि हुवा ???" मि पटेल।
" परवाह करते है। ध्यान रखते है। हा स्टेटस और उम्र मे फर्क है। लेकिन देखा जाएगा। अभी प्यार नही करते, कल वो भी हो जाए ?" मीरा।
" तुम्हे समझ नही है लोगो की। तुम्हारा पति तुम्हारे लिए में चुनूंगा। समझी। अब जाओ अपने कमरे मे।" मि पटेल की डाट के साथ मीरा बिना कुछ कहे कमरे मे चली गई।
" अंकल फिक्र मत कीजिए मीरा को बात करने की समझ नहीं है।" अजय ने कहा।
" समझ होनी चाहिए। देखा तुमने क्या कहा उसने ? वो उस आदमी के बारे मे ऐसा सोच कैसे सकती है ? " मि पटेल।
" वो अभी नादान है। आकर्षण और प्यार के बीच मे अंतर नही समझती। में समझा दूंगा।" अजय।
उसकी की बाते सुन मि पटेल ने अजय के कंधो पर हाथ रखा उस वक्त उनके चेहरे पर मुस्कान आई।
" मीरा मेरी बेटी है। में उसे कभी गलत आदमी के साथ नही रखूंगा। मुझे पता है, उसे कैसे समझाना है। अब तुम भी घर जाओ। में तुमसे कल मिलूंगा। शुक्रिया बेटा।" मि पटेल।
अजय उन्हे उनके कमरे तक छोड़ने के बाद घर चला गया।
दूसरे दिन सुबह सुबह सब ऑफिस के बाहर मिले।
अजय, स्वप्निल, समीर और मीरा।
मीरा उन्हे देखते ही उनकी तरफ़ चली गई।
" गुड मॉर्निंग बॉस। हैलो समीर सर।" वो स्वप्निल के पास जाकर खड़ी हो गई।
अजय दोनो को सर हिला कर हैलो बोल मीरा को खींचते हुए वहा से ले गया।
" ये क्या बदतमीजी है। पता है तू मुझे वहा से ऐसे लेकर आया है, जैसे में उसके साथ भाग रही हु।" मीरा ने हाथ छुड़ाते हुए कहा।
" सोचना भी मत मीरा। अंकल पहले ही कल की बात को लेकर सदमे मे है। उन्हे और एक धक्का में नही लगने दूंगा। इसलिए अपने दिल को और अपने आप को यही रोक लो। इनसे चेतावनी भी समझ लेना।" इतना कह अजय वहा से चला गया।
वही स्वप्निल के केबिन मे,
" अजीब था। मतलब मुझे पता है, ऑफिस मे कई लोग है जो मुझे खास पसंद नही करते। लेकिन ये तो घटना ही अलग थी।" स्वप्निल।
" हा अजय ने जिस तरह तुझे देखा ना वैसे अकसर लड़की के घरवाले हीरो को देखते है फिल्मों में जब उन्हें शादी नही करवानी होती।" समीर।
" सच मे। ऐसा था क्या ? " स्वप्निल।
तभी मीरा अंदर आती है।
" आपका आज का शेड्यूल। 2 घंटो बाद केरल की मीटिंग है। 4 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंस।" फाइल टेबल पर रख वो बाहर चली गई।
" देखा तूने।" समीर।
" हा कोई फालतू की बकवास नही। टाइम पास नही। यहां तक गॉसिप भी नही। सीधा काम की बात। " स्वप्निल ने कॉल कर मीरा को फिर केबिन मे बुलाया। " क्या हुवा सुबह मिली तब तो ठीक थी, अचानक ..."
" कुछ नही।" मीरा।
समीर ने उसे इशारा कर बात पर ओर जोर देने के लिए कहा। " कोई परेशानी है, तो बताओ मीरा। हम मिल कर हल निकलेंगे।"
" अब आप को क्या बताओ। आप अगर बीच मे आए तो बात और बढ़ेगी।" मीरा ने सोचा।
तभी केबिन का दरवाजा खोल मि हुड्डा (उनकी कंपनी के MD) अंदर आए। उन्हे देख स्वप्निल और समीर खड़े हुए। सबने उन्हे गुड मॉर्निंग विश किया।
" चलो अच्छा है, सब यही मिल गए। अभी एक न्यू प्रोजेक्ट की मीटिंग है। क्लाइंट पोहोच गए है। चलो चले।" मि हुड्डा।
" एकदम से नया प्रोजेक्ट सर। मतलब कोई टेंडर ओपनिंग थी क्या आज ? " समीर।
" नहीं तो। अजय सिंग है ना तुम्हारे डिपार्टमेंट से वो लाया है, ये प्रोजेक्ट। चलो 3rd फ्लोर मीटिंग रूम । मीरा तुम्हे भी आना है।" मि हुड्डा।
" बट में अभी भी ट्रेनी हू सर। में मीटिंग मे क्या करूंगी।" मीरा।
" नहीं अब तुम सिर्फ एक ट्रेनी नहीं हो। मीटिंग मे पोहोचो पता चल जायेगा।" मि हुड्डा मीरा के साथ केबिन से बाहर चले गए।
" सुबह अजय का तूझे उस तरह देखना। मीरा की उदासी और कंपनी के नए प्रोजेक्ट के बीच कुछ कॉमन है क्या ?" समीर।
" हा है। ये सारी चीजे मीरा से जुड़ी है। चलो देखते है अब क्या हुवा है।" स्वप्निल।
कम्पनी के सब लोग मिलकर मीटिंग रूम मे इंतजार कर रहे थे। तभी मि हुड्डा ने दरवाजा खोला।
" डैड।" मीरा भाग कर मि पटेल के पास पोहोची।
" हे बेटा। सरप्राइज।" मि पटेल।
" पर आप यहां कैसे ?" मीरा।
" कांति भाई को इंडिया मे सेटेल होना है। तो हम दोनो नई फैक्टरी खोल रहे है। सोचा क्यों ना घर के इंजिनियर से काम करवाया जाए। बस अजय को फोन किया और पोहोच गया अपनी बेटी से मिलने।" मि पटेल।
" वाउ। यू आर ग्रेट डैड।" मीरा फिर स्वप्निल के पास चली गई। " वाउ बॉस अब हम हमारे घर के प्रोजेक्ट पर काम करेंगे।" स्वप्निल बस मुस्कुराया क्यो की उसका सिक्स सेंस उसे कुछ ओर बता रहा था।
" हैलो मि पाटिल।" मि पटेल ने स्वप्निल की तरफ आगे बढ़ते हुए कहा।
" हैलो सर। कल मिले थे, आज फिर मिल रहे है। लगता है अब अक्सर मुलाकाते होंगी।" स्वप्निल।
" होनी ही थी। आखिर आपके पास मेरी सब से कीमती चीज जो रह गई।" मि पटेल।
मीटिंग रूम का नजारा कुछ यूं हो चुका था, की बाई तरफ स्वप्निल और समीर, दाई तरफ़ उनके सामने मि पटेल और अजय खड़े थे। तो चारो के बीच मे मीरा थी। मि पटेल ने मीरा का हाथ पकड़ा और अपने साथ ले गए।