Royal flat rahasy - 3 in Hindi Horror Stories by Rahul Haldhar books and stories PDF | रॉयल फ्लैट रहस्य - 3

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रॉयल फ्लैट रहस्य - 3

अब आगे ……..

विजय के घर से निकल कर देवेंद्र जी रास्ते पर ही बैठ गए । उसके बाद पॉकेट से मोबाइल को निकाल कुछ नम्बर को डायल किया ।
कॉल रिसीव होते ही उधर से उत्तर सुने बिना ही देवेंद्र जी बोले – " हैल्लो महेश जी बोल रहे हैं । "
" हाँ आप कौन ? "
" मैं हूँ देवेंद्र सिंह । "
" जी कौन देवेंद्र ? "
" देवेंद्र सिंह , ऑफिसर ऑफ इंवेस्टिगेशन एजेंसी , डिपार्टमेंट ऑफ मर्डर मिस्ट्री बैच नम्बर 45 , अब पहचाने ।"
उधर से अब उत्तर आया – " ओ हाँ हाँ पहचान गया
बोलिए देवेंद्र जी । "
" विजय द्वारा भेजे गए चिट्ठी को मैंने पढ़ा । चीट्ठी को पूरा पढ़कर समाप्त करते ही जल्दी से उसके घर गया । पर वहां पहुंचकर देखा चीट्ठी में जैसा लिखा है ठीक वही हुआ है । "
" क्या हुआ बताइए , और चीट्ठी में विजय ने क्या
लिखा है ? "
देवेंद्र जी का स्वर अब कुछ कठिन सुनाई दिया –
" क्या लिखा है आपको नही पता , रॉयल फ्लैट के
इंवेस्टिगेशन के लिए आपने ही तो भेजा था । विजय अब जिंदा नही है । मैं उसके घर के सामने खड़े होकर ही बात कर रहा हूँ । "
भयानक आवाज से चिल्ला उठे महेश जी – " विजय
मर गया है पर कैसे ? "
" देखकर तो लगता है हार्टअटैक किसी के डर से खुद
पर नियंत्रण खो दिया था । "
" विजय हमारे एजेंसी का वन ऑफ द बेस्ट ऑफिसर
था । उसके साथ ऐसा होना बिल्कुल भी स्वभाविक
नही है । रॉयल फ्लैट के केस को अब बंद कर देता हूँ ।
आप क्या कहतें हैं ? "
देवेंद्र जी बोले – " देखिए आपने अगर केस को बंद कर दिया तो वह किसी दूसरे एजेंसी के हाथों में चला जाएगा और उस एजेंसी के किसी ऑफिसर का हमारे विजय की तरह कुछ हो यह मैं नही चाहता । "
" तब क्या किया जाए ? हमारे एजेंसी में कोई ऐसा ऑफिसर है जो इस रहस्य को सुलझा सके ? "
" नही हमारे एजेंसी का कोई भी ऐसे अलौकिक रहस्य को सुलझा नही पाएंगे । इसका घटना का हल केवल एक ही आदमी निकाल सकता है । "
" एक ही पर कौन ?
" इंडियन पैरानॉर्मल डिटेक्टिव एजेंसी के स्प्रिचुअल
डिपार्टमेंट के हेड ऑफिसर मिस्टर गौरव शुक्ला । "

*यहां इंडियन पैरानॉर्मल एजेंसी में …

फोन बजते ही एक आदमी ने फोन उठाया –
" हैलो इंडियन पैरानॉर्मल डिटेक्टिव एजेंसी , हां वो यहीं हैं पर इस समय फोन के पास नही हैं । आपको क्या प्रॉब्लम है बताइए मैं उनका असिस्टेंट राघव बोल रहा हूँ । नही वह अभी कुछ व्यस्त हैं आप कुछ देर बाद फोन कीजिए । "
इतना बोल कर उधर के जवाब को न सुने ही राघव ने रिसीवर रख दिया ।
दस मिनट के बाद खुद के लाइब्रेरी से बाहर आए गौरव ;
राघव उस समय अपने टेबिल पर रखे कुछ फाइलों में तांक - झांक कर रहा था ।
उसे देखकर गौरव बोला –" क्या बात है राघव इतने ध्यान से कौन सा फाइल खोज रहे हो ? "
वह थोड़ा सा हँसकर कुछ जवाब देना चाहता था पर उससे पहले ही फिर टेलीफोन बज उठा ।
राघव बोला – " आ गया जाओ आदमी का नाम देवेंद्र सिंह है । उन्हें तुम्हारे साथ कुछ जरूरी बात करना है दूसरे किसी को बताया नही जा सकता ।"
गौरव ने जल्दी से आगे बढ़ फोन को उठाया –
" हाँ गौरवबोल रहा हूँ । देवेंद्र जी हाँ पहचान गया बोलिए क्या बात है ? "
देवेंद्र जी की बातें लगभग पांच मिनट में खत्म हुई । गौरव रिसीवर को रखकर पास ही कुर्सी पर बैठ गया और बोलता रहा –
" रॉयल फ्लैट में हत्या और वो भी अलौकिक तरीके से
इंटरेस्टिंग । "
गौरव को चिंतामग्न देखकर बहुत उत्तेजित होने पर भी राघव से पूछने का साहस नही हुआ । , कुछ देर बाद गौरव ने ही चिंता हटाया और बोले – " राघव घटना को तुम्हे भी जानना चाहिए क्योंकि इसके पहले हमारे पास हत्या का कोई केस नही आया इसीलिए कुछ सोच विचारकर रहा था । "
हत्या के नाम को सुन कर आश्चर्य हुआ राघव और बोला – " हत्या , पर क्या उन्हें नही पता कि हम पैरानॉर्मल डिटेक्टिव एजेंसी में काम करते हैं । "

गौरव बोले – " वह सब कुछ जानते हैं इसीलिए इस हत्या केस को सुलझाने का भार हमको दिया है क्योंकि उनके हिसाब से हत्या बहुत ही अलौकिक तरीके से हुआ है । "
अलौकिक तरीके से हत्या पर यह बात राघव के दिमाग में नही गया फिर भी वह कोई प्रश्न न कर अपने फाइलों पर ध्यान दिया ।
गौरव बोले – " चल राघव देवेंद्र जी ने हमें अभी बुलाया है । जिनकी हत्या हुई है उनके अंतिम वक्त के कुछ मूल्यवान तथ्य अभी तक देवेंद्र जी के पास है और उसे हमें देना चाहते हैं । "

स्ट्रीट पर एक घर के सामने राघव ने गाड़ी को रोका । इतने देर के जर्नी के कारण गौरव की आंख लग गई थी । गाड़ी रुकते ही वह उठकर बोले –
" क्या हुआ गाड़ी रोक दिया ? आ गए क्या ? "
राघव बोला – " गूगल मैप तो यही बता रहा है । तुमने जो एडरेस बताया था अगर वो ठीक है तो देवेंद्र जी का घर यही है । "
गौरव ही पहले गाड़ी से उतरकर घर के कॉलिंग बेल को बजाया । कुछ देर बाद ही एक 45 - 50 साल के आदमी ने दरवाजा खोला । इसी बीच राघव भी गौरव के पीछे आकर खड़ा हुआ ।
" मैं गौरव आपने फोन किया था । "
गौरव के बात को अंत होने से पहले ही वह आदमी बोला – " अरे हाँ आइए , मैं ही देवेंद्र सिंह हूँ ।
कुछ साल पहले देखा था इसीलिए पहचान नही पाया । "
देवेंद्र जी के बैठक रूम में ही गौरव नद सभी बातों को खत्म किया । विजय के भेजे चीट्ठी को भी पढ़ा फिर बोला – " वैसे इस चीट्ठी में विजय ने जिस महेश जी का उल्लेख किया है वह कौन हैं ? "
देवेंद्र जी ने उत्तर दिया – " वह विजय के सीनियर ऑफिसर हैं । यह केस पहले उनके पास ही गया था लेकिन दिल्ली में डिपार्टमेंट मीटिंग के चलते उन्होंने विजय को यह केस हैंडओवर किया था । "
" अच्छा उनका एडरेस मिलेगा ? "
" हाँ मैं महेश जी के कार्ड को देता हूँ । "
देवेंद्र जी उठकर पास वाले कमरे से एक कार्ड लाकर गौरव के हाथ में दिया और बोले – " तुम चाहो तो आज ही उनके साथ मिल सकते हो क्योंकि आज उनका ऑफ ड्यूटी है । अगर तुम कहो तो एक बार फोन कर उन्हें बता दूं । "
" हाँ उन्हें बता दीजिए । ok मैं चलता हूँ । "
विजय के भेजे चीट्ठी की कुछ कॉपी के फ़ोटो कैप्चर कर देवेंद्र जी के घर से गौरव और राघव दोनों ही बाहर आए ।
महेश जी के घर जाना होगा यह सुन राघव को कौतूहल होने लगा और वह बोला – " गौरव भैया अब महेश जी के घर क्यों ? घटना क्या है वह तो चीट्ठी से ही जाना जा रहा है । अब सीधे रॉयल फ्लैट चलते हैं ।"
इस प्रश्न का उत्तर दिए बिना गौरव ने उल्टा एक अद्भुत प्रश्न किया – " अच्छा राघव बताओ तो कमरे के बीच में अगर मोमबत्ती जलाया जाए तो सबसे ज्यादा अन्धेरा कहाँ होगा ? "
राघव आश्चर्य हुआ अचानक ऐसा अजीब प्रश्न क्यों , उसने उत्तर दिया – " यह तो सभी बता सकतें हैं कमरे के सभी कोने में ज्यादा अंधेरा होगा । "
गौरव बोला – " नही सबसे ज्यादा अंधेरा रहेगा मोमबत्ती के नीचे यानी जड़ पर । "
अपने में ही हंस पड़ा राघव – " वाह अच्छा कहा पर
इस प्रश्न का तात्पर्य ? "
" तात्पर्य यही है कि विजय के मृत्यु के जड़ पर हैं महेश जी तो इसीलिए समझ लो उनके साथ बात करना कितना जरूरी है । और जहां तक मैं जानता हूँ जल्द ही दिल्ली में इंवेस्टिगेशन डिपार्टमेंट का कोई मीटिंग नही था । "
" इसका मतलब तुम बोलना चाहते हो महेश जी ने झूठ बोला । "
" वह तो उनके घर पहुँचने पर ही पता चलेगा , चल जल्दी गाड़ी चला । "

एक तीन तल्ले के घर में किराए पर रहतें हैं महेश जी , सेकेंड रैंक के हाई लेवल ऑफिसर होने पर भी शायद कंजूसी के कारण घर का यह हाल है ।
इस घर के डाइनिंग रूम में बैठकर गौरव और महेश जी की बातचीत हो रही थी । स्नैक ऑफर करने पर गौरव ने बताया है कि ऑन ड्यूटी वह बाहर का खाना नही खाता ।
महेश जी ने बोला – " तो बोलिए गौरव जी आप क्या जानना चाहतें हैं ? "
गौरव ने मुस्कुराते चेहरे से उत्तर दिया – " महेश जी रॉयल फ्लैट का केस तो सबसे पहले आपके पास आया था तो आपने विजय को क्यों हैंडओवर किया ? "
" यह क्या देवेंद्र जी ने इस बारे में आपको कुछ नही बताया । "
" नही देवेंद्र जी ने बताया आपका दिल्ली में इंवेस्टिगेशन
डिपार्टमेंट का मीटिंग था पर मैं सच बात को जानना
चाहता हूं । "
" मतलब क्या कहना चाहते हैं आप ? "
" कहना चाहता हूँ कि इंवेस्टिगेशन डिपार्टमेंट की मीटिंग लॉस्ट बार हुआ था आज से देढ़ महीने पहले और सौभाग्य से उस मीटिंग में मैं भी हाजिर था । उसके बाद तो और कोई मीटिंग नही हुआ फिर आप उस सप्ताह दिल्ली में क्या कर रहे थे ? "
अचानक यह सुनते ही महेश जी का चेहरा उतर सा गया ।
गौरव बोला – " चुप मत रहिए महेश जी आपकी वजह से एक जूनियर ऑफिसर की मौत हुई है । अगर कहे तो आपने ही उसकी हत्या की है । "
" हत्या नही नही मैंने ऐसा नही किया । विश्वास करो मैं जानता ही नही था विजय के साथ ऐसा होगा । "
" तो फिर आपने जानबूझकर विजय को रॉयल फ्लैट में क्यों भेजा था ? सच बात बताइए महेश जी । "
महेश जी सिर नीचे करके बोले – " दरअसल बात यह है कि मैं बहुत डर गया था । केस मिलने के बाद पहले दिन ही मैं वहां गया था ।दोपहर के समय उस रोड पर ज्यादा लोग नही रहते । फ्लैट के सामने खड़े होकर चारों तरफ देख रहा था । अचानक कहीं से एक बूढ़ा आदमी आया और मेरे हाथ को पकड़ जोर जोर से चिल्लाता रहा । इससे मैं घबरा गया क्योंकि कुछ देर पहले ही देखा था रास्ता पूरा सुनसान था । उस बूढ़े ने बार - बार मुझे रोका जिससे मैं उस रॉयल फ्लैट में प्रवेश न कर पाऊं । "
गौरव ने बीच में टोका –" क्राइम ब्रांच के उच्च ऑफिसर होकर भी सामान्य एक बूढ़े की बात पर ।"
महेश जी फिर बोले – " नही नही आप मेरे पूरे घटना को पहले सुनिए । मेरे करियर के पहले समय में ठीक ऐसी ही घटना घटी थी । एक अलौकिक हत्या को जांचने गए मेरे सीनियर ऑफिसर का रहस्यमय तरीके से मौत हुआ था । पोस्टमार्टम में बताया गया कि उनका सांस रोक कर हत्या किया गया लेकिन मैं उसपर विश्वास नही करता क्योंकि जिस हत्या की जांच उन्होंने किया था उस मृत व्यक्ति के गले पर एक काला धागा बधा था ठीक उसी तरह का धागा उनके गले से भी मिला । उस हत्या की सच्चाई आज तक पता नही चला । इन सब बातों पर मेरा अंधविश्वास और दृढ़ हो गया है । "
अपने गले से चार - पांच रुद्राक्ष के माले को दिखाकर महेश जी बोले – " यह देखिए डर भगाने के लिए कितना कुछ पहन रखा है पर कोई लाभ नही हुआ । आप समझ ही रहें है अगर मुझे कुछ हो गया तो मेरी पत्नी व बच्चों का क्या होगा ।"
" ठीक है समझ गया महेश जी आपने खुद को बचाने के लिए विजय को रॉयल फ्लैट में भेजा था । इसमें आपका दोष होने पर भी यह अभी कुछ नही है । "
कुर्सी छोड़ उठ खड़ा हुआ गौरव – " आज चलता हूँ आपका कार्ड है मेरे पास , जल्द ही फिर आमना सामना होगा हमारा । "

बाहर आकर राघव ने गाड़ी स्टार्ट किया और पूछा – " तो अब कहाँ जाना है गौरव भैया ?"
बैक सीट पर आराम से बैठकर गौरव ने उत्तर दिया –
" अभी तो ऑफिस चलो और सुनो रॉयल फ्लैट का जितना भी डिटेल है , जैसे आज तक उस फ्लैट के मालिक कौन - कौन थे व इस समय रॉयल फ्लैट के मालिक कौन हैं । यह सभी रिपोर्ट आज शाम तक मेरे पास आ जाना चाहिए । "
सिर को हिला राघव ने सहमति जताई ।
थर्ड ग्रेड ऑफिसर होने पर भी राधव के काम करने की क्षमता कम नही है और उसके ऊपर से लेवल या ग्रेड कभी भी ऑफिसर के बुद्धिमत्ता को नही बताता।
शाम होते ही रॉयल फ्लैट के तथ्यों के साथ ऑफिस में आया राघव ; तीन बड़े फाइल को गौरव के सामने रखकर वह बोला – " गौरव भैया लगभग सब कुछ मिल गया है तुम एक बार देख लो । "
" ये तो बहुत बड़े फाइल हैं ।अभी तो पढ़ने का समय नही है पर तुमने अवश्य पढ़ा है । "
" हाँ पूरा पढ़ा है । "
" तब बोलो , तुमसे ही रॉयल फ्लैट के इतिहास को सुनता हूँ । "
" इतिहास अगर बोलू तो इस फ्लैट के तथ्य को जुगाड़ करते हुए बार - बार यह लग रहा था कि किसी ने इसके बारे में तथ्यों को छुपाने की कोशिश की है ।
फ्लैट लगभग 17 - 18 साल पुराना है । इसका मालिकाना किसी एक के पास नही था लेकिन मालिकों के डिटेल्स कहीं पर भी नही है इसीलिए उस इलाके में कुछ सालों से जिन्होंने फ्लैट की दलाली की है मतलब कुछ प्रोमोटर के डिटेल को मैंने जुगाड़ किया है । "
" अच्छा किया शहर में एक ऐसे फ्लैट के तथ्यों को जुगाड़ करना आसान नही है । जो भी हो तुमने जिन प्रमोटर के नाम का जुगाड़ किया था वह कौन हैं ? "
" दो प्रोमोटर के नाम इससे ज्यादा जुड़ा है । एक हैं रमाकांत और दूसरा चंद्रभान तिवारी दोनों के डिटेल्स फॉइल में हैं । "
फाइल को हाथ में लिया गौरव ने फिर पन्नों को पलट ध्यान से सभी तथ्यों को देखते रहे ।
" राघव चल रमाकांत का घर ज्यादा दूर नही है पहले उनके ही घर चलते हैं । " ....


अगला भाग क्रमशः।।


@rahul