black magic in Hindi Health by Saroj Prajapati books and stories PDF | काला जादू

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काला जादू


"नमस्ते आंटी जी, कैसे हो आप!""नमस्ते नमस्ते बेटा! मैं तो ठीक हूं तुम सुनाओ!!!
वैसे आज बड़े ही अच्छे मौके पर आई हो । कल ही तेरी सहेली सोनम भी आई है।"
"मुझे पता चल गया था आंटी जी ! तभी तो उससे मिलने आई हूं। देखो ना आंटीजी, शादी के कितने साल हो गए । फिर भी चाहकर ससुराल से एक दूसरे के घर आना जाना कितना मुश्किल है। कभी मिलते हैं तो यही मिल पाते हैं।"

"हां बेटा, यह बात तो तूने बिल्कुल सही कही। क्या करें!!
हम औरतें सबके लिए समय निकाल सकती हैं। सिर्फ अपने लिए ही नहीं!
अच्छा तू बैठ। मैं तेरे लिए चाय लेकर आती हूं।"

"अरे आंटी जी, चाय तो मैं सोनम के साथ ही पियूंगी। कहां है वह। सोकर नहीं उठी क्या अभी तक !"
"अरे बेटा, काहे का सोना !!! वह बेचारी तो बहुत परेशान है । अपनी दुख तकलीफों से। तुझे तो पता ही है।"

"मैं समझी नहीं ! सोनम से अभी मेरी 15 दिन पहले ही तो बात हुई थी। तब तो उसने मुझे ऐसा कुछ नहीं बताया। हां कह रही थी, आराम ना मिलने के कारण सर्वाइकल कुछ ज्यादा ही बढ़ता जा रहा है।"
"कोई सर्वाइकल या बीमारी ना है उसे बेटा !
मानो ना मानो उसकी जिठानी ने काला जादू करवा रखा है उस पर। उसकी तरक्की हजम ना होती उनसे। सोचते हैं मियां बीवी तो अच्छा कमाते ही थे। अब बेटा भी नौकरी पर लग जाएगा। बस करवा दिया कोई जादू टोना मेरी बेटी पर!!!!! वरना ऐसा भी क्या सर्वाइकल कि ठीक होने में ही ना आए!!!
बताओ तो लड़की चक्कर खा खाकर गिर रही है। ऐसा तो तभी होता है जब कोई ऊपरी छाया हो।"
"आंटी, ये कैसी बात कर रही हो आप!!!!! सर्वाइकल में चक्कर बहुत आते हैं और एक बात आपको बताऊं सर्वाइकल कभी भी पूरी तरह सही नहीं होता। हां उसे एक्सरसाइज के द्वारा कंट्रोल किया जा सकता है।
मैं तो खुद भुक्तभोगी हूं। कुछ करूं या न करूं लेकिन दिन में एक बार अपनी एक्सरसाइज जरूर करती हूं । क्योंकि आंटी हम ऑफिस में कंप्यूटर पर कई घंटे काम करते हैं और फिर घर में भी सारे काम ही तो झुक कर करने वाले हैं और सीधे हाथ का सबसे ज्यादा प्रयोग ।"
"तेरी सारी बात समझ रही हूं बेटा लेकिन तू मेरी बात भी समझ। अरे, इतने काम के बीच सोनम को तो एक्सरसाइज का समय ही नहीं मिलता। एक्सरसाइज से बचने के लिए मैंने उसे मंत्र पढ़ सर्वाइकल का धागा मंगवाकर दिया है। उसे पहन लो तो सर्वाइकल कंट्रोल में रहता है। एक्सरसाइज की भी कोई जरूरत नहीं है ।
बड़ी दूर से मैंने उसके लिए यह धागा मंगवाया और सोनम आएगी तो तू पूछ भी लेना कितना आराम पड़ा उसे इससे। अगर तू कहेगी तो मैं तेरे लिए भी वो धागा मंगवा दूंगी"
"आंटी जी, सर्वाइकल का धागा!!!! यह तो मैंने पहली बार सुना है! आप कहां इन चीजों में घुस गए । भला गंडा ताबीज पहनने से भी बीमारियां सही होती है!"

"बस बेटा, तुम पढ़े-लिखे बच्चों में यही तो एक कमी है । तुम्हें हमारी इन बातों पर विश्वास नहीं होता। तेरी सहेली को भी ना था। देख लिया ना उसका नतीजा ।
आखिर में माननी तो उसे मेरी बात ही पड़ी।
बहुत पहुंचे हुए सिद्ध बाबा है वो। जिसने मेरी बेटी पर काला जादू करवाया है। उन्हीं पर उल्टा पड़ेगा वो!!!! देखना कैसे चक्कर खा खाकर गिरेंगे वो लोग।"
आंटी जी बोलते हुए उन्हें जी भरकर कोस रही थी।
"अच्छा आंटी, मैं चलूं । सोनम तो देर से ही आएगी। मुझे तो जल्दी निकलना था।"

"हां बेटा, उसे तो आते आते शाम हो जाएगी। तू चाय तो पीकर जा।"

"नहीं आंटी जी, चलो फिर कभी फुर्सत से आऊंगी। सोनम से मैं फोन पर उसका हाल चाल पूछ लूंगी।"
कह रूचि वापस आ गई। उसे बार-बार एक ही बात परेशान कर रही थी ।
आंटी जी तो कम पढ़ी-लिख हैं लेकिन सोनम!!!
सोनम इतनी पढ़ी-लिखी होने के बावजूद उनकी ऐसी बातों में कैसे आ गई । मैंने तो उसे कितने अच्छे से समझाया था कि सर्वाइकल में चक्कर आते हैं। मैं खुद भी तो कितना परेशान रही थी
लेकिन फिजियोथैरेपी और एक्सरसाइज की मदद से मैंने उसे कंट्रोल में कर लिया। हां एक्सरसाइज को दिनचर्या का हिस्सा बना लिया था। उसे भी तो सलाह दी थी कि बस कुछ दिनों की फिजियोथैरेपी लेकर एक्सरसाइज करें उसके बाद भी!!!!!

यही तो हमारे समाज की विडंबना है कि दुख तकलीफ से लेकर बीमारियों तक को जादू टोना समझकर नीम हकीम व ढोंगी बाबाओं के चक्कर में फंस जाते हैं और जो एक बार इस दलदल में उतरा वह कभी बाहर ना निकल सका।
अब तक सोनम भी कई बाबा बदल चुकी है लेकिन उसकी बीमारी व वहम घटने की बजाय और बढ़ते ही जा रहे हैं।
सरोज