Raghuvan Ki Kahaniyan in Hindi Children Stories by Sandeep Shrivastava books and stories PDF | चंदा मामा दूर के

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चंदा मामा दूर के

रघुवन में एक दोपहर ढल रही थी। रघुवन वासी अपने संध्या कर्म में लगे हुए थे। परछाइयां अब लम्बी होने लगी थीं। हमेशा की ही भांति सुखमय वातावरण था। पर सबसे ऊँचे बरगद के बृक्ष नीचे भीड़ जमा होने लगी थी। बहुत से जानवर उधर घेरा बना के खड़े थे। पक्षी भी शोर मचाते हुए मंडरा रहे थे। प्रतीत होता है कि कुछ गड़बड़ चल रही है।


मिंकू बन्दर वृक्ष के सबसे ऊपर की डाल पर चढ़ा हुआ है और नीचे नहीं आ रहा है। मिंकू सबसे बोल रहा है " आज वो दिन आ गया है जब हम बंदर चन्द्रमा पर पहुँच कर अपना नाम ऊँचा करेंगे। मैंने आज पूर्णमासी की रात को यह काम काम करने का निश्चय किया है। आज चंद्रमा इसी वृक्ष के पीछे से उदय होता है। आज जैसे ही चन्द्रमा उदय होगा मैं वृक्ष की चोटी से छलांग लगा कर चन्द्रमा पर पहुँच जाऊँगा। फिर चन्द्रमा हमारा होगा। "


उसकी बात सुन कर सब की साँस अटक गई। उसकी माता, मिंकिया, तो व्याकुल हो कर रोने लगी। बहुत समझाने पर भी मिंकू नीचे उतरने को नहीं मान रहा है । अब चंद्रोदय में अधिक समय शेष नहीं बचा। किसी भी समय चन्द्रमा में दिखेगा और मिंकू उसपे छलांग लगाएगा। सबको अब मिंकू की चिंता सताए जा रही थी।


तभी आकाश में पक्षीराज गरुड़ का उड़ते हुआ आना हुआ। वो सीधे मिंकू के पास आके रुके और बोले " तुम चन्द्रमा को पकड़ना चाहते हो?" मिंकू ने हां में सिर हिलाया। गरुड़ बोला "मैं बहुत ऊपर देख के आया हूँ , चन्द्रमा अभी बहुत दूर है। उसके आने में अभी समय लगेगा। तुम भी बहुत देर से इतना ऊपर चढ़े हुए हो। भूख प्यास भी लगी होगी चाहो तो भोजन करके फिर से आ जाना। तब तक में चन्द्रमा की स्थिति देखता हूँ। " मिंकू बहुत देर से ऊपर था। उसे भूख प्यास दोनों ही लगे थे। उसने गरुड़ पर विश्वास कर नीचे जाने का निर्णय लिया।

मिंकू धीरे धीरे पेड़ से नीचे उतर रहा था। गरुड़ पहले से नीचे आकर सभी को अपनी बात समझा रहा था। मिंकू नीचे आया , उसकी माँ ने उसे गले लगा लिया। मिंकू ने कुछ खाने के लिए माँगा उसे बहुत भूख जो लगी थी। उसकी माँ ने उसे दूर एक टीले पर खड़े जम्बो हाथी की ओर संकेत किया। जम्बो अपनी सूंड में एक बड़ा सा तरबूज उठाये खड़ा था। मिंकू की मां बोली "जा बैठा छलांग लगा के तरबूज खा ले"। मिंकू अचरज में आ गया और अपनी माँ से बोला "इतनी दूर का तरबूज मैं कैसे खाऊंगा? " तो गरुड़ बोला "अरे जैसे तुम छलांग लगा के चन्द्रमा पर जाने वाले थे। " मिंकू बोला " अरे चन्द्रमा तो पास में है... " फिर सब मिलकर बोले " ...तो तरबूज तो उससे भी पास में है, पेड़ के उपर से छलांग लगाओ और खा लो। .. " मिंकू बोला "....अरे ऐसे छलांग लगा के तो मैं मर जाऊँगा..." कहते कहते मिंकू चुप हो गया। उसे अपनी गलती समझ आ गई। सभी लोग उसे देख कर मुस्कुरा रहे थे। उसकी मां ने उसे प्यार से समझाया " तुममें साहस बहुत है पर समझ और ज्ञान अभी कम है। जब तुम बड़े हो जाओगे तो अपने सहस और ज्ञान के अनुसार अपने लक्ष्य चुनना। " मिंकू ने सहमति में सिर हिलाया। सबने मिंकू और उसकी मां के लिए खुश हुए। और फिर सबने मिलकर पार्टी करी।