Business will be killed in Hindi Comedy stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | धंधा मारा जाएगा

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धंधा मारा जाएगा

इक्कीसवीं सदी साइंस का जमाना।शिक्षा के प्रसार के साथ लोगो का ज्ञान बढ़ा है।लोग जागरूक हुए है और उनमें समझदारी आयी है।पहलेकी तरह लोग अज्ञानी और कूप मण्डूक नही रहे।सोशल मीडिया ने क्रांति ला दी है।देश दुनियां की खबरे ही नही छोटी से छोटी घटना भी पलक झपकते ही दुनियां के हर कोने में पहुंच जाती है।
शिक्षा के प्रसार के साथ जागरूकता आयी है।इसलिए आदमी को रूढ़िवादी,अन्धवविश्वासी नही होना चाहिए।लेकिन ऐसा नही है।शिक्षा के प्रसार के बावजूद आदमी ज्यादा कट्टर और अन्धविसवासी हो रहा है।
विकास औऱ उन्नति के साथ रिश्वत, भरस्टाचार में भी बढ़ोतरी हो रही है।लोग लूटने में लगे है।अपनी ही सरकार को चुना लगा रहे है।लेकिन मन मे डर भी समाया हुआ है।कानून का डर,पकड़े जाने का डर,समाज मे बदनामी का डर और इस डर ने ही उसे ज्यादा धार्मिक बना दिया है।धर्म के प्रति आस्था बढ़ रही है।मन्दिरो में ज्यादा दान दक्षिणा चढ़ावा आ रहा है।रिश्वतखोर,भृष्टाचारी, काले और गैर कानूनी धंधे करने वाले सोचते है।कुछ अंश उन पर चढ़ा देने से उनकी कृपा दृष्टि बनी रहेगी।
रिश्वत,भ्र्ष्टाचार और काले गेर कानूनी धंधे का ही प्रभाव है कि न जाने कितने सन्त महात्मा पैदा हो गए है।इन सन्तो के पास आम आदमी की पहुंच नही है।इन ढोंगी सन्तो ने फाइव स्टार होटल जैसे आश्रम बना रखे है।इन आश्रमों मे भौतिक सुख सुविधा के सारे समान मौजूद है।ये साधु महात्मा विदेशी कपड़े पहनते है।शरीर पर सोने ,हीरे,रत्नों से जड़ित आभूषण पहनते है।महंगी विदेशी कारे रखते है।हवाई जहाजों से यात्रा करते है।सूंदर बालाएं हर समय इनकी सेवा के लिए हाज़िर रहती है।
औऱ इन आधुनिक सन्त महात्माओं के कारनामे बताने की ज़रूरत नही है।जब तब कोई इनमें से पकड़ा जाता है।कुछ तो जेल में भी सजा काट रहे हैं।जब तब किसी ने किसी महात्मा का काला चिट्ठा जनता के सामने आता रहता है।ये तथाकथित सन्त महात्मा राजनेताओ, उधोगपतियों या धन्ना सेठो के पैसे पर ेेऐश करते है।
शिक्षित होने पर आदमी मे जागरूकता आनी चाहिए।उसे अंधविश्वासी नही होना चाहिए।लेकिन मीडिया होने दे तब।बड़े बड़े सेलिब्रिटी वशीकरण यंत्र, इच्छापूर्ति ताबीज,सिद्वयंत्र,, धन प्राप्ति जैसे यंत्रो का भ्रामक प्रचार करते टिवी पर नज़र आते है।रही सही कसर वास्तुशास्त्रियों और तांत्रिको ने पूरी कर दी है।
वास्तुशास्त्र वाले टी मकान में ऐसे दोष निकाल देते हैं।जैसे पहले मकान बनते ही नही थे।उनका बस चले तो दुनिया के सारे मकान तुड़वा दे।चाहे खुद के मकान में वास्तु दोष न ढूंढते हो,दूसरे के मे जरूर।जिसे एक ही कमरे का मकान बनवाना हो,वह वास्तु दोष देखेगा या अपना बजट।
हमारे साथ भी ेेऐसा ही हुआ।मैं तो वास्तु और पंडितो के चक्कर मे नही पड़ता न ही उनके पास जाता हूँ।लेकिन अखबार और पत्रिकाओं में वास्तु से सम्बंदित बाते छपती रहती है।उनको पढ़कर श्रीमतीजी ने हमारे मकान में तमाम दोष ढूंढ लिए।इतनी पूंजी तो पास में थी नही की पूरे मकान को तुड़वाकर वास्तु के अनुसार बनाया जाए।फिर क्या करे?एक पंडित से सलाह ली।उसने सलाह दी,"घर के दरवाजे पर काले घोड़े की नाल बांध दो।सब दोष दूर हो जाएंगे।"
श्रीमतीजी ने हमे काले घोड़े की नाल लाने का फरमान सुना दिया।सफेद,भूरे घोड़े तो बहुत मिल जाते है,लेकिन काला----कई दिनों के प्रयास के बाद हमने काला घोड़ा खोज लिया और उसके मालिक के पास जा पहुंचे,"नाल कितने की है?"
"पांच सौ रुपये।"
घोड़े के मालिक की बात सुनकर मैं चोंका था,"लोहे की नाल के इतने पैसे?"
"बाबूजी पांच सौ रुपये ही मांग रहा हूँ।इससे ज्यादा देनेवाले भी मिल जाएंगे,"मेरी बात सुनकर घोड़े का मालिक बोला,"काले घोड़े मिलते कँहा हैं?"
काफी देर तक बहस करने के बाद भी वह पैसे कम करने के लिए तैयार नही हुआ।मरता क्या न करता।श्रीमतीजी ने साफ हिदायत दी थी,"काले घोड़े की नाल ही लानी है।"
जेब से पैसे निकालकर देने ही वाला था कि मेरी नज़र घास चर रहे घोड़े पर पड़ी।कई जगह से घोड़े के सफेद बाल झांक रहे थे।मैं बाल डाई करता हूँ।इसलिए मैंने घोड़े वाले कि चोरी पकड़ ली।सफेद घोड़े को डाई करके काला बनाया गया था।चोरी पकड़ में आने पर मैं बोला,"तुम्हारा घोड़ा तो सफेद है।तुमने डाई करके काला कर दिया है।"
"नही बाबूजी।"
"झूंठ मत बोलो।लोगो को धोखा देते हो।मैं पुलिस को बुलाता हूँ।"और मैने मोबाइल निकाला।वह डर गया।हाथ जोडकर बोला,"बाबूजी आप नाल वेसे ही ले जाओ।लेकिन पुलिस मत बुलाओ।वरना मेरा धंधा मारा जाएगा।"