Immoral - 32 - Last part in Hindi Fiction Stories by suraj sharma books and stories PDF | अनैतिक - ३२ - अंतिम भाग

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अनैतिक - ३२ - अंतिम भाग

आज एक महीने बाद...

चलो जल्दी, सामान लेकर बाहर आ जाओ..

अंकल ने रोते हुए कहा, बेटा सही तो कर रहे है ना हम?

अंकल आपको मुझ पर भरोसा है? बचपन से लेकर आज तक मैंने कभी आप में और मेरे पापा में, या माँ और आंटी में कोई फर्क किया है क्या? आज निकेत भैय्या नहीं है तो क्या हुआ? मै हूँ ना आपका बेटा. अब हमें यहाँ नहीं रहना चाहिए, पुरानी बाते याद कर के ज़िन्दगी भर हम सबको दर्द होगा।। मैंने एक बड़ा घर देखा है जर्मनी में..आप, पापा, माँ, आंटी, किशोर, रीना और मै हम सब साथ में रहेंगे एक ही घर में..इसीलिए मैंने किशोर का और मेरा ट्रान्सफर रुकाया है..

माँ और पापा ने भी उन्हें समजाया की ये सही है और वैसे भी घर तो वहीं होता है जहां अपने बच्चे रहते हो....

पापा की ये बात सुनकर मुझे अच्छा लगा.

तभी अंकल आंटी ने मुझे अपने पास बुलाया और कहा, बेटा कशिश? उसका क्या? उसे तो हम उस कमीने मामा के यहाँ भी नहीं छोड़ सकते..बेटा तू मुझे अपने पापा के जैसे मानता है ना

पापा के जैसे क्या अंकल पापा ही मानता हूँ।।

तो कशिश से शादी करले..

क्या? मै एकदम से उठ खड़ा हुआ..मैंने एक नज़र सबकी ओर देखा...२ मिनिट के शांति के बाद आंटी ने कहा,

"बेटा वो बच्ची है अभी, उसने तो ज़िन्दगी देखि भी नहीं, हमारे वजह से उसने बहोत दर्द सहे है, हम तुम्हे जबरदस्ती तो नहीं कर सकते पर सोचना इस बारे में

तभी माँ और पापा ने भी कहा, बेटा ये सही कह रहे, वो अच्छी लड़की है और इस सब में उसकी तो कोई गलती नहीं फिर उसे सज़ा क्यों दे?..

पर माँ अभी निकेत भैय्या को सिर्फ एक महिना ही हुआ है..और फिर कशिश की भी इच्छा पूछनी चाहिए ..

रीना ने कहा, ये सब सही कह रहे है, पूरी ज़िन्दगी अकेले बिताना या फिर एक और अंजान आदमी के साथ उसके लिए मुश्किल होगा

ठीक है मै कशिश से बात करता हूँ, मै उसके रूम में जाने लगा

वो दरवाज़े पर खडी सब सुन रही थी..मै जैसे ही उसके रूम में गया मैंने उस से कहा,

देखो सब बोल रहे इसीलिए मुझसे शादी मत करो, अगर आपको सही तो सोचना इस बारे में

उसने कुछ सोच कर कहा, " मै शादी के लिए तयार हूं पर मुझे थोड़ा वक़्त चाहिए।।

कशिश मै तुम्हे एक बात बताना चाहता हूँ..मै नहीं जानता की मैंने गलत किया या सही, मुझे तुम्हे बताना चाहिए भी या नही पर मै ज़िन्दगी भर इसके लिए खुदको माफ़ नही कर सकता और ये बोझ उठाकर नहीं जी सकता..

क्या बात है?

मैंने उसे निकेत भैय्या की और मेरी सारी बाते बता दी..अब फैसला तुम्हारा है,

मै जैसे ही दरवाज़े से बाहर आने लगा ..उसने मुझे रोक लिया और बस इतना ही कहा

जो हुआ वो भगवान की इच्छा समझ कर छोड़ देते है और आगे बड़ते है. हाँ तुमने कुछ गलत नहीं किया।। तुम्हने तो उसे ज़िन्दगी भर के दर्द से मुक्त किया है इसीलिए ये बोझ तुम्हारे दिल से उतार दो और इसके बारे मे आज के बाद किसी से कुछ मत कहना शायद इस से निकेत की आत्मा को शांति मिले

हम दोनों निचे आ गये सब समझ गये थे हम दोनों शादी के लिए तयार हो गये..

पापा ने कहा, हम १-२ साल में आते रहेंगे अपने घर. शायद वो खुद को दिलासा से रहे थे।।

पर अब माँ और पापा के चेहरे पर देश छोड़कर जाने का गम नहीं था..

हाँ पापा ज़रूर आयेंगे, और मै पूरे घर को देखने लगा..

किशोर ने कहा, चलो जल्दी, फ्लाइट का वक़्त हो रहा है, अरे ये क्या रोनी तेरी सीट तो हम सब से अलग है

हाँ वो मैंने टिकेट पहले ही निकाल ली थी ना

अच्छा चलो जल्दी ..

आप सब चलो मै, और किशोर आते है

वो सब एअरपोर्ट के लिए निकल गये, मैंने अपने घर को लॉक किया और फिर रीना के घर को ताला लगा रहा था. मेरी नज़र निकेत भैया के रूम पर गयी, ना जाने क्यूँ मन ने कहा एक बार रूम में जाकर आना चाहिए.

मै रूम में गया, और बस उनकी फोटो को २ मिनिट देखता रहा, मुझे वो सारी बाते याद आने लगी पर तभी ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरे खंडे पर हात रखा हो।। मै पीछे मुड़ा तो एक ठंडी हवा का झोंका मेरे सीने को छू कर चला गया..जैसे वो कह रहा हूँ

"थैंक यू"

मैंने उनकी नीचे गिरी हुई फोटो उठाई और पलंग पर रख कर वापस आने लगा पर मेरा कुर्ता अलमारी में फस गया. उसे निकलने की कोशिश की तो अलमारी खुल गयी ...और एक फाइल निचे गिरी

वो फाइल डॉक्टर की थी, सही कहा था निकेत भैय्या ने उन्हें कैंसर था और वो सिर्फ १-२ साल ही जीने वाले...

पर अब इसका कोई मतलब नहीं था, मैंने उसे जला दिया ..और घर लॉक कर के आ गया

..अपनी सीट पर बैठ कर आँख बंद करके मै ये ६ महीने में हुए घटना को सोच रहा हूँ..जब कशिश और मै पहली बार मिले..वो सब मेरे पीछे दुसरे सीट पर बैठे है..कितने खुश है सब..बेटा जाने का दुःख अब भी अंकल और आंटी के चहरे पर दिख रहा है..पर रीना और मै उन्हें समझा रहे।।

मैंने कहा, इस रक्षा बंधन रीना मुझे राखी बांध लेगी ..तो अब तो मै आपका बेटा हुआ न अंकल..कर दो सारी प्रॉपर्टी मेरे नाम।।

और सब हँसने लगे ..

मै नहीं जानता मैंने जो किया वो सही था या गलत...ये फैसला मै पाठको पर ही छोड़ता हूँ..

!! समाप्त !!