How are you, Mr. Khiladi ? in Hindi Comedy stories by BRIJESH PREM GOPINATH books and stories PDF | How are you, Mr. Khiladi ?

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How are you, Mr. Khiladi ?

देर रात शिफ्ट पूरी कर घर पहुंचा तो हालत देखकर भौंचक्का रह गया.ऐसा लगा मानो भूकंप आया हो.एक जूता बाथरूम के पास तो दूसरा किचन के दरवाज़े पर,अख़बार के टुकड़े बिखरे हुए,मैं हैरान कमरे की ओर बढ़ा तो पैर के नीचे कोई चीज़ पिच्च हुई,फौरन पैर उठाया तो देखा टमाटर की बलि चढ़ चुकी थी,दिल बैठ सा गया और हो भी क्यों न टमाटर इस समय 80 रुपए किलो जो था,फ्रिज में उसे सजा कर रखा था ताकि आने वाले मेहमानों पर रौब जम सके और उनका थोड़ा खून जल सके कि इस महंगाई में भी टमाटर का भोग कर रहा है.उन्हें क्या मालूम कि ये टमाटर ख़ास मौकों के लिए बचाकर रखे गए थे और मैं भी उन्हें रोज़ाना देखकर ही तसल्ली करता हूं.ऐसे में एक टमाटर का इस तरह पैरों के नीचे कुचल जाना मुझे सिर से पांव तक झकझोर गया.अगला कदम बढ़ाने से पहले ज़मीन पर नज़रे गड़ाईं ऐसा न हो कुछ और पैरों के नीचे आ जाए. ये क्या ? दो आलू एक दूसरे से कुछ दूरी पर पड़े थे,मानो उनसे फुटबॉल खेली गई हो. तभी नज़र गई काली पतलून पर जो पीछे बाल्कनी के दरवाज़े पर पड़ी थी कुछ इस तरह ताकि उसके नीचे से आने वाली हवा को रोका जा सके,लेकिन ये यहां कैसे आई, मैं तो दीवान पर रख कर गया था.वो यूनीफॉर्म की पैंट थी और अगले दिन ऑफिस पहन कर जाना था.काली पतलून एक ही थी इसलिए इस गुस्ताखी पर गुस्सा लाज़िमी था.लेकिन समझ नहीं आ रहा था कि गुस्सा किस पर निकालूं. इन सबके पीछे कौन है ? रहस्य गहराता जा रहा था. मेड तो ऐसा कभी नहीं करती, वो तो शांति से काम करके चली जाती है.क्या पता आज मूड ख़राब रहा हो जल्दी जल्दी में टमाटर और आलू नीचे गिरा गई हो.लेकिन पतलून क्यों छेड़ेगी,नहीं ये मेड का काम नहीं हो सकता. लेकिन और तो कोई आ नहीं सकता. समझ नहीं आ रहा किसने ये हिमाकत की है. मैंने बिखरा हुआ सामान समेटा, पिच्च हुआ टमाटर साफ किया, कपड़े बदले,खाना गरम कर खाया और सोने चला गया.घड़ी पर नज़र डाली रात का एक बजा था.दिमाग में अब भी यही चल रहा था आखिर पीछे कमरे की ऐसी हालत किसने की,यही सोचते सोचते कब नींद आ गई पता नहीं चला.

धड़ाम की आवाज़ के साथ ही मैं हड़बड़ा कर उठ बैठा. ये आवाज़ कहां से आई, दुविधा में था,वाकई आवाज़ हुई या सपना देखा, नींद में ही थोड़ी देर समझने की कोशिश की लेकिन माहौल पूरी तरह शांत था,न कोई आवाज़ सुनाई दी और न ही कोई नज़र आया. मैंने रजाई में मुंह डाला और फिर सोने की कोशिश करने लगा,थकान ज़्यादा थी इसलिए जल्द ही फिर नींद में डूब गया.खर्र खर्र की कर्कश आवाज़ के साथ एक बार फिर नींद टूटी,आवाज़ कहां से आ रही है ये समझने में देर न लगी,ऐसा लग रहा था मानो कोई बेड को खुरच रहा हो.अरे ये तो बेड के नीचे से आ रही है.मैंने फौरन लाइट जलाई और बेड के नीचे नज़रें घुमाईं तो कुछ भी नज़र नहीं आया और आवाज़ भी बंद हो गई.थोड़ी देर शांति से स्थिति समझने की कोशिश कर रहा था कि आवाज़ फिर आने लगी,ये तो बेड के अंदर से आ रही है.अरे बेड के अंदर कौन घुस गया है.डरते डरते मैंने डबल बेड के दूसरे पलंग का कवर हटाया तो फौरन माज़रा समझ में आ गया,सारे रहस्य का पर्दाफाश हो गया.टमाटर,आलू,काली पतलून का हश्र किसने किया वो भी साफ हो गया.एक चूहा बेड के बॉक्स में नज़र आया.बॉक्स का कवर हटते ही वो भी सावधान की मुद्रा में आ गया,शायद उसे अपने काम में बाधा पड़ने से नाराज़गी थी,उसने छिपने की कोशिश कत्तई नहीं की बल्कि अपनी चमकदार आंखों से मुझे घूरने लगा,शायद मेरी अगली चाल को भांप रहा था.मैंने ग़ौर किया तो पाया कि वो अच्छा खासा मोटा और लंबा था,लंबी पूंछ और काला रंग,माथे पर एक धारी थी,शायद birth mark था, मूंछ के बाल लगातार हिल रहे थे,उसकी कद काठी और आक्रामक तेवर देख कर एक पल को तो हमारे पसीने छूट गए,लेकिन ससुर को छोड़ भी तो नहीं सकते थे वो भी बेड के अंदर जिसमें कपड़े भी रखे थे अटैचियां भी पड़ी थीं और सबसे बड़ी बात सोते वक्त कहीं निकल कर मेरे ऊपर ही हमला कर दिया तो क्या होगा, फिर नींद भी नहीं आएगी और वो भी बेड के अंदर खटर पटर करता ही रहेगा.लेकिन इससे निपटा कैसे जाए, मैंने कमरे के दोनों दरवाज़े खोले ताकि उसे बाहर निकलने का रास्ता मिल सके और बाहर बाल्कनी में रखा डंडा उठाकर लाए और ज़ोर से ज़मीन पर पटका लेकिन कोई हलचल नहीं हुई,Safe distance रखते हुए मैंने बॉक्स के अंदर डंडा मारा लेकिन कुछ नहीं हुआ. मैंने बचपन में सुन रखा था कि चूहों के दांत बहुत तेज़ होते हैं और बड़े चूहे तो बिल्ली तक से भिड़ जाते हैं. और अगर उन्हें रास्ता न मिले तो किसी पर भी attack कर देते हैं, फिर चाहे आदमी ही क्यों न हो,और ये चूहा तो माशाअल्लाह खाया पिया था.मैं डरते डरते बॉक्स के थोड़ा करीब गया और ज़ोर से डंडा मारा लेकिन चूहे का कोई सुराग नहीं था.समझ नहीं आया, गया कहां.कहीं अटैची के पीछे न छिपा हो और डर के मारे निकल न रहा हो,मैंने टॉर्च की रोशनी में उसे तलाशने की कोशिश की लेकिन कहीं नज़र नहीं आया.कमाल है बाहर से डंडा लाने में मुश्किल से 30 सेकेंड लगे होंगे, इतनी देर में कहां निकल गया.ठंड की इस रात में पूरी दुनिया रजाई में मुंह डालकर सो रही थी और हम ससुर इस काले मूसे से ढाई बजे आईस पाईस खेल रहे थे.ये तो ऐसा छिपा है कि ढूंढना मुश्किल हो रहा है, वो भी मेरे ही घर में...हुम्म...लगता है भांप गया कि उससे निपटने के लिए मैं कोई हथियार लेने जा रहा हूं,मौका देखकर यहां से भाग निकला है.आश्वस्त होने के बाद मैंने बेड का कवर गिराया, गद्दा बिछाया, कमरे का दरवाज़ा बंद किया और रजाई में घुस गया.इस बात का संतोष था कि बिना ज़्यादा मशक्कत के इस मुश्किल से पार पा गए. इन्हीं ख़यालों के साथ नींद के आगोश में समा गए.

नींद अचानक टूटी,ऐसा लगा मानो किसी ने बेल के स्विच पर permanently उंगली रख दी हो क्योंकि वो बजे ही जा रही थी.घड़ी पर नज़र डाली सुबह के 10 बजे थे.रजाई से निकलने का मन नहीं कर रहा था लेकिन दरवाज़े पर पता नहीं कौन ढीठ था जो लगातार कॉल बेल बजाए जा रहा था. उठने के सिवा कोई चारा नहीं था,कमरे का दरवाज़ा खोला तो नींद हिरन हो गई.बेसिन के पास यूनीफॉर्म की सफेद शर्ट पड़ी थी जिसे आज पहन कर जाना था,इसका मतलब वो गया नहीं था बल्कि दूसरे कमरे में छिप गया था.लेकिन इसे मेरी यूनीफॉर्म से क्या खुंदक थी समझ नहीं आ रहा था.उधर घंटी थी कि बजे ही जा रही थी, दरवाज़ा खोला सामने मेड खड़ी थी,क्या है, ये स्विच क्या कोई खेलने की चीज़ है क्यों लगातार घंटी बजाए जा रही हो,अरे भइया एक बार आकर लौट चुकी हूं चली जाती तो कहते bunk कर दिया, बहस मत करो, जल्दी काम करो और जाओ,मैंने मालिक के अंदाज़ में डपटा,चूहे का गुस्सा मेड पर निकला, अच्छा ये बताओ घर में चूहा कहां से आया,चूहा...आ !!! हां चूहा...सुनाई नहीं देता क्या,ज़रूर तुम दरवाज़ा खोलकर गई हो पीछे से वो घुस गया है; नहीं भइया दरवाज़ा तो हम टाइट बंद करके जाते हैं,तो चूहा आया कहां से,हां किचन में नाली की जाली टूट गई है,वहीं से तो नहीं आया,मेड ने कयास लगाया,देखो जहां कहीं से भी आया हो अब भगाओ उसे यहां से,मेरे कपड़ों से लेकर खाने पीने का सामान सब खराब कर रहा है.अरे अब हम कैसे भगाएं,भाग जाएगा भइया इतना परेशान काहे हो ? चूहा मार दवा लाके डाल दो अगले दिन टैं हो जाएगा उठाकर फेंक आना. गुस्सा तो इतना था कि आइडिया बुरा नहीं लगा,फिर दिल के किसी कोने में छिपी मानवता जाग उठी,किसी प्राणी को चोट पहुंचाना पाप है, तो उसकी जान लेना तो घोर पाप है,बचपन से मां ने यही सिखाया है.फिर क्या किया जाए.मैंने मेड से कहा,कुछ और तरीका बताओ कैसे भगाएं इसे,बिल्ली ले आओ भइया,मेड ने मज़े लेते हुए कहा तो हम कुढ़ गए.बिल्ली तुम्हारे ऊपर न छोड़ दूं,कोई ढंग की सलाह दो, तो भइया चूहेदानी ले आओ,उसमें बंद हो जाएगा सुबह फेंक आना.हां ये ठीक है.मुझे ये आइडिया परफेक्ट लगा. जानमाल का नुकसान भी नहीं और काम भी चोखा.हां ये ठीक है.अच्छा ये बताओ चूहेदानी मिलेगी कहां ? अरे किसी भी परचून की दुकान पर मिल जाएगी.एक काम करो,तुम लाकर रख देना शाम को.कितने की आएगी ? 100 रुपए की.क्या सौ रुपए की,तो क्या 10 रुपए की मिलेगी.अच्छा अच्छा ठीक है,तुम्हारी ज़ुबान बहुत चलने लगी है.मैंने पर्स में से 100 रुपए निकाले और मेड को पकड़ा दिए.ऐसा लगा मानो आधी मुसीबत दूर हो गई,दिल को चैन आ गया, और फिर निश्चिंत होकर ऑफिस गया.

ऑफिस के बाद गर्लफ्रेंड से मुलाकात हुई तो उसने फ्लैट पर चलने को कहा.अव्वल तो मैं ही पीछे पड़ता था उसे ले जाने को पर पहली बार उसने प्रस्ताव रखा.मेरे आना कानी करने पर वो चौंक गई,वो अक्सर घर आ जाती थी,मुझे भी कुछ अच्छा खाने को मिल जाता था,मेड के हाथ का खा खा कर पक जाता था,इसलिए मैं हमेशा ताक में रहता था कि उसे घर आने को तैयार कर सकूं.ऐसे में उसके लिए चौंकना लाज़मी था.अरे तुम मना कर रहे हो,सब ठीक तो है,कोई और प्रोग्राम तो नहीं है,बता दो गर्लफ्रेंड नाम में ही चालाकी छिपी है,आपके दिल का राज़ इतने प्यार से पूछेंगी कि चाहकर भी आप मना नहीं कर सकेंगे और जहां आपने खुलासा किया वहीं काम तमाम.अब मैं क्या बताऊं कि घर में एक घुसपैठिया आ गया है,वो भी तब जबकि गर्लफ्रेंड बता चुकी है कि उसे चूहों से नफ़रत है क्योंकि बचपन में उसे पैर में काट लिया था.बड़ी दुविधा थी,गर्लफ्रेंड का गुस्सा नाक पर रहता है और एकबार रूठ गई तो मनाने में नानी याद आ जाएगी.क्या बहाना मारूं समझ नहीं आ रहा,कुछ बहुत ही convincing बहाना मारना पड़ेगा.अरे इतना सोच क्या रहे हो बता दो कि वो छिपकली आ रही है जिसके साथ आजकल तुम्हारी बहुत छन रही है.गर्लफ्रेंड का पारा चढ़ता जा रहा था और अनाप शनाप आरोपों का सिलसिला शुरु हो चुका था.गर्लफ्रेंड के मन की बात नहीं की तो ऐसे ऐसे आरोप मढ़ देगी जिसकी कल्पना आप सपने में भी न करें.मतलब आज शनिवार को भी तुम दारु नहीं छोड़ोगे तुम्हारे निकम्मे दोस्त आ रहे होंगे फ्री में दारु पीने और तुम्हारे पास तो खज़ाना है ही,देखो महीने के एंड में मेरे से पैसे मत मांगना, मिलने वाला नहीं है.एक के बाद एक बाउंसर पड़ रही थी और मैं बहाने सोचने में लगा था. छोड़ो यार कुछ नहीं चल पाएगा और मैं इतना अनाड़ी था कि झूठ पकड़ा ही जाएगा.सरेंडर करना ही ठीक था.अरे यार ऐसा कुछ नहीं है.पूरी बात तो सुनती नहीं हो,मैंने कहां मना किया. चलो ना. तो इतनी देर क्यों सोचते रहे.कहां सोच रहा था यार.तुम तो बस.अच्छा मैं तुम्हारी रग रग से वाकिफ़ हूं.तुम्हारे दिल और दिमाग में क्या चल रहा है मैं सब जानती हूं,उसने मेरा कॉलर पकड़ कर खींचते हुए कहा.मैंने सोचा हां अगर जानती तो चलने को ना कहती.अब चलो लेकिन दिल धक धक कर रहा था,अगर गर्लफ्रेंड ने चूहा देख लिया तो कहेगी पहले बताया क्यों नहीं,फिर मरुंगा,अब जो होगा देखा जाएगा.मैंने बाइक की किक मारी गर्लफ्रेंड को बैठाया और चल पड़ा घर की ओर.

डरते डरते फ्लैट का ताला खोला.अरे ये क्या,घर तो बिल्कुल चमक रहा था,हर चीज़ अपनी जगह पर करीने से लगी हुई,लगता है मेड ने काम कर दिया, मैं मन ही मन खुश हुआ और मेड को धन्यवाद दिया.गर्लफ्रेंड का गुस्सा समंदर में आए तूफान की तरह शांत हो चुका था.किचेन से आ रही खुशबू ने सारी चिंताओं को दफन कर विचारों को दूसरी ओर मोड़ दिया,कुछ स्पेशल बन रहा है शायद,लेकिन मैं हैरान था कि इतनी आसानी से कैसे मेड ने काबू पा लिया.अंदर का डर न चाहते हुए भी उस ओर ले जा रहा था,फिर खुद को समझाया,छोड़ो यार मुझे क्या करना है,मुसीबत गई बस इतना ही काफी है.थोड़ी देर में ही गर्लफ्रेंड ने फ्राइड राइस,नूडल्स और गाजर का हलवा पेश किया तो सारा ध्यान खाने पर आ गया.यार मज़ा आ गया,तुम तो जो भी बनाती हो उंगली चाटने का मन करता है, मैंने थोड़ा मसका मारा तो वो मुस्करा दी,तारीफ हर किसी को अच्छी लगती है, लेकिन मैंने झूठी नहीं की थी वो वाकई खाना लाजवाब बनाती थी.खाना खत्म कर गर्लफ्रेंड ने सारी लाइटें बंद कीं और अपना पसंदीदा सीरियल लगा लिया.सीरियल में लव सीन आया तो हमारे अंदर भी लव का ज्वार भाटा उठने लगा.मैंने अपना हाथ गर्लफ्रेंड के हाथ पर रखा तो उसने ऐतराज़ नहीं किया,मेरी भी हिम्मत बढ़ी और हथेली से खिसक कर हाथ उसकी पीठ पर चला गया और फिर धीरे से हमने उसका मुंह टीवी की ओर से घुमाकर अपनी ओर कर लिया,उसके गालों को चूमते हुए जैसे ही होठों की तरफ बढ़ा कि लगा टीवी के पास कोई हलचल हुई,टीवी चल रहा था,ध्यान से देखा तो लगा कोई घूर रहा है,गर्लफ्रेंड पर मदहोशी छा रही थी उसने मुझे ज़ोर से भींछा लेकिन मेरा ध्यान तो टीवी की ओर लगा था,कनखियों से फिर टीवी की ओर देखा तो कुछ नज़र नहीं आया.हमने खुद को समझाया.अरे वहम है, और कुछ नहीं,ध्यान बंटने से शरीर में दौड़ रहा गर्म खून भी ठंडा पड़ गया था जिसका एहसास गर्लफ्रेंड को भी हो चुका था.क्या हुआ है तुम्हें ? आं..कुछ तो नहीं,इससे पहले कि गर्लफ्रेंड का मूड खराब होता मैंने उसे बाहों में भर लिया,दोनों की आंखें बंद हो रही थीं,मैं अपने होंठ उसके होठों पर रखने ही वाला था कि मेरे पैर पर कुछ चुभा,मैं हड़बड़ा गया,क्या हुआ,इठलाई आवाज़ में गर्लफ्रेंड ने पूछा तो जवाब दिया कुछ नहीं,दिमाग जो थोड़ी देर पहले मोहब्बत के सातवें आसमान पर कुलाचें भरने को तैयार हो रहा था अचानक धड़ाम से धरती पर आ गिरा,टीवी के ठीक ऊपर दो छोटी काली चमकदार आंखें मुझे घूर रही थीं,बस चीख नहीं निकली.अब तो मोहब्बत का बचा खुचा नशा भी हिरन हो चुका था.घूर तो ऐसे रहा है जैसे तेरी गर्लफ्रेंड के साथ प्यार कर रहा हूं,अंदर से आवाज़ आई, मेरी होती तो कान काट लेता,क्या मैंने खुद को संभाला,ये सारी आवाज़ें केवल अंदर के डर की वजह से है. मैंने समझाने की कोशिश की,बड़ी चिंता ये थी कि गर्लफ्रेंड की नज़र अगर पड़ी तो रात ही नहीं आने वाले कई दिन खराब हो जाएंगे.मैंने वहीं से ज़ोर से सिर हिलाकर काले मूसे को डराने की कोशिश की लेकिन वो मुआ कहां डरने वाला था,उसने तो अपना ट्रेलर एक दिन पहले ही दिखा दिया था,मैंने अब भी गर्लफ्रेंड को बाहों में भर रखा था ताकि उसे शक न हो कि मेरा ध्यान उसकी ओर नहीं कहीं और है.मैं चाह रहा था कि घुसपैठिया किसी तरह इस कमरे से निकल कर दूसरे कमरे में चला जाए बाकी सुबह देखा जाएगा.इसके लिए मुझे कुछ adventurous करना पड़ेगा,मैंने आसपास हाथ मारा तो कुछ मिला,उठाकर टीवी की तरफ फेंका,धाड़ से आवाज़ हुई तो गर्लफ्रेंड चौंकी, ये आवाज़ कैसी ? अरे कुछ नहीं लगता है टीवी से आई है,तुम कहां हो आज तुम्हारा मूड नहीं है शायद,अरे नहीं डार्लिंग,ऐसा नहीं है जब दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की मेरे साथ हो तो ऐसा हो सकता है कि मेरा मूड न हो,मौका इतना नाज़ुक था कि इस समय exaggeration, hyperbole के बाप का इस्तेमाल भी करना पड़ता तो करता क्योंकि मुझे मालुम था कि अपनी खूबसूरती की तारीफ किसी भी लड़की की तरह मेरी गर्लफ्रेंड की भी कमज़ोरी है,उसने शरमा कर अपना चेहरा मेरे सीने में छिपा लिया,अब आखिरी मौका है,मैंने आव देखा न ताव बगल में रखा मसनद उसकी ओर फेंका,वो मेरी चाल पहले ही भांप गया था,इससे पहले की मसनद उस तक पहुंचता वो तो वहां से नदारद हो गया,लेकिन निशाना टीवी पर लगा,गनीमत थी कि वार ज़्यादा तेज़ नहीं था.स्साला बड़ा खिलाड़ी है,कसम से,मैंने मन ही मन सोचा,अब वो टीवी कैबिनेट से उछलकर बगल में रखे किताबों की रैक पर चढ़ चुका था,ढिठाई ये कि कहीं छिपने के बजाय रैक से मुझे घूर रहा था,मानों चैलेंज कर रहा हो कि बेटा रोमांस करके दिखा,अब तू अकेला है तो इसमें मेरी क्या गलती,मैंने मन ही मन सोचा, इसी बीच गर्लफ्रेंड कसमसाई,तुम हटो,हटो मेरे ऊपर से,अरे सुनो तो,मुझे कुछ नहीं सुनना,आज के बाद मैं यहां नहीं आने वाली.इससे पहले कि झगड़ा बढ़ता कुछ गिरने की आवाज़ ने हम दोनों का ध्यान भंग कर दिया.ये कैसी आवाज़ है गर्लफ्रेंड ने पूछा तो मुझे सांस रुकती सी महसूस हुई,बैकग्राउंड में बॉबी फिल्म का गाना ए ए ए ए फंसा गूंज रहा था,कुछ नहीं लगता है किताबें गिर गईं हैं,मैंने ज़्यादा तवज्जो नहीं देते हुए कहा,कुछ ज़्यादा ही आवाज़ नहीं आ रही तुम्हारे रूम में,अरे मेरा क्लचर कहां है ? न जाने खुले बालों को बांधने का ख़याल गर्लफ्रेंड को कहां से आ गया,मुझे एहसास हुआ कि खिलाड़ी पर पहला निशाना मैंने गर्लफ्रेंड के क्लचर से ही लगाया था जिससे खिलाड़ी और भड़क गया था.हां उसका नाम खिलाड़ी बिल्कुल सटीक था,जिस तरह मुझे छका रहा था उससे टॉम एंड जेरी की याद ताज़ा हो आई थी,ये सीरियल मैं कभी बड़े चाव से देखता था,मुझे नहीं मालूम था कि भविष्य में वैसी ही कुछ मेरे साथ भी बीतेगी,कहां है क्लचर ? अरे यहीं कहीं होगा देखो तो,अच्छा छोड़ो मुझे तुमसे कुछ नहीं होगा,तुम्हारे करंट ढीले पड़ गए हैं.गर्लफ्रेंड मेरी मुंहफट थी और गुस्सा आने पर अलंकारों का लेवल भी बढ़ जाता था.पुरुष को अपनी मर्दान्गी को चैलेंज कभी बर्दाश्त नहीं होता चाहे वो कितना ही कमज़ोर क्यों न हो,गर्लफ्रेंड के ताने ने मुझे झकझोर दिया था और इतनी बड़ी ज़लालत झेलनी पड़ी थी इस काले मुए की वजह से.गर्लफ्रेंड को क्या मालूम करंट क्यों नहीं आ रहा.दाल भात में मूसरचंद कमरे में मौजूद था जिससे उसे नफरत थी.मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच चुका था.मौका आखिरी था गर्लफ्रेंड को मनाने और खिलाड़ी को भगाने का.यार मैं कुछ सोच रहा था,वो उस दिन जो तुमने टॉप देखा था वो कल ले लो,कहीं बिक गया तो,तुम तो दिलाने से रहे,मुझे ही खरीदना पड़ेगा,अरे मुझमें और तुम्हारे में क्या फर्क...इससे पहले कि मेरा वाक्य पूरा होता,कोई बर्तन गिरा,गर्लफ्रेंड चौंकी,ये आवाज़ कैसी ? वो किताब के ऊपर ग्लास रखा था न शायद वो गिरा है,अच्छा लाइट खोलो,गर्लफ्रेंड ने कहा तो लगा अब चोरी पकड़ी जाएगी.अरे छोड़ो, मैंने उसे बाहों में लेकर उसका दिमाग फेरने की कोशिश की लेकिन अब वो नहीं मानने वाली थी.उसने अपने को छुड़ाते हुए कड़क आवाज़ में कहा लाइट खोलो.मैंने बिना देर किए फौरन आदेश का पालन किया.लाइट जलते ही गर्लफ्रेंड ने चारों ओर ऐसे नज़रें घुमाईं जैसे होटल में घुसते ही जेम्स बॉंड कमरे का मुआयना करता है.अचानक फिल्म राज़ की चीख सुनाई दी...दरअसल वो गर्लफ्रेंड की चीख थी...चूहा आ आ आ आ...जिस ओर गर्लफ्रेंड का चेहरा था उसी ओर मैंनें भी मुंडी घुमाई तो देखा, मेरे ठीक दाहिनी ओर की खिड़की पर खिलाड़ी बैठा मुझे घूर रहा है.वही काला रंग,लंबी पूंछ,माथे पर धारी,लगातार हिल रही मूंछें और बटन सी चमकती आंखें,साइज़ भी अच्छा ख़ासा बड़ा.उसके हावभाव देखकर सिर से पांव तक सिहरन सी दौड़ गई,मारे डर के रोएं खड़े हो गए.वो मेरे इतने पास था कि लगा मेरे ऊपर ही न कूद जाए.उधर गर्लफ्रेंड थी कि हल्ला मचाए हुए थी.प्लीज़ निकालो इसे,मैं कह रही हूं निकालो इसे.अरे ये तो ऐसा कह रही है जैसे ये कोई पालतू टॉमी है जो मेरा कहना मान लेगा.इसे क्या मालूम खिलाड़ी के हाव-भाव देखकर मेरी हालत खुद ही खराब हो रही है.हां हां,मेरे मुंह से इतना ही निकला था कि गर्लफ्रेंड ने दहाड़ लगाई तुम्हारे घर में चूहा था और तुम मुझे लेकर आ गए,इसीलिए तो मना कर रहा था अब नहीं लाता तो तुम्हें विश्वास नहीं होता,क्या करता लाना पड़ा.मैंने रोनी सी आवाज़ और सूरत बनाते हुए पूरी ईमानदारी से सच्चाई कुबूल की.मैं नहीं जानती मुझे अभी के अभी छोड़ कर आओ.ये कहते हुए उसने कमरे की सिटकनी नीचे की और दरवाज़ा खोल दिया,रात का 2 बजा है डार्लिंग,डार्लिंग गई तेल लेने, मुझे छोड़ कर आओ.यार तुम्हारे पीजी का गेट रात में नहीं खुलेगा,वो मैं मैनेज कर लूंगी,ठंड बहुत है बाहर,मैं ये कहा ही था कि खिलाड़ी दरवाज़े की ओर भागा जिधर गर्लफ्रेंड खड़ी थी.मम्मी..ई..ई,गर्लफ्रेंड के मुंह से चीख निकली,मारे डर के वो भाग कर मेरे सीने से लग गई.मैंने भी आव देखा न ताव मेरे हाथ में जो आया वो खींच कर उसी ओर मारा जिधर खिलाड़ी भागा था. बाद में एहसास हुआ कि टीवी का रिमोट था.खिलाड़ी को तो कुछ हुआ नहीं बिठाए 250 की चपत लग गई.अब क्या मर्दांन्गी दिखा रहे हो गर्लफ्रेंड ने नश्तर चुभोया.उसे तो जैसे मौके की तलाश रहती थी.

इस आपाधापी में मैंने खिलाड़ी को कमरे से निकलते देखा,या तो वो गर्लफ्रेंड की भयानक चीख से डर के भागा था या उसका मकसद पूरा हो गया था.जी हां खिलाड़ी का अगर रोमांस का सत्यानास करना मकसद था तो वो पूरा हो चुका था.गर्लफ्रेंड का गुस्सा पराकाष्ठा पर पहुंच चुका था,आंखों में प्रेम की जगह नफ़रत झलक रही थी.हाथ लगाना तो दूर, बात करने पर भी 440 वोल्ट का करंट मारने को तैयार थी.ख़ैर किसी तरह समझा बुझाकर रात में छोड़ने से बच गया लेकिन सूरज की पहली किरण के साथ ही पहला काम गर्लफ्रेंड को ड्रॉप करने का था.बाइक से उतरते ही गर्लफ्रेंड ने bye की जगह concluding remark दिए, शकल मत दिखाना मुझे. मैं सफाई देता उससे पहले ही बिना रुके, बिना सुने वो तेज़ी से पीजी का गेट खोल अंदर चली गई.अब बताओ जो कुछ हुआ उसमें मेरी क्या ग़लती थी.

लौट कर सो गया नींद पूरी नहीं हुई थी,आंखें जल रही थीं.सोचा 2 घंटे सो जाउंगा तो ठीक रहेगा नहीं तो ऑफिस में ऊंघता रहूंगा.अभी आंख लगी ही थी कि कॉल बेल की कर्कश आवाज़ से नींद टूट गई.बेल थी कि बजे ही जा रही थी.रजाई से निकलने का मन नहीं था लेकिन कोई चारा नहीं था.दरवाज़ा खोला तो सामने मेड खड़ी थी.खिलाड़ी,गर्लफ्रेंड और कॉलबेल का गुस्सा मिलाजुला कर इतना बढ़ चुका था कि अंदर आने का भी इंतज़ार नहीं किया और दरवाज़े पर ही फट पड़ा.क्या बात है कितनी बार कहा है कि लगातार घंटी मत बजाया करो समझ नहीं आता क्या बिल्कुल बैलानी हो,और तुमसे कल हमने कहा था कि चूहेदानी ला कर लगा देना और चूहे को पकड़ कर दूर कहीं फेंक आना तो किया क्यों नहीं ?

ऊ का है ना भइया कल भोसेकर आंटी के यहां मुर्गे की दावत थी. मुझे भी invite था.आज ले आउंगी,काहे को इतना भड़क रहे हो 'बलड पेरेसर' बढ़ जाएगा,मेड ने बिल्कुल बेफिक्र होकर कहा,अरे तुम दावत उड़ा रही हो यहां तुम्हारे चक्कर में मेरा तलाक हो गया,तलाक,भइया आपकी शादी कब हुई.शादी से पहले ही तुमने करवा दिया.मेरा पारा जितना चढ़ रहा था मेड की मुस्कान उतनी ही बढ़ती जा रही थी.मैं क्या कोई जोक सुना रहा हूं, जो तुम हंसे जा रही हो.एक बात बोलूं भइया,ये लड़की तुम्हारे लिए ठीक नहीं है,शादी नहीं करेगी तुमसे,वो तुम्हें प्यार नहीं करती. Shut Up अब तुम मुझे समझाओगी, तुम क्या ‘लव गुरु’ हो,अपने काम से काम रखा करो बस.असल में मेड का पाला भी कई बार गर्लफ्रेंड से पड़ चुका था.शायद उस अनुभव के आधार पर वो मुझे समझा रही थी.मेरे यहां काम करते उसे 5 साल हो चुके थे इसलिए थोड़ा बेतकल्लुफ हो गई थी.मैं कितना भी डांट दूं लेकिन बुरा नहीं मानती थी.अचानक मेरे पैरों के पास से कोई चीज़ तेज़ी से निकली,वो और कोई नहीं खिलाड़ी ही था.मैंने चौंक कर पैर उठाए तो मेड की हंसी छूट गई. का भइया चूहे से डर रहे हो.हां डर रहा हूं तो...खिलाड़ी का दुस्साहस बढ़ता जा रहा था.अब तो खुले आम चुनौती दे रहा था.मेरी सिधाई का नाजायज़ फायदा उठा रहा है.छोड़ूंगा नहीं इसे,मैंने मन ही मन तय किया. मेड को फिर अल्टीमेटम दिया,अगर आज तुम चूहेदानी लाना भूली तो कल से काम पर मत आना.मेरी धमकी पर मेड ने ध्यान नहीं दिया,मैंने ग़ौर किया तो पाया कि वो तो कान में इयर पीस लगाकर गाना सुन रही है,साथ में गुनगुना भी रही है और रोटी बना रही है.मैंने गुस्से में सिर हिलाया, पैर पटके और बाथरूम की तरफ बढ़ गया. गर्लफ्रेंड के ताने अब भी दिमाग में हथौड़े की तरह बज रहे थे.

ऑफिस से लौट कर आया तो देखा दोनों कमरों,किचन में जैसे इन्कम टैक्स का छापा पड़ा हो.पूरा घर अस्त व्यस्त,जहां तहां कपड़े,टेबल लैंप लुढ़का हुआ,किचन में चाय का डिब्बा नीचे गिरा हुआ,चीनी का डिब्बा स्लैब पर फिंका हुआ,कमरे में रखी प्रेस का तार कटा हुआ.एलपीजी गैस की पासबुक का कवर कुतरा हुआ और ये क्या,मेरे प्रिय लेखक चेतनवा की हाफ गर्ल फ्रेंड को काट कर हाफ फ्रेंड कर दिया था...स्साले को शायद ‘गर्ल’ नाम से ही चिढ़ है.मेरा पारा मलेरिया के बुखार की तरह बढ़ रहा था और अब 104 डिग्री तक पहुंच गया था.मैं सोच रहा था, ये चूहेदानी का क्या हुआ.पीछे वाले कमरे में गया तो देखा चूहेदानी उल्टी पड़ी है और उसके ऊपर बैठा खिलाड़ी आराम से टमाटर खा रहा है जो शायद मेड ने उसे फंसाने के लिए चूहेदानी में फिक्स किया था.ग़ज़ब का चालू जीव है यार,मैंने गुस्से में पास पड़ी हवाई चप्पल उठाई और खिलाड़ी को दे मारी.फिर वही हुआ,वार खाली गया,मोबाइल की घंटी ने ध्यान भंग किया,जेब में ही फोन घनघना रहा था.देखा, यैंकी कॉलिंग,पुराना साथी था,आज इसे कैसे याद आई,मैंनें हैलो कहा तो दूसरी तरफ से आवाज़ आई,अरे बंधु क्या कर रहे हो,कुछ नहीं, तू दौड़ चूहा आया खेल रहे हैं. क्या.? यैंकी की आवाज़ में हैरानी थी, अरे एक चूहे ने जीना हराम कर रखा है,उसी से दो दो हाथ कर रहा था.अरे बंधु गणेशजी का वाहन है,कुछ नहीं करेगा, करेगा....अरे क्या नहीं कर रहा,पूरे घर का भूगोल बदल दिया है और तुम कह रहे हो कुछ नहीं करेगा.बंधु ज़रूर तुमने उसके साथ बुरा बर्ताव किया होगा,देखो उस पर ध्यान मत दो अपने आप निकल जाएगा,अगर ज़बर्दस्ती की तो नुकसान उठाओगे यैंकी ने आगाह किया तो मेरा गुस्सा फिर बढ़ गया .अरे एक तो मेरी ज़िन्दगी में भूचाल आ गया है और तुम उसकी साइड ले रहे हो जो ये आफत लेकर आया है. मैंने मन ही मन सोचा,बात तो ऐसे कर रहा है जैसे चूहों पर रिसर्च का जीवविज्ञान पीठ पुरस्कार विजेता हो.छोड़ो बंधु ये सब छोटी बातें हैं, ये सुनाओ कि भाभी कैसी हैं...तुम लोग शादी कब कर रहे हो ? तलाक करा दिया इस मुए ने और पूछ रहे हो भाभी कैसी हैं.यैंकी ज़ोर से हंसा,अरे तुमलोगों का तलाक कोई नई बात तो है नहीं,5 साल में कम से कम डेढ़ सौ बार तो हो चुका होगा...इस बार मामला ज़्यादा गंभीर है,चूहे उसे पसंद नहीं और मेरे घर पर चूहे से उसका सामना हो गया.तुम तो उसे जानते ही हो,समझ सकते हो क्या reaction होगा.यैंकी इस बार ज़्यादा ज़ोर से हंसा,उससे दोस्ती कर ले बीड़ू,किससे ? मूषकराज से यैंकी बोला और फोन कट गया.

सोते समय यैंकी के शब्द कान में गूंज रहे थे.कब नींद आ गई पता नहीं चला.ऑफिस जाने से पहले खाना खाने के लिए बैठा ही था कि देखा खिलाड़ी कहीं से निकल कर आया और दरवाज़े पर खड़ा होकर मुझे घूरने लगा.दिमाग में आया कि खिलाड़ी इस तरह लगातार मुझे क्यों घूर रहा है.मुझे उसकी मंशा समझ नहीं आ रही थी.लेकिन आज वो शैतानी के मूड में नहीं लग रहा था.पता नहीं क्या सूझी मैंने भी चप्पल की जगह रोटी का एक टुकड़ा उसकी ओर फेंका,वो डरा नहीं बल्कि रोटी को मुंह में दबाया और वहीं अपने दोनों हाथों में दबा कुतरने लगा.अनायास ही शायद मैंने यैंकी की बात पर अमल कर दिया था.दोस्ती का पहला हाथ बढ़ा दिया था.खिलाड़ी को भगाने के सारे उपाय फुस्स हो चुके थे.उसका नतीजा भी मैं देख चुका था.खिलाड़ी रोटी का टुकड़ा खत्म कर फिर मेरी ओर ताक रहा था.मैंने एक बड़ा टुकड़ा फेंका तो उसने खुशी खुशी लपक लिया और खाने लगा.अचानक कुछ ख़याल आया तो मैं किचन की ओर जाने के लिए बढ़ा, खिलाड़ी भागा और एक सेफ डिस्टेंस पर जाकर मुझे घूरने लगा,अभी विश्वास पूरा जमा नहीं था,किचन से एक पुरानी कटोरी में पानी भरकर बेसिन के पास रख दिया और फिर कमरे में आकर खाना कंटीन्यू किया.देर नहीं लगी खिलाड़ी निकला और कटोरी में से पानी पीने लगा.उसे भी समझ आ गया था कि कटोरी उसी के लिए रखी गई है.

उस दिन ऑफिस से लौट कर आया तो घर बिल्कुल साफ सुथरा मिला.ये खुशी काफी दिनों बाद महसूस हुई.अभी मैं कमरे में घुसा ही था कि खिलाड़ी कहीं से निकल कर आ गया,ज़ोर ज़ोर से इधर उधर भागने लगा.मुझे समझने में देर नहीं लगी कि उसे भी मेरे आने की खुशी थी.मैंने किचन से बिस्किट लाकर खिलाड़ी की तरफ फेंका तो उसने मुंह फेर लिया.मैंने सोचा शायद उसे पसंद नहीं,मैंने खाना गरम किया खाना शुरु किया तो मेरी हैरानी का कोई ठिकाना नहीं रहा, मुझे खाता देख खिलाड़ी ने भी बिस्किट हाथों में उठा लिया,क्या वो मेरे खाने का इंतज़ार कर रहा था ये सोचते हुए मैंने रोटी का टुकड़ा अपने पास ही फेंक दिया तो खिलाड़ी बिल्कुल पास आ गया.थोड़ी देर में मेरे पैरों पर से होता हुआ निकल गया.मुझे गुदगुदी सी ज़रूर हुई लेकिन इस बार मुझे डर नहीं लगा.अब दोनों ने एक दूसरे का भरोसा जीत लिया था.

खिलाड़ी ने अब नुकसान करना छोड़ दिया था.मेरे साथ नाश्ता करता,खाना खाता और फिर टीवी टेबल के नीचे बिछाई चादर पर सो जाता.खिलाड़ी की वजह से मेरा भी अकेलापन जैसे दूर हो गया था.घर आने का बहाना सा हो गया था.घर का ताला खोलते ही मुझे वेलकम करने के लिए खड़ा रहता.मुझे देखते ही पूरे घर में दौड़ दौड़ के अपनी खुशी ज़ाहिर करता.ऑफिस जाते समय दरवाज़े पर सी-ऑफ करता.मैं भी छोटे बच्चे की तरह खिलाड़ी के लिए हर रोज़ कभी चॉकलेट, कभी वेफर्स, कभी केक तो कभी चिप्स लेकर आता.खिलाड़ी के लिए मेरे आने की खुशी की एक वजह ये भी होती.हमारी दोस्ती इतनी पक्की हो गई थी कि अब वो मेरे हाथ से बिस्किट ले लेता था.ये बात भी कहीं न कहीं समझ आ गई थी कि प्यार का डीएनए इंसान के बजाय जानवरों में ज़्यादा एक्टिव है.

करीब 27 दिनों की समझाइश और देखने में एक्सपेंसिव लगने वाला गिफ्ट देने के बाद गर्लफ्रेंड को मनाने में कामयाबी मिली.उसके होठों पर मुस्कराहट देख ऐसा लगा जैसा ज़िन्दगी का अंतिम लक्ष्य हासिल किया हो.तो चलो आज सेलिब्रेट करते हैं.उसके मुंह से जैसे ही बोल फूटे मैंने भी कहा ठीक है.चलो घर,इससे पहले कि सेनटेन्स पूरा होता गर्लफ्रेंड ने मुझे घूरते हुए कहा नहीं घर नहीं, बैंबू शूट्स में चाइनीज़ खाएंगे.कोई चारा नहीं था.चिकेन मैंचो सूप से शुरु होकर चिकेन नूडल्स,फ्राइड राइस,मंचूरियन,पेस्ट्री,आइसक्रीम सब टेस्ट करने के बाद गर्लफ्रेंड खुश थी.मैं मन ही मन महीने का हिसाब लगाने में खोया था, कैसे इस खर्च को मेक अप करूंगा.चलो घर चलते हैं.गर्लफ्रेंड के ऑफर से विचारों की श्रंखला टूटी,मनपसंद गिफ्ट और शानदार ट्रीट के बाद गर्लफ्रेंड को शायद तरस आ गया था, लेकिन वो चूहा आ...उसने पूछा तो सोचा क्या करूं सच बोलता हूं तो गर्लफ्रेंड जाएगी नहीं,अरे वो अब नहीं है,मैंने झूठ का सहारा लिया. खिलाड़ी पर मुझे विश्वास था कि वो गड़बड़ नहीं करेगा लेकिन ताला खोलते ही नाचने आ जाएगा,फिर,रास्ते में कुछ प्लैनिंग करता हूं.

बाइक से उतरते ही गर्लफ्रेंड का फोन आ गया तो बोली तुम चलो मैं कॉल फिनिश कर आती हूं,जैसे भगवान ने सुन ली,ताला खोलते ही रोज़ाना की तरह खिलाड़ी ने स्वागत किया.अरे,आज तो मैं खिलाड़ी के लिए कुछ लाना भूल गया,मुझे देखते ही खिलाड़ी ने करतब दिखाने शुरु कर दिए,कभी इस कमरे जा कभी उस कमरे,कभी दरी पर गुलाटी मारे तो कभी कुर्सी पर चढ़कर छलांग मारे.मैंने खिलाड़ी को दूसरे कमरे में जाने का इशारा किया,खिलाड़ी उस ओर दौड़ा लेकिन फिर लौट आया,इसे कैसे भगाऊं,इसी सोच विचार में था कि किसी ने ज़ोर से मेरा कंधा पकड़ लिया,ये क्या है...तुमने तो कहा था चूहा चला गया,ये तो यहां कबड्डी खेल रहा है.यार ये अब सुधर गया है.कुछ नहीं करता,चुपचाप बैठ जाएगा.वो आज मैं इसके लिए बिस्किट लाना भूल गया.मतलब ये कि तुमने इसे पाल लिया है.देखो मैंने इसे भगाने की...तुम चुप रहो,मैं कुछ नहीं जानती,मुझे छोड़कर आओ,अभी इसी वक्त.खिलाड़ी को शायद मौके की नज़ाकत का एहसास हो गया था,वो चुपचाप दूर से खड़ा हम दोनों की ओर ताक रहा था.देखो कितना मासूम है.तुम रहो अपने मासूम के साथ.चूहे पालने का शौक तुम्हें होगा मुझे नहीं.अरे पालना ही था तो अच्छी ब्रीड का कुत्ता पालते,चूहा पाला है.डिस्गस्टिंग,यार तुम्हारा कोई स्टैंडर्ड है या नहीं मेरे फ्रेंड्स सुनेंगे तो हंसेंगे कि इसके बॉयफ्रेंड ने चूहा पाला है ? वैसे भी तुम्हारी जेब में पैसे रहते नहीं,रेस्त्रां में खर्च कर दिया तो महीने का गुज़ारा मुश्किल हो जाएगा,लाइफ में आगे बढ़ने की सोचते नहीं,दस साल की नौकरी में एक घर बुक नहीं करा पाए, एक गाड़ी नहीं ले पाए,बाइक पर बैठकर आओ बाल उड़ाते हुए,ठंड में ठिठुरते,गर्मी में तपते,तुम्हें इसकी क्या परवाह.आज मुझे लगता है कि तुमसे क्यों मिली,एक से एक लड़के आए, लेकिन पता नहीं क्या सोच कर मैंने तुमसे दोस्ती की,मैं तुम जैसे इंसान के साथ ज़िंदगी नहीं काट सकती...सॉरी...मुझे बोलने का मौका दिये बगैर वो पैर पटकते हुए घर से बाहर निकल गई,धम्म से दरवाज़ा बंद हुआ और कानों में हल्की सी आवाज़ आई ओला कैब और फिर बातचीत धीमी पड़ती गई और फिर एकदम बंद हो गई.मेरा फ्लैट थर्ड फ्लोर पर था,लिफ्ट नहीं थी.पहली बार मैं गर्लफ्रेंड के पीछे भागकर नहीं गया,पहली बार मैंने उसे रोकने की कोशिश नहीं की,पहली बार ये चिंता नहीं हुई कि वो अकेली कैसे जाएगी.मेरे बैंक बैलेंस को लेकर ताने, मेरी छोटी सी नौकरी को लेकर ताने, मेरे पास गाड़ी नहीं होने के ताने और तो और बेड पर रैम्बो नहीं होने के ताने...हमेशा मैं उसके तानों, नश्तर से चुभने वाले शब्दों को अनदेखा कर देता, सोचता उसका मिज़ाज ही गरम है, लेकिन आज उसके शब्द खंजर से सीने में धंस गए, पता नहीं आज मैं Hurt हो गया था. हमेशा सोचता कि मेरा पार्टनर कभी तो मुझे समझे लेकिन उसके लिए शायद अपनी खुशी, अपना मूड, अपनी पसंद ही सर्वोपरि थी. आज मैंने उसे रोकने की कोशिश नहीं की. मैं सन्न मारे खड़ा था कि मेरे पैरों में गुदगुदी हुई, सोच को झटका लगा,देखा खिलाड़ी पैरों पर लोट रहा था,मानो मुझे console करने की कोशिश कर रहा था या वो भी गर्लफ्रेंड के जाने से खुश था.थोड़ी देर में मेरा मूड उसे ठीक लगा तो वो दूसरे कमरे में चला गया.

बाल्कनी में बैठा ख़यालों में खोया था.अचानक ध्यान आया आज तो खिलाड़ी को कुछ खाने को नहीं दिया.आदमी के दिल को ज़रा सी ठेस पहुंचती है तो वो सब कुछ भूल जाता है, लेकिन अब ये एहसास किसी कोने में था कि घर में कोई और है जिसके प्रति मेरी कुछ ज़िम्मेदारी है जो ज़िम्मेदारी गर्लफ्रेंड से शादी कर मैं उठाना चाहता था,लेकिन उसे तो बच्चे भी पसंद नहीं थे,अजीब लड़की थी.मैं जल्दी से उठा और किचेन से घी लगी रोटी और गुड़ लाकर खिलाड़ी की प्लेट में रख दिया.खिलाड़ी दिखा नहीं,मैंने आवाज़ लगाई,खिलाड़ी, लेकिन वो नहीं आया,पीछे कमरे में गया तो देखा खिलाड़ी चूहेदानी के अंदर बैठा है.मैंने उसे रोटी दिखाई,गुड़ दिखाया, वो नहीं निकला,किचेन से लाकर बिस्किट दिखाया, तब भी नहीं निकला.मैं हैरान था कि क्या हुआ इसे,ऐसे क्यों बर्ताव कर रहा है और चूहेदानी में क्यों घुसा,चूहेदानी इसे मिली कहां से,खिलाड़ी की आंखें चमक रही थीं.मूंछे आज ज़्यादा ही ज़ोर से हिल रही थी.शायद खिलाड़ी कुछ समझाना चाहता था लेकिन मैं एक मामूली आदमी था जिसकी समझ इतनी परिपक्व नहीं थी कि एक जानवर की बात समझ पाए.लगता है नाराज़ है, भूख लगेगी तो अपने आप ही खा लेगा.मैंने हारकर उसकी प्लेट वहीं छोड़ी और सोने चला गया.

सुबह उठा तो पीछे के दोनों पैरों पर खड़े होकर good morning करने वाला नहीं था.मैं दौड़ कर पीछे वाले कमरे में गया तो पाया चूहेदानी खाली थी.मैंने कई आवाज़ें दीं.लेकिन खिलाड़ी नहीं आया,मैंने हर जगह उसे तलाशने की कोशिश की,किचन, दोनों रूम,बालकनी लेकिन वो नहीं मिला.खिलाड़ी चला गया था.जिस तरह उसके आने का रास्ता पता नहीं चला वैसे ही जाने का रास्ता भी एक मिस्ट्री था.मैं सोचने लगा शायद रात में चूहेदानी में घुसकर खिलाड़ी यही समझाना चाहता था कि उसे छोड़ आओ.मैंने सुना था,जानवरों में sixth sense होता है, उसे इस बात का आभास हो गया था कि वो हमारे और गर्लफ्रेंड के बीच लड़ाई की वजह बन गया है.

खिलाड़ी के आने से मेरा अकेलापन दूर हो गया था, बदमाश, आदत बिगाड़ कर चला गया.

Brijesh 'Prem' Gopinath