स्वभाव से नरेश कम बोलने वाला था और शायद इसीलिए अधिकांश लोग पहली दृस्टि में इसे दम्भी समझने की गलती कर बैठते थे । वैसे कुछ लोग उसे मुँहफट भी कहा करते थे । शायद इसीलिए क्योंकि कम बोलता था और जब बोलता था तो फिर यह नहीं देखता था कि सामने वाले को अच्छा लगेगा या नहीं ।
वैसे तो नरेश किसी का अपमान नहीं करता था और ना ही किसी से आगे बढ़ कर सहायता करता था यदि कोई सहायता मांगे तो मना भी नहीं करता था । परंतु गांव में एक ऐसी महिला भी थी जिसका सम्मान नरेश दिल से करता था और उसकी सहायता भी बिना मांगे ही करता था ।
हर रोज की तरह नरेश आज भी गांव के बाहर अपने खेत से थोड़ी दूर सड़क किनारे बैठ कर गोपी बुआ का इंतज़ार कर रहा था । जैसे ही बुआ बस से नीचे उतरी उसने लपक कर बुआ के हाथ से भारी सामान ले लिए और अपने साईकल पर रख लिया । वैसे नरेश का गोपी से रिश्तेदारी नहीं थी परंतु फिर भी नरेश हर रोज यही गोपी बुआ का इंतज़ार करता था । नरेश के खेत से आने का और बुआ के शहर से लौटने का समय लगभग एक ही था ।
नरेश : नमस्कार बुआ
बुआ : कैसे हो नरेश
नरेश : आपकी किरपा है बुआ
बुआ : खेत से वापिस आ रहे हो फसल कैसी है
नरेश : हाँ बढ़िया है
हरमन : नरेश
नरेश : बोलो
हरमन : हम भी महिलाएं है बुआ की तरह हमारा भी सम्मान करना सीखो
नरेश : किस लिए
हरमन : हम भी महिलाएं है
नरेश : इससे क्या फर्क पड़ता है
हरमन : महिलाओं का सम्मान करना चाहिए
नरेश : नहीं सम्मान सिर्फ उसका कारण चाहिए जो हकदार हो
हरमन : हम भी हकदार है
नरेश : सिर्फ इसीलिए क्यों आप महिला है (आश्चर्य से)
हरमन : हा
नरेश : इतने बुरे दिन नहीं आये अभी ... बेहतर होगा कुछ ऐसा काम करिये जिससे आपके सम्मान करने की इच्छा पैदा हो
हरमन : अच्छा
नरेश : बिल्कुल ऐसा करने पर सम्मान मांगने की जरूरत ना पड़ेगी खुद ही मिल जाएगा । सम्मान कमाई जाने वाली चीज है मांगने से ना मिला करती ।
हरमन नरेश को बुरा भला कहते हुए आगे आगे चल दी और नरेश बुआ के साथ साथ कदम बढ़ाते हुए गाओ की तरफ जहां शायद एक बार फिर हरमन के भड़काए हुए लोग नरेश का इंतज़ार कर रहे होंगे परंतु नरेश को इसकी परवाह कहाँ थी ।
स्वरचित
Dr. R. Singh
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