Betrayal - Part (23) in Hindi Moral Stories by Saroj Verma books and stories PDF | विश्वासघात--भाग(२३)

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विश्वासघात--भाग(२३)

उधर गाँव में,
माँ! बहुत दिन हो गए,मैनें बाबा को टेलीफोनकरके ख़बर नहीं पूछी और जब से लीला बुआ भी गईं हैं,तब से उनसे भी मुलाकात नही हो पाई,लगता सब बहुत ही मशरूफ हैं,इसलिए मैं सोच रही हूँ कि डाकखाने जाकर टेलीफोन करके सबकी ख़बर पूछ आऊँ,बेला ने मंगला से कहा।।
हाँ...हाँ..क्यों नहीं बिटिया! और लगता है सब नाटक में ज्यादा ही ब्यस्त हो गए हैं तभी तो संदीप और प्रदीप का बहुत दिनों से कोई ख़त नहीं आया,मंगला ने बेला से कहा।।
ठीक है तो मैं आज ही विजय के संग डाकखाने जाकर टेलीफोन पर सबका हाल चाल पता करके आती हूँ,बेला बोली।।
हाँ! और सुन मेरी और बापू की तरफ से लीला जीजी और जमींदार साहब को राम राम कहना और कुसुम का हाल चाल पूछना मत भूलना,अनाथ है बेचारी !कहीं कुछ दिल से ना लगा ले,मंगला बोली।।
ठीक है माँ,सब याद रखूँगी,बेला बोली।।
और कुछ ही देर में डाक्टर महेश्वरी और मास्टरसाहब चल पड़े दूसरे गाँव के डाकखाने की ओर फोन करने के लिए,कुछ ही समय मे दोनों डाकखाने पहुँच गए___
डाकबाबू ने दोनों को देखा तो बहुत खुश हुए और बोले___
मास्टरसाहब! आज तो समय लेकर आएं हैं ना! कुछ देर ठहरेंगें ना!
हाँ,डाकबाबू! और आज तो सियादुलारी काकी के हाथ का खाना भी खाकर जाएंगे क्योंकि आप दोनों को बहुत बड़ी खुशखबरी जो सुनानी है आपलोगों को,विजयेन्द्र बोला।।
अच्छा! तो आप लोंग पहले टेलीफोन कर लीजिए फिर इत्मीनान से बैठकर बातें करते हैं,डाक बाबू बोलें।।
जी,काका! मैं अभी बात करके आती हूँ,महेश्वरी बोली।।
अरे,मुझे भी तो बात करनी है,आखिर वो मेरे ताऊ जी हैं,विजयेन्द्र बोला।।
ये क्या माँजरा है? कुछ समझ नहीं आ रहा,डाकबाबू बोले।।
बस,काका! पहले टेलीफोन कर लें फिर आपको सब समझाते हैं,महेश्वरी बोली।।
ठीक है बिटिया! तब तक मैं सियादुलारी को बुला लेता हूँ,डाकबाबू बोले।।
दोनों टेलीफोन करने चले गए और डाकबाबू ने सियादुलारी को आवाज देकर बुलाया___
अरी ,ओ भाग्यवान! देखो तो कौन आया है?
अभी आते हैं जी! घड़ी घड़ी क्या आवाज़ देकर चिल्लाते रहते हो,सियादुलारी बोली।।
सियादुलारी बाहर आई ,वो महेश्वरी और विजयेन्द्र को देखकर बहुत खुश हुई और बोली___
आज तो बिना खाना खिलाएं नहीं जाने देंगें।।
तब तक दोनों टेलीफोन करके भी आ गए फिर सारी सच्चाई सियादुलारी और डाकबाबू को बताई___
अच्छा तो तुम दोनों सालों पहले बिछड़ गए थे,कितना बढ़िया संजोग है,बहुत खुशी हो रही हैं हमें ये जानकर कि तुम दोनों का जल्द ही गठबंधन होने वाला है,भगवान करें तुम दोनों की जोड़ी सदा ऐसे ही बनी रही,आज तो मैं तुम दोनों का अपने हाथों के बनाएं हलवे से मुँह मीठा कराऊँगी,सियादुलारी बोली।।
और उस दिन सियादुलारी ने दोनों की खूब आवभगत की ,फिर दोनों को खुशी खुशी घर लौट आएं और दोनों ने दयाशंकर और मंगला को सारे नाटक का हाल कह सुनाया कि वो सब किस प्रकार नटराज की जड़े खोखली कर रहे हैं,वो दिन दूर नहीं जब नटराज अपने जुर्म खुद कुब़ूल करेगा।।
ये सुनकर मंगला और दयाशंकर बहुत खुश हुए और मन ही मन जमींदार साहब का शुक्रिया अदा किया कि उनके कारण ही ये सब सम्भव हो पाया है।।

अब शहर में____
नटराज गुस्से से तिलमिलाया हुआ था क्योंकि आज फिर उसका चरस से भरा हुआ ट्रक पकड़ लिया गया था,वो अपने कमरे मे इधर से उधर बस चहलकदमी ही कर रहा था क्योंकि साधना बहुत देर से घर से गायब थी और अभी तक ना लौटी थी तभी बँगले के गेट पर मोटर के रूकने की आवाज़ सुनाई दी,नटराज ने अपनी कमरें की खिड़की से देखा तो साधना वापस आ गई थी।।
साधना ने भीतर घुसते ही नौकरानी से पूछा___
कमली! साहब आ गए क्या?
हाँ,मालकिन! वो तो ना जाने कब के आ चुके हैं और आपको पूछ रहे थे,कमली ने जवाब दिया।।
गुस्से में लग रहे थे क्या? साधना ने कमली से फिर पूछा।।
हाँ,मालकिन! गुस्से में तो लग रहे थे,कमली ने जवाब दिया।।
और डरते डरते साधना अपने कमरें में पहुँची,अपने पर्स को बिस्तर पर रखा ही था कि दनदनाते हुए वहाँ नटराज आ पहुँचा और गुस्से से बोला____
कहाँ नदारद थी अब तक?
बस,लीला बहन के यहाँ गई हुई थी,उन्होंने बनारस से नई साड़ियाँ मँगाई हैं,उन्हीं को देखने के लिए उन्होंने बुलाया था,साधना ने जवाब दिया।।
मैं आजकल देख रहा हूँ कि तुम कुछ ज्यादा ही बाहर जाने लगी हो आखिर बात क्या है?नटराज ने पूछा।।
कोई बात नहीं है,बस कभी कभार लीला बहन से मिलने चली जातीं हूँ,अगर आपको पसंद नहीं तो आज के बाद ना जाऊँगी,साधना बोली।।
मैने ऐसा तो नहीं कहा,नटराज बोला।।
तो आप कहना क्या चाहते हैं? मैं सालों से वही तो करती आई हूँ जो आप कहते आए हैं,अगर मेरे बाहर जाने से आपको इतना ही एत़राज़ है तो आज के बाद बिल्कुल ना जाऊँगी,साधना बोली।
मैं तुम्हें बाहर जाने से नहीं रोक रहा हूँ,बस आजकल थोड़ा परेशान हूँ,समझ में नहीं आ रहा कि क्या करूँ?नटराज बोला।।
ऐसा भी क्या हो गया है? जी! क्या मैं आपके परेशानी की वज़ह जान सकती हूँ,साधना ने पूछा।।
बस,कुछ नहीं,आजकल व्यापार में कुछ मंदी चल रही है,जहाँ हाथ डालता हूँ नुकसान ही नुकसान हो रहा है,ना जाने क्यों? नटराज बोला।।
इसलिए शायद आप थोड़े परेशान हैं,साधना बोली।।
हाँ,इसलिए मेरा दिमाग़ कुछ स्थिर नहीं है,क्या तुम मेरे लिए एक प्याली कड़क चाय बना लाओगी,नटराज बोला।।
जी! अभी लाई और इतना कहकर साधना चली गई।।
नटराज को कुछ कुछ शक़ तो हो रहा था साधना पर क्योंकि उसके खबरियों ने उसे बताया था कि आपकी पत्नी ज्यादातर आपके नए दोस्त जमींदार शक्तिसिंह के यहाँ जातीं है,नटराज के खबरियों ने ये भी उसे बताया कि जूली और नाहर सिंह अब ज्यादातर साथ साथ रहते हैं,हो ना हो इन सबके बीच में कोई कड़ी जरूर है।।
नटराज को ये तो पता था कि इन्स्पेक्टर अरूण उसका दुश्मन है लेकिन उसे ये नहीं पता था कि वो ही उसका बेटा है क्योंकि सालों पहले ही नटराज अपनी पत्नी और बच्चे को छोड़कर शहर चला आया था और साधना से दूसरा विवाह कर लिया था लेकिन एक दिन जब अरूण की माँ ने नटराज की फोटो अखबार में देखी और ये लिखा हुआ पाया कि ये नामीगिरामी बिजनेसमैन हैं उसने अपने करीबियों से पता लगवाया तो पता चला कि बिजनेस की आड़ में वो और भी बहुत गलत धन्धे करता है, अरूण की माँ ने अरूण को बताया कि ये ही तेरे पिता हैं और तुझे इन्हें सही रास्ते पर लाने के लिए एक अच्छा इंसान बनना होगा ताकि ये पूरे समाज के सामने ये स्वीकार कर पाएं कि तू इनका बेटा है और उसके बाद अरूण ने कड़ी मेहनत की और वो एक पुलिस आँफिसर बन गया और उसकी माँ उससे वचन लेकर स्वर्ग सिधार गई।।
नटराज को अरूण पर पूरा पूरा श़क था कि ये ही मेरा धन्धा चौपट करने में लगा हुआ है और इसका ही कोई खबरी मेरे बीच रह रहा है वही मेरी सारी खब़रे अरूण को दे रहा है लेकिन वो है कौन? मैं आज ही क्लब जाकर सबके ऊपर दोबारा कड़ी नज़र रखता हूँ और झूठमूठ ही सबसे कहूँगा कि मेरा अफीम के माल का भरा हुआ ट्रक फलां फलां रोड से आ रहा है जो ख़बरी हो तो वो जरूर ही अरूण तक ये ख़बर पहुँचाने की कोशिश करेगा और तभी मैं उसे पकड़कर आज उसका काम तमाम कर दूँगा।।

शाम को नटराज क्लब पहुँचा और इत्तेफाक की बात थी कि आज शक्तिसिंह और नाहर भी क्लब पहुँचे क्योंकि शक्तिसिंह को श़क हो गया था कि आज नटराज जरूर क्लब में कुछ ऐसा करेगा जिससे उस ख़बरी को पकड़ लिया जाए जो पुलिस को ख़बर करता है,क्योंकि जैसे ही नटराज क्लब की ओर आया था उसके पीछे से साधना ने सब कुछ लीला से बता दिया था कि नटराज ने उसके बाहर जाने पर उससे सवाल किए और इस बात को सुनते ही मजबूरी में नाहर और शक्तिसिंह को क्लब आना पड़ा।।
क्लब में नटराज ने जानबूझकर अपने कुछ ख़ास राजदारों को मेकअप रूम में बुलाया,जिसमें जूली और मोनिका भी शामिल थे ,नटराज ने कहा कि आज फलां जगह से फलाँ रोड के द्वारा अफीम आने वाली है,तुम लोंग तैयार रहना ,किसी को कानों कान ख़बर नहीं होनी चाहिए,उस अफ़ीम के बदले मुझे उन लोगों को रूपए भी देने हैं,रूपए का सूटकेस मेरी मोटर में मौजूद है,सब लोगों ने कहा यस बाँस किसी को भी कुछ पता नहीं चलेगा।
अब नटराज इस इन्तजार में था कि जो खबरी होगा वो जरूर कहीं ना कहीं से इस ख़बर को पुलिस तक पहुँचाने की कोशिश करेगा ,लेकिन बहुत देर हो गई और ऐसा कुछ भी नहीं हुआ,जूली को पता था कि ये सब नटराज की चाल है अपने खब़री को पकड़ने के लिए इसलिए वो भी मूक बनकर सब तमाशा देखती रही और कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी।।
अब नटराज परेशान था क्योंकि उसकी ये चाल उल्टी पड़ चुकी थी,दुशमन नटराज से भी ज्यादा शातिर निकला,अब नटराज के गुस्से का पार ना था और उसने गुस्से में घर का रास्ता अपनाया,कुछ देर में ही वो घर पहुँचा, अपने घर के बार में जाकर शराब का पैग बनाया और एक ही घूट में पी गया फिर वो उसी तरह कुर्सी में ही नशे की हालत में सो गया,सुबह साधना नटराज को ढूढ़ते हुए आई और उसने नटराज की ऐसी दशा देखी तो उसकी आँखें नम हो गई,चाहें कुछ भी हो ,कितना ही बुरा क्यों ना हो ,वो आखिर उसका पति है और यही सोचकर उसने शांत होकर नटराज को जगाया,नटराज जागा और साधना ने उससे पूछा___
क्या हुआ? कल रात आप क्लब से कब लौटे?
जल्द ही लौट आया था लेकिन मन खराब था इसलिए कमरें में नहीं आया,नटराज बोला।।
लेकिन क्यों? आपकी हालत देख कर लग रहा है कि शायद कुछ ठीक नहीं है,साधना बोली।।
हाँ ! ऐसा ही कुछ समझ लो,कुछ परेशान हूँ,नटराज बोला।।
आपने कल भी कुछ नहीं बताया था,अभी तो कुछ कहिए,साधना बोली।।
क्या बताऊँ? और कैसे बताऊँ? बस इतना समझ लो कि बहुत ही उथल पुथल मची हुई है मेरी जिन्दगी में,नटराज बोला।।
ऐसा भी क्या हुआ है? कुछ तो कहिए,साधना बोला।।
तुम मेरी परेशानी नहीं सुलझा सकती,इससे अच्छा है कि तुम ना ही जानो,नटराज बोला।।
लेकिन अपनी परेशानी किसी से बाँटने में मन हल्का हो जाता है,साधना बोली।।
लेकिन,अभी मुझे कुछ देर के लिए अकेला छोड़ दो,तुम जाकर नाश्ते का इंतज़ाम करों मैं तैयार होकर डाइनिंग हाँल में पहुँचता हूँ,नटराज बोला।।
ठीक है,जैसी आपकी मर्जी और इतना कहकर साधना नाश्ते की तैयारी करने चली गई.......

क्रमशः___
सरोज वर्मा____