Betrayal - Part (21) in Hindi Moral Stories by Saroj Verma books and stories PDF | विश्वासघात--भाग(२१)

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विश्वासघात--भाग(२१)

लीला बुआ आज ही कह रहीं थीं कि अब समय आ गया है कि साधना आण्टी और मधु को सब सच..सच बता देना चाहिए,संदीप बोला।।
तो क्या उन दोनों को सच्चाई मालूम होने पर वो हमलोंगों का साथ देंगीं,प्रदीप ने पूछा।।
साधना आण्टी का जैसा आचरण है उससे तो मुझे लगता है कि वो हमलोंगों का साथ जुरूर देंगीं और अब तो मधु के व्यवहार में भी काफ़ी बदलाव आ गया है शायद ये सब तेरी मौहब्बत का असर है तो वो शायद हम लोगों का साथ देने के लिए राज़ी हो जाए,संदीप बोला।।
तो अब आगें की योजना किस प्रकार होगी? प्रदीप ने पूछा।।
बुआ ने कहा है कि वो एक दो दिन में साधना आण्टी को घर बुलाकर उन्हें सारी सच्चाई बता देंगीं,फिर देखते हैं कि साधना आण्टी सच्चाई जानकर कौन सा रास्ता चुनतीं हैं,संदीप बोला।।
अब तो उन्ही पर सारा नाटक टिका हुआ है,अगर उन्होंने हमारा साथ दिया और नटराज के और भी बीते हुए कल के राज हमलोंगों के सामने खोल दिए तो हमलोंगों का काम और भी आसान हो जाएगा,तब हमें बापू को बेगुनाह साबित करने में और भी आसानी होगी,संदीप बोला।।
सच कहते हो भइया! काश् कि ऐसा ही हो,प्रदीप बोला।।
और दोनों भाइयों के बीच ऐसे ही वार्तालाप चलता रहा_____

इधर मधु के घर दोपहर के समय खाने की टेबल पर साधना ने नटराज से पूछा___
तो क्या? आपने! सच में तय कर लिया है कि आप मधु का ब्याह नाहर सिंह से करेंगें,साधना बोली।।
और क्या? नाहर सिंह से अच्छा और खानदानी रईस लड़का हमे और कहाँ मिलेगा? नटराज बोला ।।
लेकिन मधु की खुशी के बारें में भी तो सोचिए,उससे भी तो पूछ लीजिए कि क्या वो नाहर को पसंद करती है या नहीं? साधना बोली।।
उससे क्या पूछना है ?और मैं नहीं समझता कि इन सब मामलों में हमें उसकी राय पूछनी चाहिए,नाहर सिंह एक अच्छा लड़का है और हमारी मधु उसके साथ हमेशा खुश रहेगीं,नटराज बोला।।
कैसीं बातें करते हैं आप? वो नए जम़ाने की पढ़ी लिखी लड़की है और ये उसकी जिन्दगी का अह़म फैसला है,उसकी राय लेना तो बनता है,साधना बोली।।
वो अभी बच्ची है,वो क्या जाने दुनियादारी? जो लड़का मैने चुना है,वहीं उसके लिए उम्दा और काब़िल है,नटराज बोला।।
लेकिन फिर भी अगर एक बार उससे पूछ लेते तो अच्छा होता,साधना बोली।।
ज्यादा बेहूदा बातें मत करो,मुझसे तुमसे सलाह लेने की कोई जुरूरत नहीं है,इस बहस के अलावा मेरे पास और भी बहुत से काम हैं,खाना खत्म हो चुका है और मैं अब जा रहा हूँ,नटराज बोला।।
और इतना कहते ही नटराज बाहर निकल गया,साधना उसे बस जाते हुए देखती रही।।
उसी समय मधु भी काँलेज से लौटी थी और उसने साधना और नटराज के बीच हो रही बातें सुन ली थीं,ये सुनकर वो भी अपने कमरें में उदास होकर बिस्तर पर जा लेटी।।

उधर शाम को संदीप और प्रदीप फिर से शक्तिसिंह जी के घर जा पहुँचे और उन्हें बताया कि मधु, नाहर सिंह को बिल्कुल पसंद नहीं करती,तब शक्तिसिंह जी बोले___
ऐसा करों,अभी शाम को ही किसी रेस्तरां में मधु को बुलाओ,दोनों भाई वहाँ जाकर मधु से सारी सच्चाई कह दो,शक्तिसिंह जी बोलें।।
लेकिन वो मानेगी,प्रदीप बोला।।
हाँ!क्यों नहीं मानेगी? अगर वो तुमसे सच्चा प्यार करती होगी तो जुरूर मानेंगी,लीला बोली।।
चल जा ! टेलीफोन कर मधु को,संदीप ने प्रदीप से कहा।।
और तभी प्रदीप ने मधु को टेलीफोन किया,मधु की आवाज़ सुनकर प्रदीप को लगा कि वो काफ़ी दुखी है और उसने मधु से इसका कारण पूछा___
क्या हुआ? मधु! तुम इतनी उदास क्यों लग रही हो? प्रदीप ने पूछा।।
आज दोपहर डैडी मेरी शादी नाहर से करवाने की बात कर रहे थे,मधु बोली।।
सच तो ये बात है,प्रदीप बोला।।
हाँ!और माँ ने डैडी को समझाने की कोशिश की लेकिन उन्होंने उनकी एक ना सुनी,मधु बोली।
अच्छा! ठीक है,मैं भी तुमसे इसी बारें में बात करना चाहता हूँ,क्या तुम मुझसे आँसिस रेस्तरां में अभी थोड़ी देर में मिल सकती हो?प्रदीप बोला।।
ठीक है! मैं माँ से कह कर आती हूँ,तुम पहुँचो ,मैं भी पहुँचती हूँ,मधु बोली।।
ठीक है तुम आओ,मै तुम्हारा रेस्तरां में इंतज़ार करता हूँ और इतना कहकर प्रदीप ने टेलीफोन काट दिया।।
कुछ ही देर में मधु रेस्तरां पहुँची लेकिन प्रदीप के साथ नाहर सिंह को बैठा हुआ देखकर आगबबूला हो उठी और प्रदीप से गुस्से से बोली____
मैं जा रही हूँ!!
लेकिन क्यों,प्रदीप ने पूछा।।
मालूम होता है कि तुम्हारे अजी़ज दोस्त और तुम्हारे बीच कुछ ज्यादा ही गुफ्तगू चल रही है,तो फिर मेरी क्या जुरूरत है,मधु गुस्से से बोली।।
तुम ग़लत समझ रही हो मधु!,प्रदीप बोला।।
मैं बिल्कुल सही समझ रही हूँ,मधु बोली।।
अरे,मधु! रूको तो सही,हम लोगों की पूरी बात तो सुनकर जाओ,संदीप बोला।।
ए मिस्टर! आप चुप रहिए,मैं आपसे बात नहीं कर रही हूँ,मधु ने गुस्से से संदीप को डाँटा।।
लेकिन मैं तो आपसे ही बात करने आया था मिस मधु! संदीप बोला।।
सुनिए मिस्टर! मैं ना आपसे बात करने आई थी और ना आपसे मिलने,मैं तो किसी और से बात करने आई थी लेकिन उसने भी मुझे धोखा दिया,प्रदीप! मुझे तुमसे ऐसी उम्मीद ना थी,मधु बोली।।
अरे,पूरी बात तो सुनिए मधु बहन! संदीप बोला।।
बहन! मुझे आपने बहन कहा,मधु ने आश्चर्यचकित होकर पूछा।।
जी! हाँ, आप जो समझ रहीं हैं,वैसा कुछ भी नहीं है,पहले आप गुस्से को थूककर ,शाँत मन से यहाँ बैठिए और ठंडे दिमाग़ से हम दोनों की बातें सुनकर फिर किसी नतीजे पर पहुँचिएगा,संदीप बोला।।
और मधु ने शाँत मन से दोनों की बातें सुनी और बोली___
लेकिन आप लोगों को पूरा यकीन है कि वो मेरे डैडी ही है जिनकी वज़ह से आप दोनों के पिता के ऊपर ऐसा कलंक लगा।।
हाँ,मधु! सालों से ये परिवार तुम्हारे पिता की वजह से अपने पिता से दूर रहा,संदीप बोला।।
लेकिन मैं कैसे भरोसा कर लूँ,मधु बोली।।
तीनों के बीच बातें चल ही रही थीं कि एकाएक संदीप ने जूली को रेस्तरां के भीतर आते हुए देखा,उसे जूली को इस मामूली से रेस्तरां में देखकर थोड़ा आश्चर्य हुआ क्योंकि जूली एकदम सादे कपड़ो में थी,उसने कोई मेकअप भी नहीं कर रहा था,एक सादी सी सूती साड़ी में थी और उसने अपने पल्लू को सिर से ओढ़ रखा था और वो वहाँ पहुँचकर अपने लिए सीट ढूंढ़ने लगी।।
तभी संदीप ने मधु और प्रदीप से कहा___
देखों वही जूली है,जिसने मामूली सी साड़ी पहन रखी है,वो मशहूर कैबरें डान्सर है और मधु तुम्हारे डैडी से इसके ताल्लुकात बहुत अच्छे हैं,ऐसा समझ लो कि ये तुम्हारे डैडी के लिए ही काम करती है,मैं चुपचाप पीठ करके बैठा हूँ,तुम दोनों उसकी हरकतों पर नज़र रखों,पता करते हैं आखिर ये यहाँ करने क्या आई हैं?
ठीक है भइया! मैं देखता हूँ,प्रदीप बोला।।
तभी इत्तेफाक से जूली वहाँ जा बैठी,जो सीट संदीप के पीछे खाली थी,वो बहुत ही हैरान और परेशान लग रही थी,उसकी नज़र बार बार अपने हाथ की कलाई पर बँधी घड़ी की ओर जा रही थी,उसे देखने से ऐसा लग रहा था कि जैसे वो किसी का बेसब्री से इंतजार कर रही थीं और प्रदीप उसकी एक एक हरकत को संदीप से इशारें में बता रहा था,तभी कुछ देर में एक लम्बा चौड़ा सा शख्स जूली के पास आकर बैठ गया और उसने जूली से कहा___
और डेटेक्टिव मंजरी! आपने मुझे यहाँ क्यों बुलाया? उस शख्स ने पूछा।।
इन्स्पेक्टर अरूण ! एक बहुत जुरूरी बात बताने के लिए मैने आपको यहाँ बुलाया है,जूली बोली।।
तो जल्दी कहिए,कोई हमें यहाँ साथ में देख ना लें ,इन्स्पेक्टर अरूण ने कहा।।
जी,मुझे पता चला है कि कल रात नटराज सिघांनिया का करोडों का माल आने वाला है,जो कि शायद सोने के बिस्किट हैं,उस माल को आप रास्तें में ही रोक लीजिए,जूली बोली।।
ये तो बहुत अच्छी ख़बर सुनाई आपने डिटेक्टिव मंजरी!,अरूण बोला।।
जैसे ही संदीप ने मंजरी और अरूण के बीच की बातें सुनी तो अपनी सीट से उठ खड़ा हुआ और जूली के पास जाकर कहा___
अरे,मिस जूली! आप यहाँ,बड़ी खुशी हुई आपसे मिलकर।।
नाहर सिंह को देखकर जूली सकपका गई,उसे लगा कि अब तो उसका भेद खुल गया है और अगर ये सब नटराज सिघांनिया को पता चल गया तो वो उसे जिन्दा नहीं छोड़ेगा।।
जी...जी...आप..आप. मिस्टर नाहर! आप भी यहाँ हैं,जूली ने घबराकर पूछा।।
जी ,मिस मंजरी! मैने सब सुन लिया है लेकिन आप घबराएं बिलकुल नहीं,मैं भी नाहर सिंह नहीं हूँ,मैं संदीप हूँ और पेशे से वकील हूँ,ये है मेरा छोटा भाई प्रदीप और इनके साथ में हैं मिस मधु जो कि नटराज की बेटीं हैं,संदीप ने जूली से कहा।।
अब मंजरी की जान में जान आई और उसने पूछा तो नाहर सिंह बनने के पीछे आखिर आपका मकसद क्या है ,मंजरी ने संदीप से पूछा।।
जी है,बहुत लम्बी कहानी,जो कभी आपको इत्मीनान से सुनाऊँगा,संदीप बोला।।
जी,मैं एक डिटेक्टिव हूँ,मेरा नाम मंजरी है और ये हैं इन्स्पेक्टर अरूण जो नटराज के बेटे हैं,इन्होंने अपनी मरती हुई माँ को वचन दिया था कि ये अपने पिता को सही रास्तें पर लाकर रहेंगें,मंजरी बोली।।
जी आप ही नटराज के बेटे हैं,हम लोगों को भी आपकी तलाश थी,बहुत अच्छा हुआ जो आप हमें मिल गए,तो इसका मतल़ब है कि मधु आपकी छोटी बहन हुई,तो मधु अब तो तुम्हें यकीन हो गया ना कि तुम्हारे डैडी कितनें बड़े अपराधी हैं,प्रदीप बोला।।
तो क्या आप भी मेरे पिता के शिकार हो चुके हैं?अरूण ने पूछा।।
जी,उन्होंने हमारे पिता को बचपन में हमसे दूर कर दिया और अपना अपराध हमारे पिता के सिर मढ़ दिया,जिसकी वजह से हमारे पिता और हमारी बड़ी बहन हमसे दूर हो गए,लेकिन अब मैं अपने पिता को निर्दोष साबित करना चाहता हूँ और उसमें मुझे आपकी भी जरूरत पड़ेगी,संदीप बोला।।
मैं आपकी सहायता के लिए सदैव तत्पर हूँ,जो भी मुझसे बन पड़ेगा,मैं करने के लिए तैयार हूँ,अरूण बोला।।
तो क्या मेरे डैडी,सच में इतने बड़े अपराधी हैं,मधु ने पूछा।।
हाँ,मधु वो ना जाने किन किन चीजों की तस्करी करते हैं,मैं तो उनके साथ काम करती हूँ,तो मुझे सब पता है,मंजरी बोली।।
अगर ये बात है तो मैं भी आज से आपलोगों के संग हूँ,मधु बोली।।
तो तुम मेरी छोटी बहन हो,मैं तुमसे आज पहली बार मिल रहा हूँ,अरूण बोला।।
मुझे तो पता ही नहीं था कि मेरा कोई बड़ा भाई भी है,मुझे तो ये पता नहीं था कि मेरे डैडी ने दो शादियाँ की हैं,मधु बोली।।
लेकिन आज तो पता हो गया ना और अब हमें यहाँ से चलना चाहिए,ऐसा ना हो कि कोई हमें यहाँ साथ में देख ले और मैं आपको क्लब में मिलता हूँ ना मिस जूली!नाहर बनके,संदीप बोला।।
और सब ठहाका मारकर हँस पड़े____
तो आप अपना कुछ पता ठिकाना या टेलीफोन नम्बर दे दीजिए,अरूण ने कहा।।
जी जुरूर,मेरे अंकल का नम्बर दे देता हूँ और आप भी अपना टेलीफोन नम्बर दे दीजिए,अगर मुझे आपसे कोई बात करनी हो तो,संदीप बोला।।
जी जुरूर,अरूण बोला।।
और कुछ ही देर बात करने के बाद सब अपने अपने रास्ते चले गए।।

घर आकर मधु ने सबसे पहले साधना से यही सवाल किया कि___
माँ! तुम्हें पता है कि डैडी की पहले भी शादी हो चुकी है या नहीं।।
ये सुनकर साधना सन्न रह गई और मधु से बोली___
तुझे ये सब किसने बताया?
किसी ने भी बताया हो लेकिन पहले तुम मेरे सवाल का जवाब दो,मधु बोली।।
हाँ,लेकिन मेरी शादी के बहुत दिनों बाद मुझे ये बात पता चली,शायद उनका एक बेटा भी है लेकिन ये नहीं पता कि वो बच्चा और उसकी माँ कहाँ हैं? साधना बोली।।
माँ तो अब नहीं रही लेकिन उस बेटे से मैं अभी मिलकर आ रही हूँ,मधु बोली।।
तू ये क्या कह रही हैं ? मधु! साधना ने पूछा।
मैं बिल्कुल सही कह रही हूँ माँ !और तुम्हें अगर मेरी बात पर यकीन ना हो तो कल दोपहर लीला आण्टी के घर चलते हैं,वहाँ जाकर आपको सब पता चल जाएगा और जो नाहर सिंह हैं ना वो कोई और नहीं प्रदीप के बड़े भाई हैं,लीला आण्टी ,प्रदीप की माँ नहीं बुआ हैं,मधु बोली ।।
आज तुझे क्या हो गया है?तू पागल हो गई है क्या? इतनी देर से तू ये क्या गोल मोल सी बातें किए जा रही हैं,,मुझे तो कुछ भी पल्ले नहीं पड़ रहा,साधना बोली।।
तो माँ ज्यादा मत सोचो,कल दोपहर में लीला के आण्टी के यहाँ हमारा लंच है,वही तुमको सारी बातें पता चल जाएगीं,मधु बोली।।
अभी तो तू खाना खाएंगी या नहीं या ये भी कल ही,साधना बोली।।
नहीं माँ !चलो खाना खाते हैं क्योंकि मेरी सिर से आज बहुत बड़ा बोझ उतर गया है इसलिए आज तो मैं पेट भर कर खाऊँगी,मधु बोली।।
ऐसा कौन सा बोझ उतार आई आज तू? साधना ने पूछा।।
यही कि नाहरसिंह तो मुझे अपनी छोटी बहन मानता है,मधु बोली।।
आज सच में,तू पागल हो गई है,खाना खाकर आराम कर ,नहीं तो तेरी बातें सुनकर मैं भी पागल हो जाऊँगी,साधना बोली।।
तुम नहीं समझोगी माँ! कल तुम्हें भी सब समझ आ जाएगा,अभी चलकर खाना खाकर सो जाते हैं,मधु बोली।।
और दोनों माँ बेटी रात के खाने के लिए डाइनिंग टेबल पर जा पहुँचे___

क्रमशः____
सरोज वर्मा___