vishwasghat - 15 in Hindi Moral Stories by Saroj Verma books and stories PDF | विश्वासघात--भाग(१५)

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विश्वासघात--भाग(१५)

दूसरे दिन प्रदीप को मधु फिर से काँलेज में दिखीं और प्रदीप से उससे फिर से बात करने की कोशिश की और बोला चलों कुछ देर कैंटीन में चलकर बैंठतें हैं,लेकिन मधु ने इनक़ार कर दिया बोली,कुछ जुरूरी काम है,प्रदीप , मधु की बात सुनकर झुँझला गया और गुस्से से बोला___
उस थप्पड़ का बदला तुम मुझसे ऐसे लोगीं।।
मै कोई बदला नहीं ले रही हूँ,मैं तो चाहती हूँ कि तुम मुझ जैसी लड़की से दूर रहो,मधु बोली।।
लेकिन क्यों दूर रहूँ?बताओगी जरा! प्रदीप न पूछा।।
क्योंकि मैं तुम्हारी दोस्ती के काब़िल नहीं हूँ,तुमने मुझ पर भरोसा किया और मैनें तुम्हारा भरोसा तोड़ दिया,तुम्हें मौत के मुँह तक पहुँचा दिया,मधु बोली।।
वो तुम्हारी नासमझीं थीं,कभी कभी इंसान से गल्तियाँ हो जातीं हैं,प्रदीप बोला।।
नहीं ये गलती नहीं थी,अगर उस दिन तुम्हें कुछ हो जाता तो,मधु बोली।।
लेकिन हुआ तो नहीं ना! मैं तुम्हारे सामने सही सलामत हूँ,प्रदीप बोला।।
लेकिन फिर भी प्रदीप ! तुम मुझसे दूर रहों,मधु बोली।।
ठीक है! अगर तुम यही चाहती हो तो मैं आज के बाद तुमसे बात भी नहीं करूँगा और इतना कहकर प्रदीप वहाँ से चला गया ,मधु उसे जाते हुए देखती रही।।

उधर शक्तिसिंह और संदीप ने डिटेक्टिव एजेंसी से एक डिटेक्टिव को हायर कर लिया और उसने नटराज के विषय में बहुत सी बातें पता कर लीं,उसने कहा कि नटराज ज्यादातर अपनी शामें किंग जाँर्ज नाइट क्लब में बिताता है,वहाँ की मशहूर कैबरे डान्सर जूली से उसकी बहुत गहरी दोस्ती है क्योंकि जब कोई ख़ास कस्टमर जैसे कि कोई माफ़िया वगैरह आते हैं तो जूली को ही उनकी ख़िदमत में पेश किया जाता है,इसके लिए जूली को हर महीने एक ख़ास नजराना दिया जाता है जिस फ्लैट में जूली रहतीं है और जो मोटर उसके पास है वो भी उसे नटराज ने ही दी है और भी बहुत सी जानकारियाँ देकर वो डिटेक्टिव चला गया।।
डिटेक्टिव की बात सुनकर संदीप ,शक्तिसिंह जी से बोला___
अंकल ! अब कहिए क्या किया जाएं?
ऐसा है बेटा! मैं सम्भालता हूँ नटराज को और तुम सम्भालों जूली को,शक्तिसिंह जी बोले।।
आपका मतलब़ क्या है जी! पास खड़ी लीला ने पूछा।।
वो ये है कि संदीप को जूली के साथ झूठे प्यार का नाटक करना होगा और उसके सारे राज़ पता करने होगें, शक्तिसिंह जी बोलें।।
नहीं बाबा! ये कैसीं बातें करते हैं आप,कुसुम बोली।।
तू तो पगली है! संदीप तुझसे प्यार करता है, इतना भरोसा तो तू उस पर कर ही सकती है ना!शक्तिसिंह जी बोलें।।
लेकिन उस जूली का रोज ना जाने कितने मर्दो के साथ उठना बैठना होगा,हमारा संदीप वहाँ मेल बिठा पाएगा, उस जूली के साथ,लीला ने शक्तिसिंह से पूछा।।
अरे,जवान लड़का है, ऊपर से ख़ूबसूरत फिर उसे तो हमारा भतीजा बनकर ये नाटक करना पड़ेगा और रईस जानकर वो जूली खुदबखुद इसके क़रीब आने की सोचेगी, शक्तिसिंह जी बोले।
मुझे तो बहुत डर लग रहा है, कहीं उस जूली ने कुछ ऐसा वैसा किया तो,कुसुम बोली।।
अरे,डर मत पगली! वो तेरे संदीप को नहीं छीन पाएंगी,शक्तिसिंह बोले।।
क्यों?कुसुम! क्या तुम्हें मुझ पर इतना भरोसा भी नहीं है?संदीप बोला।।
तुम पर तो है लेकिन उस चुड़ैल जूली पर नहीं है, कुसुम बोली।।
हम औरतों के मन में हमेंशा यही शंका बनी रहती है लेकिन कुसुम तुम घबराओं मत,ऐसा कुछ नहीं होगा,लीला बोली।।
तो अंकल अब आगें क्या करना है, मैं तो जूली के राज जानने की कोशिश करूँगा और आप नटराज के क़रीब जाकर उससे मित्रता बढ़ाएंगे लेकिन नटराज के घर की मुखबिरी भी तो करनी होगी, उसका क्या करें?
संदीप ने शक्तिसिंह जी से पूछा।।
मैं दोस्ती बढ़ाती हूँ ना! नटराज की पत्नी से कुछ ना कुछ तो पता कर ही लूँगीं, लीला बोली।।
हाँ,यही ठीक रहेगा,शक्तिसिंह जी बोलें।।
तो अंकल देरी किस बात की आज रात ही क्लब चलते हैं, कसीनो में थोड़ा दाँव लगाएंगे, जूली का डांस देखेंगे और नटराज की गतिविधियों पर नज़र रखेंगें कि उसका और कौन कौन ख़ास आदमी है, तभी हम उसकी लुटिया डुबो सकते हैं, संदीप बोला।।
हाँ,बरखुरदार ! तो फिर कमर कस लो और दिनभर रईसों वालों हावभाव की प्रैक्टिस कर लो,वहाँ जाकर नाक नहीं कटनी चाहिए और ये लो सिगार जरा पीकर तो दिखाओं, शक्तिसिंह जी बोलें।।
और जैसे ही संदीप ने सिगार का एक कश़ लगाया तो ख़ाँस उठा और सीना पकड़कर रह गया,थोड़ी देर ख़ाँसने के बाद बोला___
छी...ये कैसी बला है, कैसे पीते हैं इसे रईस लोग,मेरा तो दम ही घुट गया।।
संदीप की बात सुनकर सब हँस पड़े।।
इसलिए तो कहता हूँ बरखुरदार! अभी सीख लो,वहाँ क्लब में ऐसा नहीं चलेगा और ये रहें कुछ रूपए,जाकर महाराजा सूटिंग्स से अपने लिए कुछ अच्छे कोट और जूतों का इन्तजाम करो,शाम को बिल्कुल बाँका और छबीला नौजवान बनकर चलना है क्लब में,शक्तिसिंह जी बोलें।।
अरे,अंकल ! आप हम लोगों के लिए कितनी तकलीफ़ उठा रहे हैं, संदीप बोला।।
ऐसी बातें करके तुम तो मुझे पराया कर रहे हों और फिर दयाशंकर तो मेरी बीवी का भाई है और साले की जीहुजूरी तो अच्छे..अच्छे. लोग किया करते हैं, इसलिए तो सब कहते हैं ना कि....
सारी ख़ुदाई एक तरफ और जोरू का भाई एक तरफ...
और फिर बड़ी मुश्किलों से तो बीवी नस़ीब हुई है, अब उसको कैसे नाराज कर सकता हूँ, शक्तिसिंह जी बोले।।
शक्तिसिंह जी की बातें सुनकर सब हँस पड़े और लीला शरमाते हुए भीतर चली गई और योजना भी बन गई कि किंग जार्ज क्लब में शक्तिसिंह और संदीप आज रात जाएंगे।।

उधर गाँव में अब दयाशंकर ने खेंत सम्भाल लिए थे,वो दिनभर वहाँ काम करता,कुछ काम मज़दूरों से करवाता क्योंकि अब उसकी बूढ़ी हड्डियों में उतना दम नहीं रह गया था,अब मंगला को थोड़ी फुर्सत मिल गई थी,दयाशंकर के आने से,घर और खेंतों में मंगला की मेहनत दिखाई देती थी कि कैसे उसने बच्चे सम्भालें होगें, कैसे उन्हें इस काब़िल बनाया होगा,उसी की मेहनत के दम पर उसका ये संसार एक बार फिर से आबाद हो गया था,उधर लीला ने भी बहुत मेहनत की थी, उसने तो एक अनाथ और बेसहारा बच्चे को पालपोस कर एक काब़िल इंसान बनाया था,अपनी मेहनत के ही बल पर ही आज उसने समाज में अपनी इज्जत बनाई थी और शायद उसके अच्छे कर्मों के वजह से ही आज उसे ऐसा सुख भोगने को मिल रहा था।।
अब बेला दवाखाने में ना रहकर अपने घर में दया और मंगला के साथ रहने लगी थीं, इधर विजय ने भी लीला के जाने के बाद अपने खेतों के लिए मजदूर लगवा लिए थे और साथ साथ स्कूल भी देखता था,अब उसका खाना पीना सब मंगला के यहाँ ही होता।।
दयाशंकर ने सोचा था कि नटराज को जब उसके किए की सजा मिल जाएंगी तो वो बेला और विजय का ब्याह करा देगा,उसके बाद संदीप और कुसुम के भी हाथ पीले हो जाएंगे, बस इन्तज़ार अगर था तो इस बात का कि नटराज को कैसे उसके किए की सज़ा मिले।।

उधर शक्तिसिंह जी के यहाँ शाम के वक्त़___
दोनों लोग सूट बूट पहनकर तैयार होनें में लगें थें,चारों तरफ बस अफरातफरी कि कहीं कोई गलती ना हो जाए,शक्तिसिंह जी को तो सब आता था लेकिन संदीप के भीतर रईसों वाले हाव भाव नहीं आ पा रहे थे,वो एक्टिंग कर करके बहुत बार फेल हो चुका था और शक्तिसिंह जी कहते कि अभी भी परफेक्ट नहीं है बरखुरदार!
अंकल! क्या करूँ?नहीं हो पा रहा मुझसे,संदीप बोला।।
कोशिश करो बेटा! ये हम सबकी इज्जत का सवाल है, शक्तिसिंह जी बोले।।
ठीक है एक बार और कोशिश करता हूँ, सदीप बोला।।
और इस बार संदीप की कोशिश रंग लाई और अब वो बिल्कुल हावभाव से खानदानी रईस लग रहा था।।
और हाँ, ये याद रखना कि तुम इस शहर में बिल्कुल नए हो,तुम्हें इस शहर के बारें मेँ कुछ भी नहीं पता,तुम अभी विदेश से लौटे हो और यहाँ बहुत बड़ी फैक्ट्री खोलना चाहते हो और इसके लिए तुम्हें एक भरोसेमंद आदमी की जुरूरत है, तुम कहना कि मैं तुम्हारे पिता का बहुत पुराना दोस्त हूँ, तुम्हारे पिता अब नहीं रहें,करोड़ो की जमीन जायदाद तुम्हारे नाम छोड़कर गए हैं इसलिए उस जमीन जायदाद को सम्भालने के लिए अब तुम विदेश छोड़कर यहाँ आना चाहते हो और फैक्ट्री के लिए मैने तुम्हें मना कर दिया है क्योंकि मैं व्यापारी क्षेत्र के लोगों को नहीं जानता,शक्तिसिंह जी बोले।।
जी अंकल! लेकिन ये सब झूठ मैं कैसे बोल पाऊँगा, संदीप बोला।।
किसी भले काम के लिए झूठ बोलना,झूठ बोलना नही कहलाता, शक्तिसिंह जी बोले।।
और दोनों तैयार होकर बाहर आएं ,मोटर में बैठकर क्लब की ओर चल पड़े,दोनों क्लब पहुँचे और मोटर से उतरें, ड्राइवर से कहा कि मोटर को पार्किंग में ले जाओं।।
क्लब बाहर से तो काफ़ी खूबसूरत दिखाई दे रहा था,हर जगह जगह लाइटिंग ही लाइटिंग जगमगा रहीं थीं, दोनों ने पहले बाहर ही सिगार सुलगाया और भीतर पहुँचे, गेट पर उनकी तलाशी लेकर उन्हें भीतर जाने दिया गया,क्लब की सुन्दरता भीतर से भी देखने लायक थी।।
शार्ट्स , स्किनफिट ड्रेस में पफ वाले ऊँचे ऊँचे हेयर स्टाइल बनाकर लड़कियाँ हाइहील्स में टकटक करती हुई यहाँ से वहाँ व्हीस्की और वाइन के ग्लास सर्व करती फिर रही थीं, स्टेज पर जूली अपने साथियों के साथ रेटरो डांस में मस्त थी,आज उसका कैबरे डांस नहीं था।।
दोनों अलग अलग हो गए, संदीप कसीनो पर दाँव लगाने और शक्तिसिंह जी नई नई लड़कियों के साथ चुहलबाजी करने लगें,दोनों अपने अपने काम में लग गए।।
संदीप ने दाँव पर दाँव लगाएं लेकिन एक बार भी ना जीत सका,उसकी ये रईसी देखकर वहाँ मौजूद लोगों ने समझा कि बहुत बड़ा रईस जान पड़ता है इसलिए तो पैसा पानी की तरह बहा रहा है और ये सब वहाँ मौजूद नटराज के आदमियों ने भाँप लिया,उन्हें लगा कि मोटी मुर्गी फँसी है, जाकर बाँस को बताना चाहिए, कुछ ही देर में किसी लड़की ने टेलीफोन द्वारा नटराज को सूचना दे दी कि कोई रईस बन्दा आया है और पानी की तरह जुएँ मे पैसा लगा रहा है।।
नटराज ने उस लड़की से कहा कि उसे कैसे भी करके वहाँ रोककर रखो,अपने हुस्न का जादू चलाओ,मैं अभी वहाँ पहुँचता हूँ।।
इधर शक्तिसिंह जी की नज़रें भी नटराज को ही ढूढ़ रहीं थीं, अब संदीप जुआँ खेलकर बोर हो गया था और उसने सबसे कहा एसक्यूज मी! अब प्यास लग रही है थोड़ी में कुछ व्हीस्की और रम पीकर आता हूँ, उस लडकी की नजरें तो संदीप पर थीं और उसे तो बहाना मिल गया संदीप को अपने साथ ले जाने का और वो संदीप के पास जाकर बोली___
चलिए,जनाब! आपकी ख्वाहिश हम पूरी करते हैं।।
जी,मैं समझा नहीं मोहतरमा! संदीप ने कहा।।
चलिए कुछ पैग वैग लेते हैं, फिर डांस करेंगें, वो लड़की बोलीं।।
अब तो शराब के नाम से संदीप की तो सिट्टी पिट्टी गुम हो गई, आज तक तो पी नहीं, आज ही तो सिगार को भी हाथ लगाया है और ये दारू पीने पिलाने की बात कर रही है, हे भगवान! अब क्या करूँ? अंकल भी तो नहीं दिख रहें, संदीप बेचारा ये सब सोचते हुए उस लड़की के साथ चला जा रहा था।।
तभी उसकी नज़र शक्तिसिंह जी पर पड़ी और उसने अपने आपको उस लड़की से छुड़ाने के लिए इशारा किया।।
शक्तिसिंह जी संदीप के पास आकर बोलें___
अरे,मिस्टर तुम! वहाँ कहाँ चले जा रहे हो,चलो एक दो पैग हमारे साथ भी ले लो।।
अब संदीप की जान मे जान आई और उसने शक्तिसिंह से थैंक्यू बोला।।
संदीप और शक्तिसिंह एक टेबल पर बैठकर शराब पीने का नाटक कर रहें थें और खुद को नशे मे दिखाने की कोशिश कर रहे थें।।
तभी क्लब में नटराज की इण्ट्री हुई,नटराज के गुण्डे क्लब के कोने कोने में मौजूद होकर सब पर ऩज़र रख रहे थे,तभी शक्तिसिंह ने नटराज के पास जाकर कहा___
अरे,आप! सिघांनिया साहब! बड़े इत्तेफाक वाली बात है कि आप भी आए हैं।।
जी जमींदार साहब! मैं तो अक्सर यहाँ आता रहता हूँ, लेकिन पहले तो कभी भी आपको इस क्लब में नहीं देखा,नटराज ने शक्तिसिंह जी से पूछा।।
कैसे देखेगें, पहली बार इस क्लब में आया हूँ,शक्तिसिंह जी ने जवाब दिया।।
जी! ये आपके साथ कौन हैं?नटराज ने शक्तिसिंह से पूछा।।
ये मेरे बहुत पुराने दोस्त के बेटे हैं, इनका नाम नाहर सिंह है,बहुत बड़े जमींदार हैं, अभी तक विदेश में रहते थें,मेरे दोस्त तो अब इस दुनिया में रहें नहीं लेकिन करोड़ो की जमीन जायदाद छोड़ गए है जिनके ये अकेले वारिस हैं, मेरे पास इसलिए आए थे कह रहे थे कि कोई फैक्ट्री डालना चाहते हैं इस शहर में लेकिन मैने तो कह दिया भाई कि व्यापार के मामले मेरा दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं है, आप कहीं और जाइए तो थोड़े मायूस से थे इसलिए मैं इन्हें पीने पिलाने के लिए क्लब लेकर चला आया।।
कह रहे हैं कि फैक्ट्री का काम बना नहीं इसलिए कल ही विदेश लौट जाएंगे, वैसे भी साथ में कोई नहीं हैं, इकलौते हैं ना ! अभी शादी भी नहीं हुई हैं और ना ही परिवार का कोई सदस्य है,अब जो भी है मैं ही इनका सबकुछ हूँ, शक्तिसिंह जी बोले।।
अच्छा तो ये बात है, नटराज बोला।।
अब नटराज ने मन में सोचा लगता बहुत ही मोटी मुर्गी है,हाथ से निकलनी नहीं चाहिए, मैं इससे फैक्ट्री के मसले में बात करके देखता हूँ।।
हाँ तो जनाब! इतनी छोटी छोटी बातों से परेशान नहीं हुआ करते,मुझे ही देखिए मैं कितनी सारी फैक्ट्रियों का मालिक हूँ, आप अगर अभी विदेश ना लौटे तो मै आपकी फैक्ट्री खुलवा सकता हूँ, नटराज ने नाहर सिंह बने संदीप से कहा।।
अगर आप वायदा करें कि मेरा ये काम जुरूर से जुरूर करवा देंगें तो मैं रूक सकता हूँ, नाहर सिंह बने संदीप ने जवाब दिया।।
जी जुरूर, मुझ पर भरोसा रखिए और फिर जमींदार शक्तिसिंह तो मुझे पहले से जानते हैं, नटराज बोला।।
तब तो बहुत अच्छी बात है, अगर अंकल आपको पहले से जानते हैं, नाहर सिंह बने संदीप ने कहा।।
तो फिर कल ही आप मेरे आँफिस आकर सारी बातें समझ लें तब हम आपकी फैक्ट्री का काम शुरू करवा सकते हैं, नटराज बोला।।
जी बहुत अच्छा, मैं कल ही आता हूँ, नाहर सिंह बने संदीप ने कहा।।
तभी नटराज ने उस लड़की से कहा___
अरे,मोनिका ! इधर आओ।।
जी सर,उस लड़की ने कहा।।
अरे,इन साहब को ले जाकर कुछ डान्स वान्स करों, नटराज बोला।।
जी आइए,मोनिका बोली।।
अब तो संदीप की फिर से खटिया खड़ी और बिस्तर गोल हो गया,वो मना भी नहीं कर सकता था और डाँन्स के नाम पर तो उसे कुछ भी नही आता था।।
तभी शक्तिसिंह जी बोल पड़े____
माफ़ कीजिएगा मोहतरमा! ये कल गिर पड़े थे,पैर में मोच आई है, देखो तो कैसे लँगड़ा कर चल रहे हैं और इतना सुनते ही संदीप लँगड़ा लँगड़ाकर चलने लगा।।
अच्छा अब हमे इजाज़त दीजिए, अब कभी बाद मे आते हैं,अब तो आना जाना लगा ही रहेगा,शक्तिसिंह ने ये कहकर नटराज से पीछा छुड़ाया और दोनों मोटर तक आएं और मोटर में बैठकर जो दोनों की हँसी छूटी की घर तक हँसते रहें।।

क्रमशः___
सरोज वर्मा____