BOYS school WASHROOM - 16 in Hindi Moral Stories by Akash Saxena "Ansh" books and stories PDF | BOYS school WASHROOM - 16

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BOYS school WASHROOM - 16

फंक्शन काफी देर तक चालू था लगभग अंधेरा हो चुका था, लेकिन यश अभी भी पार्टी मे था…..और बाकी सब भी…. आखिर स्कूल के लास्ट फंक्शन मे भला अपने दोस्तों के साथ कौन मस्ती नहीं करना चाहेगा….गाने फुल आवाज़ मे बज रहे थे…..कुछ बच्चे डांस कर रहे थे, कुछ गेम्स खेल रहे थे, और कुछ डिनर (समय के हिसाब से डिनर कहना ही ठीक रहेगा) कर रहे थे और बाकी के सब ड्रिंक्स एन्जॉय कर रहे थे…..और सेल्फी एंड आल...

यश और उसके कुछ फ्रेंड्स भी डांस मे ही बिजी थे….लेकिन यश अब थक चुका था, उसकी थकान उसके चेहरे से साफ-साफ झलक रही थी
। तब यश अपने एक दोस्त "अमन"(यश का बेस्ट फ्रेंड) के साथ ड्रिंक्स लेने के बहाने डांस से निकल आया….यश अमन से बातें करते हुए आ रहा था तभी कोई उससे टकराया…."सॉरी! सॉरी!"(उस आदमी ने बोला एयर चला गया)....यश ने पीछे मुड़कर भी नहीं देखा और "कोई बात नहीं".....कह कर निकाल गया।

अमन-अबे यॉर! क्या तूने ऐसे ही जाने दिया…कितना अजीब सा था फेयरवेल मै भी हुड पहन रखी थी….

यश-अरे!छोड़ ना यॉर इट्स लास्ट डे,लेट्स एन्जॉय… चल….अरे चल ना यार क्या देख रहा है उसे……(अगले ही पल)..वैसे वो आवाज़ कुछ जानी पहचानी सी लग रही थी…..यश भी पीछे देखते हुए बोला...

लगी तो कुछ कुछ मुझे भी….(अमन)

है ना!...आईओ ज़रा देखें तो कौन है आखिर…(यश), यश फटाफट जाने के लिए खड़ा हुआ...तभी पीछे से कालर पकड़ते हुए अमन ने यश से मज़े लेते हुये कहा है…."अब तू कहाँ चल दिया…..अभी तो बड़ा ज्ञान दे रहा था...वैसे भी चिंता मत कर! स्कूल वाले फेयरवेल मे रिश्तेदारों को नहीं बुलाते"

इतना कहते ही अमन का फ़ोन बज उठा…..

"क्या बात है? किसी रिश्तेदार ने फोन दिया है हमारे अमन बाबू को?......निकालो ज़रा हम भी तो देखें----…...अमन के फ़ोन निकलते ही यश उसका फ़ोन छीनते हुए……----आखिर किस रिश्तेदार का फ़ोन आया है अब हम भी तो देखें ज़रा….

ओह हो! सृष्टि वो भी लाल दिल के साथ…..क्या बात है?
देख लिया ना चल फ़ोन दे अब इधर नहीं तो कट जायेगा….अमन शर्माते हुए कहता है।

देखो तो सही ख़ुशी के मारे लाल हुए जा रहा है….जैसे जन्मों की रिश्तेदारी हो...इतना कहते हुए यश अमन के हाथ मे फ़ोन थमा देता है और कान लगाकर सुनने लगता है।

अमन कॉल पर-हाँ, हेलो सृष्टि! क्या हुआ?कोई प्रॉब्लम?
सृष्टि-नहीं नहीं बाबू कोई प्रॉब्लम नहीं है…

(यश-क्या बात है...बाबूऊ…. बहुत सही बेटा…..चल स्पीकर पर लगा अब जल्दी से नहीं तो बाबू साइलेंट हों जायेगा ((यश अमन के कान मे फुसफुसाते हुए)))

सृष्टि-कौन है ये तुम्हारे साथ?? जो डिस्टर्ब कर रहा है?

अमन-भाई है मेरा...तुम जल्दी बताओ की कॉल क्यूँ किया जबकि मैंने मना किया था ना।

सृष्टि-पर तुम्हारा तो कोई भाई नहीं है….जहाँ तक मुझे पता है!

अमन-अरे यार यश है।

सृष्टि-अच्छा वही यश जिसके बारे मे तुम मुझे बताते रहते हो...जिसका अभी कुछ दिन पहले मैटर हुआ था किसी के साथ वही ना।

अमन-अअ…

यश अमन की बात काटते हुए - हेलयो सृष्टि! हाँ मै वही यश हूँ जिसका मैटर नहीं पंगा हुआ था और किसी के साथ नहीं अपने क्लासमेटस् के साथ…….वैसे जान कर ख़ुशी हुयी की आपने मुझे ऐसे याद कर रखा है...मुझे...

अमन-यश को वहीं रोकते हुए-बस करजा अब तू मै समझता हूँ तुझे बाद मे...और तुम सृष्टि तुमसे मै बाद मे बात करता हूँ...ओके बाय।

सृष्टि-अच्छा सुनो तो बा….अमन कॉल कट कर देता है।

अमन-सुन यश देख…..
यश-रुक जा अब तू पहले मै…
अरे! पर सुन तो भाई अमन यश के कंधे पर हाथ रखते हुए….

नहीं अब तू ही सुन पहले...अरे वेटर भैया ज़रा दो ऑरेंज ड्रिंक्स देना आज मेरे भाई के बाबू बनने की ख़ुशी मे हाहाहा….अमन भी ये सुन कर मुस्कुरा उठता है..लेकिन शयद उसे ये पता नहीं होता की उसकी ये हंसी ज़्यादा देर तक नहीं रहेगी।

भैया ऑरेंज तो नहीं है...ना ही और कुछ सिर्फ कोला ही बची है...आप कहें तो सर्व करूँ….

क्या यार! लगता है सृष्टि की बद्दुआ लगी होगी…..यश ऐसे तो मत बोल….तूने उसका कॉल कट कर दिया ना बीच मे इसलिए यार( यश बातें घुमाते हुए)...तभी ये ऑरेंज भी कोला हो गया पर कोई नही…

भाई दे दे कोला... आज कोला भी चलेगा…इसी के साथ यश ज़रा नाराज़गी जताते हुए बोला...वैसे भी टेस्ट ख़राब हो चुका है अब तो ज़हर भी चलेगा…

वैसे अमन अगर आज फेयरवेल ना होता और तू ये फ़ोन ना लाया होता तो मुझे तो पता ही नहीं चलता...तेरे और सृष्टि के बारे मे…

अरे यश वो मै तुझे बताने ही वाला था…दोनों आपस मे इतनी सी बातें कर ही पाए थे की….. ये लीजिये भैया आपकी कोला

यश और अमन दोनों ही वेटर को देखते रह गए…..
भैया हमारे लिए ही निकाल के रखी थी क्या वो भी ट्रे और स्ट्रॉ के साथ... यश ने पूछा…'नहीं! नहीं भैया वो मै किसी और को देने जाने रहा था लेकिन वो चले गए तो ये आपके लिए ले आया।

हाँ ठीक है भाई तो इसमे इतना घबराने वाली बात क्या है….अमन वेटर से बोला….पसीना दे गए तुम तो….

हाँ यार! लगता है हमसे ज़्यादा इसे कोला की ज़रुरत है...यश ने ये कहते हुए अपना ग्लास उठाकर जैसे ही वेटर की तरफ बढ़ाया

'नहीं नहीं सर मै ठीक हूँ आप एन्जॉय करो' वेटर बड़ी घबराहट के साथ बोला और एक कदम पीछे हट गया…

अरे भाई पी लो ज़हर थोड़ी ही ना है, अभी तो कोला ही है इसमे...और वैसे भी स्कूल का हेडबॉय हर किसी को ड्रिंक ऑफर नहीं करता।

'नहीं नहीं आई ऍम फाइन सर….मुझे वहां सर्व करना है', आप एन्जॉय करो इतना कहकर वेटर बड़ी फुर्ती मे वहां से चला गया।

ये भी ठीक है चलो...हाँ तो अमन भाई, ये कोला सृष्टि के नाम और यश ने अपना ग्लास उठाकर अमन की तरफ़ बढ़या फिर अमन ने भी अजीब से शक्ल बनाते हुए अपना ग्लास हाथ मे उठाकर आपस मे ग्लास टकराया और दोनों ने एक ही सांस मे अपने अपने ग्लास खाली कर दिए…..

ग्लास खाली होते ही यश ने ग्लास मे एक झलक देखा और बुरा सा मुँह बनाते हुए बोला ' फीस तो पूरी ले लेते हैँ ये….और एक पार्टी भी ढंग से अरेंज नहीं करते..पता नहीं क्या पिला दिया गंदा सा..'इतना कहते ही उसने ग्लास ज़ोर से काउंटर पर रख दिया।

मतलब? अमन ने अपना ग्लास नीचे रख कर यश से पूछा।

मतलब ये की कितनी अजीब सी थी ये…...

-नहीं मेरी तो नहीं थी….जैसी होती है वैसी ही तो थी…...हो सकता है की शायद तूने काफी टाइम बाद कोला टेस्ट की है….

हाँ हो सकता है और वैसे भी तुझे क्यूँ लगेगी अजीब अब तेरे पास तो पूरी सृष्टि है ना...हाहाहा..इसी बात पर एक और कोला हो जाए लेकिन उससे पहले मुझे पी करने जाना है...यश इतना कहकर जाने ही लगता है की….

रुक! मै भी चलता हूँ तेरे साथ…..वहीं बताता हूँ तुझे पूरी बात यहाँ वैसे भी इतना शोर हो रहा है और अमन भी यश के साथ वाशरूम के लिए निकल जाता है।