(14)
पंकज जिस कमरे में घुसा था उसमें मीरा कैद थी। उसे देखते ही मीरा गुस्से से उबलने लगी। लेकिन वह कुछ कर नहीं सकती थी। वह फर्श पर बैठी हुई थी। उसके हाथ पैर बंधे हुए थे। मुंह पर भी पट्टी बंधी हुई थी। वह बस अपनी विवशता में छटपटा रही थी।
पंकज अंदर गया। एक कुर्सी लेकर मीरा के सामने बैठ गया। उसने मीरा के चेहरे पर हाथ फेरा। मीरा ने गुस्से से अपना सर झटका और कुछ पीछे खिसक गई। उसकी इस दशा पर पंकज हंसने लगा। वह उठकर खड़ा हो गया। कमरे में इधर से उधर टहलने लगा। उसके बाद आकर फिर कुर्सी पर बैठ गया। इस बार मीरा के बाल पकड़ कर बोला,
"अंजन जिसे भी अपना समझता है उस पर मैं अपना अधिकार कर लूँगा। शुरुआत तुम्हें उससे छीनकर कर दी है। कुछ दिनों में तुम्हें अपना भी बना लूँगा।"
उसकी बात सुनकर मीरा ने उसकी तरफ गुस्से से देखा। पंकज एक बार फिर उसकी विवशता को देखकर हंसा। वह उठा और कमरे से बाहर आ गया। पहले की तरह दरवाज़ा बंद करके कुंडी लगा दी।
नीचे आंगन में आकर उस आदमी से बोला,
"इसे यहाँ से हटाने का इंतज़ाम जल्दी करो। अंजन हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होकर अपने घर आ गया है। मैं उससे मिला था। मुझे लगता है कि उसे मुझ पर कुछ शक है।"
उसके साथी ने कहा,
"इंतज़ाम हो गया है। आज रात को ही पूना के लिए रवाना कर दूँगा। आप फिक्र ना करें।"
"मैं तब तक यहीं ठहरूँगा। खाने की व्यवस्था करो।"
"ठीक है भाई...."
यह कहकर वह कमरे के दरवाज़े पर ताला लगाने चला गया।
खाना खाकर पंकज उसी मकान के एक कमरे में आराम करने लगा। यह मकान पंकज का ही था। अंजन इस मकान के बारे में जानता था। इसलिए पंकज मीरा को पूना के एक मकान में भिजवा रहा था। वह मकान उसने कुछ ही दिनों पहले खरीदा था। इसकी जानकारी अंजन को नहीं थी।
पंकज लेटे हुए हमले वाले दिन को याद करने लगा। उस दिन अंजन ने दिन में अपने रिज़ार्ट की ज़मीन का भूमिपूजन किया था। बहुत से लोगों को बुलाया था। मीरा को खासतौर पर लंदन से बुलवाया था। उन लोगों को भी बुलवाया था जो बस कुछ दिनों पहले ही अंजन से जुड़े थे। लेकिन जिसके साथ वह फुटपाथ से उठकर महल तक पहुँचा था उसे नज़रअंदाज़ कर दिया था।
अंजन के लिए पंकज की गिनती अब उसके लिए काम करने वाले आदमियों में होती थी। उस दिन पंकज को बहुत बुरा लगा था। रिज़ार्ट की ज़मीन हासिल करने में उसकी भी मेहनत थी। उस दिन भूमिपूजन के समय वह नौकरों की तरह आने वाले मेहमानों की आवभगत कर रहा था।
शाम को अंजन ने उसे आदेश दिया कि वह मीरा को शिमरिंग स्टार्स ले जाना चाहता है। केयर टेकर से कहकर वहाँ कुछ इंतजाम करा दे। मीरा शराब नहीं पीती है। इसलिए उसके लिए नॉन अल्कोहॉलिक शैंपेन की व्यवस्था करवा दे।
पंकज सारी व्यवस्था करते हुए अंदर ही अंदर सुलग रहा था। वह जानता था कि मीरा को लेकर अंजन गंभीर है। वह उसे प्यार करता है। मीरा के उसके जीवन में आने के बाद से वह बहुत खुश रहने लगा था। पंकज के मन में कई बार आया था कि वह मीरा को उससे अलग कर दे।
उस दिन अंजन ने मीरा से कहा था कि वह वहीं से उसे एयरपोर्ट छोड़ देगा। इसलिए मीरा ने अपना बैग अंजन की गाड़ी में रखवा दिया था। अंजन का प्लान था कि वह और मीरा बीच हाउस में देर रात तक बातें करेंगे। फ्लाइट का समय होने से पहले वह उसे एयरपोर्ट ले जाकर फ्लाइट में बैठा देगा।
पंकज ने वो सारे इंतज़ाम तो किए ही थे जो अंजन ने कहे थे पर उसने अपनी तरफ से भी कुछ इंतज़ाम किया था। वह बहुत दिनों से ऐसे मौके की तलाश में था जब अंजन को नुक्सान पहुँचाया जा सके। इसलिए वह तरुण से भी मिला था। लेकिन उस दिन अचानक एक अच्छा मौका उसे मिल गया।
अंजन मीरा को लेकर अपने बीच हाउस जा रहा था। इस बात की जानकारी किसी को नहीं थी सिवाय पंकज के। उसने अपना दिमाग दौड़ाना शुरू किया। अपने दो खास आदमियों के साथ वह यह सोचकर बीच हाउस गया था कि अंजन तो मीरा के साथ मस्त रहेगा। वह लापरवाह होगा। बीच हाउस पर उसके दोनों साथियों के अलावा केयर टेकर और मुकेश होंगे।
उसने सोचा था कि बारह बजे के आसपास जब अंजन और मीरा निश्चिंत होकर आराम कर रहे होंगे तो वह केयर टेकर और मुकेश को ठिकाने लगा देगा। उसके बाद अपने दोनों साथियों के साथ अंजन को खत्म कर देगा।
मीरा को खत्म करने का उसका इरादा नहीं था। वह अंजन की बाकी चीज़ों की तरह मीरा पर भी अपना हक जमाना चाहता था।
इस योजना के अन्तर्गत वह अपने दोनों साथियों के साथ बाहर बैठा शराब पी रहा था। तीनों इस बात का इंतज़ार कर रहे थे कि कुछ देर में जब अंजन और मीरा आराम करने लगेंगे तो अपनी कार्यवाही शुरू करेंगे।
लेकिन अभी दस बजकर बीस मिनट हुए थे कि किसी ने अचानक बीच हाउस पर हमला कर दिया। उसके दोनों साथी तो मारे गए पर पंकज भागकर बीच हाउस के पिछले हिस्से में चला गया। वह किसी भी कीमत पर मीरा को पाना चाहता था। उसने सोचा कि अंदर जाकर वह अंजन को मारकर मीरा को पिछले हिस्से से निकाल कर ले जाएगा।
पिछले हिस्से में अंदर जाने के लिए एक दरवाज़ा था। वहाँ पहुँच कर उसने गोली चलाकर उसका लॉक तोड़ दिया। दरवाज़ा तोड़कर जब वह अंदर आया तो केयर टेकर एक कोने में दुबका हुआ था। जाते हुए उसने केयर टेकर को गोली मार दी। वह अंजन के पास गया। अंजन ने उसे मीरा को सुरक्षित ले जाने को कहा।
पंकज को लगा कि इस हालत में अंजन का मरना तो तय है। वह मीरा को उसे सौंप रहा है। इसलिए अंजन को छोड़कर वह मीरा का हाथ पकड़कर पिछले हिस्से की तरफ भागा।
दोनों कारें बीच हाउस के पिछले हिस्से में खड़ी थीं। मीरा को अपनी कार में बैठा दिया। उसने अंजन की कार में झांककर देखा पर मुकेश नहीं था। जल्दबाजी में उसने मुकेश पर अधिक ध्यान नहीं दिया। मीरा को लेकर निकल गया।
वह निश्चिंत था कि अंजन अब बचेगा नहीं। मीरा को लेकर वह कोलाड आ गया। उसे इसी मकान में छिपा दिया। किसी को शक ना हो इसलिए फौरन वापस मुंबई लौट गया। मुंबई पहुँच कर वह यह देखने के लिए अंजन के बंगले पर गया कि कहीं बचकर वह वहाँ तो नहीं पहुँच गया। अंजन बंगले पर नहीं था। लेकिन डॉक्टर मेहरा ने फोन कर उसे बताया कि मुकेश सही समय पर अंजन को हॉस्पिटल ले आया था। अंजन का ऑपरेशन सफल हो गया है।
उस वक्त पंकज को लगा कि मुकेश को भी खोजकर मार देना चाहिए था।
अचानक किसी ने मकान के दरवाज़े पर दस्तक दी। पंकज फौरन उठकर अपने कमरे से बाहर आ गया। उसका साथी भी आंगन में था। पंकज ने उससे पूँछा,
"कौन हो सकता है ?"
"भाई पता नहीं। यहाँ तो कोई आता नहीं है।"
उसके साथी ने अचरज से कहा। एक और बार दरवाज़े पर दस्तक हुई। पंकज और उसका साथी समझ नहीं पा रहे थे कि क्या करें। पंकज के साथी ने उसकी तरफ देखा। पंकज ने अपनी गन निकाल ली। उसने कहा,
"मैं तैयार हूँ। तुम जाकर देखो। जो भी हो उसे टालने की कोशिश करो।"
उसका साथी सहमता हुआ दरवाज़े तक गया। उसने एक बार पंकज की तरफ देखा। पंकज ने इशारे से उसे आश्वस्त कर दिया। उसने दरवाज़ा थोड़ा सा खोलकर बाहर झांका। उसे कोई नहीं दिखा। उसने दरवाज़ा खोला और बाहर गली में झांकने लगा। किसी ने फुर्ती से उसकी कनपटी पर गन रख दी। एक दूसरा आदमी दरवाज़े से अंदर दाखिल हुआ।
पंकज ने गोली चलाई पर उसने फुर्ती से खुद को अलग कर लिया। गोली उसे नहीं लगी। उसने एक गोली चलाई जो पंकज के हाथ में लगी। उसकी गन छूटकर गिर गई। उस आदमी ने दौड़कर पंकज की गर्दन दबोच ली।
बाहर खड़े आदमी ने पंकज के साथी को मार दिया। फिर वह अंदर आया। उसे देखते ही पंकज पहचान गया। वह अंजन का आदमी था। उस आदमी ने कहा,
"मीरा कहाँ है ?"
पंकज कुछ नहीं बोला। जिसने उसकी गर्दन दबोच रखी थी वह बोला,
"नहीं बताओगे तो मीरा को तो हम ढूंढ़ ही लेंगे पर तुम जान से हाथ धो बैठोगे।"
पंकज ने अपने हाथ से सीढ़ी की तरफ इशारा किया। दूसरा आदमी भागकर ऊपर चला गया। उसने देखा कि ऊपर कमरे के दरवाज़े पर ताला लगा है। उसने गोली से ताला तोड़ दिया। दरवाज़ा खोलकर अंदर चला गया।
गोली की आवाज़ सुनकर मीरा डर से कांप रही थी। उस आदमी ने आगे बढ़कर उसका मुंह खोल दिया। मीरा चिल्लाई,
"कौन हो तुम ? क्या चाहते हो ?"
"घबराइए नहीं... मैं अंजन सर का आदमी हूँ। आपको छुड़ाने आया हूँ।"
उस आदमी ने मीरा के बंधन खोले और उसे लेकर नीचे आ गया। नीचे पंकज को देखते ही वह चिल्ला उठी,
"धोखेबाज़, मक्कार उस दिन मैं तुम्हारे साथ यह सोचकर चली आई थी कि तुम मेरी हिफाज़त के लिए यहाँ ला रहे हो। पर तुमने मुझे यहाँ लाकर कैद कर दिया। अब तुम्हारी खैर नहीं है।"
मकान के बाहर एक वैन खड़ी थी। मीरा और पंकज को उसमें बैठाकर दोनों लोग वहाँ से चल दिए।
पंकज समझ गया था कि अब उसके बचने की कोई उम्मीद नहीं है। अंजन कभी भी उसे उसकी गुस्ताखी के लिए माफ नहीं करेगा। उसके सपने बस कुछ ही देर में खत्म हो जाएंगे।
मीरा अंजन के उस रूप को याद कर रही थी जिसे उसने पहली बार बीच हाउस पर देखा था। उस दिन वह समझ गई थी कि कंस्ट्रक्शन बिज़नेस महज़ एक पर्दा है। अंजन की असलियत कुछ और ही है। वह अंजन से नाराज़ थी कि उसने अपना सच छिपाया था।
एक बात उस दिन से ही उसके मन में थी। जो उस दिन से लगातार अंजन को लेकर उठ रही थी।
हमले में अंजन का क्या हुआ ?
लेकिन अब उसे विश्वास हो गया था कि अंजन ठीक है। उसने अपने आदमियों को उसे छुड़ाने के लिए भेजा है।