(13)
विनोद के सारे खबरी कुछ भी पता लगाने में नाकाम रहे थे। नफीस ने उससे कहा था कि वह दिल्ली से वापस आ जाए। कल रात ही वह दिल्ली से लौटकर आया था।
इस समय वह नफीस के ऑफिस में बैठा था। उसने नफीस को अपने दिल्ली के अनुभव के बारे में बताते हुए कहा,
"सर मुकेश का कुछ भी पता नहीं चला। मेरे सबसे अच्छे खबरी भी कुछ पता नहीं लगा पाए। ना जाने मुकेश दिल्ली में कहाँ खो गया ?"
नफीस भी इसी प्रश्न पर विचार कर रहा था। उसके मन में एक बात आ रही थी। उसने विनोद से कहा,
"विनोद....अब मुझे लग रहा है कि शायद मुकेश दिल्ली गया ही नहीं।"
उसकी बात सुनकर विनोद ने कहा,
"आपका मतलब है कि उसके दिल्ली की ट्रेन में चढ़ने की बात गलत थी।"
"नहीं... मुझे लगता है कि वह अपने परिवार के साथ मुंबई से दिल्ली के रास्ते में ही कहीं उतर गया।"
विनोद को उसकी बात में दम तो लगा पर उसके मन में एक सवाल था। उसने पूँछा,
"एक बात समझ नहीं आ रही है सर कि अगर वह दिल्ली आने वाली ट्रेन में चढ़ा था तो बीच रास्ते में क्यों उतर गया ?"
नफीस ने सोचकर कहा,
"मुझे लगता है कि उसे इस बात का पता चल गया था कि दिल्ली की ट्रेन में चढ़ते हुए उसे देख लिया गया है। ऐसे में उसे पूरी उम्मीद थी कि दिल्ली में उसे खतरा हो सकता है। इसलिए बीच में ही उतर गया।"
"हाँ सर यह हो सकता है।"
नफीस ने एक और संभावना जताई,
"ऐसा भी हो सकता है कि पहले भागने की जल्दी में दिल्ली की ट्रेन में चढ़ गया हो। पर जब ट्रेन में इत्मीनान से सोचा हो तो दिल्ली जाना ठीक ना लगा हो। इसलिए रास्ते में किसी स्टेशन पर उतर कर कहीं और चला गया हो।"
विनोद नफीस की बात पर विचार करने लगा। उसे दोनों ही बातें सही समझ आ रही थीं। उसने कहा,
"सर मुकेश किसी बड़ी मुश्किल में है। तभी अचानक अपने परिवार को लेकर भागा है।"
"इसमें तो किसी तरह के शक की बात ही नहीं है विनोद। लेकिन मैं सोच रहा हूँ कि अचानक उस पर इतना बड़ा खतरा कैसे आ गया। वह अंजन को हॉस्पिटल ले गया था। तब तक किसी ने उसे कुछ नहीं कहा। तो फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि उसे अपनी और अपने परिवार की जान बचाने के लिए भागना पड़ा। अंजन के ऊपर हुआ हमला बहुत उलझा हुआ है। ना जाने क्यों अब मुझे पंकज पर शक हो रहा है।"
"सर किस बात का शक हो रहा है आपको ?"
नफीस कुछ देर बड़ी गंभीरता से सोचता रहा। विनोद उत्सुक था कि वह क्या कहना चाहता है। नफीस ने कहा,
"यही कि हमला करवाने में पंकज का हाथ ही है ? सोचो उस दिन हमलावरों को कैसे पता चला होगा कि अंजन मीरा को लेकर अपने बीच हाउस गया है। हम अंदाजा लगा रहे थे कि अंजन के कहने पर पंकज मीरा को लेकर वहाँ से भाग गया। पर ऐसा भी हो सकता है कि मीरा को हमलावर ले गया हो। पंकज पहले ही वहाँ से भाग गया हो।"
"हाँ....सर या फिर जैसा हमने सोचा था मीरा पंकज के पास हो। किसी खास मकसद से उसने मीरा को अपने कब्जे में रखा हो।"
"हो सकता है विनोद। मुझे तो लगता है कि दिल्ली तक की दौड़ बेकार ही की। हमें पंकज पर नज़र रखनी चाहिए थी।"
नफीस एक बार फिर रुका। कुछ देर मन में सोचने के बाद बोला,
"जो हुआ उसे भूलकर अब ऐसा करो कि पंकज के बारे में पता करो। दूसरी बात उस वार्ड ब्वॉय के ज़रिए पता करो कि अब अंजन का क्या हाल है ?"
"ठीक है सर। आपको पता चला कि तरुण कौन है ?"
नफीस ने तरुण के बारे में जो पता किया था सब विनोद को बता दिया। उसने आगे कहा,
"अगर पंकज के बारे में पता चलेगा तो उसके और तरुण के संबंध के बारे में भी पता चल जाएगा। तुम अब पंकज के बारे में पता करो। यह भी पता करो कि अंजन क्या अभी भी हॉस्पिटल में है।"
विनोद यह कहकर चला गया कि जल्दी ही सब पता करके मिलता है।
नर्स ने अंजन की ड्रेसिंग करने के बाद उसे दवा खिलाते हुए कहा,
"सर आपका घाव अब बहुत हद तक भर गया है। दो चार दिन में पूरी तरह से ठीक हो जाएगा। डॉक्टर भी कह रहे थे कि आपकी सारी रिपोर्ट्स नॉर्मल हैं।"
दवा खिलाकर नर्स चली गई। अंजन भी अब अच्छा महसूस कर रहा था। इसलिए वह जल्दी ही पहले जैसे अपने काम पर जाने को बेताब था। उस पर किसने हमला किया था यह जानने के लिए वह छटपटा रहा था।
इससे भी ऊपर एक सवाल उसके मन को अशांत किए हुए था।
'मीरा को कौन ले गया ?'
मीरा को लेकर उसका मन व्याकुल था। मानवी को उसने सिर्फ सीढ़ी की तरह इस्तेमाल किया था। लेकिन मीरा से उसने सच्चा प्यार किया था।
अंजन ने अफेयर्स तो कई किए थे लेकिन किसी के साथ भी वह रिश्ते को आगे बढ़ाने में दिलचस्पी नहीं रखता था। अपने मन बहलाव तक ही उसका हर अफेयर सीमित था। जैसे ही उसका मन भर जाता वह आगे बढ़ जाता था। पिछले कई सालों से यही चल रहा था। पर अब अंजन को महसूस होने लगा था कि उसे रिश्ते में एक ठहराव चाहिए।
मीरा की तरफ भी वह महज़ उसकी खूबसूरती देखकर आकर्षित हुआ था। धीरे धीरे जब उसने मीरा को जानना शुरू किया तो पाया कि जिस ठहराव के बारे में वह सोच रहा था वह मीरा में ही मिल सकता है। मीरा के साथ अपने रिश्ते को लेकर वह गंभीर हो गया। उसने मीरा से अपने दिल की बात भी कह दी। वह राज़ी भी हो गई थी।
वह अपने रिश्ते को पक्का करने के लिए उसे अंगूठी पहना रहा था उसी समय गोली चली और फिर सब गड़बड़ हो गया।
पंकज अपनी कार में नेशनल हाईवे 17 पर था। वह मुंबई से कोलाड की तरफ जा रहा था। अब उसे अंजन से डर लगने लगा था। अगर उसे उसकी साजिश का पता चल गया तो दिक्कत हो जाएगी। अंजन की हर एक चीज़ पर कब्ज़ा कर लेने की उसकी चाहत धूल में मिल जाएगी। वह बर्बाद हो जाएगा।
अंजन को लेकर उसके मन में गुस्से का एक ज्वालामुखी दहक रहा था। जिस तरह से अंजन उसे पीछे छोड़कर आगे बढ़ गया था उसके कारण वह मन ही मन उससे जलने लगा था। उसे लगता था कि वही था जिसके कारण ढाबे पर काम करने वाला अंजन आज मुंबई का सफेदपोश बिज़नेस मैन बनकर बैठा था। सब उसकी इज्ज़त करते थे। यह बात उसकी बर्दाश्त की सीमा से बाहर होती जा रही थी।
उसने तय कर लिया था कि अब और नहीं सहेगा। जो कुछ अंजन ने पाया है उसमें उसकी भी मेहनत है। उसे भी उसका हिस्सा मिलना चाहिए था। लेकिन अगर अंजन ने उसे उसका हक नहीं दिया तो अब वह उससे उसका हक भी छीन लेगा। उसकी हर एक चीज़ पर कब्ज़ा कर लेगा।
वह बिना यह जाने आगे बढ़ रहा था कि कोई मुंबई से ही उसके पीछे लगा है।
अंजन के हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने की खबर नफीस को मिल गई थी। अंजन पर हुए हमले की खबर मीडिया तक नहीं पहुँची थी। यह भी अपने आप में एक आश्चर्यजनक बात थी। नफीस सोच रहा था कि आखिर ऐसा हुआ कैसे और क्यों ?
हमला अचानक हुआ था। अंजन ज़िंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहा था। फिर कौन था जिसने इस खबर को बाहर जाने से रोका ?
आज मीडिया में सनसनीखेज न्यूज़ ब्रेक करने की होड़ है। फिर ऐसा कैसे संभव हुआ कि यह खबर किसी मीडिया हाउस के पास नहीं पहुँच पाई। जबकी ऐसी खबरों के लिए कई रिपोर्टर अपने आँख कान हमेशा खोलकर रखते हैं। उसे खुग इस हमले की खबर मिल गई थी। लेकिन उसका इरादा इस खबर को ब्रेक करने का नहीं था।
इसका एक ही कारण हो सकता था कि मीडिया को यह खबर ब्रेक करने से रोका गया। ऐसा करने वाला कौन था और उसने ऐसा क्यों किया ?
ऐसा करने वाले की पहुँच अच्छी खासी हो सकती थी। पंकज इस स्थिति में हो ऐसा संभव नहीं था।
अंजन के चरित्र ने अब तक नफीस को बहुत आश्चर्यचकित किया था। एक मामूली से गुंडे से मुंबई की मानी हुई हस्तियों में से एक होने का सफर किसी फिल्मी कहानी सा दिलचस्प था।
पर उस पर हुए इस हमले ने तो उसे उलझा कर रख दिया था। उसे लग रहा था कि अंजन की कहानी के कुछ और दिलचस्प पन्ने हैं जो उसकी नज़र में नहीं आए थे।
उन पन्नों को पलटने की उसकी इच्छा तीव्र हो उठी।
पंकज की कार एक मकान के सामने जाकर रुकी। कार से उतर कर उसने इधर उधर देखा। गली में कोई दिखाई नहीं पड़ा। उसने मकान का दरवाज़ा खटखटाया। दरवाज़ा खुला और पंकज अंदर चला गया। उसके अंदर जाते ही दरवाज़ा बंद हो गया।
पंकज आंगन में खड़ा किसी से कुछ बात कर रहा था। कुछ देर बात करने के बाद वह आदमी आंगन में बनी सीढ़ियों से उसे ऊपर ले गया। एक कमरे के दरवाज़े पर ताला लगा था। उस आदमी ने ताला खोल दिया। उसके बाद ताला चाभी लेकर सीढ़ियों से नीचे उतर गया।
पंकज ने दरवाज़े की कुंडी खोली और दरवाज़ा खोलकर अंदर चला गया।
पंकज का पीछा करने वाले ने अपनी कार एक गली पहले ही छोड़ दी थी। उसके बाद ढूंढ़ते हुए उस गली में आ गया था जहाँ पंकज की कार खड़ी थी। उसने एक बार उस मकान को ध्यान से देखा उसके बाद अपना फोन निकाल कर अंजन को फोन किया।
विनोद गली के मोड़ पर खड़ा उस पीछा करने वाले को देख रहा था। पंकज के पीछे उस आदमी के अलावा विनोद भी आया था। विनोद ने नफीस को फोन करके बताया कि पंकज का पीछा कोई और भी कर रहा है। उसने संभावना जताई कि शायद वह यह काम अंजन के लिए कर रहा है।