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तरुण काला फिश एक्सपोर्ट के बिज़नेस में इस समय एक माना हुआ नाम बन गया था। बिज़नेस तरुण काला के नाम पर था लेकिन उसमें पैसा अंजन ने लगाया था।
रघुनाथ परिकर की तरह अंजन भी उन लोगों पर नज़र रखता था जो उसके काम आ सकते थे। जब उसने तरुण के बारे में सुना तो उसे अपने लिए इस्तेमाल करने की योजना बनाई।
एक पार्टी में तरुण की किसी से बहस हो गई थी। बहस इतनी बढ़ गई कि गुस्से में तरुण ने एक ज़ोरदार मुक्का उसकी नाक पर मार दिया। वह लड़का गंभीर रूप से घायल हो गया। पुलिस केस बन गया। उस पर गैर इरादतन हत्या के प्रयास का मामला दर्ज़ किया गया। तीन सालों की सजा हो गई।
तरुण जेल से तो जल्दी छूट गया पर उसका शूटिंग का करियर रुक गया। जब वह हादसा हुआ था उसका चयन राष्ट्रीय टीम के लिए होने की पूरी संभावना थी। लेकिन उसके जेल चले जाने से यह मौका उससे छिन गया। केस के दौरान उसके वकील ने कई बार दलील दी थी कि झगड़ा बढ़ाने में तरुण से अधिक उस दूसरे लड़के का हाथ था। वही तरुण को उकसा रहा था। पर तरुण ने जिस पर वार किया था वह एक अमीर और रसूखदार घर का लड़का था। तरुण के वकील की बात नहीं सुनी गई। तरुण को सजा हो गई।
जेल से बाहर आने के बाद उसका सबकुछ बदल चुका था। रिश्तेदार और दोस्तों ने मुंह फेर लिया था। जो कुछ उसके साथ हुआ उससे उसे समझ आ गया था कि पैसों की क्या अहमियत है। उस समय वह बहुत हताश था।
अंजन ने शुरू से ही उसके केस को फॉलो किया था। उसके जेल से छूटने के बाद उस पर निगरानी रखनी शुरू कर दी। तरुण की हताशा का फायदा उठाकर उसे एक मोहरे की तरह इस्तेमाल किया। उसने उसे मिलने के लिए बुलाया। पैसों के लिए तरुण उसके हाथ की कठपुतली बन गया।
हाईवे पर रघुनाथ परिकर की कार को रोककर पहले दोनों भाइयों और ड्राइवर को गोली मारी। उसके बाद खड़ी हुई कार को ट्रक से कुचल दिया।
अंजन चाहता था कि रघुनाथ परिकर और उसके भाई का बचना नामुमकिन हो जाए। इसलिए गोलियों से मरवाने के बाद हादसे का रूप देने के लिए ट्रक से कुचलवा दिया। अंजन ने अपनी पैठ दूर तक बना रखी थी। इसलिए पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट उसके अनुकूल आई। सबकुछ जल्दी जल्दी हुआ और दोनों भाइयों और ड्राइवर का दाह संस्कार भी कर दिया गया।
तरुण ने बड़ी सफाई से अंजन का काम किया था। उसकी काबिलियत समझकर अंजन ने उसका दूसरा उपयोग भी सोच लिया।
अंजन ने उसके नाम पर फिश एक्सपोर्ट बिज़नेस में पैसा लगाया। फिश एक्सपोर्ट बिज़नेस के पीछे मानव तस्करी का कारोबार चल रहा था। मछलियों के साथ इंसानों को खाड़ी देशों में पहुँचाया जाता था।
तरुण को अंजन ने एक और महत्वपूर्ण कार्य सौंपा। मानवी को रास्ते से हटाने का।
अपने दोनों भाइयों की मौत के सदमे से मानवी एकदम चुप हो गई थी। कहीं आना जाना छोड़कर उसने अपने आप को घर में कैद कर लिया था। पहले अंजन से अक्सर झगड़ा करती थी। लेकिन अब अंजन को पता भी नहीं चलता था कि वह उसके साथ उसी घर में रहती है। अंजन इस स्थिति से बहुत खुश था।
पैसा आ गया था। उसके साथ साथ एक क्लास भी आ गया था। अब वह मंहगे डिज़ाइनर कपड़े पहनता था। बड़ी बड़ी पार्टियों में जाता था। जहाँ कई लड़कियां उसका साथ पाने के लिए उसके आगे पीछे तितली की तरह मंडराती थीं। अंजन का कई लड़कियों के साथ अफेयर था। पर किसी के साथ भी रिश्ते को लेकर वह गंभीर नहीं था।
मानवी तो अब उसके लिए घर में पड़े सामान से अधिक हैसियत नहीं रखती थी।
मानवी का स्कूल के समय का एक दोस्त था निर्भय वाधवा। अपना कॉलेज पूरा करने के बाद उसने अपने फैमिली बिज़नेस की एक ब्रांच सिंगापुर में खोली थी। लेकिन वहाँ खास सफलता नहीं मिल पाई थी। इसलिए वह सब समेट कर वापस भारत आ गया था। भारत में मुंबई में उसने एक नई शुरुआत की।
निर्भय का स्कूल के समय मानवी पर क्रश था। पर जल्दी ही समझ गया कि उसकी दाल नहीं गलने वाली है। वह पीछे हट गया। बहुत समय तक वह मानवी के संपर्क में रहा। फिर उसके साथ टच छूट गया।
भारत आने के बाद उसने मानवी की खोज खबर ली। उसके बारे में पता करके उससे मिला। निर्भय के मन में अभी भी मानवी के लिए भावना थी। मानवी को उस हाल में देखकर उसे दुख हुआ। उसने उसे दुख से बाहर निकालने की कोशिश शुरू कर दी।
अंजन से मिले धोखे, अपने भाइयों के अचानक चले जाने से मानवी एक तरह के अवसाद में चली गई थी। वह प्यार और अपनेपन के लिए तरस रही थी। निर्भय की दोस्ती में उसे वह सब मिला। धीरे धीरे वह खुलने लगी। उसके साथ घूमने जाती, पार्टी करती थी। वह फिर खुश रहने लगी थी।
अपनी ज़िंदगी में वापस आने के बाद मानवी ने अंजन की हरकतों पर ध्यान देना शुरू किया। उसे गुस्सा आता था कि जो कुछ उसके भाइयों के बाद उसे मिलना था उस पर अंजन ने कब्ज़ा कर लिया है। अब उसकी उपेक्षा करके उसकी दौलत पर ऐश कर रहा है।
मानवी अपना हक पाने के लिए बेचैन हो उठी।
अंजन ने सोचा था कि बिना कोशिश किए ही मानवी नाम का कांटा उसकी राह से हट गया है। मानवी अब सारी ज़िंदगी अपने दुख में घुलती रहेगी और एक दिन इस दुनिया से चली जाएगी। लेकिन मानवी ना सिर्फ अपने दुख से बाहर निकल कर आई बल्की नागिन की तरह फुंफकार कर उससे अपना हक मांग रही थी।
वह रघुनाथ परिकर की वसीयत को आधार बनाकर उससे अपना अधिकार वापस मांग रही थी। वसीयत के अनुसार अगर रघुनाथ परिकर की मृत्यु हो जाती है तो उसकी सारी संपत्ति उसके छोटे भाई यदुनाथ परिकर और बहन मानवी परिकर को बराबरी से मिलेगी। यदुनाथ परिकर की मृत्यु होने पर उसका हिस्सा भी मानवी को ही मिलेगा।
एक क्लॉज़ यह भी था कि यदि मानवी शादी कर लेती है और अगर वह जायदाद की ज़िम्मेदारी अपने पति को देना चाहे तो वह ऐसा कर सकती है।
अंजन को अंतिम बात अपने फायदे की लगी। उसने मानवी की स्थिति का लाभ उठाकर उन कागज़ों पर दस्तखत ले लिए थे जिनके मुताबिक उसने सबकुछ अंजन की देखरेख में छोड़ दिया था।
अब अंजन ने मानवी को भी राह से हटाने का फैसला कर लिया।
मानवी और निर्भय घूमने के लिए लोनावला गए थे। वहाँ उनका कैंपिंग का कार्यक्रम था। उनके पीछे पीछे तरुण भी लोनावला पहुँच गया। तरुण ने सही मौका देखकर दोनों की हत्या कर दी और उनकी लाश इंद्रायणी नदी में बहा दी।
लोगों के पूँछने पर उसने बता दिया कि उन दोनों की पटी नहीं इसलिए वह सबकुछ छोड़कर चली गई।
तरुण के साथ काम करते हुए अंजन समझ गया था कि उसमें इतनी हिम्मत नहीं है कि उसके राज़ का फायदा उठाने की कोशिश करे। उसने अपने तरीके से कई बार तरुण को एहसास दिला दिया था कि उसने अगर कभी भी कोई हिमाकत की तो अंजाम ठीक नहीं होगा।
लेकिन पंकज और तरुण के एकसाथ आने की खबर ने उसे परेशान कर दिया था।
तरुण काला को अब पूरा यकीन हो गया था कि पंकज उसके साथ होने की बात तो कर रहा है, लेकिन वह अपनी एक अलग खिचड़ी पका रहा है। उस दिन बीच हाउस में जो घटा उसके बारे में वह उसे पूरी बात नहीं बता रहा है।
अंजन के खिलाफ साजिश रचने के लिए पंकज खुद तरूण के पास आया था। उसका कहना था कि अंजन ने उसका इस्तेमाल किया है। अब काम निकल जाने पर उसे पीछे ढकेल दिया है। वह इस ज्यादिती का बदला लेना चाहता है।
पंकज यह भी जानता था कि तरुण भी अंजन से नाखुश है। अंजन उसके ज़रिए कबूतरबाज़ी करवा रहा था। सारा खतरा केवल तरुण का था क्योंकी कागज़ों पर कहीं भी अंजन का नाम नहीं था। लेकिन जो भी आमदनी होती थी उसका बहुत छोटा सा हिस्सा ही तरुण को मिल पाता था।
तरुण नाखुश तो था पर अंजन से सीधे टकराने की हिम्मत उसके भीतर नहीं थी। वह अंजन की ताकत को जानता था। इसलिए जब पंकज आकर उससे मिला तो उसे इस बात का हौसला मिला कि दोनों मिलकर अंजन से बदला ले सकते हैं।
पंकज और तरुण आपस में मिल गए। दोनों अभी इस बात पर विचार कर रहे थे कि क्या करें तभी अंजन के बीच हाउस शिमरिंग स्टार्स में किसी ने उस पर हमला कर दिया।
हमले के बाद पंकज और तरुण उस टूटे से मकान में मिले। दोनों को ही आश्चर्य हो रहा था कि उन दोनों के अलावा अंजन का तीसरा दुश्मन कौन हो सकता है।
तरुण को पंकज की उस बात पर यकीन नहीं हुआ था कि जब वह मीरा को लेकर जा रहा था तो किसी ने उस पर हमला कर उसे बेहोश कर दिया। वह मीरा को लेकर कहीं चला गया।
आज पंकज के चेहरे के भाव देखकर उसे पूरा यकीन हो गया था कि कुछ ऐसा है जो पंकज उससे छुपाकर कर रहा है।
तरुण ने शुरू से ही पंकज पर पूरा भरोसा नहीं किया था। इसलिए अंजन के जो राज़ उसके पास थे उसे नहीं बताए थे। वह देखना चाहता था कि पंकज अंजन को रास्ते से हटाने की क्या योजना बनाता है। उसका प्लान था कि पहले पंकज के साथ मिलकर अंजन को कमज़ोर करे। उसके बाद उसके राज़ के ज़रिए ब्लैकमेल करे।
तरुण सोच रहा था कि जिसने भी अंजन पर हमला किया है उसने उसका काम आसान कर दिया है। अंजन हमले में बच तो गया है लेकिन कमज़ोर हो गया है। तरुण अब अपना खेल शुरू कर सकता है।
तरुण के पास अंजन के दो महत्वपूर्ण राज़ थे। उसकी इस कमज़ोर हालत का फायदा उठाकर वह अपने सारे नुकसान को पूरा कर सकता है।
वह योजना बनाने लगा कि किस तरह से अंजन को ब्लैकमेल किया जाए।