(8)
उस दिन आर्ट गैलरी में हुई मुलाकात के बाद अंजन और मीरा के बीच मुलाकातों का सिलसिला शुरू हो गया। अंजन के इंडिया लौटने तक दोनों एक दूसरे के अच्छे दोस्त बन चुके थे।
अंजन का मन मीरा को छोड़कर इंडिया आने का नहीं कर रहा था। लेकिन उसका लौटना ज़रूरी था। अंजन के लौटने से एक रात पहले मीरा ने उसे अपने घर पर डिनर के लिए बुलाया। उस दिन डिनर करते हुए उसने बताया कि उसके एक रिश्तेदार भारत में रहते हैं। दो महीने बाद उनके घर शादी है। वह शादी अटेंड करने भारत आएगी। उसकी बात सुनकर अंजन खुश हो गया। उसने मीरा से कहा कि जब वह भारत आए तो उसे मेहमाननवाज़ी करने का मौका दे। मीरा ने खुशी खुशी उसका न्यौता कबूल कर लिया।
अंजन भारत लौट आया था पर मीरा का खयाल हमेशा उसके ज़ेहन में रहता था। उसका मन किसी काम में नहीं लगता था। हफ्ते में दो बार तो वह मीरा से फोन पर बात कर ही लेता था। दो महीने का इंतज़ार उसके लिए कठिन हो रहा था।
दो महीने बाद मीरा भारत आई। अपने रिश्तेदार के घर शादी के फंक्शन में शामिल होने के बाद वह अपना वादा निभाने के लिए अंजन के घर रहने आई। मीरा करीब एक हफ्ते उसके घर पर रही। उस दौरान अंजन ने उसकी खूब आवभगत की।
मीरा के लंदन लौट कर जाने के बाद अंजन को यकीन हो गया कि वह उसके प्यार में पूरी तरह से डूब चुका है। लेकिन मीरा भी उसे चाहती है या नहीं यह बात वह नहीं समझ पाया था। हालांकि जितने दिन वह अंजन के साथ रही थी उसके साथ खुलकर पेश आती थी। उसकी तारीफ करती थी। पर अंजन असमंजस में था। सही तरह से नहीं कह सकता था कि उसके व्यवहार का खुलापन दोस्ती की निशानी है या प्यार की।
वह मीरा को सच्चे दिल से चाहता था। इसलिए उसके मन में एक डर था कि अगर मीरा उससे प्यार ना करती हो, उसे सिर्फ अपना अच्छा दोस्त मानती हो तो क्या होगा। कैसे वह इस बात को बर्दाश्त कर पाएगा। इसलिए वह सच्चाई जानने से डर भी रहा था।
अंजन उसके बाद जल्दी जल्दी कई बार लंदन गया। हर बार जब वह लौटकर आता तो उसका विश्वास पक्का हो जाता था कि मीरा भी उसे चाहती है।
अंजन ने 600 एकड़ की जमीन हासिल कर ली थी जो वन के लिए संरक्षित थी। उसने उस जमीन पर एक लग्जरी रिज़ार्ट बनाने की योजना बनाई थी। आवश्यक कार्यवाही के बाद उसने रिज़ार्ट का काम शुरू करने से पहले भूमि पूजन का कार्यक्रम रखा था। इस कार्यक्रम के लिए मीरा को खासतौर पर आमंत्रित किया था।
मीरा भी उसके आमंत्रण को स्वीकार कर लंदन से भूमि पूजन में भाग लेने आई थी। मीरा को अगले दिन सुबह जल्दी लंदन के लिए फ्लाइट पकड़नी थी। पर इस बार अंजन सच जाने बिना मीरा को जाने नहीं देना चाहता था।
मीरा अपने कमरे में आराम कर रही थी। अंजन ने उसके कमरे के दरवाज़े पर दस्तक दी। मीरा ने उठकर दरवाज़ा खोल दिया। सामने अंजन को देखकर वह बोली,
"अंजन.... प्लीज़ कम इन।"
अंजन कमरे में जाकर बैठ गया। मीरा उसके पास बैठकर इंतज़ार करने लगी कि वह अपने आने का कारण बताए। लेकिन वह कुछ कहना चाह कर भी कह नहीं पा रहा था। मीरा ने गौर किया कि अंजन अच्छी तरह से ड्रेस अप होकर आया है। जैसे कहीं बाहर जाना हो। उसने कहा,
"क्या बात है अंजन ? कहाँ जाने की तैयारी है ?"
अंजन ने कहा,
"अकेले नहीं.... तुम्हें साथ लेकर जाना चाहता हूँ।"
मीरा को आश्चर्य हुआ। उसने कहा,
"मुझे..?? कहाँ ले जाना है ?"
"तुम्हें पता है मेरा एक बीच हाउस है शिमरिंग स्टार्स। मेरे साथ चलोगी ?"
मीरा ने घड़ी पर नज़र डाली। उसके बाद बोली,
"अंजन तुम जानते हो कि सुबह तड़के मुझे लंदन के लिए फ्लाइट पकड़नी है। आई एम वेरी टायर्ड। बट नेक्स्ट टाइम पक्का चलूँगी।"
उसकी बात सुनकर अंजन के चेहरे पर निराशा का भाव आ गया। वह शायद मीरा से छिप नहीं सका। उसने कहा,
"बहुत मन है तुम्हारा ?"
अंजन ने एक छोटे बच्चे की तरह उदास होकर कहा,
"था तो....पर कोई बात नहीं। तुम आराम करो।"
उसकी बात सुनकर मीरा हंसकर बोली,
"ठीक है चलती हूँ। मुझे कुछ वक्त दो तैयार होने के लिए।"
यह सुनकर अंजन के चेहरे पर मुस्कान आ गई। वह बोला,
"तुम तैयार हो जाओ। मैं बाहर इंतज़ार कर रहा हूँ।"
यह कहकर वह कमरे से बाहर चला गया।
अंजन और मीरा उस कार में थे जिसे मुकेश चला रहा था। उसके मना करने के बावजूद भी पंकज दो और आदमियों के साथ दूसरी कार में था। जिसे वह खुद ड्राइव कर रहा था। अंजन ने केयर टेकर को पहले ही इंतज़ाम करने को कह दिया था।
वह मीरा के साथ बीच हाउस के हॉल में था। पंकज दोनों आदमियों के साथ बाहर था।
मीरा बहुत खूबसूरत लग रही थी। अंजन ने शैंपेन खोलकर दो गिलासों में डाली। उसने एक गिलास मीरा को पकड़ा दिया। चियर्स करने के बाद दोनों शैंपेन पीने लगे। अंजन बार बार मीरा की ओर देख रहा था। मीरा मुस्कुराई और पूँछा,
"क्या बात है ?"
"कुछ नहीं। तुम पिओ।"
शैंपेन पीते हुए मीरा ने महसूस किया कि गिलास की तली में कुछ है। उसने गौर से देखा तो एक अंगूठी थी। मीरा ने प्रश्न भरी नज़र से अंजन को देखकर कहा,
"यह क्या है अंजन ?"
मीरा ने जिस तरह से पूँछा था अंजन सकपका गया।
"तुम जानते हो कि यह मेरे गले में जाकर अटक सकती थी।"
अंजन घबरा गया। माफी मांगते हुए बोला,
"आई एम सॉरी। वो फिल्मों और टीवी पर देखा था।"
"क्या देखा था ?"
"यही कि प्रपोज़ करने के लिए हीरो गिलास में इसी तरह अंगूठी डाल देता है।"
मीरा ने कुछ गुस्से से कहा,
"तो ये सब करने के लिए तुम यहाँ लाए थे।"
अंजन ने अपनी नज़रें झुका लीं। वह कुछ बोलने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था। तभी मीरा की हंसी उसके कान में पड़ी। उसने नज़रें उठाकर देखा। मीरा बोली,
"लाए थे तो कहो ना।"
अंजन का मन खिल उठा। वह बोला,
"मीरा आई लव यू.... तुम्हें अपनी जान से भी अधिक चाहता हूँ।"
अंजन ने देखा कि मीरा भावुक हो गई है। अपनी पलकों में अपने आंसू रोकने की कोशिश कर रही है। फिर भी आंसू उसके गालों तक लुढ़क कर आ गए थे। अंजन ने उसके दोनों गालों को चूम लिया। मीरा ने कहा,
"आई लव यू टू अंजन...."
यह कहकर वह उसके गले से लग गई। दोनों कुछ देर वैसे ही बैठे रहे। कुछ देर बाद मीरा ने कहा,
"अंगूठी क्या सिर्फ शैंपेन में डालने के लिए लाए थे ?"
अंजन ने गिलास से अंगूठी निकाली। इधर उधर निगाह दौड़ाई। कुछ ना मिलने पर अपने सूट पर रगड़ कर पोंछ दिया। उसकी इस हरकत को देखकर मीरा ने कहा,
"ओ माई बेबी...."
अंजन उसके सामने घुटने के बल बैठ गया। उसका हाथ पकड़ कर चूमा। उसे अंगूठी पहनाने जा रहा था तभी एक गोली आकर वाज़ पर लगी। उसे खतरा भांपते देर नहीं लगी। मीरा का हाथ पकड़कर उसे सोफे के पीछे खींचकर ले गया। अपनी गन निकाली और गोली चलाने लगा।
गोली चलाते हुए उसकी नज़र डरी सहमी मीरा पर पड़ी। वह समझ नहीं पा रही थी कि अचानक यह क्या हुआ। उसकी आँखें अंजन के चेहरे पर टिकी थीं। अंजन समझ गया कि वह उसका यह रूप देखकर सकते में है। लेकिन वह समय कोई सफाई देने का नहीं था। ज़रा सी चूक उसकी और मीरा की जान ले सकती थी।
अंजन ने मीरा से कहा कि वह सोफे के पीछे बैठी रहे। इधर उधर होने की कोशिश ना करे। वह चाहता था कि आगे बढ़कर देखे कि हमला करने वाले कौन और कितने हैं। पंकज और उसके साथी क्या कर रहे हैं। मीरा को वहीं छोड़कर वह सोफे के पीछे से निकला। कुछ कदम आगे आया होगा कि घबराया हुआ पंकज अंदर आया। उसने बताया कि उनके दोनों आदमी मारे गए हैं। वह नहीं जानता कि अचानक किसने हमला किया है। वह उसे बचाने के लिए अंदर आया है।
सब सुनकर अंजन सोच में पड़ गया। उसे मीरा की फिक्र थी। वह उसे यहाँ लेकर आया था। अगर उसे कुछ हो जाता तो वह बर्दाश्त नहीं कर पाता। उसने पंकज से कहा,
"तुम मेरी चिंता मत करो। मैं यहाँ संभालता हूँ। तुम मीरा को सुरक्षित यहाँ से निकाल कर ले जाओ।"
पंकज कुछ कहने जा रहा था। अंजन ने उसे रोक कर कहा,
"मेरी बात मानो। मीरा को लेकर निकलो यहाँ से।"
उसकी बात मानकर पंकज मीरा को लेकर निकल गया।
अंजन उसे कवर देने के लिए बाहर निकल रहा था कि कोई उसके सामने आ गया। चेहरे पर नकाब था। उसने उसकी छाती में गोली मार दी।
उसकी आँखों के सामने अंधेरा छाने लगा। होश खोने से पहले उसने किसी की धुंधली सी झलक देखी थी।
हॉस्पिटल के बेड पर लेटे हुए वह याद करने की कोशिश कर रहा था कि वह कौन हो सकता था। उसे ऐसा लग रहा था कि वह जो कोई भी था जाना पहचाना लग रहा था। वह अपने दिमाग पर ज़ोर डाल रहा था कि कुछ याद आ जाए। लेकिन उसकी हर कोशिश नाकाम हो रही थी।
बहुत देर तक कोशिश करने के बाद भी उसे कुछ याद नहीं आया।
उसका मन उस शख्स के बारे में जानने के लिए तड़प उठा। वह वही शख्स हो सकता था जिसने उस पर हमला किया था।
उसके लिए यह भी जानना ज़रूरी था कि मीरा का अपहरण कर कौन उसे अपने साथ ले गया है ?
इन सवालों का जवाब जानने के लिए आवश्यक था कि वह हॉस्पिटल से निकल कर इस काम की बागडोर अपने हाथ में ले ले।
उसने तय कर लिया कि डॉक्टर मेहरा चाहे कुछ भी कहे पर अब वह और अधिक हॉस्पिटल में नहीं रहेगा।