(7)
अंजन के बहुत ज़िद करने पर डॉक्टर मेहरा ने पंकज को खबर कर दी कि अंजन उससे मिलना चाहता है। खबर मिलने के कुछ ही देर बाद पंकज हॉस्पिटल पहुँच गया। डॉक्टर मेहरा ने हिदायत दी कि सावधानी बरतते हुए बात करे। मरीज को अधिक देर परेशान ना करे।
डॉक्टर मेहरा के जाने के बाद अंजन ने पंकज से पहला सवाल किया कि मीरा कैसी है ? उसके इस सवाल पर पंकज ने उस दिन जो घटा वह बता दिया। उसकी बात सुनकर अंजन परेशान हो गया। उसने पंकज से पूँछा,
"कुछ पता चला कि उस दिन बीच हाउस पर किसने हमला करवाया था ?"
पंकज ने जवाब देने की जगह अपनी नज़रें झुका लीं। अंजन समझ गया कि अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है। उसने कहा,
"अस्पताल में मुझे वक्त का भी पता नहीं चलता है। कितने दिन हो गए उस घटना को ?"
"भाई पाँच दिन हो गए।"
अंजन कुछ गुस्से में बोला,
"इतने दिनों में तुम कुछ भी पता नहीं कर पाए। मैं अभी इस लायक नहीं हूँ। पर तुम तो कुछ कर सकते हो।"
पंकज ने सफाई दी,
"भाई आप परेशान ना हों। मैं कोशिश कर रहा हूँ। जल्दी ही पता चल जाएगा।"
"तो पता करो... मुझे जानना है कि वह कौन है जो मीरा को ले गया।"
"भाई बहुत जल्दी ही पता करता हूँ।"
"मुकेश कहाँ है ?"
"उस दिन के बाद उसका भी कोई पता नहीं है।"
अंजन उत्तेजित होकर ऊँची आवाज़ में बोला,
"तो जाओ पता करो। जल्दी ही आकर मुझे सारी खबर दो।"
उसकी आवाज़ सुनकर बाहर खड़ी नर्स अंदर आ गई। उसने कहा,
"डॉक्टर मेहरा ने आपसे ज्यादा स्ट्रेस लेने को मना किया है।"
अंजन ने उसे इशारे से बाहर जाने को कहा। नर्स के जाने के बाद वह बोला,
"चाहें जैसे हो इस बात का पता जल्द से जल्द लगाओ। डॉक्टर मेहरा चाहे जो कहें। तुम आकर मुझसे मिलते रहो। मैं खुद भी यहाँ से जल्दी निकलने की कोशिश करता हूँ।"
पंकज चला गया। उसके जाने के बाद नर्स ने आकर उसे दवाएं दीं और आराम करने को कहकर चली गई।
बेड पर लेटा हुआ अंजन मीरा के बारे में सोच रहा था।
करीब एक साल पहले वह किसी काम से लंदन गया था। वह मौज मस्ती के इरादे से लंदन के मशहूर नाइट क्लब में गया था। अपना मनपसंद ड्रिंक पीते हुए वह डांस फ्लोर पर थिरकते लोगों को देखने लगा। वह खुद को एक अच्छा डांसर नहीं मानता था इसलिए डांस फ्लोर से दूर रहता था। लेकिन उस दिन लोगों के बीच डांस करते हुए एक चेहरे ने उसकी निगाहों को अपनी तरफ खींच लिया। ना जाने क्या सोचकर वह भी डांस फ्लोर पर चला गया और अपने अंदाज़ में थिरकने लगा।
नाचते हुए वह उस लड़की के नज़दीक चला गया जिसके चेहरे ने उसे अपनी तरफ आकर्षित किया था। वह अपने ही तरीके से नाच रहा था। तभी उस लड़की की नज़र उस पर पड़ी। वह उसे देखकर मुस्कुरा दी। उसका मुस्कुराना अंजन को अच्छा लगा।
कुछ देर में वह लड़की डांस फ्लोर छोड़कर एक टेबल पर जाकर बैठ गई। अंजन भी डांस छोड़कर उसके पास चला गया। उससे इजाज़त लेकर उसकी टेबल पर बैठ गया। उस लड़की ने एक बार फिर मुस्कुरा कर कहा,
"अच्छा डांस कर लेते हो।"
अंजन ने कहा,
"मुझे पता है कि मैं बहुत खराब डांसर हूँ। इसलिए डांस फ्लोर से दूर रहता हूँ। पर आज आपको डांस करते हुए देखा तो खिंचा चला गया।"
उसकी बात सुनकर वह लड़की ज़ोर से हंस दी। इससे हिम्मत पाकर अंजन ने अपना परिचय देते हुए कहा,
"अंजन विश्वकर्मा.... मुंबई से हूँ। कंस्ट्रक्शन्स बिज़नेस है...कावेरी कंस्ट्रक्शन्स..."
अंजन ने अपना हाथ उसकी तरफ बढ़ा दिया। उस लड़की ने हाथ मिलाते हुए कहा,
"मीरा आसवानी... यहीं की हूँ। आर्टिस्ट हूँ।"
अंजन ने कुछ संकोच के साथ कहा,
"क्या मैं आपके लिए एक ड्रिंक मंगा सकता हूँ।"
मीरा मुस्कुरा दी। अंजन उसके जवाब का इंतजार कर रहा था। मीरा ने कहा,
"मैं शराब नहीं पीती हूँ।"
अंजन का चेहरा उतर गया। मीरा ने कहा,
"पर इस जगह नॉन एल्कोहलिक ड्रिंक्स भी सर्व होते हैं। आप मेरे लिए मंगा सकते हैं।"
अंजन का चेहरा खिल उठा। उसने कहा,
"ठीक है... मैं हम दोनों के लिए कोई सॉफ्ट ड्रिंक मंगाता हूँ।"
"आप जो चाहे पी सकते हैं।"
"ओके..."
अंजन ने अपने लिए व्हिस्की और मीरा के लिए आइस्ड टी मंगवाई। दोनों चुपचाप अपना ड्रिंक पीने लगे। अंजन बात करना चाहता था पर समझ नहीं पा रहा था कि क्या कहे। वह चाहता था कि मीरा कुछ कहे। लेकिन मीरा अपनी आइस्ड टी पीते हुए ना जाने किन खयालों में खोई हुई थी। अंजन बात तो नहीं कर पा रहा था लेकिन लगातार मीरा की तरफ देख रहा था।
इस वक्त वह मीरा की खूबसूरती को नज़दीक से देख रहा था। उसकी आँखें काली और बड़ी थीं। अंजन को उसकी आँखों में अजीब सी कशिश नज़र आ रही थी। उनकी ओर देखते हुए वह उनकी तरफ खिंचा जा रहा था।
तभी डांस फ्लोर पर नाचती हुई मीरा की सहेली टेबल के पास आकर बोली,
"मीरा लेट्स गो। देर हो रही है। कल तुम्हारे लिए कितना महत्वपूर्ण दिन है। कल जल्दी उठना है।"
मीरा अपने खयालों से बाहर आ गई। उठते हुए बोली,
"मिस्टर अंजन थैंक्यू फार ड्रिंक।"
अंजन भी उठकर खड़ा हो गया। उसकी बात का जवाब देता उससे पहले ही मीरा वहाँ से चली गई।
मीरा के जाने के कुछ ही देर बाद अंजन भी नाइट क्लब से निकल गया। वह लंदन में अपने एक दोस्त सागर खत्री के बंगले पर ठहरा हुआ था। पंकज भी उसी बंगले के आउट हाउस में था।
अंजन अपने बिस्तर पर लेटा हुआ करवटें बदल रहा था। नींद उससे कोसों दूर थी। उसकी आंखों में बस मीरा का चेहरा बसा हुआ था। वह अजीब सी बेचैनी महसूस कर रहा था। उसका मन कर रहा था कि कोई जादू हो जाए और वो मीरा के पास पहुँच जाए।
वह बिस्तर से उठकर कमरे में टहलने लगा। अब उसे इस बात का पछतावा हो रहा था कि उस समय चुपचाप बैठकर मीरा को निहारते रहने की जगह अगर उसने कुछ और बातचीत की होती तो शायद उसके बारे में और बातें पता चल जाती जिससे उसे खोजना आसान होता। उसे तो उसके नाम के अलावा कुछ भी नहीं पता था।
वह यह सोचकर हैरान था कि एक छोटी सी मुलाकात में मीरा ने उस पर कौन सा जादू कर दिया है। वह एक पल के लिए भी उसके खयाल को अपने मन से नहीं निकाल पा रहा था। वह जाकर अपने बिस्तर पर लेट गया। कोशिश करने लगा कि शायद उसे नींद आ जाए। पर आँखों में मीरा की छवि ऐसी बस गई थी कि नींद उनमें प्रवेश ही नहीं पा रही थी।
अंजन की सारी रात करवटें बदलते ही कट गई। सुबह जब वह नाश्ते के लिए अपने दोस्त सागर के साथ था तो उसकी आँखों से पता चल रहा था कि वह सो नहीं पाया। सागर ने उससे पूँछा,
"क्या बात है ? कोई तकलीफ थी। लगता है कि रात में सोए नहीं हो।"
अंजन ने कहा,
"हाँ तकलीफ तो थी।"
"तो बताना चाहिए था। मैं तुम्हारी तकलीफ दूर कर देता।"
"काश कि तुम कर पाते।"
अंजन ने आह भरकर कहा। सागर को उसकी बात समझ नहीं आई। उसने कहा,
"ऐसा क्या हो गया है तुम्हें ? खुलकर बताओ।"
अंजन ने नाइट क्लब में मीरा से हुई मुलाकात के बारे में बताया। सब सुनकर सागर हंस कर बोला,
"तो इश्क का चक्कर है। तब तो तुम्हारा भगवान ही मालिक है।"
अंजन को लगा था कि सागर उसकी मदद करने की बात करेगा। लेकिन उसने ऐसा कुछ नहीं कहा। अंजन बोला,
"क्या यार.... मुझे लगा था कि तुम मेरी मदद करने की बात कहोगे। तुमने तो भगवान पर डाल दिया।"
"तुम तो बस उसका नाम पता कर पाए। इतने बड़े लंदन में एक मीरा आसवानी को तलाशना आसान है क्या।"
"पर यह लंदन है। मीरा आसवानी नाम इतना कॉमन नहीं होगा यहाँ। वह कह रही थी कि आर्टिस्ट है। कुछ करो यार।"
सागर ने महसूस किया कि अंजन इस मामले में बहुत गंभीर है। उसने कहा,
"ठीक है... तुम्हारे लिए कोशिश करता हूँ। दौड़ता हूँ अपने आदमियों को। पर तुम देवदास ना बन जाना।"
सागर के आश्वासन से अंजन को तसल्ली हुई। वह नाश्ता करने लगा।
सागर ने अपने आदमी उन इलाकों में भेजे जहाँ भारतीय मूल के लोगों की संख्या अधिक थी। उसके आदमियों के पास तलाश के लिए सिर्फ दो ही आधार थे। एक नाम और दूसरा यह कि मीरा एक आर्टिस्ट थी।
अंजन बहुत बेचैन था। उसका मन मीरा के बारे में जानने के लिए तड़प रहा था। अगले दिन दोपहर को सागर ने अंजन से कहा कि वह उसे कहीं ले जाना चाहता है। अंजन का मन कहीं भी जाने का नहीं हो रहा था। पर वह सागर को मना नहीं कर पा रहा था। वह सागर के साथ चला गया। लेकिन पंकज को साथ नहीं ले गया। क्योंकी सागर के साथ उसके आदमी थे।
सागर अंजन को एक आर्ट गैलरी में ले गया। वहाँ स्कल्पचर्स की एक प्रदर्शनी लगी हुई थी। गैलरी में घूमते हुए अंजन की निगाह मीरा पर पड़ी। वह एक स्कल्पचर के सामने खड़ी थी और लोगों को कुछ समझा रही थी। अंजन का चेहरा चमक उठा। उसने सागर की ओर देखा। वह उसकी तरफ देखकर मुस्कुरा रहा था। सागर ने कहा,
"इसी मीरा की बात कर रहे थे ना तुम ?"
"हाँ यार.... थैंक्यू। पर तुमने कैसे ढूंढ़ा ?"
सागर ने जवाब दिया,
"कल तुमने बताया था कि मीरा की सहेली उससे कह रही थी कि कल तुम्हारे लिए खास दिन है। एक आर्टिस्ट के लिए खास दिन वही होता है जब वह पब्लिक के सामने आए। मैंने पता कराया कि लंदन में मीरा नाम की किसी कलाकार का कोई स्टेज शो या कोई प्रदर्शनी है। पता चला कि निसडन में मीरा आसवानी नाम की एक स्कल्पचरिस्ट की प्रदर्शनी है। मैं तुम्हें यहाँ ले आया। अब मौका तुम्हारे पास है। मीरा से मिलकर बात आगे बढ़ाओ।"
अंजन ने सागर को गले लगाकर धन्यवाद किया और मीरा की तरफ बढ़ गया।