Train journey in Hindi Short Stories by Pragya Chandna books and stories PDF | ट्रेन का सफर (खुशी या गम)

Featured Books
Categories
Share

ट्रेन का सफर (खुशी या गम)

आज अवंतिका सुबह से बहुत खुश हैं और हो भी क्यों ना आखिर आज वह अपने दोस्तों के साथ काॅलेज ट्रीप पर आगरा जा रही है पर वह हमेशा की तरह लेट है, उसकी सहेलियां लगातार उसे फोन करके जल्दी आने को कह रही है कि उसकी ट्रेन न मिस हो जाएं।वह दौड़ती-भागती जल्दी से प्लेटफार्म पर पहुंचती है,इतने में ट्रैन चलने लगती है वह उसके सामने जो कोच होता है उसमें भागते हुए चढ़ जाती हैं तभी उसकी लांग स्कर्ट जो उसने पहनी हुई थी वह उसके पैर में उलझ जाती है,वह गिरने ही वाली होती है कि तभी एक हाथ आकर उसको मजबूती से थामता है और कोच के अंदर खींच लेता है। अवंतिका तो जैसे उस शख्स को देखकर अपने होश ही खो बैठती है और उसे वह डी.डी.एल.जे. मूवी वाला दृश्य याद आ जाता है जिसमें राज और सिमरन ऐसे ही पहली बार ट्रेन में मिले थे। अवंतिका के दिल के तार बजने लगते हैं।वह अभी अपने ख्यालों में ही गुम होती है कि उसे उस शख्स के चिल्लाने की आवाज़ सुनाई देती है।

वह शख्स अवंतिका पर ही चिल्ला रहा होता है कि यह आजकल कि लड़कियां एक तो अकेले ही सफ़र पर निकल पड़ेगी और फिर समय का ध्यान भी नहीं रखेंगी और जब लेट हो जाएंगी तो बिना कुछ सोचे-समझे चलती ट्रेन पर चढ़ जाएगी। इनको तो सब बस मूवी के सीन लगते हैं कि यह चलती ट्रेन में से गिरने वाली होंगी और कोई शाहरुख की तरह आकर इनको थाम लेगा।
वह शख्स लगातार चिल्ला रहा था और अवंतिका बस उसे देखकर मुस्कुरा रही थी।

वह अंवतिका को ऐसे मुस्कुराते देखकर और गुस्सा हो जाता है और उससे कहता है तुम पागल तो नहीं हो मैं कब से तुम्हें डांटे जा रहा हूं तुम साॅरी बोलने की बजाय मुस्कुराएं जा रही हो। अवंतिका उससे कहती है कि हां वह लेट हो गई थी इसलिए चलती ट्रेन में चढ़ना पड़ा और जल्दी में उसकी स्कर्ट उसके पैर में उलझ गयी थी इसलिए उसका बैलेंस बिगड़ गया पर इसका मतलब यह नहीं कि मैं ट्रेन से गिर जाती, मैंने खुद को सम्भाल लिया था, मैं सही से ट्रेन में चढ़ जाती पर आजकल के लड़के खुद को शाहरुख से कम थोड़े समझते हैं और बिना लड़की की मदद मांगे उसे बचाने आ जाते हैं। पहले तो खुद की हीरोगिरी दिखाने के चक्कर में बिना मांगे मदद करते हैं और फिर डांटेंगे भी।

वह शख्स फिर चिल्लाता है हां देखा था मैंने तुमको खुद को सम्हालते हुए यदि मैं सही समय पर तुम्हें नहीं पकड़ता तो ट्रेन के नीचे आ चुकी होती तुम और उसके बाद तुम्हारे साथ भी शायद ..... कहते हुए वह रोने लगता है। तभी उसके साथ वाला लड़का उसे शांत करता है और कहता है चलो आदेश अपनी सीट पर बैठ जाओ और रोना बंद करों।

अवंतिका उसे इस तरह रोते हुए देखकर स्तब्ध रह जाती है, उसे कुछ समझ ही नहीं आता कि आखिर हुआ क्या? अवंतिका को ऐसे स्तब्ध देखकर वह लड़का कहता है, मैं अर्जुन हूं और मैं आदेश की तरफ से आपसे माफ़ी मांगता हूं दरअसल आदेश की एक छोटी बहन थी शैफाली, जिससे आदेश बहुत प्यार करता था और वह हाॅस्टल में रहकर अपनी इंजीनियरिंग कर रही थी। उसके काॅलेज की छुट्टियां थी तो शैफाली हाॅस्टल से घर आने वाली थी, आदेश ने उसे बहुत कहा कि वह उसे लेने आ जाएगा पर शैफाली ने कहा कि भैया में बड़ी हो गई हूं और मैं अपना ख्याल खुद रख सकती हूं। सीधी तो ट्रेन है मैं रात को बैठूंगी और सुबह घर।

आदेश की भी उस दिन जरूरी मीटिंग थी तो शैफाली के ज़िद करने पर वह भी उसके अकेले आने पर मान गया, शाम को ट्रेन से एक घंटा पहले आदेश ने शैफाली को फोन किया तो शैफाली अभी तक हाॅस्टल से निकली ही नहीं थी, उसके हाॅस्टल से रेलवे स्टेशन पहुंचने में 45 मिनट लगते थे। आदेश ने शैफाली से कहा कि तुम लेट हो तो शैफाली ने कहा कि भैया हमारी भारतीय रेल का तो आपको पता ही है कभी राइट टाइम नहीं चलती और वैसे भी अभी एक घंटा है मैं आराम से पहुंच जाऊंगी।

शैफाली अपने हाॅस्टल से निकली उस दिन रास्ते में ट्रेफिक बहुत था तो उसे 45मिनिट की जगह 55 मिनिट लग गये।जब वह स्टेशन पहुंची तो ट्रेन राइट टाइम थी और अगले 5मिनिट में ट्रेन के चलने की अनाउंसमेंट हो रही थी। शैफाली दौड़ती-भागती प्लेटफार्म पर पहुंची तब तक ट्रेन धीमी गति से चल पड़ी। उसने सोचा कि अभी ट्रैन की गति कम है तो वह ट्रैन पर चढ़ जाएगी, उसने जैसे ही ट्रेन पर चढ़ने के लिए कोच की सीढ़ी पर अपना पैर रखा कि ट्रेन ने स्पीड पकड़ ली और वह अपना संतुलन खोने के कारण ट्रैन के नीचे पटरी पर गिर पड़ी और पूरी ट्रैन उसके ऊपर से गुजर गई और वह हमेशा हमेशा के लिए आदेश को छोड़कर चली गई वह आदेश की पुरी दुनिया थी, आदेश उसे बहुत प्यार करता था।उस हादसे के बाद आदेश टूट सा गया था।उसे बड़ी मुश्किल से दोबारा जिंदगी जीना सीखा रहा था कि आज फिर यह हादसा हो गया इसलिए वह थोड़ा परेशान हो गया।

अब अवंतिका को यह समझ नहीं आ रहा था कि वह आदेश को अपनी जान बचाने के लिए धन्यवाद कहें या उसने जिस तरह उससे बात की उसके लिए माफी मांगे या उसकी बहन के साथ जो हादसा हुआ था उसके लिए अफसोस जताएं।वह सुबह इस ट्रीप को लेकर जितनी खुश थी अब यह सब जानकर उसका मन उतना ही उदास था।