भाग -1
स्कूल के एक छात्र ने भविष्य में कैसे अपने स्कूलमेट छात्रा की मदद कर उसकी जिंदगी बदल दी ….
कहानी - गिरते तो सबने देखा पर किसने दिया सहारा
12 वीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए उस दिन स्कूल का आखिरी दिन था . सभी लड़के और लड़कियां रंग बिरंगे ड्रेस में सजे धजे स्कूल के सभागार में आये थे . स्टेज पर एक टेबल और कुछ कुर्सियां रखीं थीं . अलग से एक स्पीच डेस्क था जिस पर माइक लगा था . हॉल में मंद मंद मधुर संगीत बज रहा था . सभी विद्यर्थी अपनी अपनी जगह पर बैठ चुके थे और अब इंतजार था चीफ गेस्ट प्रिंसिपल साहब के आने का .
कुछ देर में प्रिंसिपल और वाइस प्रिंसिपल आये . तब एक छात्र ने , जो स्कूल का कप्तान भी था , उनका स्वागत किया और उनकी अगवानी कर स्टेज तक ले जा कर उन्हें कुर्सी पर बैठाया . कप्तान राहुल ने अपने संक्षिप्त स्वागत भाषण के बाद प्रिंसिपल और वाइस प्रिंसिपल से विद्यार्थियों के लिए दो शब्द कहने का आग्रह किया . उनके संक्षिप्त भाषण के बाद छात्र और छात्राओं ने मिलकर रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया . कुछ देर के बाद प्रिंसिपल साहब चले गए पर वाइस प्रिंसिपल साहिबा प्रोग्राम के अंत तक रह गयीं . वे 35 वर्ष की थीं पर अपने स्टूडेंट्स से काफी फ्रेंडली बिहेव करतीं . उन्होंने प्रोग्राम के अंत में एक खास आइटम अपनी ओर से रखा था .
वाइस प्रिंसिपल ने दो बास्केट में कुछ चिट रखवाए , एक बास्केट के हर चिट पर किसी लड़के का नाम लिखा होता था और दूसरे बास्केट के चिट में लड़की का .वे एक लड़की और एक लड़के को बुलातीं और अपने अपने बास्केट से वे एक एक चिट निकालते . उन दोनों को एक साथ डांस करना था . राहुल और रिया को एक साथ डांस करना था . लड़कियों की संख्या लड़कों की तुलना में कम थी . वाइस प्रिंसिपल ने खुद एक लड़के को अपने साथ डांस करने के लिए बुलाया .
राहुल का साथ देने रिया आयी . राहुल और रिया में पहले से कोई जान पहचान नहीं थी . राहुल को स्कूल के कप्तान होने के चलते अधिकतर स्टूडेंट्स जानते थे . राहुल साइंस का छात्र था जबकि रिया आर्ट्स की छात्रा . उस दिन रिया ने पहली बार हाईहील सैंडल पहना था . वैसे भी उसकी हाइट कुछ कम थी इसलिए उसने जानबूझ कर उसे पहना था . हाईहील की आदत नहीं होने से वह कुछ असहज महसूस कर रही थी . अचानक उसका संतुलन बिगड़ गया और वह लगभग फर्श पर गिरने ही वाली थी कि राहुल की बाहों ने उसे थाम लिया .
रिया ने शर्माते हुए राहुल से कहा “ मुझे गिरने से बचाने के थैंक्स पर सॉरी अब मैं डांस में तुम्हारा साथ नहीं दे सकती हूँ . “
राहुल ने इट्स ओके कहा और उसे सहारा दे कर एक कुर्सी पर बैठने को कहा . काफी स्टूडेंट्स रिया के पास आ कर खड़े हो गए . इतने में वाइस प्रिंसिपल भी वहां आयीं और रिया से बोलीं “ ये तो अच्छा हुआ कि राहुल ने तुम्हें गिरने से बचा लिया . “
राहुल बोला “ मैम , फुटबॉल टीम का गोलकीपर हूँ . छोटे बॉल को भी गोल के अंदर जाने के पहले ही लपक लेता हूँ और ये तो पांच फ़ीट की बॉल है . इसे कैसे गिरने देता . “
उसका जवाब सुन कर वहां मौजूद सभी हँस पड़े , रिया भी . रिया की एक सहेली ने पूछा “ चोट तो नहीं लगी है ? “
“ कोई ख़ास नहीं पर लगता है मोच आ गयी है , चलने में तकलीफ हो रही है . “
इस बीच राहुल स्कूल के फर्स्ट एड बॉक्स से स्प्रे ले आया और उसने रिया के पैर पर स्प्रे किया . रिया को इस से काफी आराम मिला . कुछ देर बाद प्रोग्राम खत्म हुआ तो सभी जाने लगे . रिया ने सैंडल पहन कर चलने की कोशिश की पर लड़खड़ाने लगी . वाइस प्रिंसिपल साहिबा ने रिया को अपनी कार में उसके घर तक पहुंचाने का जिम्मा लिया . राहुल ने उसका सैंडल उतार कर अपने एक हाथ में लिया और दूसरे हाथ से उसे सहारा दे कर कार तक गया . उसने कार में रिया के पैर के पास सैंडल रख दिये .
इस घटना के करीब दो महीने बाद राहुल और रिया की दोबारा मुलाकात स्कूल में हुई जब वे अपने बोर्ड एग्जाम के मार्क्स लेने गए थे . इस बीच राहुल आई आई टी के JEE मेन में कंपीट कर चुका था . हालांकि रिया को भी अच्छे मार्क्स मिले थे फिर भी उसके चेहरे पर उतनी ख़ुशी नहीं थी . वह उदास दिख रही थी और उसे देख कर ऐसा लगता था कि वह रात भर सोयी नहीं है .
राहुल ने उससे पूछा “ क्या बात है रिया ? रिजल्ट अच्छा होने पर भी चेहरे पर वैसी ख़ुशी नहीं है . “
चेहरे पर नकली हंसी लाने की चेष्टा करते हुए रिया बोली “ नहीं , ऐसी कोई बात नहीं है . कॉन्ग्रैट्स , तुमने स्कूल में टॉप किया है और सुना है आई आई टी जा रहे हो . “
“ थैंक्स रिया और तुम्हारा क्या इरादा है ? “
“ देखती हूँ बी ए में एडमिशन लेना है , कहाँ अभी निश्चित नहीं है . अच्छा फिलहाल चलती हूँ . “
रिया की एक फ्रेंड ने राहुल से कहा “ शायद तुम्हें पता नहीं है रिया की सौतेली माँ है . दोनों की पटती नहीं है . रिया ग्रेजुएशन के लिए दिल्ली जाना चाहती है पर उसकी माँ नहीं चाहती कि वह दिल्ली जाए . इस से उस पर अतिरिक्त खर्च आएगा . यहीं धनबाद शहर के कॉलेज में पढ़ने को बोल रही है . उसके पापा माँ के विरुद्ध जा नहीं सकते क्योंकि ऐसे ही रोज घर में कलह होते रहता है . “
कुछ दिनों के बाद राहुल खड़गपुर चला गया , वहां के आई आई टी में उसे कंप्यूटर साइंस में एडमिशन मिला था . चार साल बाद राहुल ने बी टेक कर लिया . हालांकि इस बीच वह छुट्टियों में अपने घर आता रहा था पर उसकी रिया से मुलाकात नहीं हुई थी . इस दौरान राहुल में भी बहुत चेंज हुआ था , उसने दाढ़ी बढ़ा ली थी और आँखों पर चश्मा लग गया था .
राहुल को एक दोस्त से पता चला कि रिया अपने पापा का घर छोड़ कर मामा के यहाँ चली गयी पर इससे आगे की कोई खबर फ़िलहाल नहीं है .
राहुल मैनेजमेंट की पढ़ाई करने सिंगापुर गया . उसने वहां के मशहूर इंटरनेशनल बिजनेस स्कूल इंसियाड में एडमिशन लिया . इस स्कूल की विशेषता यह है कि यहाँ एक साल में ही मैनेजमेंट की डिग्री मिलती है जिसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उच्च श्रेणी में मान्यता प्राप्त है . राहुल ने सोचा कि एक साल में एम बी ए की डिग्री भी मिल जाएगी और सिंगापुर कोई खास दूर भी नहीं है , कलकत्ता से करीब चार घंटे की फ्लाइट है . ऐसा लगा कि पलक झपकते ही एक साल बीत गया .
राहुल को सिंगापुर की एक मल्टीनेशनल कम्पनी में असिस्टेंट मैनेजर की नौकरी मिली . उसको कम्पनी के बिजनेस के सिलसिले में एशिया और यूरोप के अनेक देशों का टूर करना पड़ता था . राहुल ने सिंगापुर में बसे एक भारतीय लड़की मधु से शादी कर ली . मधु उसके बिजनेस स्कूल में लाइब्रेरियन थी . दो साल के अंदर ही उन्हें एक बेटी हुई . वे दोनों अपनी छोटी सी गृहस्थी से बहुत खुश थे .एक बार राहुल को अपनी कंपनी के काम से हॉंगकॉंग जाना पड़ा . एयरपोर्ट पर उसका सामना एक लड़की से हुआ जिसे पहचानने में उसे कोई कठिनाई नहीं हुई .यह लड़की उसके स्कूल की रिया ही थी .हालांकि रिया ने भी उसे देखा था पर शायद वह राहुल की बड़ी बड़ी दाढ़ी और चश्मे के चलते पहचान न सकी . राहुल को रिया के साथ एक विदेशी को देख कर आश्चर्य हुआ और वह भी हॉंगकॉंग में . साथ में अजनबी विदेशी को देख कर वह चाह कर भी उसे रोक कर बात न कर सका .
राहुल हॉंगकॉंग में तीन दिन रुका पर इस बीच उसे रिया दोबारा नजर नहीं आयी . राहुल अपना काम खत्म कर सिंगापुर वापस आ गया . उसने अपनी पत्नी से पहली बार रिया के बारे में बात की तब मधु ने कहा “ तुम्हारा उससे कुछ अफेयर था क्या ? आई मीन कॉलेज के दिनों में . “
क्रमशः
नोट - कहानी पूर्णतः काल्पनिक है .