Maniac - 5 - The Last Part in Hindi Moral Stories by Brijmohan sharma books and stories PDF | पागल - 5 - अंतिम भाग

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पागल - 5 - अंतिम भाग

अध्याय 5

विवाह के प्रयास

बहुत प्रयास करने के बाद भी नरेंद्र के विवाह के लिए कोई प्रस्ताव नहीं आ रहा था ।

उसके पापा बहुत निराश हो चले थे ।

अचानक एक दिन नरेंद्र को एक लड़की देखने का बुलावा मिला I

एक बडा सरकारी ऑफिसर उनसे मिलने आया I

उसने कहा, “ मेरी लड़की मेट्रिक पास है I मेरी तीन बेटियां हैं I”

अगले रविवार पिता व पुत्र लड़की देखने उनके यहाँ गए I

वह साधारण लड़की थी I

मोनू की लड़की से बात करवाई गई I

मोनू ने उससे पूछा, “ आपका नाम “

उसने कहा, “ रीता “

“आप कहाँ तक पढ़ी है ?”

“ दसवी तक”

मोनू को और अधिक प्रश्न याद नहीं रहे I

पापा ने उसे लड़की वालों से कैसे बात करना, लड़की देखने जाओ तो क्या पूछना इत्यादि सवाल पूछने के लिए ट्रेन्ड कर रखा था I

किन्तु वह ऐन मौके पर सब कुछ भूल जाता था I

शर्माजी को मोनू के लिए एसी ही लड़की चाहिए थी जो कम पढ़ी लिखी हो व घर का कामकाज संभाल सके I

घर आकर उन्होंने अपनी पत्नि को कहा, “ मैंने मोनू के लिए लड़की पसंद कर ली है I

अब तुम भी जाकर लड़की देखकर अपनी खात्रि कर लो I “

दो दिन बाद शर्माजी, मोनू व उसकी मम्मी लड़की देखने उसके घर पहुंचे I

वहां मेज पर बहुत से पकवान परोसे गए I

लड़की की मम्मी ने कहा, “ ये सारे पकवान लड़की ने अपने हाथों से बनाए हैं I “

मोनू की मम्मी अचानक रसोई में गई तो क्या देखती है कि वहां सभी काम लड़की की बहने कर रही थी

लड़की स्वयं कुछ नहीं कर रही थी I इस पर उसका माथा ठनका I

जब लड़की उन्हे चाय देने आई तो उसके हाथ कांप रहे थे I

उसे दोनों तरफ से बहनों ने पकड़ रखा था I

वह लडखडाती जुबान में प्रश्नों के जबाब दे रही थी I

इस पर मोनू की मम्मी का संशय और बढ़ गया I

उसने कहा, “ लड़की बीमार है, उसमे कोई बड़ी डिफेक्ट है I मै मोनू का रिश्ता हरगिज वहां नहीं करुँगी I

शर्माजी ने अपनी पत्नि को बहुत समझाने की कोशिश की किन्तु वह टस से मस नहीं हुई I

आखिर वह रिश्ता रिजेक्ट कर दिया गया I बेचारे लड़की के पापा ने उनकी बहुत मनुहार की किन्तु अपनी पत्नि के आगे शर्माजी की एक नहीं चली I


बहुत दिन हो गए किन्तु मोनू का रिश्ता कहीं नहीं जम रहा था I

पापा ने उसे बहुत अच्छी तरह से रटा दिया था कि लड़की वालों को कैसे जबाब देना है I

जैसे,

“आप क्या करते हैं?”

“हम शेयर मार्केट का व्यवसाय करते हैं I “

“आपकी इनकम कितनी है ?”

“कोई फिक्स नहीं I इस व्यवसाय में कभी प्रॉफिट तो कभी घाटा होता है I फिर भी करीब तीन लाख वार्षिक कम से कम हो जाता है I “

और भी अनेक प्रश्नोत्तर पापा ने मोनू को रटा दिऐ थे I

किन्तु एन मौके पर मोनू सारे उत्तर भूल जाता वह या तो गलत सलत उत्तर देता या सब कुछ भूल बैठता I

इस पर लड़की वालों के सामने पूरे परिवार की भारी किरकिरी होती I

 

एक दिन मोनू के लिए एक बड़ा अच्छा रिश्ता आया I

वह एक प्रोफेसर की बहिन थी I लड़की एम् कॉम पास थी I

उसकी माँ ने कहा,

“हमें एक सीधा सादा पढ़ा लिखा लड़का चाहिए I हमारी बेटी पोस्टग्रेजुएट है I

हम बड़े धार्मिक लोग है I “

शर्माजी ने कहा, “ बहिनजी ! हमारा लड़का भी बहुत सीधा सादा है I हमें भी सीधी सदी धार्मिक ख्यालों की लड़की चाहिए I “

खैर एक दिन शर्माजी मोनू के साथ लड़की देखने जा पहुंचे I

वह लड़की एम् कॉम पास थी I वह बहुत कम बात करती थी I

वह बहुत सीधी सादी दिखाई देती थी I

शर्माजी व मोनू को लड़की पसंद आ गई I

बहुत दिनों तक लड़की वाले व लड़के वाले एक दुसरे के यहाँ आते जाते रहे I

अचानक लड़की वालों ने उनके यहाँ आना बंद कर दिया I

इस पर शर्माजी ने उन्हें फोन किया, “ बहिनजी, आपके आगे क्या विचार है ? जैसा भी हो बताने की कृपा करे I “

इस पर तीन दिन बाद लड़की की माता शर्माजी के यहाँ आई व कहने लगी,

“ देखो साहब, हम आपको एक भी पैसा दहेज़ नहीं देंगे I “

शर्माजी ने कहा, “ हमें आपसे एक भी पैसा नहीं चाहिए I हम भी दुल्हन को सिर्फ एक साड़ी में घर ले आएँगे I “

इस पर लड़की की माता ने कहा, “ नहीं साहब, आपको लड़की की पसंद के सारे गहने, साड़ियाँ दिलानी होगी I दोनों तरफ का खाना, खर्चा व आयोजन का खर्च उठाना होगा I विवाह के पूर्व आपको अपना मकान दुकान लड़की के नाम से करना होंगे I“

इस पर शर्माजी समझ गए की वे लोग उनकी प्रॉपर्टी हड़प करने की प्लान बना रहे थे I

उन्होंने रिश्ते के लिए साफ मना कर दिया I

शर्माजी मोनू के विवाह को लेकर निराश हो चुक थे I

और तो और इन्होने लड़की ढूढने के सारे प्रयास भी बंद कर दिए थे I

किन्तु तभी अचानक उन्हें भोपाल में लड़की देखने का प्रस्ताव मिला I

वे लड़की देखने भोपाल पहुंचे I

लड़की एम् ऐ पास थी I वह बहुत सादगी पसंद लड़की दिखाई दे रही थी I

मोनू और लड़की की आपस में बात कराई गई I

मोनू ने साफ कर दिया कि शायर बाज़ार मे हमेशा इनकम नहीं होती है I

मंदी के समय तो प्रॉफिट के बजाय घाटा होता है I

लड़की को सादगी से रहने की आदत डालना होगी I

ज्यादा मार्केटिंग धंधे के लिए नुकसानदायक होती है क्योकि इस धंधे में बहुत ज्यादा धन इन्वेस्ट करते रहना पड़ता है I

खैर इन सारी समस्याओं को बताने के बाद भी लड़की वाले मोनू का घर देखने आए I

लड़की की बहिन ने मोनू से पुछा, “ आपका बैंक बैलेंस कितना है ?”

इस पर मोनू ने कोई जबाब नहीं दिया I

उसकी बड़ी बहिन कुरेद कुरेद कर पूछने लगी, यह मकान किसके नाम से है ? शादि के पहले आपको सारा धन व मकान लड़की के नाम से करना होगा I “

इस पर मोनू उसे डांटते हुए बोला, “ मुझे शादि नहीं करना I ये धोखेबाज लोग है I “

उसके पापा भी समझ गए कि वे लोग धोखेबाज लोग थे I

उन्होंने इस आखिरी रिश्ते के लिए मना कर दिया I

धोखेबाज लोगों से रिश्ता करने के बजाय तो अविवाहित रहना ज्यादा अच्छा है I

 
निर्देश
मानसिक रोगियों के पलकों के लिए निर्देश :

१ मानसिक रोगी को ताने न मारें I उसके सामने उसके रोग को लेकर अपने दुर्भाग्य का दुखड़ा न रोएँ I

२  रोगी की तुलना दुसरे प्रतिभावान लोगों से कदापि न करें I

३ बात बात पर उसकी आलोचना नहीं करें I उसमे हीनभावना से ग्रस्त होने की कोई बात न करें I

४ उसका उत्साह वर्धन व प्रशंषा करते रहें I

५ उसे रचनात्मक कार्य जैसे छोटे मोटे नाटक, गायन, चुतुकले सुनना सुनाना,पेंटिंग आदि में लगाये रखें I

६ उसके लिए आरामदायक काम व धन कमाने वाला बिना टेंशन का व्यवसाय या पार्ट टाइम जॉब की व्यवस्था करें I

७ समाज को मानसिक रोगियों से प्रेमपूर्ण व सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करना चाहिए I

८ दानदाताओं के लिए मानसिक रोगियों के लिए सरल कार्य, व्यवसाय, उद्योग की व्यवस्था करना चाहिए I

९ मानसिक रोगियों के लिए दानदाताओं व शासन को ऐसी संस्थाएं खुलवाना चाहिए जो उनकी प्रगति व इलाज में सहायक हो I

 


समापन 

आखिर मोनू का न तो विवाह हुआ न ही उसे कोई नौकरी मिली I

यह पत्थरों को पूजने वाली पत्थरदिल दुनिया मानसिक रोगियों के प्रति बहुत बेरहम होती है I

लोग उनकी मदद करने के बजाय उनका भारी अपमान करते है I

शैतान लड़के उन्हें मारते पीटते हैं I उन्हें बुरी तरह जलील करते हुए तंग करते हैं I

दूसरों को दुःख देने में लोगों को बड़ा मजा आता है I

यह बेदर्द दुनिया बात तो अहिंसा की करती है किन्तु वास्तविक धरातल पर हिंसा करती है I

मनुष्यता का इतिहास सदैव ही हिंसा से सुख प्राप्ति का रहा है I

यह भारी बनावटी दिखावटी दुनिया है जिसकी नग्नता तब दिखाई देता है जब आदमी मासूमों की सहायता करने के बजाय उन्हें तडपाने में सुख ढूंढने के लिए करता है I

पत्थरों को पूजने व भगवान की अतिशयोक्ति पूर्ण कहानिया सुनाने वाले पत्थरदिल इन्सान से और क्या उम्मीद रखी जा सकती है I

पद प्रतिष्ठा पैसे व अहंकारवर्धन में मशगूल पत्थर बने आदमी से दया की उम्मीद कैसे की जा सकती है ?

समाप्त