मेरे प्यारे भाई बिट्टू
बहुत सारा प्यार
मेरी शादी अठारह जनवरी की थी और उसके पहले पंद्रह जनवरी को शगुन |ससुराल देहरादून में था तो जब शगुन देकर जब से सब वापिस आये थे सब बहुत खुश थे...सिवा तुम्हारे | सत्रह को मेहंदी के बाद जब सब खाना खाने में व्यस्त हो गये थे तब तुमने मेरे पास आकर मेरा हाथ थाम लिया था और मजाक में कहा था कि
"रंग गहरा नही चढ़ेगा" और मैं बोली थी ऐसी ही ! देखना गहरा होगा हमेशा की तरह |
और तब मुझे देखते रह गये थे और उदास होकर बोले थे " तुझे डर नही लग रहा "
' किस बात का डर '
" तेरी शादी जो हो रही "
'इसमें डरने की क्या बात ,तू तो खुश होना अब !!!हमेशा लड़ता रहता था मुझसे '
"लेकिन मुझे डर लग रहा कि कैसे नए लोगो के साथ रहोगी ।
दो दिन को नही जाना तुमने ! उम्र भर को जाना हैं ! "
और मैं देखती रह गयी थी हर वक़्त मुझे झगड़ने वाला मेरा भाई अन्दर से कितना संवेदनशील हैं अपनी बहन को लेकर |
और उसके बाद से २५ बरस तक जब भी मैंने एक आवाज़ लगायी या तुम्हे खुद से पता लगा कि मैँ किसी भी मुद्दे को लेकर परेशान हूँ तुम झट से चले आये,मुझे हिम्मत दी, प्यार दिया। मेरे साथसाथ मेरे परिवार को भी प्यार और सम्बल दिया ।
और अब.....
मैं कितना उदास रहती हूँ तुझे क्यों नही पता चल रहा
हर बार होड़ होती थी हम दोनों में " कौन एक दूसरे के जन्मदिन पर सबसे पहले विश करेगा और तुम १२ बजे से पहले ही मेरे घर के सब फ़ोन बिजी कर देते थे किसी पर भाभी किसी पर अपने बेटे से कॉल मिलवा कर कि तुमसे पहले कोई और मुझे ठीक १२ बजे विश ना कर पाए।पहली घंटी पर ही मैं जानती थी कि यह तुम्हारा काल है ।
आज तुम्हारा जन्मदिन हैं |मैँ रात भर जागती रही । तुम जाते जाते कोई नंबर भी नही देकर गये ना | कहाँ फ़ोन मिलाती तुझे !|इतनी छोटी उम्र में कोई अपनो को छोड़ कर जाता है क्या? तेरे जाने के दिन नहीं थे भाई । अब मुझे डर लगता हैं कि कैसे रहता होगा तू उस लोक में | मम्मी भापा जी को भी यही डर लगता होगा ना इसी लिय तेरे पास आ गये जल्दी से | बहुत याद आ रहे हो बिट्टू | देखो न कितना कुछ बदल गया हम सबके भीतर | अब खुल कर नही हँसते न पहले की तरह मजाक कर पाते | अपने अपने दायरे में सिमट रहे हो जैसे | डर लगने लगा हैं जिन्दगी से |
खुश रहना अब मेरे भाई तुम जहाँ भी हो | ईश्वर हमें हिम्मत दे। मार्च उदासियाँ लाने वाला महीना होता है मेरे लिए हमेशा। मेरे त्यौहार मेरी बेलौस हँसी मेरी उपब्धियाँ ,मेरी कहानियाँ सब तेरे बिना अधूरे है।
आ किसी शाम फिर से किस्से कहानियाँ कहे सुने ।
खून का रिश्ता था तो थोड़े से हक़ तो थे न मेरे भी तुझ पर .....
लिखूँ तो पूरी किताब लिख सकती लेकिन तुम सिर्फ मेरे नही न ।
ईश्वर तुमको अब जन्म मरण से मुक्ति दे।
बहुत बहुत सारा प्यार Jitendra Vats मेरे भाई
तुम्हारी बहन
नीलिमा