Unique love in Hindi Love Stories by Dr Sonika Sharma books and stories PDF | अनोखा प्रेम

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अनोखा प्रेम

आज ईरानी कैफे में एक छोटी सी पार्टी है सरला आंटी और सुरेश अंकल की शादी की। इस पार्टी को रिया और कार्तिक ने अरेंज किया हैं। दोनों अंकल आंटी के लिए एक्साइटेड भी बहुत है और हो भी क्यों न? रिया और कार्तिक की ज़बरदस्ती पर ही तो अंकल आंटी ने शादी की है। वरना तो दोनों साथ रहते थे बस। रिया और कार्तिक की नज़रों से देखो तो अंकल आंटी लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे थे अब तक। रिया हमेशा कहती थी आंटी आप कैसे अंकल के बिना कुछ कहे सब समझ जाती हैं। आपको मालूम होता कि अंकल को कब क्या चाहिए। यहां तक की अंकल की तबीयत खराब होती तो भी अंकल के बिना बताए आप सब जान जाती ये कैसे पॉसिबल है आंटी? इन बातों का तो यही मतलब कि आप दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते है। पर सरला जी हमेशा मुस्कुरा देती।
सरला और सुरेश जी एक पी. जी. चलाते है, शहर के इंजीनियरिंग कॉलेज के बच्चों के लिए और उन दोनों को पी. जी. चलाते हुए करीब १५ साल हो गए। दोनों ने एक दूसरे को अपने - अपने कॉलेज के टाइम से जानते थे। सरला जी और सुरेश जी दोनों ही एक दूसरे को पसंद करते थे पर यह उस समय की बात थी जब प्यार तो किसी से कर सकते हैं पर आजकल की तरह इजहार नहीं कर सकते और अगर इजहार कर भी लिया कैसे भी तो शादी तक पहुंचना बहुत टेढ़ी खीर हुआ करती थी । ऐसा ही कुछ सरला जी और सुरेश जी के साथ भी हुआ था कि प्यार तो एक दूसरे से करते थे पर इजहार नहीं कर पाए। उन दोनों का कॉलेज पूरा हुआ वही सरला जी की शादी हो गई और सुरेश जी अपने परिवार के बिजनेस में लग गए। सरला जी अपने प्यार को शादी के बाद भूल गई भूल भी क्यों न जाती इनके प्यार में इजहार तो था ही नहीं दोनों एक दूसरे को देखते थे और शरमा के नजर नीचे कर लेते थे बस यही तक था इनका प्यार पर दूसरी तरफ सुरेश जी जो कई बार हिम्मत तो करते पर सरला जी ने उन्हें मौका ही नहीं देती कि वह अपने दिल की बात उन के सामने रख पाए। सुरेश जी ने अपने इस प्यार को दिल में जिंदा रखें हुए थे उन्होंने यहां तक कि शादी भी नहीं की, करते भी क्यों उन्होंने सरला जी को अपनी पत्नी जो दिल ही दिल में मान लिया था।
सरला जी की शादी को अभी कुछ ही समय बीता था कि अचानक उनके पति को विदेश में जाने का मौका मिला। उस समय विदेश जाना बहुत बड़ी बात हुआ करती थी। लेकिन एक बात और खास थी वह यह कि जो विदेश जाते थे वह वापस कभी लौट कर नहीं आते थे और अगर कहीं भूले भटके आ भी गए तो अपने साथ अपनी एक दूसरी विदेशी बीवी को लेकर आते थे। सरला जी इस बात से अनजान नहीं थी वह अच्छे से जानती थी पर फिर भी उन्होंने अपने पति के साथ विदेश जाना जरूरी नहीं समझा बल्कि घरवालों के साथ यानी ससुराल वालों के साथ उनके पास रुकना सही समझा और रूकती भी क्यों ना अभी शादी को टाइम कितना हुआ है मात्र डेढ़ साल। सरला जी के घर वाले भी नहीं चाहते थे कि वह विदेश जाए क्योंकि सरला जी के घर वालों को यह डर था कि कहीं वह सरला जी को विदेश में ही अकेला ना छोड़ दे। आखिर जैसे-तैसे वो दिन भी आ ही गया सरला जी के पति विदेश के लिए रवाना हो गए। सरला जी बड़ी हिम्मती औरत थी उनकी आंख में आंसू भी ना था, था तो सिर्फ विश्वास कि नौकरी करने ही तो जा रहे हैं जब मौका मिलेगा लौट कर वापस आएंगे दूसरी तरफ उनका दिल जानता था कि आज जो गए है शायद। कभी वापस लौट के नहीं आएंगे क्योंकि कितने लोग गए हैं लौटकर वापस नहीं आए।
सरला जी की पति का शुरुआती दिनों में तो अक्सर फोन आ जाया करता था पर कुछ महीनों में उनका फोन आना कम हो गया और धीरे-धीरे बंद भी हो गया। उनके जाने के करीब दो साल बाद तलाक के कागज जरूर आ गए जिसके लिए सरला जी कहीं ना कहीं तैयार भी थी और बिना किसी तमाशे के उन्होंने उन कागजात पर अपने दस्तखत कर, अपना सामान लेकर चुपचाप अपने मायके वापस आ गई ।
सरला जी मायके वापस आ तो जाती हैं पर अब तक उनका मायका अपना न होकर पराया हो चुका होता है उनके मायके मे एक मां को छोड़कर कोई भी उनका अपना नहीं रह गया था। सरला जी की भाभियों को उनका आना खराब लगा और उनका रहना खटकने भी लगा पर उस समय सरला जी कुछ कर भी नहीं सकती थी इसलिए उन्होंने आंख और कान बंद करके अपने मायके में रहना शुरू कर दिया। दिन भर नौकरों की तरह काम करती है और उनकी भाभियां उन पर खूब हुकुम चलाती, और सरला जी उनके हर हुकुम को मान दिन भर काम में जुटी रहती।
धीरे-धीरे समय बीतता है यादें पुरानी होने लगती हैं सरला जी अपने आप को अब तक बहुत मजबूत बना लेती हैं। एक दिन अचानक बाजार में सरला जी की मुलाकात सुरेश जी से होती है सरला जी उन्हें एक बार में पहचान लेती है पर सुरेश जी उनको नहीं पहचान पाते अब तक हालातों की मार के कारण सरला जी बहुत बदल चुकी थी अपने उम्र से ज्यादा बड़ी और बहुत कमजोर सी दिखने लगी थी। जब सरला जी ने सुरेश जी से सामने से जाकर बात की तब कहीं जाकर सुरेश जी सरला जी को पहचान पाए और उनकी इस हालत को देखकर बहुत दुखी हुए।
सुरेश जी और सरला जी में इतनी ही बात हुई कि दोनों एक दूसरे को अपने हाल चाल बता पाए और साथ में उन्होंने यह भी बताने की कोशिश की, कि अब वह मायके में रहने लगी।
कुछ समय की मुलाकात के बाद सरला जी जाने को हुई तो सुरेश जी ने कहा अब दोबारा कब मिलोगी सरला प्रश्न का जवाब दिए बिना ही सरला जी वहां से चली गई। सवाल अंदर बिजली की तरह कौंध रहा था। उसके बाद सुरेश जी कई बार उस बाजार में गए पर सरला जी उन्हें नहीं मिली अब सुरेश जी ने थोड़ी हिम्मत की उनके घर की तरफ जाने का मन बनाया। लेकिन उस दिन इत्तेफाक से सरला जी उन्हें बाजार में मिल गई सुरेश जी ने बड़े हक से कहा सरला चल बहुत दिन हो गया तेरे साथ चाय नहीं पी यहां पास में अपने दोस्त ने एक रेस्टोरेंट खोला है क्यों ना वहां बैठकर चाय पी जाये सरला जी कुछ कह पाती तब तक सुरेश जी आगे उस रेस्टोरेंट में जाने के लिए बढ़ गए और सरला जी भी उनके पीछे - पीछे चल दी।
सुरेश जी ने बैठते है दो कॉफी का ऑर्डर दिया और सरला जी से हाल लिए बातों ही बातों में वह कब कॉलेज की बातों में मशगूल हो गए पता नहीं चला। उनकी बातों का सिलसिला कॉफी का कप टेबल पर आने के बाद थमा। दोनों ने कॉफी का घूंट भरा ही था तभी सुरेश जी ने पूछा और अभी कितने दिन यहां और हो उस पर सरला जी ने कहा अब मैं यही ही रहती हूं सुरेश जी ने पूछा मतलब तब सरला जी ने अपनी पूरी कहानी सुना डाली। सुरेश जी ने आगे पूछा घर में सबका व्यवहार आपके साथ ठीक है इस पर सरलाजी बोली ससुराल छोड़ आयी लड़की के साथ जैसा व्यवहार होता है वैसा ही होता है।।सुरेश जी ने कहां मेरे साथ चलना चाहोगी सरला जी ने पूछा कहां ? सुरेश जी ने कहा इस शहर से दूर जहां हम दोनों को कोई न जानता हो इतना विश्वास करके मेरे साथ चल सकती हो। मैं हमेशा खुश रखूंगा।
सरला जी को सुरेश जी के साथ जाना सही लगा और दोनों ने तय समय में एक साथ अपना अपना घर छोड़ दूसरे शहर आ गए। कुछ दिन साथ लाए पैसे चले पर धीरे - धीरे वह भी खत्म हो गए, पर दोनों ने न हिम्मत हारी, न हार और मेहनत की। किसी भी काम को करने में शरम नहीं की। और कुछ ही दिनों में अपना पी. जी. खोल लिया। फिर दोनों उसी में व्यस्त हो गए पी . जी. में रहने वाले बच्चों में अपनी खुशियां ढूंढ़ ली। दोनों साथ तो रहते पर बिना किसी बंधन में बंधे। ऐसे करते करते कई साल बीत गए कितने बच्चे आए ओर कितने चले गए। पर रिया और कार्तिक से इन दोनों का एक अलग ही लगाव था। और दोनों ने इनके इस प्रेम को समझा और उसे नाम देने की कोशिश भी की।
जब रिया कार्तिक को पता चला कि अंकल आंटी कॉलेज टाइम से एक दूसरे को पसंद करते है तो दोनों बहुत खुश हुए उन्हें लगा कि उनकी पीढ़ी की तरह दोनों लिव इन रिलेशनशिप में है पर जब पूरी कहानी पता चली तो उन दोनों ने अंकल आंटी की जबरदस्ती शादी करवाने की ज़िद पकड़ ली जिसके लिए सरला जी बिल्कुल भी राज़ी नहीं थी उनके हिसाब से अब बहुत देर हो चुकी अब उनकी उम्र शादी की नहीं रही पर कार्तिक के बहुत बार कहने पर सुरेश जी ने जब सरला जी को शादी के लिए प्रपोज करते हुए ये कहा कि वह कॉलेज से लेकर आज भी उनसे प्यार करते है तब सरला जी के पास कुछ कहने के लिए बचा ही नहीं और वह राज़ी हो गई।
सुरेश जी और सरला जी के प्यार ने बहुत उतार चढ़ाव देखे और शायद रिया और कार्तिक न होते तो इन दोनों की शादी भी ना हो पाती क्योंंकि दोनों ही एक दूसरे से दिल की बात कहने में कतराते। दोनों १५ साल से साथ है पर अपने रिश्ते को बिना कोई नाम दिए पर ये आज के आए बच्चों ने दोनों के रिश्तों को नाम दे दिया। वरना रह तो रहे थे दोनों लिव इन में एक दूसरे की केयर करते हुए छोटी से छोटी बात का ध्यान रखते हुए दोनों एक दूसरे को बिना कुछ कहे अपनी बातें समझा देते थे।