Holiday Officers - 37 in Hindi Fiction Stories by Veena Vij books and stories PDF | छुट-पुट अफसाने - 37

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छुट-पुट अफसाने - 37

एपिसोड---37

‌ थोड़ी सैर कर लेते हैं ! आपको दक्षिण भारत की ओर ले चलती हूं। जहां हम श्री वेंकटेश्वरा स्वामी मंदिर तिरुपति बालाजी तिरुमलाई में भगवान विष्णु के दर्शन करेंगे। और मां पार्वती के सात जन्मों में से एक जन्म मीनाक्षी रूप में दर्शन करके धन्य हो जाएंगे।

बच्चे एपीजे स्कूल जालंधर में पढ़ते थे। दिसंबर की छुट्टियां आने पर रवि जी कहीं ना कहीं घूमने का प्रोग्राम बना लेते थे। 1983 में हम लोग ट्रेन से तिरुपति बालाजी की ओर निकल पड़े थे। अपने साथ मट्ठियां, पिन्निया और खाने पीने का काफी सामान रख लिया था क्योंकि बच्चों को ट्रेन में बहुत भूख लगती है। हमारा सफर भी अच्छा खासा लंबा था। ट्रेन चली नहीं कि मामा कुछ खाने को दो। पहले आलू पूरी के रोल, फिर शक्करपारे साथ ही ट्रेन में बिकने वाले मूंग के लड्डू। कोई परहेज नहीं था उन दिनों और कोई बीमार भी नहीं पड़ता था खाकर।

बच्चों के लिए stories of valour का सेट रख लिया था, अपने लिए नावेल, magazine और newspapers. सारे दिन सफर करके भी हम लोग excitement के कारण तरोताजा...

Rani Gunta station पर आधी रात को पहुंचे यहां स्टेशन पर मोटे- मोटे चूहे देखकर सब और फ्रेश हो गए थे और वहां से सुबह 4:00 बजे से एक के बाद एक सारी बसें तिरुपति बालाजी के वेंकटेश्वरा टेंपल तिरुमला की ओर चलती थीं। क्लॉक रूम में सामान रखकर हम भी चल पड़े उस काफिले के साथ।

तिरुपति बालाजी मंदिर की बहुत मान्यता है। वहां पर सिनेमा हॉल जैसे बड़े-बड़े हॉल में लोगों को इंतजार में बैठाया जाता है। हम भी हॉल में बैठे थे इस इंतजार में कि अगली भीड़ हटे तो हमारा नंबर लगे। क्योंकि तभी वहां पर हॉल का दरवाजा खोलते हैं । नहीं तो सामने दीवार पर लगे टीवी पर दर्शन करते लोगों को देखते रहो। हॉल से बाहर निकलते ही क्रोटन पौधों के अंबार दिखाई देते हैं खूब हैल्दी क्रोटेंस !! मेरी आंखों में तो आज भी वह खूबसूरत रंगो वाले healthy crotons बसे हुए हैं।

तिरूपति बालाजी में एक लाख भक्त प्रतिदिन दर्शन को आते हैं । और सोना, चांदी, पैसा सब गुप्त रूप से दानपात्र में डालते हैं। जो सीधा नीचे हॉल में जाता है। वहां ऊपर कांच की खिड़कियों से देखने पर नीचे अंडर ग्राउंड हॉल में पैसों के और गहनों के ढेर दिखाई देते हैं जिन्हें वहां के कर्मचारी लोग अलग-अलग कर के रख रहे होते हैं। अद्भुत हैं भारत के लोग ‌! धर्म के नाम पर इतना अधिक गहना दान करते हैं कि अपनी खुली आंखों से देख कर भी विश्वास नहीं होता । पता चला मंदिर वाले अपनी यूनिवर्सिटी चलाते हैं दान के पैसों से। चलो कुछ तसल्ली हुई जानकर....!

तिरुपति बालाजी में South Indian लोग बाल अवश्य उतरवाते हैं और गंजे होकर घर जाते हैं। गंजे आदमी और औरतें शान से शहर में घूमते हैं कि लोगों को पता चले हम बालाजी के दर्शन करके आए हैं। वहां बालों का बहुत बड़ी तादाद में बिजनेस होता हैं। श्रद्धालुओं को ज्ञान नहीं था कि उनके बाल साफ हो कर export होते हैं। बाल उतरवाने के लिए मंदिर के बाहर बड़े-बड़े शैड बने हुए हैं। जहां ढेरों नाई बैठे पुरुषों, स्त्रियों और बच्चोंके बाल उस्तरे से उतार रहे होते हैं।

तत्पश्चात हम ट्रेन से *मदुराई *गए। वहां Meenakshi Mills के मालिक के घर हमारा रहने का इंतजाम मेरे भैया ने करवाया था, वे बेसब्री से हमारा इंतजार कर रहे थे। बच्चों को सबसे अधिक आनंद वहीं आया क्योंकि वहां बाग- बगीचा और ढेरों मूर्तियां थीं । पेड़ों पर झूले लगे थे। डायनिंग हॉल में इतना बड़ा टेबल था कि उसमें 34 (चौंतीस) कुर्सियां लगी थीं। उन मारवाड़ी दंपति ने बहुत प्रेम पूर्वक हमारी आव भगत की। घर के भीतर मंदिर था जिसमें सफेद संगमरमर की एक ही मूर्ति थी बांसुरी वाले श्री कृष्ण की। वहां से लौटकर मेरे मन में कान्हा की वो छवि समा गई थी। और कुछ वर्षों बाद मैं भी वैसे कान्हा अपने घर ले आई।

मदुराई में मीनाक्षी मंदिर बेहद भव्य और शानदार है। उस की बाहरी दीवारों पर बने structures रंग-बिरंगे हैं। कहते हैं वहां के पांड्य राजाओं के घर मां पार्वती ने जन्म लिया जिसका नाम मीनाक्षी अर्थात मछली के आकार की आंखों वाली देवी का था। वहां शंकर भगवान सुंदरेश्वर का रूप धरकर उनको ब्याहने आए थे। मीनाक्षी अम्मा टेंपल में चारों तरफ सीढ़ियां, ऊपर खंबे वाले बरामदे और बीच में स्वच्छ व सुंदर सरोवर है। मंदिर के architecture को वहां लोग दुनिया का सातवां अजूबा मानते हैं। ख़ैर, मैंने यह नहीं सुना था। ठीक है उनकी आस्था है।

वहां से हम Kodaikanal hill station घूमने के लिए गए। वहां पर बहुत बड़ी झील Kodai Lake है। झील में एक बहुत ऊंचे जलप्रपात या झरने से पानी आता था जो उस समय शांत बह रहा था क्योंकि वे सर्दियों के दिन थे।Thalaivar falls को देखने के लिए पूरी गर्दन ऊंची करनी पड़ती है। झील में कश्मीरी शिकारे जैसी छत वाली नौका में टूरिस्ट झील में नौका विहार करते हैं।

जहां तक नजर जाती है खूब घनी हरियाली दिखाई देती है वह‌ Green valley View( suicide point) कहलाता है। वहां Pillar Rock भी है, जो सीधी चट्टानें हैं । ये यहां 5000 फीट गहरी और घनी खतरनाक घाटियां हैं। यह सीधी, गहरी घाटियां और पहाड़ियां हैं। इन नैनाभिराम दृश्यों ने हमारा मन मोह लिया था।

इस तरह पूरा एक दिन enjoy करके हम वापस मदुराई आ गए थे। अब तैयारी थी आगे जाने की ......

अगली बार आप को फिर से दक्षिण की ओर ले चलूंगी क्योंकि हम चार साल लगातार दक्षिण की ओर घूमने जाते रहे थे।

* *

वीणा विज उदित

9/7/2020