समूह को उस निर्णय का पालन करना होता है। गलत निर्णय समूह के लिए दुखदायी हो सकता है इसलिए प्रभावी निर्णय लिए जाने चाहिए। चाहे व्यक्ति हो या नेता, उसे अपने निर्णय के प्रति न्यायिक होना चाहिए।
निर्णय लेने की आवश्यकता भी तभी उत्पन्न होती है जब मौजूदा समस्या का हल मौजूदा साधनों से नहीं हो पाता हो। ऐसी स्थिति में बेहतर विकल्प का चयन स्व-विवेक से करना होता है। प्रभावी निर्णय एक प्रकार से विकल्पों के निष्कर्ष के रूप में जाना जाता है।
4. श्रेष्ठ विकल्पों को आधार बना कर समस्या को सुलझाएँ।
3.निर्णय देने से पहले सभी सदस्यों की भावना का आदर करें।
4.विवाद की दशा में सभी सदस्यों को सुनें और सर्वानुमति का निर्णय दे.
5.आवश्यकता होने पर विशेषज्ञ की सलाह लें।
6.आवश्यक होने पर मामले को विशेषज्ञों की समिति को दें।
7.बहुमत का आदर करें व आवश्यक होने पर मतदान के द्वारा लोगों की राय जानें।
प्रभावी निर्णय का उद्देश्य
Objectives of Effective Decision
प्रभावी निर्णय का मुख्य लक्ष्य यह है कि हर व्यक्ति निश्चित उद्देश्य तक पहुँचना चाहता है प्रभावी निर्णय के लिए निम्न आधार सूत्रों का ख्याल रखें:
1. निर्णय के लिए पर्याप्त साधन और समूह उपलब्ध हैं या नहीं।
2. क्या उपलब्ध समूह का श्रेष्ठ उपयोग किया जा सकता है।
3. निर्णय उच्च किस्म का हो।
4. सदस्य समूह निर्णय स्वेच्छा से लें।
निर्णय क्षमता की पद्धतियाँ
एक समूह किस प्रकार का निर्णय करें। प्रत्येक पद्धति का अपना
अलग महत्व है। निर्णय क्षमता के निम्नांकित मान्य तरीके माने जाते हैं-
1. सभी की सलाह लें : यह बहुत ही प्रभावी पद्धति होती है।
इसमें बहुत समय लगता है। समूह में प्रत्येक सदस्य को बहस में भाग लेने का अवसर दिया जाता है तथा उसे किसी मामले पर अनुकूलता के प्रति लाने का प्रयास किया जाता है। इसके
लिए सर्वप्रथम सभी सदस्यों की राय जानी जाती है। उनके
सुझाव जाने जाते हैं विवाद की स्थिति में एक-दूसरे को संतुष्ट
करने का प्रयास किया जाता है। एक-दूसरे के विचारों को
उत्साह और रुचि से सुना जाता है।
2. बहुत से निर्णय लेना : समूह निर्णय में के निर्णय लेना एक प्रभावी तरीका माना जाता है। यह समूह चर्चा
का एक प्राकृतिक निर्णय के रूप में स्वीकार्य होता है।
3. अल्पमत की दिशा में निर्णय : अल्पमत से समूह निर्णय लिए
जाते हैं कुछ सदस्यों की एक समिति बना दी जाती है जो अपने विचार समूह को दे देते हैं। कभी-कभी लघु समूह के माध्यम से भी निर्णय लिए जाते हैं। इस प्रकार एक छोटा समूह भी अपना निर्णय दूसरों पर सौंप सकता है।
4. व्यक्तिगत औसत द्वारा निर्णय : व्यक्तिगत औसत के अंतर्गत
समूह के प्रत्येक सदस्य से राय मांगी जाती है। इनमें जो भी महत्वपूर्ण राय होती है। उसे समूह निर्णय मान लिया जाता है।
यह पद्धति उस समय अच्छी होती है जब सभी समूह एक साथ
नहीं मिल पाते हैं और निर्णय एक साथ लेना होता है। लेकिन इसमें यह नुकसान होता है कि भविष्य में समूह प्रभावशाली नहीं होता है।
5. विशेषज्ञ सदस्यों द्वारा निर्णय : इस पद्धति विशेषज्ञ सदस्य यह बता देते हैं कि समूह को क्या करना चाहिए। इस पद्धति से कभी- कभी यह कहना मुश्किल होता है कि विशेषज्ञ किसे माने। इस प्रकार अन्य सदस्यों की राय भी नहीं ली जाती। इस पद्धति में यह लाभ होता है कि जब सदस्य निर्णय लेने में सक्षम नहीं होते तो वे विशेषज्ञों की राय से निर्णय ले सकते हैं।
6. प्राधिकारी द्वारा निर्णय : इस पद्धति से बहुत सारे ग्रुप होते हैं।
हर समूह में एक-एक प्राधिकारी होता है। समूह के निर्णय के बाद प्राधिकारी की सभा होती है और निर्णय ले लिए जाते हैं। इस पद्धति का यह लाभ होता है कि निर्णय में सभी सदस्यों का
योगदान होता है।
प्रभावी निर्णय- गणितीय सूत्र
निर्णय लेने के पूर्व सोचें:
1. क्या निर्णय बुद्धिमतापूर्ण है?
2. क्या निर्णय स्वीकार्य होगा?
3. क्या निर्णय व्यावहारिक है?
देखिए निर्गमन सूत्र
ED = QxA
ED =Effective Decision
Q = Quality (quality decision on concern of objective facts)
A = Acceptance (feeling of the persons who must execute decision)
उत्तमता युक्त निर्णय तथा निर्णय से संबंधित स्वीकृति प्रभावी निर्णय क्षमता को सूत्र वाक्य में स्पष्ट करती है।
प्रभावी व अच्छा निर्णय- कब?
1.जब वह गणितीय मान जैसा परिपक्वता से मुक्त हो।
2.विधि सम्मत तथा वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन नहीं करता हो।
3.उद्देश्य मूलक तथा निष्पक्षता पर आधारित हो।
4.सभी पक्षों को विश्वास में लेकर किया गया हो।
5. अनावश्यक आर्थिक भार बढ़ाने वाला नहीं हो।
6. व्यावहारिक हो।
7. इसी प्रकार की समस्याओं से पूर्व में लिए गए निर्णयों की भावना के अनुसार हो।
8.निर्धारित व निश्चित समय सीमा में लिया गया हो।
9. दृढ़ता, प्रतिबद्धता को बढ़ावा देने वाला हो।
10. आदर्श प्रमाणों के आधार पर लिया गया हो।
11. जोखिम का आकलन करते हुए लिया गया हो।
Ashish Shah
MADwAJS
9825219458