Ishq - 9 - The Last Part in Hindi Fiction Stories by ArUu books and stories PDF | इश्क़ - 9 - अंतिम भाग

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इश्क़ - 9 - अंतिम भाग

ये कहानी है आरोही और निक्षांत की मोहब्बत की
जिंदगी के हर बुरे दौर से गुजर कर भी दोनों अपनी मोहब्बत को निभाते है
किस तरह बदलती दुनियाँ में भी दोनों एक दूसरे की प्रति समर्पित रहते है
आरोही की जिंदगी की खाली जगह कैसे निक्षांत के आने से पूरी हो जाती है और वो ज़रा जरा मोहब्बत मे डूब जाती है


Part-9


पंचो की मनमानी शिकायत मिलने पर मामले की जांच करने आये थे
उसको देख कर सबकी आँखे फटी की फटी रह गयी
वो कोई और नहीं निक्षांत था। अपनी कड़ी मेहनत के दम पर आज उसने BDO की नौकरी पा ली थी। झमुरे ने जब उसे देखा तो एक दफा हक्का बक्का रह गया।
उसने आते ही पहले तो पंचो को फटकार लगाई .. फिर भोले भाले गाँव वालो को समझाया
"ये जमीन ये गाँव आपका है फिर क्यों ये लोग राज करे इनको ना आपके गाँव के बारे में कुछ पता है ना ही इनको कोई वास्ता है फिर आपके गाँव के फैसले ये क्यों ले
क्या आप में से किसी गाँव वाले को इस शादी से ऐतराज है?
और अगर है तो क्यों
सीता मईया ने भी तो अपनी मर्ज़ी से ब्याह रचाया था
तो आज हम इतने मानसिक रूप से विकसित होने के बाद भी क्यों इस कुरीति को ढोये जा रहे
आखिर कब तक किसी भी लड़की की इच्छा के विरुद्ध उसकी शादी किसी ऐसे लड़के से होती रहेगी जिसके साथ वो अपने जिस्म का तो समझौता कर ले पर कभी खुश नहीं रह पाए
हम अपने बच्चों को सब कुछ ला कर देते है... बचपन से लेकर बड़ा होने तक उनकी छोटी सी खुशी के लिए उनकी हर जिद् पूरी करते है। पर बात जब उनकी जीवनसाथी की आती है तो हम उनपे अपनी मर्ज़ी क्यों थोपना चाहते है क्यों हमें उनकी खुशी नहीं दिखती । और आखिर कब तक अपनी झूठी इज्जत मान सम्मान के लिए अपने बच्चों की खुशीयो का गला गोटते रहेंगे। कोई लड़की अपनी पसंद के लड़के से शादी करना चाहती है और उस लड़के में सारे गुण है की वो उसे जीवन भर खुश रख सके तो इसने हर्ज ही क्या है। "
तालियों की आवाज़ से पूरा वातावरण गुंज जाता है
गाँव वालो की आँखों पर पड़ा पर्दा हट जाता है और वो पंचो के फैसले को ठुकरा देते है
और झमूरे को अपनी बेटी की शादी की बधाई देते है। इतनी बधाई उसे श्याम के जन्म पर नहीं मिली जितनी आज मिल रही थी। उसकी आँखों से आँसू झर झर बह रहे थे और वो अपने दमाद को देखते जा रहा था
उन आँसुओ के साथ ही उसके मन से आरोही के लिए सारा द्वेष बह गया। वो भाग कर घर गया .. आरोही रतना के साथ बैठी थी।
आरोही .. बेटा यहाँ आओ बाबा के पास। उसने कहा
आरोही ने बाबा के मुख से जब ये सुना तो उसके सारे गिले शिकवे दूर हो गए
बचपन की सारी शिकायते दूर हो गयी। वो अपने बाबा के पास भाग की जाती है और उनके गले लग जाती है
झमुरे के आँसू अविरल बहे जा रहे थे
रतना भी बाप बेटी के प्यार को देख की भावुक हो गयी।
कुछ दिनों बाद झमुरे ने पूरे गाँव को न्यौता दे के अपनी आरोही की शादी निक्षांत से करवा दी
गाँव वालो ने भी खूब आशीर्वाद दिया दोनों को

और देखो थोड़े सालों बाद तुम आ गयी... ।
जीवा ने जीनु को प्यार से चुमते हुए कहा
जीनु ने जोर से तालियाँ बजायी

तभी दरवाजे पे किसी की दस्तक हुई
आरोही .... !
आरोही दुल्हन की तरह सजी थी और दुल्हन के वेश मे ही शिशे के सामने किसी का इंतज़ार करते करते सो गयी थी। आरोही ...! फिर से आवाज़ आयी
आरोही उठ जाती है सामने निक्षांत था।
उसके हाथ मे एक पेपर था।
उसने धीरे से कहा "देखो ये मेरा joining letter"
आरोही एक पल के लिए ठहर सी जाती है
ना ही वहाँ जीवा है और ना ही जीनु।
तो अभी तक वो सपने में खोयी थी ... ! उसने धीरे से बडबडाया
उसने निक्षांत को देखा
उसने कहा देखो में आ गया तुम्हे ले जाने के लिए
वो अपलक उसे निहारती रही। उसे पता था इस बार उसका सपना जरूर सच होगा ।

समाप्त