कौन है भोला ?
भीड़ में भी तुम भोला को पहचान लोगे.
उसके उलझे बाल,लहराती चाल,ढीली-ढाली टी-शर्ट, और मुस्कराता चेहरा देखकर.
भोला को गुस्सा कभी नहीं आता है और वह सबके काम आता है.
भोला तुम्हें कहीं मजमा देखते हुए,कुत्ते-बिल्लियों को दूध पिलाते हुए नजर आ जाएगा.
और कभी-कभी ऐसे काम कर जाएगा कि फौरन मुंह से निकल जाएगा-कितने बुद्धू हो तुम!
और जब भोला से दोस्ती हो जाएगी,तो उसकी मासूमियत तुम्हारा दिल जीत लेगी.
तब तुम कहोगे,‘ भोला बुद्धू नहीं है, भोला भला है.’
... और भोला की भोलागिरी की तारीफ भी करोगे.
कहानी-3
भोला को साधु ने दी अकलमंदी की पुड़िया
गांव के कुछ सयानों की बात मान कर भोला जा पहुंचा, बरगद के नीचे बैठे हंसमुख बाबा के पास.
ये साधु बाबा बड़े अजीब थे.
कोई कहता-बाबा मैं लुट गया. तो बाबा हंस देते.
कोई कहता-बाबा मेरी नौकरी चली गई, तो बाबा हंस देते.
कोई कहता-बाबा मेरी बेटी की शादी नहीं हो रही है, तो बाबा हंस देते.
लेकिन जब भोला ने बाबा से कहा-बाबा मुझे बुद्धू से अकलमंद बना दो, तो हंसमुख बाबा हंसे नहीं बल्कि गंभीर हो गए.
बड़े प्यार से बैठाया, और कहा ‘‘ अकलमंद बनेगा?, चल बनाता हूं! अपने बाएं गाल पर चार थप्पड़ लगा. जोर-जोर से.’’
भोला ने जड़ दिए अपने गाल पर चार थप्पड़. बाबा ने कहा, ‘‘अब दाएं गाल पर चार थप्पड़ लगा.’’
भोला ने अपने दाएं गाल पर चार थप्पड़ जड़ दिए. बाबा ने पूछा, ‘‘ दिमाग में थोड़ी सनसनाहट महसूस हुई?’’
भोला गर्दन हिला कर बोला, ‘‘नहीं!’’
अब हंसमुख बाबा ने अपनी पोटली से छ: केले निकाले और कहा ‘‘ इन्हें छील ’’.
भोला ने उन्हें छील कर छिलके एक तरफ रखे और केले एक पत्तल पर
बाबा ने कहा, ‘‘ अब छिलकों को एक सीध में थोड़ी दूर-दूर बिछा और उन पर चल के दिखा.
भोला ने वैसे ही किया और तीन बार धड़ाम-धड़ाम गिरा.
बाबा ने पूछा, ‘‘ दिमाग की खिड़की खुली?’’
भोला ने भोलापन से कहा, ‘‘ नहीं ’’.
बाबा बोला, ‘‘ बैठ जा!’’
अब बाबा ने उसे एक खाली प्लेट पकड़ायी और पोटली से एक लाल मिर्च उस पर रखकर कहा, ‘‘इसे खा जा ’’.
भोला ने बड़ी मुश्किल से उस मिर्च को खाया. बाबा ने अब एक हरी मिर्च प्लेट पर रखी और कहा, ‘‘ इसे खा!’’
भोला ने बड़ी मुश्किल से दूसरी मिर्च खायी. जीभ, कान लाल और गर्म हो गई
अब बाबा ने एक और मिर्च निकाली.
उसे देखते ही भोला बिदक कर खड़ा हो गया और बोला,‘‘यह बिल्कुल नहीं खाऊंगा. बुद्धू हूं, पर पागल नहीं. जै राम जी की ’’.
इतना कहकर भोला अपने घर की तरफ भाग लिया.
बाबा जोर से हंसकर बोला, ‘‘ इतना बड़ा अकलबंद तो मैंने भी कभी नहीं देखा.
कहानी-4
भोला गया स्मार्ट फ़ोन खरीदने
भोला के पास एक मोबाइल भी था जो काम नहीं करता था. इसलिए भोला के चाहने वालों ने उसे एक नया स्मार्टफ़ोन खरीदने के लिए पैसे दिए. मगर मोबाइल शॉप वाले ने भोला को यह कहकर मोबाइल बेचने से मना कर दिया कि किसी बुद्धू को स्मार्टफ़ोन बेचना मोबाइल का अपमान है.
उदास भोला घर की तरफ लौट पड़ा.
थोड़ी देर चलने के बाद भोला ने एक लंबी कतार में लोगों को खड़ा देखा. यह सोचकर कि कुछ बंट रहा होगा वह भी लाइन में लग गया.
एक घंटे बाद पता चला कि यह तो चिकित्सा शिविर है. लोगों की मुफ़्त स्वास्थ्य जांच हो रही है.
उसका नंबर आया, तो डॉक्टर ने पूछा, ‘‘ क्या तकलीफ है तुम्हें?’’
भोला बोला, ‘‘ मुझे रात भर सपने आते रहते हैं.’’
डॉक्टर , ‘‘ तो?’’
भोला, ‘‘ मैं सपने देख-देख कर थक जाता हूं. कभी दस सपने तो कभी बीस.
डॉक्टर ‘‘ कैसे सपने?’’
भोला: वो याद नहीं रहते?
डॉक्टर: तो प्रॉब्लम क्या है?
भोला: डॉक्टर साहब, सपने में चलते-चलते कभी मैं जंगल में पहुंच जाता हूं. तो कभी शहर में, कभी ट्रेन में सफर करता हूं!
डॉक्टर: तब तो तुम्हारा अच्छा मनोरंजन हो जाता होगा.
भोला: जी नहीं, रात को नींद टूटे और आप जंगल में हों या सर्दी के दिन नदी में हों तो किसको अच्छा लगता है.
डॉक्टर भोला की बात सुनकर हंस दिए. फिर बोला, ‘‘ अच्छा तो तुम्हें नींद में चलने की बीमारी है!’’
भोला: हां डॉक्टर साहब, मगर कुछ अलग इलाज कीजिए.
डॉक्टर: अलग मतलब?
भोला: घरवालों ने तो इसका इलाज ये ढूंढा है कि रात को मुझे चारपाई के साथ बांध देते हैं.
इस बार डॉक्टर के साथ-साथ कंपाउंडर और नर्स भी हंस पड़े. उन्हें हंसता देखकर भोला समझ गया कि डॉक्टर के पास उसकी बीमारी का इलाज नहीं है और वह घर की तरफ चल दिया.
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