Mother's love in Hindi Poems by praveen singh books and stories PDF | माँ कि ममता

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माँ कि ममता

“माँ”

दर्द होता था हमें अगर,
तो माँ की नींद उड़ जाती थी
ठण्ड में ऐसे रहो,गर्मी में ये करो,
माँ ही तो थी जो हर पल पीछे पड़ जाती थी

ऐसा नहीं है की हमें प्यार नहीं था उनसे,
पर लड़ना ही उनसे अच्छा लगता था
बचपन से जवानी में कदम रख चूका था मैं,
मगर उनके लिए अभी बच्चा था

आज कोई कहता नहीं की
ऐसे अपना ख्याल रखो,
वो माँ ही थी वो हमारी खुशिओ के खातिर
अपना गम छुपाती थी
हो जाये थोड़ी सी तकलीफ हमें,
माँ तू कहा सो पाती थी|

त्याग की मूरत है माँ
प्यार की सूरत है माँ
बच्चो की मुस्कान में खुद की मुस्कान ढूंढ ले
खुदा के रूप में इंसान है वो माँ

बचपन में गिरे, पकड़ कर उठाया था जिसने, वो है माँ
पापा की डांट से डरकर जब भी रोने लगा था मैं
अपने आँचल में जिसने छुपाया, वो है माँ

अपनी ख़ुशी से पहले,
जिसे अपने बच्चो की हसी प्यारा था
हम बच्चे कितने भी नटखट, या शरारती थे
उस इंसान ने हमें हमेसा ही प्यार से दुलारा था
हाँ, हम बच्चो ने उसे माँ कहकर ही तो पुकारा था |

शब्द में छोटा, मगर बहुत बड़ा एहसास है,
जिनके पास है ये दौलत, सच में वो बहुत खास है,
कमी इसकी, जिंदगी में कोई पूरा कर नहीं सकता है
ये ऐसा क़र्ज़ है, जिंदगी में जिसे कोई भर नहीं सकता है

मोहब्बत का पिटारा है वो.
बच्चो की जिंदगी का अनमोल सितारा है वो
कैसे बयान करू, मैं माँ की परिभाषा को
जिसने अपनी खुशिओ को अपने बच्चो में देखा
हर बच्चे के हंसी और गम का सहारा है वो

कभी कुछ कहती नहीं, बस सब कुछ सहती रहती है,
आदर, सादर और सम्मान की जो कला है मुझमें
मेरे अंदर, उस माँ ने ही उतारा है,
कमी तेरी बहुत है आज इस जिंदगी में माँ
अब तो बस तेरी यादो का सहारा है, |

कैसे कहूँ, मैं कैसे बताऊँ
मैं तुमको कितना याद करता हूं
तुम बिन, मैं कुछ भी नहीं माँ
बतला नई सका, तुमसे कितना प्यार करता हूँ,

मेरे सुबह के जिकर में थी तुम
मेरी जिंदगी की हर एक फ़िक्र में थी तुम
तुम बिन सब कुछ वैसा ही है अब भी
मगर तेरी तरह मेरी कोई परवाह नहीं करता है
भूले से भी मैं तुमको भूल नहीं पता हूँ,
होता हूँ अकेले तो तेरे संग बीते लम्हे याद कर लेता हूँ
मई जनहि भी राहु, कुछ भी बन जाऊ
माँ, मैं हमेसा की तरह तेरा अब भी वही लापरवाह बेटा हूँ

माँ
बहुत याद आती हो तुम,
मैं जिक्र नहीं करता, खामोश ही रहता हूँ
पर मेरी जिंदगी में, हर पल तेरी कमी खल जाती है

सुबह उठता हूँ तो किससे मैं बात करू
किससे लडू, किसको तंग करू, बहुत याद आता है
माँ! तुम बिन मई खुद को बहुत अकेला पता हूँ

अब कोई ये नहीं कहता, धुप है सर को ढक लेना
ठण्ड लग जाएगी समझा, साथ में स्वेटर रख लेना

सुच है दुनिआ में, माँ जैसा कोई नहीं होता है
अगले जन्म की ख्वाइश है, मैं बनु तेरा ही बेटा |



माँ
चेहरे की हंसी खो गई है मेरी
तुम बिन क्या जिंदगी हो गयी है मेरी
थक जाता हु, टूट जाता हूँ, पर जिक्र नहीं करता
सच तो ये है तेरी तरह कोई मेरी फिक्र नहीं करता

हर लब्ज याद है, हर एहसास याद है
तेरा गुस्सा याद है, तेरा प्यार याद है
मैं खुद को कितना भी कर लू मशरूफ
मेरे हर पल में, हर कण में, माँ याद है

कहते थे, ये खो दिए, वो खो गई,
पर खोने का दर्द पता चला, जब माँ जुदा हो गई
माँ होती है, खुदा का रूप, पढ़ा था कंही मैंने
जुड़ा होकर वो मुझसे सुच में खुदा ही हो गई