Kaisa ye ishq hai - 47 in Hindi Fiction Stories by Apoorva Singh books and stories PDF | कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 47)

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कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 47)

अप्पू को मुस्कुराते देख परम कहता है तो अब समझ आया आपको कि मेरे भाई की लाइफ में आपके अलावा और कोई नही है।और जो जगह आपकी है न वो कोई और ले भी नही सकता।मुझे तो उनकी भावनाये साफ साफ दिखती है न जाने क्यों आप ही नही समझ रही हो।
जैसे आप उनसे बेइंतहा प्रेम करती है वैसे ही वो भी करते हैं बस फर्क इतना है कि वो कभी जुबां से नही बोलेंगे।आपको समझना होगा उनके व्यवहार से,उनकी केयरिंग से उनके गुस्से से।क्या कहूँ मैं मेरे ये भाई कुछ अलग ही है न्यारे है जहां से।

परम की बात सुन अर्पिता हल्का सा मुस्कुरा भर देती है तो प्रशांत कहते है बस हमेशा ऐसे ही रहा करो चुलबुली, हंसती मुस्कुराती हुई।

अर्पिता प्रशांत की आवाज सुनती है।तो तुरंत फोन की ओर देखती है।फोन पर प्रशांत को देख हड़बड़ाते हुए एकदम से कहती है आपने सब सुन लिया शान!अर्थात परम जी का कहा हुआ एक एक शब्द सच है।

प्रशांत मुस्कुराते हुए अपनी पलके झपका अपनी सहमति देते हैं तो अर्पिता फोन परम को दे वहां से शरमा कर दौड़ जाती है जैसे प्रशांत उसके सामने खड़े हो सब कह रहे हो वो सीधा छत पर जाकर रुकती है।उसके हृदय की धड़कन अपनी हद तोड़ सरपट दौड़ रही है इतनी तेज कि उन्हें वो साफ साफ सुन पा रही है।

वहीं परम फोन पर अपने भाई से कहता है अब तो अपनी गाड़ी आगे बढाओ।देखो भाई होने का फर्ज मैंने पूरा किया।।अब बोलने और इजहार करने का किस्सा ही खत्म कर दिया मैंने।अब आप दोनो ही एक दूजे के मन की बात जानते हो।मेरा काम खत्म अब आप दोनो ही मिलकर अपनी बातचीत आगे बढाओ।।

हम्म छोटे थैंक्स!प्रशांत ने कहा तो परम बोले अब थैंक्स से काम नही चलना भाई पार्टी चाहिए वो भी लखनऊ के सबसे फेमस रेस्टॉरेंट में।

ठीक जब तेरा मन हो छोटे तुम श्रुति और किरण को लेकर चले जाना।कार्ड मैं दे दूंगा।प्रशांत ने कहा।तो परम बोला ये हुई न बात।

परम:- ओके अब रखता हूँ आपका तो सेट हो गया लेकिन मुझे डांट नही खानी कल बात करता हूँ।

प्रशांत:- ठीक है।गुड नाइट छोटे।
परम :- गुड नाइट भाई।और फोन कट कर देते हैं।
प्रशांत बैठ कर मैगजीन देखने लगते हैं।कि तभी शोभा उसके पास आती है और कहती है प्रशांत, कल सारी बातचीत कर के ही वापस जाना।केटरिंग से लेकर बैण्ड वाले से सबसे मिल लेना बातचीत कर लेना और रिसेप्शन के लिए हॉल भी बुक कर लेना।बाकी शॉपिंग और आसपास के छोटे मोटे सभी कार्य मैं, प्रेम, स्नेहा और सुमित मिल कर देख लेंगे।राधु अभी ज्यादा घूम फिर नही सकती, नही तो मुझे फिर इतनी चिंता नही होती।

ताइ जी आप ज्यादा चिंता क्यों करती हो सब हो जायेगा।इतनी बड़ी फॅमिली है हमारी सभी लोग काज देखेंगे तो पता भी नही चलेगा कि कब सब अच्छे से सम्पन्न हो गया।और दोनो भाभियां कम नही है।देख लेना आपको तो घर के काम के लिए मौका भी नही देगी।उस पर चित्रा भी है फिर भी कम पड़ रहे हो वर्कर तो आप एक बार कहो मैं अर्पिता को यहीं छोड़ जाता हूँ करवाती रहना सारे काम।बस खाना नही आता उसे बनाना बाकी सब करवा लो।

प्रशांत की बात सुन शोभा कुछ सोचते हुए कहती है वैसे आइडिया बुरा नही है।इसी बहाने शीला उसे जान लेगी।

क्या.ताइ जी।मैंने तो मजाक में कहा था आप सीरियस हो गयी।नॉट फ़ेयर ताई जी।प्रशांत ने मुंह बनाते हुए कहा तो शोभा बोली।जानती हूँ तु थोड़ा नटखट है तो मैं बस तेरा साथ दे रही थी।शादी में तो वो तेरे साथ आयेगी ही तब कुछ दिनों के लिए रोक लूंगी मैं उसे। अभी वो खुद ही सबके सामने नही आना चाहेगी।

हम्म ताईजी ये बात तो है।वैसे एक बात कहूँ ताईजी !प्रशांत बोले।
शोभा :- हां कहो!

प्रशांत(गंभीर हो) :- अगर वो यहां आ भी जाती न तो दो दिन में आप मुझसे कहते इसे यहां से ले जाओ?

शोभा:- ऐसा क्यों भला?
प्रशांत :- क्योंकि वो डांटती बहुत है।गलती होने पर समझाएगी नही,या तो गुस्सा करेगी या खामोश हो जायेगी।

फिर तो बिल्कुल सही लड़की मिली तुम्हे।तुम हो ही डांट खाने लायक!शोभा ने मुस्कुराते हुए प्रशांत से कहा।तो प्रशांत हल्का सा मुस्कुरा देते हैं।

शोभा :- और हां पहले ही बोल दे रही हूँ एक सप्ताह पहले से आना होगा तुम सबको तो उसी हिसाब से अपना कार्य मैनेज कर के आना।

ठीक है ताइ जी।प्रशांत ने कहा।शोभा खड़ी हो जाती है और वहां से बाहर चली आती है।शोभा के आने के बाद प्रशांत जी कुछ देर पहले हुई अर्पिता से बातचीत को याद कर मुस्कुराते हुए बिस्तर पर लेट जाते है और जल्द ही सपनो की दुनिया में चले जाते हैं।
वहीं दूसरी ओर अप्पू छत पर प्रशांत के बैठने वाली जगह पर बैठ जाती है और चाँद से बातें करते हुए कहती है।हां हां आज तो आप भी हैरान हो रहे हैं कि आज शान की जगह कौन आ गया।अब इतना भी हैरान न होइये और आदत डाल लीजिये क्योंकि अब हमारा साथ भी लम्बा चलने वाला है।वैसे एक राज की बात बताएं हमे भी आज ही पता चला है कि हम भी उनके लिए उतने ही स्पेशल है जितने कि वो हमारे लिए। आज तो हमारे पाँव ही जमीन पर नही पड़ रहे हैं।मन कर रहा है दूर गगन में उड़ खुशी से नाचती फिरूँ।

लेकिन फिर सोचती हूँ उड़ने के लिए भी तो पंख चाहिए होंगे न।खैर अब बाते बहुत हुई बाकी बातें कल करेंगे हम।बाय...!अर्पिता मुस्कुराते हुए नीचे उतर आती है और कमरे में जाकर गुनगुनाते हुए डांस करने लगती है।उसे नृत्य करना थोड़ा बहुत ही आता है लेकिन कहते है न जब मन प्रसन्न हो कर नाचता है तो नृत्य भी बेहद खूबसूरत लगता है वही अप्पू के साथ हो रहा था।वो इतनी प्रसन्न है कि उसकी खुशी उसके नृत्य में स्पष्ट दिखाई दे रही है।

शान!कहां है आप!प्लीज़ हेल्प।शान आप सुन रहे है हमें।हम यहां इस फंस गये है प्लीज मदद कीजिये।शान!कहां है आप सुनिये न! चारो ओर घना अंधेरे में खड़े प्रशांत के कानो में अर्पिता के कहे ये शब्द गूंज रहे है और वो चारो ओर देखते है लेकिन उन्हें कुछ दिखाई नही दे रहा।वहीं दूर कहीं एक हल्की सी रोशनी की किरण दिख रही है।आवाज भी उसी तरफ जाती हुई प्रतीत हो रही है। अप्पू!कहां हो तुम आवाज दो।मुझे तुम दिख नही रही हो कहां हो..!प्रशांत ने दोबारा आवाज देते हुए अर्पिता को पुकारा तो वही आवाज अब रोशनी की ओर गूंजती हुई सुनाई दी।शान..!यहां बहुत अंधेरा है हम रोशनी की ओर जा रहे हैं।आप उधर ही आइये शान..!

अप्पू मैं तो रोशनी के सामने ही हूँ तुम कहां हो।प्रशांत ने कहा तो आवाज आई हम बस पहुंच ही रहे है शान...प्लीज़ हेल्प यहां तो आगे रास्ता ही नही है शान।

प्रशांत:- तुम वहीं रुको मैं रोशनी लेकर वहीं आता हूँ ठीक तुम घबराना नही मैं हूँ न निकाल ले आऊंगा तुम्हे बस हिम्मत रखना मैं अभी पहुंचा..! ठीक है शान हमे इंतजार रहेगा और ये आवाज गूंजते हुए शान को सुनाई देने लगती है और वो हड़बड़ा कर उठ बैठते हैं।
अप्पू....! और हैरानी से चारो ओर देखते हैं।तो पाते हैं भोर का उजियारा चारो ओर फैल चुका है सुबह के छ बजकर तीस मिनट हो चुके है कुछ ही समय में सूर्योदय भी हो जायेगा।

हे ठाकुर जी ये फिर अजीब सा स्वप्न आया।मेरा पहला स्वप्न अप्पू से रिलेटेड था वो भी सत्य ही निकला।उसके मन में चित्रा को लेकर कुछ संदेह थे और आज का ये स्वप्न हो न हो वो जरूर किसी गहरी परेशानी में पड़ने वाली है।मैं भी वहां हूँ नही दोपहर से पहले यहां से निकल नही सकता और किसी और से स्पष्ट बोल भी नही सकता अब करूँ तो करूँ क्या..!प्लीज प्लीज ठाकुर जी उसका ध्यान रखना।उन्होंने मन ही मन हाथ कहा और हाथ जोड़ माथे पर लगाये एवं उठ कर बाहर चले आये।

बाहर शोभा शीला और कमला तीनो सोफे पर बैठी हुई होती है।शोभा प्रशांत को देख मुस्कुराते हुए कहती है सुबह की चाय।

जी ताइ जी कहते हुए वो भी सोफे पर बैठ चाय पीने लगता है।प्रशांत को बैठा देख शीला शोभा की ओर आंखों से इशारा करती है और फुसफुसाते हुए कहती है जीजी आप ही पूछ लीजिये दिखाइये न शायद कोई पसंद आ जाये।

शोभा :- शीला कहां तुम सुबह सुबह शुरू हो गयी।बात ही करनी है न आराम से कर लेंगे जब वो काम से फ्री हो बैठेगा।

क्या जीजी आप भी न सब समझती है अरे घर में शादी है लोग पूछेंगे नही कि छोटे की पहले कर दी बड़े के बारे में सोचा ही नही तो जवाब तो देना होगा न।

छोटी जो जवाब देना होगा न हम लोग है उसके लिए।वैसे भी हमारे घर में कहां किसी से जोर जबर्दस्ती चलती है।जब उसे लगेगा कि आगे बढ़ना चाहिए तब देख लेंगे न।इस बार कमला बोली तो शीला मन मसोस कर चुप हो गयी।चाय पीते हुए प्रशांत ने एक नज़र शोभा की ओर देखा मुस्कुराया और चुपचाप चाय पीने लगा।चाय पीकर वो सारे काम की लिस्ट बना घर से निकल जाते है।

इधर अर्पिता परम और श्रुति तीनो ऑफिस निकल जाते हैं।जहां ऑफिस पहुंच दोनो मन लगा अच्छे से कार्य करती हैं और शाम को अर्पिता रूम पर न जाकर सीधे अकैडमी चली जाती हैं।वहीं हमारे प्रशांत जी सभी कार्य फिक्स कर बांदा से वापस लखनऊ के लिए निकल आते हैं और आधा रास्ता तय भी कर चुके हैं।

अकैडमी में रवीश जी अर्पिता को देख हैरान हो कहते है,"आज आप जल्दी आ गयी "?

अर्पिता :- जी।वो क्या है न दिन छोटे होने लगे है तो सोचा घर जाउंगी फिर आउंगी तो क्यों न सीधे यहीं आया जाये।क्योंकि समय कितनी जल्दी निकल जाता है पता ही नही चलता।

ओके ओके अच्छा किया।।रविश जी बोले और वो जाकर क्लास रूम के बच्चो को देखने लगते हैं।वहीं अर्पिता स्टाफ रूम में जाकर बैठ जाती है।वो फ्री हो जाती है तो प्रशांत के बारे में सोच सोच कर मुस्कुराने लगती है।अब तो आप निकल आये होंगे न शान।अब आप आएंगे तो हमे आपसे सॉरी कहने के लिए कुछ तो स्पेशल करना चाहिए।नही तो आप कहीं ये न समझ ले कि एक तो हमने गलती की दूसरे उस पर सॉरी भी नही कहा।अब क्या स्पेशल करे हम आपके लिए।अब तो समय भी नही बचा है इतना हमारे पास।घर जाकर ही सोचेंगे कुछ तो स्पेशल करना है आपके लिए शान।
अर्पिता स्टाफ रूम में ही बैठी होती है कि तभी पूर्वी आ जाती है।

पूर्वी :- हेल्लो मैम गुड इवनिंग।
अर्पिता ऊपर नजर कर पूर्वी को देख मुस्कुराते हुए कहती है गुड इवनिंग।आओ बैठो!
जी कहते हुए पूर्वी आकर बैठ जाती है और कहती है

पूर्वी:- मैम!मैंने बहुत सोचा और ये निर्णय लिया है कि मैं अपने इस नयी अजन्मी जान को इस जहां में लेकर आना चाहती हूँ।मैं यहां से जाना चाहती हूँ प्लीज मेरी मदद कीजिये मैम।मैं आगे भी अपने लिए ये बंदिश वाली जिंदगी नही चाहती हूँ।युवराज मुझे अपनाने के लिए तैयार है उसकी फॅमिली अभी नाराज है लेकिन मुझे भरोसा है मैं जल्द ही अपनी कोशिशो से उनका दिल भी जीत लूंगी।पूर्वी ने विश्वास पूर्वक कहा तो अर्पिता बोली ठीक है इस अजन्मे बच्चे के लिए हम आपकी मदद करेंगे।आपको अपनी कोशिशो से इन बिगड़े हुए हालातो को ठीक करना होगा।हमेशा खुश रहे आप हम बस यही चाहते हैं।

थैंक यू सो मच मैम मेरी परेशानी को समझने के लिए थैंक यू।पूर्वी ने कहा और वो अर्पिता के गले से लग जाती है।
देख अर्पिता कहती है पूर्वी आप यहां से जाने वाली उपस्थिति दर्ज करा कर निकलोगी और कुछ देर परिवर्तन चौक वाले पार्क में बैठ सीधा रेलवे स्टेशन निकलोगी।और वहां से कोई भी सुपरफास्ट ट्रेन पकड़ लेना।कोई परेशानी तो नही होगी कर लोगी इतना।कहीं भी इधर उधर आना जाना नही है आपको।

ये सुन पूर्वी थोड़ा हिचकिचाती है।ये देख अर्पिता कहती है ओके स्टेशन तक हम हेल्प कर देंगे लेकिन आगे का सफर आपको तय करना होगा।

मैम।हम कभी भी अकेले कहीं नही गये है और रात के समय में तो बिल्कुल नही गये है।पूर्वी ने अटकते हुए कहा।तो अर्पिता सोच में पड़ गयी और बोली पूर्वी अब इसकी आदत तो आपको डालनी होगी।ये जीवन के संघर्ष है पूर्वी यहां लोग मंजिल का रास्ता बता सकते है लेकिन मंजिल तक अकेले ही चलना पड़ता है।

ओके मैम पूर्वी ने बुझे स्वर से कहा तो अर्पिता बोली
हम आपको बैठा कर ही निकलेंगे आप बस युव्वि से बात कर उसे राजधानी आने के लिए कहिये।वहां से आप दोनो निकल जाइयेगा।और विवाह कर एक नया प्यारा सा संसार बसाइयेगा।ठीक है।

पूर्वी धीमे से कहती है मैम आप इतनी मदद कर रही है तो प्लीज इतनी मदद कर दीजिये न हमे युव्वि के आने तक अकेला मत छोड़िये हम आपकी तरह स्ट्रॉन्ग नही है।।

पूर्वी की बात सुन अर्पिता मन ही मन बुदबुदाते हुए कहती है पूर्वी कैसे समझाये आपको कि हम उन्हें बिन बताये नही जा सकते।अगर गये तो वो बहुत ज्यादा गुस्सा करेंगे।उन्होंने हमारी इतनी मदद की है कि अब उनसे छुपा कर कुछ भी करना ही हमे बेमानी लगता है।अगर उनकी रेपुटेशन का ख्याल नही होता हमे तो हम इस मामले में उन्हें भी।शामिल कर लेते।

ओके मैम हम कोशिश करते है पूर्वी ने बुझे स्वर में कहा और खड़ी होकर जाने लगी।उसके उतरे हुए चेहरे को देख अर्पिता कहती है पूर्वी ये इतना मुश्किल भी नही है जितना तुम सोच रही हो ।बस अपने डर पर काबू रखना सब ठीक होगा।इस बार हम चल रहे है साथ में लेकिन आगे से तुम्हे खुद से हालातो का सामना करना होगा।ओके

ओके मैम कहते हुए पूर्वी मुस्कुराते हुए वहां से चली जाती है।उसके जाने के बाद अर्पिता भी क्लास लेने लगती है और क्लास ओवर होने के बाद वो अपना बेग उठा बाहर चली आती है जहां परम उसे लेने आये होते हैं।परम को देख अर्पिता उसकी गाड़ी में आकर बैठ जाती है रास्ते में फूलो की शॉप पड़ती है तो अर्पिता कुछ सोचते हुए गाड़ी रुकवाती है और जाकर गुलाब और सफेद ऑर्किड के फूलो का एक बंच बनवा कर वापस गाड़ी में आ बैठ जाती है।परम जी
आपके पास फोन होगा न।अर्पिता ने परम की ओर देखते हुए पूछा।तो परम उसे अपना फोन निकाल कर दे देते हैं।अर्पिता प्रशांत का नंबर डायल करती है और फिर कट कर देती है।वो सोचती है हमारे इस तरह जाने पर पता नही वो क्या समझे लेकिन पूर्वी को इस हालत में अकेले सफर भी तो नही करने दे सकते।हमे उन्हें बताना भी होगा।सोच वो एक बार फिर नंबर डायल करती है लेकिन कहे क्या इसी घबराहट में कट कर देती है।परम उसकी हरकतों को देख कहता है आप किसी उलझन में है छोटी भाभी।
परम के छोटी भाभी कहने पर अप्पू हैरानी से उसकी ओर देखती है तो परम कहता है अब आप ये नही कह सकती कि भाई के मन में क्या है जो भी है वो।आपको पता है आप अंजान नही है।

अर्पिता फिर से शरमा जाती है और अपनी गर्दन नीचे झुका लेती है।जिसे देख परम कहते है अब आप हां कहो या न मेरे लिए अब से मेरी छोटी भाभी आप ही हो।अब चाहे दुनिया इधर से उधर हो जाये हमारा रिश्ता न बदलने वाला।परम की बात सुन अर्पिता मुस्कुरा भर देती है।और कुछ सोच कहती है हमे आपसे कुछ बातचीत करनी है एक मसला है आपकी सलाह चाहिए आपके भाई से कहना चाह रहे है लेकिन कहे कैसे समझ नही पा रहे है।

ऐसी क्या बात है जो आप भाई से नही कह पा रही हैं।तो अर्पिता परम को पूरी बात संक्षिप्त में बता कर अपनी योजना के विषय में भी बता देती है।अर्पिता की बात सुन परम सोच में पड़ जाते है और गाड़ी मोड़ परिवर्तन चौक पर पहुंचते हैं।जहां थोड़ी भीड़भाड़ वाली एक जगह पूर्वी बैठी होती है।परम गाड़ी से निकल पूर्वी के पास जाते है और उसे आवाज लगाते हैं।पूर्वी देखती है और फिर इग्नोर कर अपने फोन में लग जाती है।परम उसके पास जा खाली जगह बैठ चारो ओर देखते हुए कहते है पूर्वी मैं परम आपकी अर्पिता मैम का भाई।वो सामने गाड़ी में आपका इंतजार कर रही है।चलिये!

परम की बात सुन पूर्वी ने सामने देखा तो अर्पिता को देख उठ कर उसकी ओर बढ़ जाती है।परम भी पीछे पीछे चले आते हैं और तेज कदमो से गाड़ी में बैठ जाते है तो पूर्वी भी गाड़ी में बैठ जाती है और परम गाड़ी दौड़ा देता है।कुछ ही देर में तीनो स्टेशन के पास होते है तो परम अर्पिता से कहता है गाड़ी बस स्टेशन पर कुछ सेकण्ड रोकना और पूर्वी आप गाड़ी से उतर कर स्टैंड के अंदर जाना और दूसरे गेट से बाहर आना वहां से हम शॉर्टकट ले स्टेशन पहुंचेंगे। भाभी आप हमे स्टेशन के एंट्री गेट पर मिलना ठीक है।परम का प्लान समझ अर्पिता हां कहती है।और जैसा परम ने कहा दोनो वैसा ही करते है।परम पूर्वी से कहता है पूर्वी आपके साथ मेरी छोटी भाभी नही मैं जाऊंगा।मैं आपको आपके युव्वि से मिलवा आपकी शादी करा कर वापस चला आऊंगा।आपको मेरे साथ चलने में कोई समस्या तो नही है।

पूर्वी एक बार फिर अर्पिता की ओर देखती है तो परम कहते है आप मुझे नही जानती लेकिन अपने म्यूजिक टीचर प्रशांत को तो जानती है।मैं उन्ही का छोटा भाई हूँ परम।

प्रशांत का परिचय पा पूर्वी कहती है फिर तो हमे कोई परेशानी नही है सर को मैं बहुत अच्छे से जानती हूँ।और आप उनके भाई है तो अपरिचित नही हैं।

अर्पिता पूर्वी को आवश्यक इंस्ट्रक्शन देती है और परम की ओर देख आभार व्यक्त करती है।परम अपने फोन पर ट्रेन देखते है और कहते है ट्रेन पंदह मिनट में यहां पहुंचने वाली है हमे चलना चाहिए।कहते हुए वो कुछ ही सेकण्ड में बस स्टैंड पहुंचते और प्लान के अनुसार कार्य करते हुए वो शॉर्टकट ले स्टेशन की ओर निकल जाते हैं।वहीं अर्पिता गाड़ी ड्राइव करते हुए स्टेशन की पार्किंग में गाड़ी रोकती है जहां वो अंदर जाकर परम और पूर्वी से मिलती है। तीनो अंदर पहुंचते है।अप्पू टिकट काउंटर की ओर देखती है और उन दोनो को आगे भेज टिकट लेती है और उन दोनो के पास पहुंचती है।ट्रेन प्लेटफॉर्म पर ही खड़ी होती है तो पूर्वी और परम ट्रेन में चढ़ जाते हैं।कुछ ही देर में ट्रेन रवाना हो जाती है ट्रेन के रवाना होने के बाद अर्पिता वहीं खाली बेंच पर बैठ जाती है।उसके जेहन में बीस दिन पहले हुए हादसे की यादें ताजा हो जाती है।अपने मां पापा के बारे में सोच उसकी आँखे भर आती है कुछ देर बाद वो उठती है और जाने के लिए मुड़ती है। आगे कुछ लोगों को खड़े देख अपना कदम पीछे हटा लेती है।

आगे खड़े हुए लोग पूर्वी के गार्ड होते है जो एक दिन पहले हुई घटना के बाद उसके पिता ने बिना पूर्वी को बताए उसके लिए नियुक्त किये थे।

उन्हें देख अर्पिता समझ जाती है कि वो परेशानी में पड़ चुकी है।वो मन ही मन कहती है थैंक गॉड परम जी और पूर्वी यहां से निकल चुके हैं।

वो कुछ कहती उससे पहले ही उनमे से एक व्यक्ति आगे आता है और अर्पिता से पूर्वी के बारे में पूछता है।

तो अर्पिता कहती है हमे क्या पता पूर्वी कहां है वो तो बस स्टैंड पर ही उतर गयी थी अब कहां गयी क्यों गयी ये हम क्या जाने हमसे तो लिफ्ट के लिए बोला उसने तो हमने दे दी।

वो गार्ड दोबारा कहता है अगर आप नही जानती तो आपके साथ इस गाड़ी में एक व्यक्ति और बैठा था वो कौन था और वो पूर्वी मैम के साथ क्यों उतरा वहां।

अर्पिता उससे एक कदम पीछे हटी और बोली वो व्यक्ति हमारे भाई थे जिन्हें छोड़ने हम यहां आये थे तभी तो पूर्वी को लिफ्ट दी हमने क्योंकि हम भी इस तरफ ही आ रहे थे।

जब आप अपने भाई को बस स्टैंड पर ड्रॉप करने आई थी तो फिर यहां क्या कर रही हो इस बार दूसरे गार्ड ने कहा तो अर्पिता बिफरते हुए बोली बड़े अजीब इंसान है आप।अरे ये रेलवे स्टेशन है यहां गाड़ी लेकर कोई क्यों आयेगा ..!और आप कोई पुलिस अधिकारी हो जो इतने सवाल जवाब कर रहे हो।हमसे उसने लिफ्ट मांगी तो दे दी बाकी कहां क्यों कौन ये आपकी प्रॉब्लम है आप खुद देखो..!

कहते हुए अर्पिता आगे कदम बढ़ाती है।तो एक गार्ड उसके आगे आ खड़ा हो जाता है और अर्पिता को धमकाते हुए कहता है सीधी तरह से बता दो नही तो हमारे मालिक क्या करेंगे ये तुम भी नही जानती हो..!

देखो कितनी बार कहे हम कि हमे कुछ नही पता और अब हमारा रास्ता छोड़ो हमे पानी लेना है कहते हुए वो आगे कदम बढ़ाती है तो खिंचाव महसूस होने पर वो रुक जाती है।और मन ही मन कहती है आपके ठाकुर जी की कृपा हो गयी जो आप आ गये शान..!

क्रमशः....