Defeated Man (Part 20) in Hindi Fiction Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | हारा हुआ आदमी (भाग20)

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हारा हुआ आदमी (भाग20)

बारात दरवाजे पर आ पहुंची।देवेन के दोस्त बैंड की धुनों पर नाच रहे थे।देवेन घोड़ी पर बैठा था।निशा की सहेलिया बारात देखकर अंदर चली गई थी।
"तूूम्हारा दूल्हा तूूम्हे लेने आ ही गया।"गीता नेे निशा की थोडी उठाकर उसकी आँखों में आंखे डालकर देेखा था।
"घर आया मेरा। और लड़कियां गाने लगी।
" अरे तुम्हहै कुुुछ होश। भी है।"माया कमरे में चली आयी। लड़कियों की मस्ती और उछल कूद देखकर उन्हें टोका था।
"क्या हुआ आंटी?"लड़कियां मस्ती करते हुए ही बोली।
"दूल्हा दरवाजे पर खड़ा है।निशा को वरमाला के लिए ले चलो।"माया चली गई।
निशा की सहेलिया उसे दरवाजे पर ले गई।सामने देवेन दूल्हा बना खड़ा था।निशा को देखकर देवेन के दोस्तो ने तालिया बजाई थी।निशा ने वरमाला देवेन के गले मे औऱ देवेन ने निशा के गले मे डाली थी।
देवेन कि बारात में उसके दोस्त आये थे।उसका कोई रिश्तेदार नही था।अपनी चाची को वह वर्षो पहले छोड़ आया था।
निशा ,देवेन को पहली बार नही देख रही थी।फिर भी दुल्हन बनकर शर्मा रही थी।फोटोग्राफर और वीडियो कैमरे हल पल को कैमरे में केद कर रहे थे।
और रात भर मैरिज होम में एक के बाद एक कार्यक्रम चलते रहे।और सुबह निशा विदा होकर देवेन के साथ दिल्ली चली गई थी।
सुहागरात
सुहागरात का नाम जुबान पर आते ही मन मचलने लगता है।शरीर मे गुदगुदी होने लगती है।सुहागरात का नाम आते ही नवविवाहित दूल्हा दुल्हन का मन पुलकित हो उठता है।
सुहागरात हर मर्द औरत की जिंदगी में आती है।सुहागरात हर कुंवारे दिल का सपना होती है।
सुहागरात के लिए सुहागकक्ष को सजाया जाता है।सुहागसेज पर फूल बिछाए जाते है।पूरा कक्ष भीनी भीनी सुगन्ध से महकता है।इस रात को पहली बार दूल्हा दुल्हन एकांत में मिलते है।दो अनजान अजनबी जो शादी के पवित्र बंधन में बंध चुके है।प्यार भरी मीठी मीठी बाते करते है।दो दिल मिलते है।दो कुंवारे तन एकाकार होने की दिशा में कदम बढ़ाते है।इसी रात को दूल्हा दुल्हन पति पत्नी बनते है।
आज देवेन और निशा की सुहागरात थी।निशा दुल्हन बनी सुहागसेज पर बैठी थी।देवेन दूल्हा बना था।सुहागकक्ष भीनी भीनी सुगंध से महक रहा था।उस गन्ध से ज्यादा मादक निशा के जिस्म की गंध थी।
और निशा,देवेन प्यार भरी बातें करने लगे।और मीठी बातो और फिर देवेन के हाथ निशा के शरीर पर खिसकने लगे।और निशा के बदन से वस्त्र हटते गए।और दो जवान जिस्म पहली बार मिले।
रंगीन नशीली रात धीरे धीरे ढल रही थी।निशा का मदमाता यौवन देवेन के नीरस फीके और सुने जीवन मे रस घोल रहा था।
भोर की सुहानी किरणे खिड़की के शीशे को पार करके बैडरूम में चली आयी थी।सुहागरात जीवन मे एक ही बार आती है।इसलिए हर पति पत्नी अपनी सुहागरात को याद रखते है।देवेन को भी अपनी सुहागरात ऐसे याद थी।मानो कल की ही बात हो।
उस रात देवेन अपने दोस्त रमेश,सुरेश,कमल और रवि के साथ बैठा था।देवेन शराब नही पिता था ।लेकिन अपने दोस्तों के लिए मंगानी पड़ी थी।
रात को दस बजे देवेन के चारो दोस्त चले गए थे।उनके जाने के बाद देवेन उठा और आईने के सामने जाकर खड़ा हो गया।उसने आईने में स्वंय को देखा।
देवेन सूट में सुंदर लग रहा था।अपनी ही मोहक छवि को आईने में देखकर वह बोला,"तुम्हे देखकर कौन लड़की तुम्हारी होना नही चाहेगी।"