नवलकथा के बारे में: हमारी ज़िंदगी में हम ये हंमेशा चाहते है कि कोई एक ऐसा हो जो हमारी फिक्र करें, हमारी कदर करें, हमारी रक्षा करें, हमें सही राह दिखाए, गलती करने से बचाए। किसी के पास अगर ऐसा कोई दोस्त, जीवनसाथी या शुभचिंतक हो तो वो किसी फ़रिश्ते से कम नहीं। हम उन्हें सही मायने में फ़रिश्ता (Angel) समझने लगते है। ये कहानी है काम्या की जिसकी ज़िंदगी में मनोहर नाम का शख़्स दस्तक देता है और उसकी ज़िंदगी में बदलाव आ जाता है, उसकी नज़र में वो एक Angel है। पर क्या वो सचमुच में Angel होता है? कहीं वो Angel के वेश में कोई Demon (दानव) तो नहीं?
Chapter 1: The Miracle
“कितनी घटिया पार्टी है, यार! मन तो कर रहा है अभी इस कमीने की महफ़िल में आग लगा दु।” काम्या ने सिम्मी से कहा।
“धीरे बोल यार! क्यों किसी की शादी के बारे में ऐसा बोल रही है?” सिम्मी ने कहा।
“भाड़ में जाए ये लोग, मैं बोर हो रही हूं। मैं यहां से जा रही हूं।” काम्या ने कहा और वहां से जाने लगी।
“रुक यार, ऐसे शादी की रिसेप्शन सेरेमनी को बीच में छोड़ कर क्यों जा रही है? कम से कम खाना तो खा ले। और अमर तेरे बारे में पूछेगा तो मैं क्या बोलूंगी?” सिम्मी ने कहा।
काम्या ने मुड़ कर देखा और हल्का सा मुसकुराकर सिम्मी से कहा, “वो मेरे बारे में अब कभी नहीं पूछेगा!” और फिर वो अपनी कार लेकर वहां से चली गई।
हां अब वो मेरे बारे में कभी नहीं पूछेगा। एक वक्त था जब वो मेरे बिन मर जाने की बाते करता था। उस वक्त भी ये बाते फालतू लगती थी मुझे और आज भी, पर इश्क में दगा देगा वो ऐसा कभी नहीं सोचा था। इतनी नासमझ मैं कैसे हो सकती हूं?
जिसकी ख़ातिर अपनो को किया था ज़िंदगी से दफ़ा
उम्मीद थी वफ़ा की उससे, पर वो भी निकला बेवफ़ा।
हाथ छूटा, साथ छूटा, हुई ज़िंदगी खफ़ा-खफ़ा
थे नासमझ, अब समझ आया ज़िंदगी का फ़लसफ़ा।
हां अब ज़िंदगी का फ़लसफ़ा पता चला, पूरे 32 साल इस दुनिया में रहने के बाद। अब जब इस दुनिया के अनुभव हो गए लोगों के बारे में समझ लिया तो अब इस दुनिया और दुनिया के लोगो से कोई उम्मीद नहीं है, और जब उम्मीद ही कोई नहीं बची तो नाउम्मीदी को लेकर जीने का क्या फायदा? बेहतर होगा इस ज़िंदगी को ही अलविदा कर दिया जाए।
काम्या ने मन ही मन आत्महत्या करने की सोच ली। एक तरफ उसकी आँखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे तो दूसरी तरफ उसके नेगेटिव विचार भी रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। उसने अपनी कार रेलवे की पटरी पर चढ़ा दी, अपने फेसबुक में लाइव हो गई और ज़ोर से चिल्ला कर बोलने लगी,
“बाय-बाय दुनिया वालो, उम्मीद है अब किसी को मेरी वजह से कोई तकलीफ नहीं होगी और मुझे भी किसी से कोई तकलीफ नहीं होगी। अब हद हो चुकी हैं हर चीज़ की अब और सहन नहीं होता। सो मैं मरने जा रही हूं। मैं एक रेल की पटरी पर हूं और कुछ ही देर में सामने से ट्रेन आएगी और मुझे इस दुनिया की कैद से आज़ाद कर देगी…”
फेसबुक पर ये लाइव स्ट्रीम हो रहा था, और कई सारे दोस्त (फेसबुक के) उसे लाइव देख रहे थे। अब सामने से ट्रेन भी आ रही थी।
“बस कुछ देर और, ये देखो दुनिया के लोगो ट्रेन आ रही है और… और ये क्या?” काम्या ने कुछ देखा और कहा, “ये क्या हो रहा है?”
तभी कुछ अजीब हुआ। काम्या को एक परछाई सी दिखाई दी जो एकदम पटरी के बीच पर थी और ट्रेन और काम्या के कार के सामने। काम्या ने तुरंत अपनी गाड़ी को मोड़ दिया, पर उसके कर की गति इतनी ज़्यादा थी कि वो कार को बैलेंस नहीं कर पाई, और कार पलट गई, और ट्रेन उसके आंखों के सामने से गुज़र गई। काम्या की ज़िंदगी तो बच गई पर उसको चोट लगने के कारण वो बेहोश हो गई। बेहोश होने से पहले उसने फिर से वही परछाई अपने नज़रों के सामने देखी।
वो परछाई किसकी थी? और वो अचानक काम्या के सामने कैसे आ गई? काम्या आत्महत्या क्यों करना चाहती है? कौन है काम्या? उसे किसी ने बचाया या फिर ये सिर्फ उसका वहम था? जानिए ये आगे के अंकों में।
Chapter 2 will be continued soon…
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✍️ Anil Patel (Bunny)