What to say… Part - 2 in Hindi Love Stories by Sonal Singh Suryavanshi books and stories PDF | क्या कहूं...भाग - २

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क्या कहूं...भाग - २

विवान दूसरी शादी के लिए तैयार हो गया था। उसके मम्मी पापा थोड़े खुश थे। उनके पास धन वैभव की कमी नहीं थी। विवान की शादी के लिए कोई भी लड़की तैयार हो जाती लेकिन पिछले बार की गलती वो दुबारा नहीं करना चाहते थे। इसलिए सही लड़की ढुंढना थोड़ा मुश्किल था। राजवर्धन ने जो लड़की देखा था उसे सभी देखने गए। किंतु वो लड़की कुछ खास पसंद नहीं आई। अब विवान अपनी उदासी को छिपाता था जिसमें वह बचपन से माहिर था। वह सबके सामने खुश होने का दिखावा करता था सिर्फ अपने माता पिता के लिए। वह अपने माता-पिता से बहुत प्यार करता था। उसका जन्म आज के आधुनिक युग में जरूर हुआ था पर वो श्रवण कुमार था। उनके लिए तो उसने अपनी "जान" को भी कुर्बान कर दिया। अपने माता-पिता का ऋण चुकाने के लिए वह इस कुर्बानी को भी तुच्छ समझता है।
कुछ दिन यूं ही बीत गए। राजवर्धन दूसरे लड़की की तलाश कर रहे थे। विवान भी अस्पताल के काम में व्यस्त था। एक दिन उसके अस्पताल में एक नोटिस आया जिसमें लिखा था कि "उसे राज्य के प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में एक समारोह के लिए जाना है।" वहां अनेक राज्यों के सभी वरिष्ठ प्रसिद्ध प्रोफेसर आएंगे, सम्माननीय राजनेता के अतिरिक्त डाॅक्टर, पुलिस भी उपस्थित रहेंगे। विवान इस बात को घर में बताता है और जाने की तैयारी करने लगता है। दो दिन बाद वह सुबह यूनिवर्सिटी को प्रस्थान करता है। वह एक दिन पहले वहां पहुंच चुका था। उनके रहने का इंतज़ाम काॅलेज के ही अतिथि गृह में किया गया था। रत्रिभोजन करके विवान अपने कमरे में सोने चला गया। वो पलंग पर लेटा हुआ था कि उसे किसी की आवाज सुनाई दी। आवाज़ सुनकर विवान इतना उत्सुक हुआ कि वो दरवाजा खोलकर बाहर की ओर देखने लगता है वहां उसे कुछ स्त्रीयां जाती हुई दिखी पर वो नहीं दिखी जिसे विवान की नजरें देखना चाहती थी। शायद भ्रम हो यह सोचकर वो फिर पलंग पर लेट गया और कुछ देर में उसे नींद आ गई।
सुबह वह जल्दी उठकर तैयार हो कर सभागार में पहुंच जाता है। यह दो दिवसीय वार्षिक समारोह था जिसमें सभी क्षेत्रो से लोगों को सम्मान के लिए बुलाया गया था। इसमें विवान का भी नाम शामिल था। पहले दिन विवान मध्य में बैठता है। समारोह शुरू हो जाता है। पुरस्कार के लिए लोगों के नाम पुकारे जा रहे थे।

"अब बेस्ट हेड आॅफ डिपार्टमेंट फिजिक्स के लिए पुरस्कृत हुई है "स्मृति राजपूत"

जैसे ही विवान ने यह नाम सुना उसकी नजरें बैचेन हो गई। वह एकटक स्टेज पर देख रहा था। क्या मैंने सही सुना? कोई और होगी, वो यहां कैसे आ सकती है ? कुछ पल में ही ना जाने कितने सवाल विवान के जेहन में आ गई थी। तभी उसके भ्रम को तोड़ती हुई स्मृति स्टेज पर आई। विवान बस उसे देखता ही रह गया। बरसों बाद उसके यादों के समुंदर में तूफान उठ गया था जिसे वह रोकने में नाकाम हो गया। तूफान ने पिछे बीते उन सारे यादों को एकबार में ही विवान के सामने ला दिया जिसे वो बहुत दूर छोड़ आया था। साथ ही ले आया कुछ सवाल जो उसका दिल उससे अक्सर पूछा करता था। जिससे पीछा छुड़ाने के लिए उसने पहली शादी का छलावा किया था।