Holiday Officers - 23 in Hindi Fiction Stories by Veena Vij books and stories PDF | छुट-पुट अफसाने - 23

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छुट-पुट अफसाने - 23

एपिसोड---23

अभी कल की ही बात है तो, कभी बरसों निकल गए।आपकी सोच और मनोवृत्तियां आपको दिशाएं दिखाती रहतीं हैं। उन की ओर बढ़ने हेतु मन को स्वस्थ तन का भी साथ मिल जाए तो ढलती सांझ में भी ताजगी बनी रहती है और ढलती उम्र का बोझलपन हल्का हो जाता है । तभी वहां पहुंचकर लगता है कि स्मरण से नहा लिए हैं। स्मरण की रफ्तार चल पड़ती है, यादों को टटोलने...

‌ शादी के बाद कटनी यानि कि मायके जाने का अभी कोई दृश्य माहौल में सांस नहीं ले रहा था। पंजाब-दर्शन थोड़ा-बहुत करके हम जालंधर, अपने घर आ गए थे। यहां औपचारिक निमंत्रणों का तांता हमारी बाट जोह रहा था। सर्वप्रथम जालंधर से आधा घंटा दूर पश्चिम में 'कपूरथला', रवि जी के ननिहाल जाना तय हुआ। कपूरथला-- महाराज फतेह सिंह, जगतजीत सिंह का ऐतिहासिक नगर अपने में राजसी गरिमा समेटे हुए देसी रियासत था। तकरीबन एक घंटे में हम सीधे "कांजली झील" पर पहुंचे। कपूरथला के पास खूबसूरत पिकनिक स्पॉट था तब, अब सुनते हैं झील weeds से भर चुकी है। उन दिनों जालंधर के लोग इतवार को वहां झील में नौका विहार करने का शौक रखते थे। खूब रौनक होती थी।"जंगल में मंगल "वाला हाल था वहां।

वहां कुछ वक्त गुजारने के बाद हम मामा जी श्री बी आर चोपड़ा के घर गए। ( फिल्म इंडस्ट्री वाले बी.आर चोपड़ा नहीं, वैसे वो बीजी के चाचा जी का परिवार है।) उनका घर जलावखाने की ओर था। जिसे "पुरातन पैलेस "भी कहा जाता था। मेरे लिए सबसे रोचक था वहां जलावखाने की तीन फुट चौड़ी टूटी दीवार को देखना । ये पतली ईंट की टाइलों से बनी मिट्टी की चिनाई वाली दीवार थी। ऐसी ही दीवारों में सेंध लगती होगी, मेरे दिमाग में यह बात उसी वक्त कौंधी। बचपन की कहानियों में चोर सेंध लगाते थे, घर में घुसकर चोरी करने के लिए। तभी चोरों को देर लगती थी। ऐसी चौड़ी दीवार देखना अजूबा था मेरे लिए। क्योंकि आजकल सीमेंट की चिनाई से दीवारें पतली होत�