Velentain day...! - 1 in Hindi Fiction Stories by Deepak Bundela AryMoulik books and stories PDF | वेलेंटाइन डे...! - 1

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वेलेंटाइन डे...! - 1

वेलेंटाइन डे...!

ऐसा कुछ नहीं हैं, मैं सिर्फ इतना जानती हूं कि वो मेरा बिता हुआ कल था... ठीक हैं जवानी में प्यार कर लिया उसकी ज़िन्दगी में हादसा होना था हो गया... मैं अब उसे भूल चुकी हूं. रीटा ने नेहा से झुंझलाह भरे शब्दों मे कहां था.

नेहा- ये कैसी बातें कर रही हैं तूँ... पिछले 3 साल तुम लोगों ने एक दूसरे को प्यार करके निकाले हैं आज वो अपनी आंखे खो चुका हैं तो तूँ इतना बदल जायेगी ये मैंने सोचा नहीं था... मैं तो तुझसे इतना कहने आयी थी आज पूरे एक साल होने को हैं आज ही के दिन उसका एक्सीडेंट हुआ था... उस वक़्त तू भी उसके साथ ही थी... देख वो आज भी तेरा इंतज़ार कर रहा हैं... आज वेलेंटाइन डे हैं कम से कम आज तो उसे विष कर दें...?

रीटा- देख नेहा अब बहुत हुआ... मैं इस बारे में अब कुछ नहीं सुनना चाहती मैं अच्छे से जानती हूं मुझे मेरी ज़िन्दगी कैसे जीना हैं... उस अंधे का बोझ मैं ज़िन्दगी भर नहीं ढो सकती मेरी भी ख्वाहिशे हैं... मेरी भी आशाए हैं...

नेहा- मतलब तुझे उससे प्यार नहीं हुआ था..?

रीटा- जवानी के जोश में भटक गई थी और गलती कर बैठी थी... अगर तुझे इतनी हमदर्दी हैं तो तू जाकर विष कर दें.

नेहा रीटा के शब्द सुन कर तिलमिला सी जाती हैं और उठ ख़डी होती हैं

नेहा- माफ करना रीटा ये ज़िन्दगी है इस ज़िन्दगी में कभी ना कभी तुम्हे सामना तो करना ही पड़ेगा... मैं चलती हूं. लेकिन अब कभी नहीं आउंगी

रीटा- (अभिमान भरे अंदाज़ से) एज़ यू लाइक..

नेहा रीटा के घर से चली जाती हैं..

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इश्क़ में ऐसी कई युगल प्रेमियों की फितरत होती हैं.. जो अपने स्वार्थ के लिए अपनी ख़ुशी के लिए इश्क़ के खेल को खलते हैं.. ऐसे हीं एक खेल की दास्तान इस वेलेंटाइन पर प्रस्तुत हैं उम्मीद हैं आपको पसंद आएगी.
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पांच साल बाद

शाम हो चली हैं...शहर का एम्स हॉस्पिटल का केम्पस रीटा किडनी रोग के डायलीसिस वार्ड के बहार बैठी हैं. लोगों का आना जाना लगा हैं... हल्का शोर शराबा हो रहा हैं उसी शोर में गिटार की एक धुन भी सुनाई दें रही हैं जो रीटा के कानों में घुलने लगती हैं रीटा फ़ौरन चौकान्नी होती हैं. और मन हीं मन सोचती हैं.

रीटा- ये कैसे हो सकता हैं...

वो एकदम से खडे होकर दीवारों और छत्त की तरफ देखती हैं लेकिन इंट्रेक्शन बोर्ड और पोस्टरो के सिबाय कुछ नहीं हैं

रीटा - यहां तो कोई भी साउंड बॉक्स नहीं हैं... फिर ये धुन कहां से आ रही हैं... वो चेयर से उठ कर ख़डी हो जाती हैं... और आवाज़ आने वाली दिशा कको तलाशती हैं वो बरामदे नुमा तीनों तरफ की गैलरीयों में तलाश कर के असहाय हो जाती हैं..
तभी उसके दिमाग़ में आता हैं के क्यों ना अस्पताल के किसी वर्कर से पूछा जाए.. वो सामने गैलरी में अपनी नज़रे दौडाती हैं... वहां आते जाते लोगों में उसे कोई नहीं मिलता.. फिर वो अपनी नजर दाए तरफ की गैलरी में दौडाती हैं तो सामने एक नर्स उसे दिखाई देती हैं रीटा तेज़ कदमों से उस नर्स के पास जाती हैं...

रीटा- एक्सक्यूसमी...?

नर्स - यस मेम..

रीटा - क्या आप बता सकती हैं कि ये मज़िक कहां बज रहा हैं...?

नर्स रीटा को आश्चर्य से देखती हैं..

रीटा- सिस्टर क्या आपको ये म्युज़िक सुनाई दें रहा हैं मैं आप से इसके बारे मैं पूछ रही हूं...?

नर्स- हां हां... सुनाई दें रहा हैं..

रीटा- फिर मुझे आप इस तरह क्यों देख रही हैं मुझे..?

नर्स- इससे पहले कभी किसी ने पूछा नहीं इसलिए

रीटा- सिस्टर बताइये ना प्लीस..

नर्स- ये साइड बाले प्राइवेट वार्ड के ब्लॉक के गार्डन से आ रही हैं..

रीटा - कहां से जाना होगा वहां के लिए

नर्स -वो उधर साइड से सीढ़ियों से चले जाइये आप...

रीटा - थेंक्यू सिस्टर...

और रीटा दौड़ती हुई सीढ़ियों की तरफ जाती हैं.

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क्रमशः भाग -2