love - 7 in Hindi Fiction Stories by ArUu books and stories PDF | इश्क़ - 7

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इश्क़ - 7

ये कहानी है आरोही और निक्षांत की मोहब्बत की
जिंदगी के हर बुरे दौर से गुजर कर भी दोनों अपनी मोहब्बत को निभाते है
किस तरह बदलती दुनियाँ में भी दोनों एक दूसरे की प्रति समर्पित रहते है
आरोही की जिंदगी की खाली जगह कैसे निक्षांत के आने से पूरी हो जाती है और वो ज़रा जरा मोहब्बत मे डूब जाती है

Part 7


"आरोही जब मैने तुम्हे पहली बार देखा था ना
तभी मुझे लगा तुम मेरे लिए बहुत special हो
में तुमसे सच में बहुत प्यार करता हु
और ये कोई मज़ाक नही है
और हाँ तुम्हे अगर ये लगता है ना की मेरे बहुत सारी gf है तो में कुछ नहीं कर सकता पर सच तो ये है की तुम मेरी पहली मोहब्बत हो"
ये सब निक्षांत एक सांस में कह गया
आरोही उसे बिना कुछ कहे लिपट गयी
आँखों में आँसू लिए बस उसने इतना कहा
"मुझे कभी छोड़ के मत जाना निक्षांत "
"कभी नहीं... तुम चाहो तो भी नहीं"

तभी आरोही के फोन की रिंग बजती है
जीवा का फोन आता है
"बेटा तुम्हारे बाबा का फोन आया था
तुम्हारे लिए लड़का देखा है
तुम्हे गाँव बुलाया है"
आरोही जड़वत खड़ी रहती है
उसके हाथों से निक्षांत की बाहो की पकड़ ढीली हो जाती है
निक्षांत उसे सारी बात पूछता है
वो निक्षांत का हाथ थामे उसे सब बताती है
"तुम चिंता मत करो
मै हूँ ना
अब तुम्हे कभी जाने नहीं दूँगा"
ये कहकर वो उसे माथे पर चुम्ब लेता है


आरोही ने पहली बार जीवा के बाद किसी पर इतना विश्वास किया
और निक्षांत ने भी कभी उसका यकीन टूटने नहीं दिया
हर परेशानी में वो उसका साथ देता
जहाँ बचपन में जो प्यार की कमी उसे महसूस हुई
वो भी निक्षांत पूरी कर देता
उसकी हर छोटी मोटी बच्चों वाली जिद भी पूरी करता
आरोही गुस्से मे मुह सुजा देती तो वो अपनी नादानियों से उसे हंसा दिया करता
वो हर संभव कोशिश करता उसे खुश रखने की
पर उनकी ये खुशी ... जल्द ही मशहूर हो गई
झमुरे तक जब ये बात पहुंची तो अपनी इज्जत के रुतबे को रखने के लिए उसके जीवा वो फोन कर साफ शब्दों में कह दिया था
की आरोही की शादी होगी तो बस हमारी मर्ज़ी से और हमारी पसंद के लड़के से
दरअसल उनकी कास्ट अलग थी
इस बार भी उनके प्यार में सबसे बड़ी रुकावट यही थी
जीवा चाहती थी की आरोही अपनी पसंद से शादी करे पर वो मजबूर थी
झमुरे की जिद के आगे वो कर भी क्या सकती थी

दोनों एक दूसरे को खोने के डर से जीना भूल गए थे
हमेशा साथ जीने मरने के वादे करने वाले निक्षांत और आरोही इस समाज़ और इज्जत के डर से दूर कर दिये गए

आरोही की शादी कहीं और तय कर दी
और निक्षांत उसे दूर जाते देख बस रोता रहता



10 साल बाद

"अरे ऑफिस नहीं जाना क्या तुम्हें
उठ जाओ अब कब तक सोते रहोगे"
वो अपने पति को आवाज़ लगाते हुए कहती है
और चाय का कप उसके बेड के पास रख जाती है।
वो उठ के उसका हाथ पकड़ लेता है
वो झल्ला उठती है
"ऑफिस के लिए तैयार हो जाओ ... कब से बोल रही हु
सुनते क्यों नहीं तुम"
वो उसे अपनी तरफ खिच लेता है और कहता है जब इतनी खूबसूरत बीवी हो तो ऑफिस कौन जाना चाहेगा

आरोही हाथ छुड़ा के रसोई की तरफ बढ़ जाती है