TU PATANG MAIN DOR - 2 - last part in Hindi Short Stories by S Sinha books and stories PDF | तू है पतंग मैं डोर - 2 - अंतिम भाग

The Author
Featured Books
  • My Wife is Student ? - 25

    वो दोनो जैसे ही अंडर जाते हैं.. वैसे ही हैरान हो जाते है ......

  • एग्जाम ड्यूटी - 3

    दूसरे दिन की परीक्षा: जिम्मेदारी और लापरवाही का द्वंद्वपरीक्...

  • आई कैन सी यू - 52

    अब तक कहानी में हम ने देखा के लूसी को बड़ी मुश्किल से बचाया...

  • All We Imagine As Light - Film Review

                           फिल्म रिव्यु  All We Imagine As Light...

  • दर्द दिलों के - 12

    तो हमने अभी तक देखा धनंजय और शेर सिंह अपने रुतबे को बचाने के...

Categories
Share

तू है पतंग मैं डोर - 2 - अंतिम भाग

अंतिम भाग -2


पिछले अंक में आपने पढ़ा कि विकास और मान्यता बचपन के वर्षों बाद कॉलेज में मिलते हैं ….


कहानी - तू है पतंग मैं डोर


विकास ने हँस कर समझाते हुए कहा " नहीं यार , अभी तक देवदास और पारो वाली बात नहीं है . हम बचपन के बाद आज आमने सामने हुए हैं . ठीक से एक दूसरे को पहचान भी नहीं सके थे . "


" तुम वही बंदरी हो . इतनी सुन्दर और स्मार्ट कैसे हो गयी .याद है तुमने मेरा पतंग उड़ाया था .बार

बार बंदरी की तरह उछल रही थी .बड़ी मुश्किल से पतंग हवा में उड़ा था ."


दोस्तों के बीच बंदरी सुन कर मान्या थोड़ा झेंप गयी , पर तुरंत ही पलट कर वार कर कहा " बंदर तो तुम थे , एक कटी पतंग लूटने के लिए उसके पीछे दौड़ पड़े थे .याद है गिरने से घुटने भी जख्मी हो गए थे .वैसे अब पतंग भी अच्छी तरह उड़ा लेती हूँ ."


" ठीक है , कभी मुकाबला हो जाएगा .पर अभी इस टॉप प्राइज़ के लिए कुछ ट्रीट बनता है ."


वे लोग अपने ख़ास दोस्तों के साथ कैंटीन गए .


कुछ दिनों के बाद मान्या और विकास दोस्तों के साथ पिकनिक में गए थे .वहां पतंगबाजी होने लगी .मान्या और विकास के पतंगों ने पेंच लड़ाने शुरू किये .थोड़ी देर बाद मान्या ने विकास के पतंग को काट दिया .


" तुम्हारा जवाब नहीं है मान्या .तुम्हारा लोहा मानना ही पड़ेगा ." विकास बोला


इसके बाद से विकास और मान्या का मिलना जुलना शुरू हो गया .धीरे धीरे एक दूसरे के करीब होने लगे .जब कभी पढ़ाई लिखाई से फ्री होते फोन पर बातें करते , विडिओ चैटिंग भी करते . दबी जबान में प्यार का इजहार भी करते .दोनों को एक दूसरे से बिना मिले या बात किये चैन नहीं था .उनके दोस्त कहा करते कि दोनों पतंग और डोरी की तरह हो गए हैं . दोनों ने मन ही मन जीवन साथी बनने का फैसला भी कर लिया था .


BHU से ग्रेजुएशन के बाद विकास को मैनेजमेंट की पढ़ाई के लिए IIM लखनऊ जाना था .कुछ दिन बाद एक संध्या दोनों पार्क में मिले थे .दोनों कुछ उदास थे .विकास ने कहा " डोंट वरी .दो साल के अंदर मैं सैटल हो जाऊँगा . तब तक तुम्हारा भी ग्रेजुएशन हो जायेगा उसके बाद हमें एक होने से कोई नहीं रोकेगा ."


" अच्छा अब रात हो चली है , हमें चलना होगा ." मान्या बोली


मान्या का हाथ पकड़ कर उसे रोकते हुए विकास बोला " अभी न जाओ छोड़ के , एक बार जुदाई के पहले गले से तो लगा लूँ ."


वह शर्मा कर बोली " अभी नहीं . "


विकास ने उसे अपने आगोश में ले कर कहा " अब शर्म कैसी ? तुम तो खुद ही मुझसे लिपट पड़ी थी .याद करो इलाहबाद में सात आठ साल पहले की घटना .तब उस समय भी मेरे जिस्म को करेंट सा लगा था और आज भी ."


" अच्छा अब तो हो गया , छोड़ो कोई इधर आ रहा है . "


विकास चला गया , पर बीच बीच में वह बनारस आकर मान्या से मिला करता .दो साल बाद विकास ने पुणे में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में नौकरी ज्वाइन किया और मान्या वहीँ सिम्बियोसिस में MBA पढ़ने गयी थी .


विकास ने अपने माता पिता से मान्या से अपनी शादी की इच्छा जाहिर की .वैसे दोनों परिवारों को कोई आपत्ति नहीं थी .पर विकास की माँ पुराने विचारों की थी .उन्होंने कहा कि बिना दोनों की कुंडली मिलाये वे अपनी स्वीकृति नहीं देंगी .


कुंडली मिलाने पर मान्या मंगली निकली .विकास की माँ ने इस रिश्ते से इंकार कर दिया .विकास ने बहुत

समझाया पर माँ नहीं मानी .वह बोली " मेरे और तुम्हारे पापा के 30 गुण मिले थे और दोनों में किसी में मंगल दोष नहीं था .देखा हमलोग कितने सुख से हैं ."


विकास ने कहा " अगर मैं शादी करूँगा तो मान्या से , वरना आपलोग मेरी शादी की बात भूल जाएँ ."


उधर विकास और मान्या आपस में संपर्क में रहे और मिला भी करते .वह मान्या को भरोसा दिलाया करता और कहता " मैं शादी तुम्हीं से करूँगा , थोड़ा और समय लगेगा मम्मी को समझाने में .पापा तो पहले से ही तैयार

हैं ."


इधर विकास के पापा की तबियत ख़राब चल रही थी .टेस्ट करने पर पता चला कि आंत का कैंसर लास्ट स्टेज में था .तीन महीने के अंदर ही उनका निधन हो गया .विकास माँ को अपने साथ पुणे ले आया .


मान्या अक्सर विकास से मिलने आती थी .वह माँ की सेवा करती और उनकी बहुत इज्जत भी करती थी .शुरू में तो माँ को यह अच्छा नहीं लगता था .पर धीरे धीरे मान्या के व्यवहार से उनके रुख में कुछ नरमी आयी .फिर भी शादी की बात से वह सहमत नहीं थीं , उन्होंने कहा " लड़की मंगली होने से लड़के की जान को खतरा है . मैं यह खतरा नहीं मोल ले सकती हूँ ."


" मम्मी , तुमने तो कहा था तुम और पापा मांगलिक नहीं थे और 32 में से 30 गुण तुम दोनों के मिले थे .तब फिर पापा के साथ ऐसा क्यों हुआ .कुंडली मिलाना पाखंड से ज्यादा कुछ भी नहीं है .और इसके नाम पर पूजा पाठ करने के बहाने पंडित हजारों या लाखों का चूना लगाते हैं यजमानों का ."


धीरे धीरे माँ के विचार में परिवर्तन आया और वह मान्या और विकास की शादी के लिए तैयार हो गयीं .मान्या ने भी MBA के बाद पुणे में नौकरी ज्वाइन किया .


आज उनकी शादी के लगभग दस साल हो रहे थे .कुछ दिनों बाद ही उनकी एनिवर्सरी थी .अचानक डोर बेल बजने से मान्या अतीत से निकल कर वर्तमान में आ गयी .दरवाजा खोलने पर आदि ख़ुशी से लिपट कर बोला " मम्मा , आज मैंने दो पतंगे काट डाली ."


" अच्छा चलो , हाथ मुंह धो कर कुछ खाओ पीओ ."


तब तक विकास भी पीछे पीछे आया .वह बोला " आदि तो हमदोनों से भी अच्छा पतंग उड़ाता है ."


" आदि बिलकुल अपने बाप पर गया है . " शीला बोल उठी


विकास ने एनिवर्सरी की पार्टी पुणे शहर से कुछ दूर फार्म हाउस में रखी थी . दिन भर का प्रोग्राम था . इस मौके पर लगभग सौ लोग आये थे .ज्यादातर शादी शुदा लोग थे पर कुछ कँवारे भी थे .कुछ दोस्तों के माता पिता भी आये थे .विकास की माँ भी आयी थीं .


मान्या की एक जूनियर मीना की शादी कुंडली के चक्कर में फंस कर रह गयी थी .मीना और उसका मंगेतर स्वप्न दोनों आये थे .स्वप्न के माता पिता भी आये थे .किसी दोस्त ने उस से पूछा कि शादी कब कर रहे हो .तब उसकी माँ ने कहा " यह मीना से शादी करना चाहता है पर वह मंगली है .यह शादी नहीं हो सकती है ."


मान्या और उसकी सास भी वहीँ थीं .मान्या बोली " ऑन्टी , यह सब हमलोगों का अन्धविश्वास है .मैं मंगली हूँ , पर विकास नहीं .और हम शादी कर खुशहाल जीवन जी रहे हैं . मैं मीना और स्वप्न दोनों को अच्छी तरह जानती हूँ . दोनों एक दूसरे को बहुत चाहते हैं . इनकी शादी कर दें आंटी . “


उसकी सास बोली " पहले मैं भी इसी ग़लतफ़हमी में थी .इसी के चलते इनकी शादी में काफी विलम्ब भी

हुआ . मेरा सुझाव मानें तो इनकी शादी कर दें .वैसे भी ये समझदार हैं , वयस्क हैं .अगर जिद पर अड़े तो

कोर्ट मैरेज कर लेंगे तब हमलोग क्या करेंगे ."


इत्तफाक से उनका एनिवर्सरी मकर संक्रांति के दिन ही होता है .पतंगबाज़ी का मौसम होता है .कुछ लोग इसकी तैयारी कर के आये थे .विकास ने मान्या को ललकार कर कहा " आओ , आज एक बार फिर आजमा लेते हैं ."


" नहीं , तुम लोग करो .मैं नहीं आती ."


" डर गयी .बहुत दिनों से पतंग उड़ाना छूटा गया है न ? "


शीला ने कहा " जा , अच्छा मौका है .ये मर्द लोग हमें कमजोर समझते हैं ."


" डरे मेरी जूती ." कह कर मान्या ने अपनी साड़ी थोड़ी ऊँची कर आँचल को कमर में कस कर लपेटा और फिर कहा " आ जाओ मैदान में जिसने भी आना है ."


कुछ दोस्तों के साथ विकास , मान्या और आदि मैदान में उतर आये .उनकी पतंगे आपस में पेंच लगाने लगीं .कोई ढील देता ,कोई टाइट करता कोई ऊपर भागता तो कोई दूसरे पतंग को लपेटने में लगा था .


थोड़ी देर में मान्या ने विकास और आदि दोनों की पतंगें काट डाली .दोस्तों ने ताली बजा कर कहा " वह भाभी , आपने तो इसका पत्ता साफ़ कर दिया है ."


इधर मान्या विकास की पतंग के पीछे दौड़ भी पड़ी थी . कुछ दूर जाकर पतंग किसी पेड़ पर फंसने ही वाली थी कि मान्या ने उसकी डोर पकड़ ली .फिर पतंग ले कर सब के पास आयी .


शीला बोली " जीजाजी , अब तो मान गए न कि हम भी किसी से कम नहीं हैं ? "


दोस्तों ने एक बार फिर चुटकी ली और कहा " कमाल है भाभी .विकास को तो पकड़ कर रखा ही है , इसकी पतंग तक को नहीं छोड़ा ."


" विकास और मैं पतंग और डोर की तरह हैं . मैं इसे इधर उधर नहीं होने दूंगी .मैं डोर की तरह इसके पीछे

पीछे रहूंगी ."


" अरे यह जब चड्डी में होती थी तभी से मेरी पतंग थामते आयी है ."


आदि ने अपनी दादी , विकास की माँ से पूछा “ दादी , पापा क्या सच बोल रहे हैं ? “


“ हाँ , तेरी मम्मी ने बहुत छोटी उम्र में ही पापा के साथ कभी पतंग उड़ायी थी . “


मान्या ने थोड़ा गुस्सा कर थोड़ा शर्मा कर पतंग की डोर छोड़ दी पतंग हवा में उड़ती हुई थोड़ी दूर ही गयी थी कि मीना और उसके मंगेतर स्वप्न दोनों ने उसे पकड़ने के लिए एक साथ दौड़ कर पतंग को थाम लिया . तब

मान्या ने स्वप्न की माँ से कहा “ आंटी , अब मीना और स्वप्न को भी पतंग और डोर की तरह बाँध दें . मीना आपको कभी शिकायत का मौका नहीं देगी मुझे विश्वास है . “


मान्या की सास ने भी कहा “ हाँ , अब और देर न कीजिये इन्हें बंधन में बाँध दें . “


स्वपन की माँ ने कहा “ हाँ , अब मैं भी यही सोच रही हूँ . “


आस पास जितने लोग थे सभी ने तालियां बजा कर इस फैसले का स्वागत किया और कहा “ इस मौके पर मुंह मीठा हो जाये . चलो , स्वप्न सभी को आइसक्रीम खिलाओ “


सभी लोग आइसक्रीम पार्लर की ओर चल पड़े .

समाप्त