Jindagi ke kuchh pal aise bhi - 2 in Hindi Love Stories by Aarvi books and stories PDF | जिंदगी के कुछ पल ऐसे भी - 2

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जिंदगी के कुछ पल ऐसे भी - 2

Part-2

अनु विनय को कुछ बोले बिना ही घर चली जाती हैं फिर सोचती है कि उसको क्या जवाब दूं अभी तो विनय से मिले 1 सप्ताह ही हुआ है ऐसे ही कई सवाल अनु के मन में चल रहे थे और अगले दिन हॉस्टल जाने के लिए पैकिंग करने लग जाती हैं और विनय को कोई जवाब नहीं देती है उधर विनय जवाब का इंतजार कर रहा होता है और बार-बार फोन का नोटिफिकेशन चेक करता हैं रविवार का दिन था कॉलेज जाना नहीं था सुबह से शाम हो गई लेकिन अनु का कोई रिप्लाई नहीं है आया तो विनय उदास हो गया और सोचने लगा कहीं वह मेरे से नाराज तो नहीं हो गई और शायद मैंने कुछ जल्दी ही बोल दिया उसको क्या करता है यार हॉस्टल आने वाली थी पर फिर मिलना नहीं होता कभी इसलिए बोल दिया फिर अपने सर पर हलके कैसे मारते हैं और कहता है कि तू भी भी नहीं क्या सोचने लगा हुआ है फिर शाम को डिनर करके सो जाते हैं अगले दिन कॉलेज के जाने के लिए तैयार हो जाता है सोचता है कि अन्नू से मिलेगा फिर अगले पल उदास हो जाता है और मन में बोलता है कि कहां मिल सकता हूं उसे हॉस्टल चली गई होगी और उस हॉस्टल के रूल के हिसाब से तो मेरा मिलना नामुमकिन है नहीं सोचता सोचता कॉलेज के लिए निकल जाता है Vinay को बस स्टॉप पर रागिनी मिलता है और पूछता है कि अनु क्यों नहीं आई तो बोलती है कि आज वह हॉस्टल जाएगी इतने में बस आ जाती है और दोनों कॉलेज के लिए निकल जाते हैं इधर अनु हॉस्टल जाने के लिए रेडी हो जाती है हॉस्टल छोड़ने के लिए मम्मी पापा और भाई साथ में जाते हैं हॉस्टल में पहुंच कर एंट्री करके गार्ड ने अनु का सामान रूम में रखवाता है अनु सामान रख के बाहर मॉम डैड के पास आ जाती हैं उनको अंदर जानाा अलाउड नहीं था थोड़ी देर बात करने के बाद जैसे ही वह लोग जाने लगे तोअनु रोने लगी और रोए भी क्यों नहीं पहली बार घरवालों से अलग हो रही थी और सबसे बड़ी बात तो यह थी कि वह बात भी नहीं कर सकती थी घरवालों से ना ही कोई आकर ऐसे मिल सकता था मिलने का भी फिक्स टाइम महीने का फर्स्ट संडे होता और वही मिल सकता जिसका कार्ड बना हुआ हो फिर वह बाय बोल के रूम में आ जाती है जाओ उसकी रूम में होती हैं दो मनाली और काव्य दोनों से थोड़ी देर बात करती है फिर अपना सामान सेट करके बैठ जाती है और विनय के बारे में सोचती है उदास हो जाती है फिर शाम को prayer का टाइम हो जाता है तेरे दोनों के साथ prayer में चली जाती है वहां सबकी काउंटिंग होती है फिर सब को वहां से भेज दिया जाता है फिर शाम को खाने का टाइम हो जाता है तो बस के बाहर लाइन लग जाती है खाने के लिए काफी देर खड़े रहने के बाद खाने के लिए लाइन लग मैं नंबर आ जाता है खाना खाकर थोड़ी देर घूमते हैं और फिर गिरिडीह का घंटा लग जाता है फिर सभी स्टडी के लिए बैठ जाते हैं अनु को इन सब चीजें मजा आ रहा था कुछ experience किया था फिर अगले दिन सुबह 4:00 बजे अरे रोती है वही काउंटिंग फिर सबको रूम में भेज देते हैं और नहाने के लिए लाइन लग जाती है नाश्ते का घंटा लग जाता है फिर नाश्ता करके सब कॉलेज निकल जाते हैं कॉलेज में बाहर से नहीं जा सकते कॉलेज जाने के लिए भी पुलिया बना हुआ उसी के से ऊपर से जाओ और उसी के ऊपर से वापस आओ कॉलेज से हॉस्टल यह सब पूरे दिन का रूटीन कुछ अजीब सा लग रहा था और ऊपर से विनय की याद आ रही थी अनु को ले जाकर रागिनी से मिलती है और विनय के बारे में पूछती है कि उसने कुछ बोला या नहीं फिर क्लास ऑफ होने के बाद जब वापस हॉस्टल जा रही है होती है पुलिया से तो विनय को देखती है खुश हो जाती है विनय भी अनु को ढूंढने की कोशिश करता है पर वो ना काम रहता है क्योंकि मैंने नियमों का फेस नहीं देखा था और इतनी भीड़ में आंखों से पहचानना आसान नहीं था फिर भी कोशिश कर रहा था सारी लड़कियां चली गई लेकिन अनु को नहीं पहचान पाया अनु विनय से नहीं बोल सकती क्योंकि अगर किसी लड़की ने मैम से शिकायत करनी तो घरवालों को आना पड़ेगा यही सब सोचकर हॉस्टल चले जाते हैं हॉस्टल जाकर खाना खाने के लिए लाइन लगानी पड़ती है तो थोड़ी देर भी नहीं हो भूल जाती है नंबर आने पर खाना खा कर लूंगा तो फिर थोड़ी देर सो जाते फिर शाम के टाइम बाहर घूमती है और विनय के बारे में सोचती है उधर भी ने भी अनु के बारे में सोचता है और सोचता है कि उसको कैसे पहचाने