भारत छोड़े हुवे जय को ५ दिन से ज़्यादा हो चुका था और तो और नफीसा की शादी से अहमदाबाद वापिस आये हुवे भी २ दिन हो चुके थे लेकिन, इतने दिनों में जय ने न तो माहेरा को एक कॉल किया था, न ही एक मैसेज। वैसे करने को तो माहेरा भी जय को कॉल या मैसेज कर सकती थी लेकिन, वो चाहती थी कि, पहली पहल जय करे। लेकिन, जब इतने दिनों में जय की ओर से एक कॉल और मैसेज नही आया तो माहेरा दिल ही दिल उदास रहने लगी और सोचने लगी कि, क्या वह एक पल भर के लिए मुलाकात थी? क्या जय उसे प्यार भी करता था? क्या वे अब फिरसे मिल पाएंगे? क्या जय अब फिर से भारत आएगा?यदि, वो भारत आएगा भी तो उसे बताएगा कि नही? इतने सारे सवालों ने माहेरा को अंदर से तोड़कर रख दिया था। लेकिन, फिर भी उसका दिल कही न कही ज़रूर जानता था कि, जय उसे कॉल ज़रूर करेगा और वो बस इसी इंतेज़ार में दिन गिन रही थी।
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लक्ष्मीने बिखरी हुई डेस्कटॉप को थोड़ा सही किया फिर सेफ्टी ग्रिल पर मिले लिफाफे को खोलने लगी। जब उसने लिफाफा खोला तो उसमें से एक लैटर के साथ एक पेनड्राइव मिली।
"मेरा नाम अब्दुल तैयब है और में एक रिपोर्टर हूँ। फिलहाल मेरी जान को खतरा है, मैं यूपी से भागता हुआ दर ब दर फिर रहा हूँ। मेरे पीछे पड़े हुवे लोग बेहद ही ताकतवर है और वे इस लिफाफे में रखी हुई पेनड्राइव को पाने के लिए कोई भी हद तक जा सकते है। इस पेनड्राइव में एक आदमी के क़त्ल का वीडियो है जो मैंने रिकॉर्ड किया है। क़त्ल हुवा आदमी पहले यूपी के नेता रामदास पासवान के लिए अवैध काम किया करता था। लेकिन, जब उसने अपने सभी गुनाहों को कबूल करना चाहा तो रामदासने बड़ी ही बेरहमी से इस आदमी का क़त्ल करवा दिया। में चाहता हूं कि जिसको भी यह खत मिले तो वह मेहरबानी करके पुलिस तक यह खत और सबूत पहुंचा दे।
-अब्दुल तैयब"
ऐसा सनसनीख़ेज़ खत पढ़कर लक्ष्मी सुन्न रह गयी थी। इससे पहले उसने अपनी ज़िंदगी मे कभी ऐसी घटना का सामना नही किया था। घटना का सामना तो ठीक अपने बुरे से बुरे सपनेमे भी लक्ष्मी ने कभी ऐसा नही देखा था जो आज उसके साथ हकीकत में हुवा था। और तो और खत की लिखावट यह बात की पुष्टि भी कर रही थी कि, वो खत बेहद ही ज़ल्दबाज़ी में लिखा गया था। खत की लिखावट से लक्ष्मीने यह अंदाजा लगा लिया कि खत में लिखी हुई बात बिल्कुल सच थी। लेकिन, ऐसा सनसनीखेज़ खत पढ़कर अब वो दुविधा में थी कि, उसे वो पेनड्राइव देखनी चाहिए या नही? इसी दुविधा भरे लम्हो के बीच ही बैंक मैनेजर आ पहुंचा। मैनेजर भी ऐसा सनसनीखेज़ खत पढ़कर स्तब्ध सा रह गया। वो निर्णय नही ले सकता था कि आखिरकार किया जाये तो क्या किया जाये! कुछ पल के विचार-विमर्श के बाद उन्होंने पुलिस को बुलाना ही मुनासिब समझा।
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अंकल रोबर्ट से मुलाकात करने के बाद जोनाथन १०० वेस्ट ग्रैंड एवेन्यू की ओर बढ़ा जहाँ पर " दी ट्रिप्स आइरिश पब" स्थित था जो पैरी अपने दोस्तों के साथ मिलकर चलाता था। एल.एस.डब्ल्यू. की हेड आफिस जहां के सबसे ऊपरी माले पर रोबर्ट ने अपना आशियाना बनाया था वहां से "दी ट्रिप्स आइरिश पब" का रास्ता महज़ ५ मिनट की दूरी पर था।
जब जोनाथन "दी ट्रिप्स आयरिश पब" पैरी से मिलने पहुंचा तो पैरी ने खुशी-खुशी जोनाथन को अपने गले लगाकर स्वागत किया। पैरी अपने बचपन के रवैये से अब काफी बदल चुका था। जोनाथन के बारे में उसका बदला हुआ नज़रिया इस बात की प्रतीति भी कराता था। इसके पीछे वजह यह भी थी कि देर से ही सही लेकिन पैरी बरसो पहले अपने पिता द्वारा कही गयी बात को अच्छे से समझ चुका था कि, ऊपरवाला हमें हर चीज़ नही देता, वो हम में कोई न कोई कमिया छोड़ ही देता है। ज़िन्दगी में सफल होने के लिए पैरी को जोनाथन साथ मिलना बहुत ही ज़रूरी था। क्योंकि, जोनाथन को कुदरत ने उस चीज़ का मालिक बनाया था जो वह हर किसीको नही देता। और वह चीज़ थी बुद्धि और समझदारी जो जोनाथन में कूट-कूटकर भरी थी।
"तो कैसी भारत यात्रा? मि. लूज़र?" पब के सर्विंग काउंटर पर पहुंचकर जोनाथन की पीठ को थपथपाते हुवे हंसकर पैरी ने पूछा।
पैरी में वैसे तो बहुत बदलाव आया था लेकिन अब भी उसकी जोनाथन को लूज़र बुलाने की आदत नही छूटी थी जो जोनाथन को हरबार यह एहसास दिलाती थी कि, वो उसके पिता को कभी ढूंढ नही पाया। लेकिन, अब पैरी द्वारा लूज़र बुलाये जाने पर जोनाथन का खून नही खोलता था। उसने वास्तविकता को सहजता से स्वीकार कर लिया था।
"हमारे लिए कोई भाभी मिली कि नही?" इससे पहले कि जोनाथन अपनी भारत यात्रा के बारेमें पैरी को कुछ बता पाता पैरी ने दूसरा सवाल पूछ लिया।
"हमारी तुम्हारे जैसी किस्मत कहा? जो हमें कोई लड़की पसंद करें! हम लूज़र जो ठहरे।" भारत मे माहेरा के साथ हुई मुलाकात और माहेरा का नाम अपने दिल मे ही दबाये हुवे पैरी के सवाल पर व्यंग्य करते हुवे जोनाथन ने जवाब दिया, जो पैरी की समझ के परे था।
"खैर यह बता क्या पियेगा?"
"अरे! मैं सिर्फ और सिर्फ यहां तुमसे मिलने के लिए आया हूँ। बिना मिले ही चला जाता तो तू बोलता कि, शिकागो आया और मिलने भी नही आया। पैरी की मेहमाननवाज़ी का अस्वीकार करते हुवे जय ने कहा।
"अरे भाई जवानी में एन्जॉय नही करेगा तो क्या बुढ़ापे में एन्जॉय करेगा?" जवान होकर जोनाथन और पैरी में मानो एक भाईचारा बन गया था बचपन की सारी दुश्मनी वे भूलाकर अब आगे बढ़ चुके थे। जोनाथन के जवाब का इंतज़ार किये बिना ही पैरी ने २ गिलास मास्को म्युल बनाने का आर्डर दे दिया जो वोडका, अदरख, लाइम जूस से बनती थी।
मास्को म्युल का मज़ा लेते हुवे जोनाथन ने पैरी को बताया कि वो सिर्फ रोबर्ट अंकल और उसे मिलने के लिए आया था और शिकागो से आज रात वह अपने घर ऑस्टिन एल.एस.डब्ल्यू (LSW) कैब के झरिये जानेवाला था, जो उनकी खुद की कैब सर्विस थी जो अंकल रोबर्ट, अंकल जैकब, जोनाथन और पैरी ने साथ मिलकर पूरे अमेरिका में शुरू की थी।
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