Love wish - 2 in Hindi Classic Stories by SWARNIM स्वर्णिम books and stories PDF | चाहत दिलकी - 2

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चाहत दिलकी - 2

पहुंचने की जगह की जिज्ञासा से अधिक, मन उसके साथ चलने के लिए उत्साहित था। उसके साथ चलते समय, मैं अक्सर सोचती थी कि जैसे-जैसे मैं चलूँ, सड़क और लंबी हो जाए और समय धीमे हो जाए, चलने में बिल्कुल न थकें, बस चलते रहें। शायद यह मन उस पर मुग्ध था। कभी-कभी मुझे लगता था कि वह मेरी मनकी भावनाओं को मेरी आँखों में पढ़े और बिना शर्त मेरी सभी भावनाओं को स्वीकार करे।
हम काफ़ी समय से चल रहे थे, पहुँचने की जगह शायद अभी भी पहुँचना बाकी था, इसलिए, मुझे अभी तक रुकने की इजाजत नहीं मिली थी। अचानक बारिस हुई। इससे पहले कि मेरी ना कही हुई चाह पूर्ति हुने पर मैं बहुत खुश हो गयीं । मुझे बारिस में भिजना कम रोमांचक नहीं लगता था।जब मेरे साथ चलने वाला व्यक्ति मेरा सबसे प्रिय व्यक्ती हे ये महशुस किया तो मेरा दिल बहुत रोमांचित हो गया।

तुम्हारे पास छाता नहीं हैं क़्या?"
गिरते हूंई बारिस कों देखते हुए एकतमास सोंच मे डूबी हुई मैं उसके प्रश्न से बिचलित हो गयीं।
बारिस की साथ मिल गई यह प्यार का रोमांचक पल छाता कीं निचे सीमित करना मुझे मंजूर नहीं था । इसलिए बैग में छाता होकर भी, मैंने यें कहदिया "नहीं, मैं आज छाता ले आना भूल गयीं। "अपनी सबसे लोकप्रिय इच्छाओं को पूरा करने के लिए यें दिल भी कितना आसानी से झूठ बोलने की इजाजत देती है, मुझे यह महसूस करने में कुछ देर नहीं लगी।

सायद थोड़ी देर में हीं बारिस रुकेगा दिल मे यें उम्मीद लेकर में वो झूठ कही थीं लेकिन बारिस रुके हीं नहीं। वह मुझसे छाता नहीं ले आने की शिकायत बारबार कर रहा था।क्यों कि मुझे ठंड से एलर्जी था । उसके लिए मेरा प्यार तब और बढ़ गया जब मैंने देखा कि वह मेरे तबियत कों लेकर मुझसे ज्यादा चिंतित था।

अब तक तो बारिस ने हम दोनों को पूरी तरह से भिगा दिया था। जिस स्थान पर हम जा रहे थें, उस स्थान मे पहुँचने से आगे हीं हम कों बारिस की बजा से उधर हीं रुकना पड़ा ।


भीगी हुई हमने निथरुक शरीर लेेेेकर रुकने कि लिए जगाह कि तलास किया तो, चारों तरफ टिन सें घेरां हुआ एक टिन की हीं छत वाला काटेंज सड़क के किनारे पर खड़ा था। काटेंज कों देखकर एसा लगा की वों पहले सें हीं हमारा इंतजार कर रहा था ।"यहाँ चाय, कॉफी, सिगरेट, चना, नूडल्स, अंडे, आदि उपलब्ध हैं" एसा लिखा हुआ पुरानी साइन बोर्ड टिन का उपर लगाया था । अंदर दिखा तों एक टेबल और दो बेंच था। हम दोनों आपस में आमने सामने होकर बेंच पर बैठें।

उसने एक कप ब्लैक कॉफी मांगी। "और तुम कुछ नहीं खाओगे?" यह मेरा सवाल था। वह एक ऐसा व्यक्ति था जो चाय या कॉफी दोनों हीं नहीं पीता था। मैं चाहती थी कि वह भी कुछ खाए, क्योंकि चाय और कॉफी के अलावा और भी चीजें उधर उपलब्ध था । उसने कुछ न खाने का इशारा किया।

थोड़ी देर इंतजार करने के बाद, कॉफी टेबल पर पहुंची। मैं कॉफ़ी पीने लगीं । वह लगातार मुझे हीं दिख रहा था। मुझे थोड़ी शर्मिंदगी महसूस हुई। में यें समझ नहीं पा रहीं थीं कि वह ईस वक़्त क्या सोच में पड़ा है। यह सोंचते सोंचते मैंने अपनी कॉफी ख़तम करदिया और उसके बाद,मैंने खाली कप टेबुल पर छोड़ दिया। उसने वह मैंने पीई हुई खाली कप उठाया और अपनी होंठों से चूमना लगा। मैं सरप्राइज हों गयीं।
वह कॉफ़ी नहीं, शायद मेरे होंठों से कप तक चिपके हुई मेरे होठों के निशान कों पी रहा था। उसके अनोखे व्यवहार को दिखकर मुझें यें पहली बार पता चला की ईस दुनियां में प्यार का नशा करने वाला भी कोही है, जों बहुत प्यारा हैं, जिसको दिखूं तो बस दिखने का मन करता हैं ।