Gumnaam - Murder Mystery - 9 in Hindi Crime Stories by Kamal Patadiya books and stories PDF | गुमनाम : मर्डर मिस्ट्री - 9

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गुमनाम : मर्डर मिस्ट्री - 9

राणे घबराकर अजय और डॉ शर्मा से कहता है कि "सर!!! इंस्पेक्टर प्रताप सिंह यादव को हार्ट अटैक आया है। सब लोग उनको हॉस्पिटल लेकर गए है।"

"Ohhh....No..... राणे,,,,, शर्मा जी,,, हमको तुरंत हॉस्पिटल जाना पड़ेगा।" अजय बेड से उठकर बोलता है।

"लेकिन अजय तुम्हारी तबीयत.........." डॉक्टर शर्मा उनको रोकते हुए बोलते हैं।

"मेरी तबीयत ठीक है, हमे जल्द से जल्द वहां पर पहुंचना होगा।" अजय अपने कपड़े पहनते हुए बोलता है। "राणे, तुम अपनी जीप निकालो।"

"ठीक है सर!!!" ऐसा कहकर राणे ग्राउंड फ्लोर पर पार्किंग एरिया में जाता है।

अजय अपने कपड़े पहनकर तैयार होता है और शर्मा जी के साथ नीचे ग्राउंड फ्लोर पर पहुंचता है। वहां पर राणे जीप लेकर खड़ा होता है। तीनों जीप मे बैठकर हॉस्पिटल जाने के लिए निकलते है।

रास्ते में अजय कमिश्नर महेंद्रसिंह राणा को फोन करता है। कमिश्नर साहब अजय से कहते है कि वो already हॉस्पिटल पहुंच गए हैं, प्रताप सिंह को आईसीयू में भर्ती किया गया है। अजय, राणे और डॉक्टर शर्मा हॉस्पिटल पहुंचकर आईसीयू की तरफ बढ़ते हैं। वहा पर सब पुलिस वाले अपने केप को हाथ में पकड़कर गर्दन झुकाए खड़े थे। अजय सबसे पूछता है कि "क्या हुआ?" पर कोई जवाब नहीं देता है। सब लोग मौन धारण करके खड़े थे।

अचानक, कमिश्नर साहब आईसीयू के कमरे से नम आंखों से बाहर निकलते हैं। अजय उनसे पूछता है "सर!!! क्या हुआ?? इंस्पेक्टर प्रताप सिंह तो ठीक है ना??" कमिश्नर साहब अजय, राणे और डोक्टर शर्मा को बताते हैं कि "इंस्पेक्टर प्रताप सिंह अब नहीं रहे।" यह सुनकर अजय, राणे और डोक्टर शर्मा के चेहरे पर उदासी और मायूसी छा जाती है।

थोड़ी देर बाद, कमिश्नर साहब अजय से पूछते हैं "लेकिन अजय तुम्हें कैसे पता चला कि प्रताप सिंह के साथ यह हादसा हुआ है?" अजय,.डॉ शर्मा और राणे कमिश्नर साहब को सब हकीकत बताते हैं।

"Ohhh....No.... अजय तुम ठीक तो हो ना??"

"हां सर...... लेकिन यह सुनकर बहुत ही दुखी हु की प्रताप सर अब हमारे बीच नहीं रहे। अभी थोड़े घंटे पहले हि मैं प्रताप सर से मिला था।" अजय बहुत दुखी होकर बोलता है और उनकी आंखों से आंख से आंसू छलकने लगते हैं।

"हिम्मत रखो अजय!!! होनी को कौन टाल सकता है। तुम एक काम करो, अभी के अभी तुम और राणे प्रताप सिंह के पुलिस स्टेशन से उस फाइल को लेकर मेरे ऑफिस पहुंचो, मुझे तुम लोगो से बहुत जरूरी बात करनी है।"

"ठीक है, सर!!!" अजय अपने आंसू पोछते हुए कहता है।

"डॉ शर्मा!!! आप इंस्पेक्टर प्रताप सिंह की लाश को पोस्टमार्टम के लिए यहां से लेकर जाइए और बाद में, उनके घर पर पहुंचाने का इंतजाम कीजिए।"

"ठीक है!!! कमिश्नर साहब....." ऐसा कहकर डॉ शर्मा ICU के अंदर चले जाते हैं।

कमिश्नर राणा बाकी सब पुलिस वालों को ताकीद करते हैं कि "याद रखना, प्रताप सिंह यादव की मौत हार्टअटैक से हुई है। कोई भी मीडिया वाले तुमसे इस बारे में सवाल पूछे तो तुम्हें यही बताना है।"

"ok...sir!!!" सब पुलिस वाले कमिश्नर राणा को कहते है।

"ठीक है, तुम सब लोग अब पुलिस स्टेशन पर जा सकते हो।"

अजय, राणे और सब पुलिस वाले पुलिस स्टेशन की ओर निकलते हैं। कमिश्नर राणा प्रताप सिंह के बेटे अनिरुद्ध को फोन करके इस दुखद घटना के बारे में जानकारी देते हैं और बाद में, अपने ऑफिस के लिए रवाना होते हैं।

अजय और राणे इस केस की फाइल को लेकर कमिश्नर साहब की ऑफिस पर पहुंचते हैं। दोनों कमिश्नर साहब के केबिन में दाखिल होते हैं।

"जय हिंद, सर!!"

"जय हिंद!! तुम दोनों बैठो, मुझे तुमसे इस केस के बारे में जरूरी बात करनी है।"

"बताइए सर!!!" अजय और राणे कुर्सी पर बैठ जाते हैं।

"अजय,, तुमने उस कातिल का क्या नाम बताया था?"

"विक्रम........"

"अजय!!! इस विक्रम ने अब सारी हदें पार कर दी है। मैं तुम दोनों को यह केस सोप रहा हूं और ताकिद करता हूं कि इस विक्रम को कहीं से भी पकड़कर मेरे सामने लाओ, जिंदा या मुर्दा....I don't care....I want that basterd in my prison" कमिश्नर साहब बहुत ही गुस्से में अजय और राणे से कहते है। "इस शहर का चप्पा चप्पा छान मारो। तुम दोनों को किसी भी क्रिमिनल को पकड़ने की इजाजत है। तुम चाहो तो दूसरे ओफिसरो कि भी मदद ले सकते हो। मुझे बस वो विक्रम चाहिए।"

"ठीक है सर!!! मैं और राणे मिलकर इस केस को हैंडल कर लेंगे।"

"ठीक है!! जाओ और कुछ रिजल्ट मिलने पर ही मेरे पास आना और अपना ख्याल रखना। जय हिंद!!!"

"जय हिंद!! सर" ऐसा कहकर अजय और राणे कमिश्नर राणा की ऑफिस से निकलते हैं।

उस दिन के बाद अजय और राणे रात में पेट्रोलिंग करके सब काले धंधे वालों को पकड़कर अंदर कर देते है और उन पर थर्ड डिग्री आजमाकर उनसें विक्रम के बारे में पूछताछ करते हैं लेकिन किसी भी क्रिमिनल को विक्रम के बारे में पता नहीं होता है। अजय अपने खबरीयो को भी दिन रात काम पर लगा देता है। बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन, मॉल, सिनेमा हॉल सब जगह पर अजय के खबरी 24 घंटे तैनात रहते हैं। अंत में, उनकी मेहनत रंग लाती है।

एक हफ्ते बाद, जमील नाम का एक खबरी अपने दोस्त राजू को लेकर अजय के पास आता है और अजय को एक चौंकाने वाली खबर देता है। वो अजय से कहता हैं कि "आपने जो मुझे विक्रम की तस्वीर दी थी वह मैंने अपने फ्रेंड सर्कल में दिखाई थी, उसमें से इस राजू ने उस विक्रम को देखा था।"

अजय राजू की ओर देखकर बेसब्री से उससे पुछता है "क्या तुमने इसी आदमी को देखा था?"

"हां सर!! मैंने इसी आदमी को देखा था।"

"कब? कहां पर??"

"सर मैं अपने एक रिश्तेदार को 4-5 दिन पहले रेलवे स्टेशन पर छोड़ने गया था, तभी डिब्बे में मैंने इस आदमी को देखा था।"

"कौन सी ट्रेन थी? कहां पर जा रही थी??" अजय बड़ी ही उस्तूकता से राजू से पूछता है।

"शायद हिमाचल एक्सप्रेस थी, शिमला जा रही थी।"

"शिमला...... ?" राणे और अजय एक दूसरे की ओर देखते है।

"उसके साथ और कोई था?"

"पता नहीं सर!! वह तो अकेला ही बैठा था। मैंने उस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया था।"

"ठीक है!! Thank you राजू!! तुम दोनों जा सकते हैं और कोई बात होगी तो मैं फोन करके पता कर लूंगा।"

"ठीक है सर!!! यह कहकर जमील और राजू अजय की केबिन से रवाना होते हैं।

"राणे!! यह विक्रम शिमला गया है, इसका मतलब वहां से उसका कुछ कनेक्शन जरूर है।"

"हां सर!!! मुझे भी यही लगता है। हमें शिमला पुलिस से इस बारे में बात करनी चाहिए।"

"नही राणे....... पहले एक काम करो शिमला के रेलवे स्टेशन से 4 दिन पहले से आज तक की सीसीटीवी फुटेज मंगवाओ और चेक करो कि विक्रम रेलवे स्टेशन पर उतरा है कि नहीं?? मैं पहले पूरी तसल्ली करना चाहता हूं की विक्रम शिमला या उसके आसपास एरिया में ही है। बाद में, हम लोग कुछ एक्शन लेंगे।"

"ok...sir!!! मैं शिमला के स्टेशन से सीसीटीवी की फुटेज मंगवाता हूं।"

2 दिन बाद, राणे अजय की केबिन में एक पेन ड्राइव लेकर आता है।

"सर!!! शिमला के रेलवे स्टेशन से सिटी सीसीटीवी की फुटेज आ गई है।"

"Very good.... राणे!!! तुमने फुटेज देख ली?"

"हां सर!! 3 दिन पहले की फुटेज मे मैंने विक्रम को रेलवे स्टेशन से बाहर निकलते देखा है।"

"कहां गया वो? कुछ पता चला?"

"नहीं सर!! रेलवे स्टेशन के बाहर का फुटेज हमें नहीं मिला।"

"उसके बाद, तीन दिनों मे वो रेलवे स्टेशन पर कही दिखा?"

"नहीं सर!! उसके बाद तीन दिनों का सारा सीसीटीवी फुटेज मैंने चेक किया है लेकिन वह फिर से रेलवे स्टेशन पर नहीं आया।"

"इसका मतलब वह शिमला या उसके आसपास के इलाके में हीं कहीं पर है।"

"सर!! शिमला पुलिस को इस बारे में इन्फॉर्म करू?"

"नहीं राणे!! अभी नहीं..... अगर शिमला पुलिस में से कोई पुलिसवाला विक्रम से मिला होगा तो शायद विक्रम को शक हो जाएगा और वह वहां से भी फरार हो जाएगा।"

"तो क्या करेंगे सर??"

"मैं खुद वहां पर as a traveller बनकर जाऊंगा और सब पता करूंगा।"

"मैं भी आपके साथ चलता हूं .....सर!!!"

"नहीं राणे!! मैं अकेले हि वहां पर जाऊंगा। अगर कुछ प्रॉब्लम आता है तो मुझे बेकअप भी चाहिए होगा, इसीलिए तुम यहां का कामकाज संभालो। तुम एक काम करो, मेरी शिमला जाने कि कल की टिकट बुक करवा दो। मैं घर पर जाकर शिमला जाने की तैयारी करता हूं।"

"ठीक है सर!! लेकिन आप अपना ख्याल रखिएगा Best of luck"

"Thanks...राणे!! तुम मेरी फिक्र मत करो।" ऐसा कहकर अजय इस केस के Documents लेकर वहां से घर के लिए रवाना होता है। रास्ते में वह प्रिया को फोन करके inform करता है कि वह विक्रम को पकड़ने के लिए शिमला जा रहा है। प्रिया उससे कहती है कि वह शाम को उससे मिलने आएगी। घर पर आकर अजय शिमला जाने की तैयारीओ मे जूट जाता है।

इस तरफ, प्रिया ईशान को यह बात बताती है कि अजय विक्रम को पकड़ने के लिए शिमला जा रहा है। ईशान अपने Bikers Gangs वाले दोस्तों से यह Information share करता है।

शाम को प्रिया और Bikers Gangs वाले सब लोग अजय से मिलने आते हैं। अजय सबको ड्राइंग रूम में बिठा कर सबसे बात करता है।

रेहान अजय से पूछता है "सर!!! आप अकेले ही उस खूनी विक्रम को पकड़ने के लिये जा रहे हो?"

"हां,,,क्योंकि इस विक्रम ने सबसे ज्यादा मुझे ही परेशान किया है।"

"मैं तुम्हें अकेले वहां पर जाने नहीं दूंगी।" प्रिया बीच में बोलती है।

"वहां पर शिमला पुलिस भी मेरे साथ होगी, तुम फिकर मत करो।" अजय प्रिया को समझाते हुए कहता है।

"सर!! हम सब ने उस विक्रम की वजह से अपने चाहनेवालों को खोया है, हम सब भी आपकी मदद करना चाहते हैं।" रणबीर अजय से कहता है।

"मैं तुम्हारे जज्बात समझ सकता हूं, लेकिन हमें जोश से नहीं होश से काम लेना होगा।"

"उस विक्रम पर हमने भरोसा किया, उसे अपना दोस्त माना वही हमारी गलती हो गई, हम अपनी गलती सुधारना चाहते हैं, हम भी आपके साथ चलना चाहते हैं, जीजाजी" ईशान अजय से कहता है।

"मैं कोई पिकनिक मनाने के लिए वहां पर नहीं जा रहा हूं, जो तुम सब लोग मेरे साथ में आओ।" अजय जरा सा गुस्सा होकर ईशान से कहता है।

"लेकिन सर!!! आप हमारे जज्बातों को समझने की कोशिश कीजिए। हम सब लोग विक्रम से पूछना चाहते हैं कि उसने हम सब लोगों को धोखा क्यों दिया?" मुस्कान अजय से कहती है।

"वह सब बातें तुम यहां पर भी पूछ सकती हो, मैं विक्रम को यही पर वापस लेकर आऊंगा।"

"सर!!! मैं तो आपके साथ आ सकता हूं ना?" अनिरुद्ध अजय से पूछता हैं।

"क्योंकि भाई? तुम कौन हो?"

"मैं इंस्पेक्टर प्रताप सिंह का बेटा, अनिरुद्ध"

"देखो अनिरुद्ध!!! तुम्हारे पापा बहुत ही बहादुर थे और तुम भी होंगे इसमें कोई शक नहीं है लेकिन हमने तुम्हारे पापा को गवा दिया है, अब मैं और किसी को गवाना नहीं चाहता।"

"लेकिन सर!! हम सब आपके साथ मे आए उसमें आपको क्या प्रॉब्लम है?" रोशनी अजय से कहती है।

"देखो..... मैं कोई क्रिकेट मैच खेलने नहीं जा रहा हूं कि मुझे 11 players की जरूरत होगी। मैं एक खूनी को पकड़ने जा रहा हूं और पहले से ही हमने काफी सारे लोगों को खो दिया है, अब मैं और रिस्क लेना नहीं चाहता।"

"लेकिन सर!! हम आपकी मदद करना चाहते हैं।" आलिया अजय से कहती है।

"वह तो ठीक है, पर तुम कौन हो?"

"सर!!! यह मेरी मंगेतर है।" रेहान अजय से कहता है।

"Ohhh...hooo तो ये वही है जिसकी वजह से तुमने रोशनी से सगाई तोड़ दी थी?"

"जी.... सर!!!" रेहान अपना सर झुकाकर अजय से कहता है।

"देखो तुम लोग अभी भी मेरी बात को सीरियसली नहीं ले रहे हो, तुम लोग नहीं जानते कि तुम किस चक्कर में पड रहे हो। इससे तुम्हारी जान को खतरा भी हो सकता है।"

"सर!! जिसने अपनों को गवाया है, वह लोग कोई भी खतरा उठाने को तैयार हो जाते हैं।" मनोहर तिवारी अजय के घर में दाखिल होते ही बोलता है। उसके साथ उसकी बेटी पूजा भी होती है।

"मनोहर जी आप?? आप भी इनके साथ आना चाहते हो??"

"नहीं सर!! मेरी तबीयत ठीक नहीं है इसलिए मैं तो नहीं आऊंगा लेकिन मेरी बेटी पूजा को इन सबके साथ जरूर भेजूंगा।" मनोहर तिवारी बैठते हुए कहते है।

"सर!!! वकील साहब मेरा पिता जैसे थे, उनके कातिल को ढूंढने के लिए मैं हर खतरा उठाने के लिए तैयार हूं।" पूजा अजय से कहती है।

सब की बातों को सुनकर अजय सोच में पड़ जाता है। कुछ देर सोचने के बाद, वह सबसे कहता है "देखो!! ऑफिशियल तो में तुम सबको मेरे साथ आने की इजाजत नहीं दे सकता हूं। फिर भी तुम लोग आना चाहते हो तो एक चेतावनी जरूर देना चाहता हूं कि तुम लोग आग से खेलने की कोशिश तो कर रहे हो।"

"सर!! हम सबके अंदर उस विक्रम के खिलाफ एक आग सी लगी हुई है। ये आग तक नहीं बुझेगी जब तक वह पकड़ा नहीं जाता और हम उसको पकड़ने में आपकी मदद करना चाहते हैं। आप चाहे हा कहो या ना कहो, हम सब ने वहां पर आने का निश्चय कर लिया है।" अनिरुद्ध अजय से कहता है।

"ठीक है!! मैं कल सुबह ट्रेन से शिमला जा रहा हूं और मैं रंगोली गेस्ट हाउस में ठहरूंगा। अगर तुम लोग आना चाहते हो तो वहां पर पहुंच जाना। वहां से आगे की रणनीति हम लोग मिलकर बनाएंगे।"

"Thank you very much sir!!! हम सब लोग वहां पर पहुंच जाएंगे।" ऐसा कहकर सब लोग वहां से निकल जाते हैं और अजय अपने सामान की पेकिंग मे बिजी हो जाता है।

क्रमशः