Gumnaam - Murder Mystery - 8 in Hindi Crime Stories by Kamal Patadiya books and stories PDF | गुमनाम : मर्डर मिस्ट्री - 8

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गुमनाम : मर्डर मिस्ट्री - 8

थोड़ी देर बाद, अजय स्वस्थ होकर ईशान और प्रिया को संभालता है। अजय डॉक्टर से बातचीत करके वकील साहब की लाश को फॉरेंसिक लैब में पोस्टमार्टम करने के लिए भेज देता है और अजय खुद फॉरेंसिक लैब के लिए निकलता है।

वहां पर जाकर वह डॉक्टर शर्मा से बात करता है कि "शर्मा जी, इस बार विक्रम ने हद कर दी है, अब मैं उसको छोडूंगा नहीं।"

शर्मा जी अजय को शांत करते हुए कहते है कि "अजय!!! मैं तुम्हारे जज्बातो को समझता हूं लेकिन अभी सीरियल किलर को पकड़ने के लिए हमें जल्दबाजी से नहीं, समझदारी से काम लेना पड़ेगा। उसके पास एक ही हथियार है जो वो सब पर आजमाता है। "Cube-c15" तुमने मुझे बताया था कि उसने Cube-c15 की 10 बोतलें चुराई थी और वह 6 लोगों पर उसका इस्तेमाल कर चुका है। मिस्टर रोय मिस्टर चड्ढा और बाबूराव बिल्डर के यहां से हमने जो कोल्डड्रिंक की बोतल मीली थी उसमें से हमें 3 बोतलो मे Cube-c15 मीली थी इसका मतलब वह Cube-c15 की 9 बोतलो का इस्तेमाल कर चुका है। उसके पास सिर्फ अब एक बोतल ही बची हुई है। अब वह किस पर इस्तेमाल करेगा उसे हमें ढूंढना है।"

"एक बार विक्रम मेरे हाथों चढ गया, बाद में, वह कुछ भी इस्तेमाल करने के काबिल नहीं रहेगा। उसका तो मैं वह हाल करूंगा कि उसकी रूह भी कांप जाएगी।" अजय गुस्से में आकर बोलता है।

"अजय.... हमें जोश से नहीं होश से काम लेना होगा। वह अपने अगले शिकार तक पहुंचे, उससे पहले हमें उस तक पहुंचना होगा।"

"लेकिन कैसे? उस साले ने अपनी पहचान छुपाई है। कहां से आया है? उसका पता कया है? हमें कुछ भी मालूम नहीं है। कोई पुलिस स्टेशन मे भी उसका रिकॉर्ड नहीं है। हम उस तक पहुंचे, इससे पहले वह खून करके निकल जाता है।"

"हर कातिल अपने पीछे कोई ना कोई सुराग छोड़कर जाता है। हमें बस उस सुराग का पता लगाना होता है। तुम ठंडे दिमाग से सोचोगे तो उसका पता भी मिल जाएगा। तुम अभी प्रिया और इशांत के पास जाओ, उसको तुम्हारी जरूरत है। मैं वकील साहब की लाश को पोस्टमार्टम करके उसके घर भेजने का इंतजाम करता हूं।"

अजय फॉरेंसिक लैब से निकल के ईशान के घर पर जाता है और प्रिया और ईशान को हिम्मत और आश्वासन देता है। बाद में, अजय, प्रिया और ईशान मिलकर वकील साहब का अंतिम संस्कार करते हैं। शहर में आग की तरह खबर फैल जाती है कि वकील साहब का किसी अनजान किलर द्वारा मर्डर हुआ है।

मिडिया पुलिस कि कार्रवाई पर सवाल खड़े करती है। "एक सीरियल किलर के सामने पुलिस तमाशा बन गई है" ऐसी न्यूज़ अखबारों में आने लगती है।

2 दिन बाद, जब अजय अपने घर से पुलिस स्टेशन की ओर रवाना होता है तब पुलिस कमिश्नर की ऑफिस से उसको फोन आता है और तुरंत ही उसको वहां पर आने के लिए कहते हैं। अजय सीधा कमिश्नर के ऑफिस की ओर रवाना होता है। पुलिस कमिश्नर महेंद्र सिंह राणा उसको अपने केबिन में बुलाते है। अजय कमिश्नर की केबिन में दाखिल होता है और कमिश्नर का साहब को सैल्यूट करता है। कमिश्नर साहब उसको बैठने के लिए कहते हैं। थोड़ी देर औपचारिक बातचीत करने के बाद कमिश्नर राणा अजय से पूछते हैं कि "अजय इस सिरियल किलर के केस की इंक्वायरी कहां तक पहुंची है?"

"सर, अभी जांच चल रही है मैंने खूनी कौन है उसको पहचान लिया है लेकिन हर बार वह हमारे हाथों से बच जाता है। मैंने अपने सब खबरीओ को भी काम पर लगा दिया है।"

"अजय, मुझे तुम्हारी काबिलियत पर कोई शक नहीं है लेकिन शहर की हर मिडिया चैनलो में इस केस को लेकर चर्चाए चल रही है। पुलिस बस तमाशा बनकर रह गई है। हम सबको जवाब दे दे कर थक गए हैं इसलिए मैं चाहता हूं की इस केस को किसी सीनियर एक्सपीरियंस ऑफिसर को सौंप दूं।"

"सर..... यह आप क्या कह रहे हैं। कातिल अब मेरे हाथों में ही है। दो-चार दिनों में वह मेरे हाथों में आ जाएगा। सर... प्लीज मुझे इस केस को हैंडल करने दीजिए।"

"अजय, तुम डिपार्टमेंट में नए-नए हो इसीलिए मेरी बात ध्यान से सूनो, कभी-कभी हमे जज्बातो से नहीं है लेकिन परिस्थितियों को देखकर काम करना पड़ता है। मुझे भी ऊपर से pressure आता है। खास करके इस केस को लेकर सब लोग serious है। शहर के नामी बिजनेसमेन, डॉक्टर, वकील, बिल्डर का खून हो चुका है और मैं यह कतई नहीं चाहता कि इस केस में अब किसी और नामी आदमी का नाम जुड़े। तुम परिस्थितियों को समझने की कोशिश करो और इस केस को एक्सपीरियंस ऑफिसर को सौंप दो।"

"सर!!! जब आपने जब सोच हि लिया है तो अब मैं क्या कर सकता हूं लेकिन क्या मैं उस ऑफिसर का नाम जान सकता हूं?" अजय उदास होकर कमीशनर से पूछता है।

"देखो!!! अजय तुम इस बात को इतना सीरियसली मत लो। हमारे डिपार्टमेंट में आए दिन केस एक दूसरे ऑफिसरो को सौंपे जाते है। यह आम बात है, तुम इसको दिल पे मत लो और दुखी मत हो।"

"सर!!! दुखी नहीं हूं... लेकिन मैं यह चाहता था कि इस खूनी को मैं अपने हाथों से पकड़कर फांसी के तख्ते पर लेकर जाऊ लेकिन उस खूनी के सामने मैं हार गया ऐसा मुझे महसूस हो रहा है।"

"तुम्हारे जज्बात में समझ सकता हूं लेकिन मैं भी इस शहर का कमिश्नर हूं, मुझे भी पूरे शहर को संभालना है इसलिए मैं कोई भी रिस्क लेना नहीं चाहता। तुम आज हि इस केस को हमारे डिपार्टमेंट के सीनियर ऑफिसर प्रताप सिंह यादव को सौंप दो। वो इस तरह के केस सुलझाने में माहिर है। तुम यंग हो, काबिल हो, बहादुर हो लेकिन अनुभवी नहीं हो। तुम चाहो तो इस केस में तुम उनके साथ काम कर सकते हो।"

"Thank you, sir मैं उनके साथ काम करने के लिए तैयार हूं।"

"अजय!! लेकिन मैं तुमको बता दूं कि प्रताप सिंह बहुत ही कडक ओफिसर है। तुम्हें उसके साथ बहुत ही सावधानी से काम करना पड़ेगा। वो गलतियां बर्दाश्त नहीं करते।"

"मैं जानता हूं, मैंने उसके बारे में सुना है लेकिन उस कातिल को पकड़ने के लिए मैं किसी के साथ भी काम करने के लिए तैयार हूं।"

"ठीक है.... तुम प्रताप सिंह के पुलिस स्टेशन पर इस केस की फाइल लेकर जाओ। मैं यहां से उसको फोन कर देता हूं कि तुम आ रहे हो। तुम दोनों मिलकर इस केस को अच्छी तरीके से समज लो। मुझे विश्वास है कि तुम दोनों मिलकर इस केस को सुलझा लोगे। Best of luck"

"Thank you!!! Sir"

"जय हिंद"

"जय हिंद!!! sir"

बाद में, अजय कमिश्नर की ऑफिस से निकलकर प्रताप सिंह के पुलिस स्टेशन पर पहुंचता है। वह प्रताप सिंह के केबिन में दाखिल होता है।

"जय हिंद!!! सर" कहकर अजय प्रताप सिंह को सैल्यूट करता है।

"जय हिंद" प्रताप सिंह अजय से जरा अकडकर बात करते हैं।

"क्यों बरखुरदार!!! तुम्हारी केस की चर्चा तो पूरे शहर में हो रही है। क्या हुआ कातिल का कुछ पता लगा? या फिर......"

"सर!!! मैंने कातिल का पता लगा लिया है।"

"पता लगा लिया है तो पकड़ते क्यों नहीं?"

"सर!!! हर बार वह हमें चकमा देकर निकल जाता है।"

"हा हा हा हा हा" प्रताप सिंह अजय पर जोर जोर से हसता है।

"तुम कातिल के साथ कबड्डी खेल रहे हो? क्या कर रहे हो? आज की यंग जनरेशन से मुझे कुछ भी उम्मीद नहीं है, वह बस एक चीज मे माहिर है। excuses...excuses, बरखुरदार!!! जोश के साथ साथ होश से भी काम करना शीखो।"

"जी... सर!!!"

"हमसे कुछ सीखो। हमारी पुलिस कैरियर में ऐसे कई केस आए और गए। हमने बड़े-बड़े तुर्रम खान की छुट्टी कर दी थी।' ऐसा कहकर प्रताप सिंह बड़ी-बड़ी डींगे हाकने लगा।"

"सर!!! यह केस कोई सीधा साधा केस नही है। कुछ अलग तरीके का है।"

"बरखुरदार, कोई कैस अलग तरीके का नहीं होता, उसे सॉल्व करने का तरीका अलग होना चाहिए। अच्छा! तुम बैठो और इस केस की डिटेल मुझे बताओ।"

अजय बैठकर पूरे केस को डिटेल मे प्रताप सिंह को समझाता है और वह इस केस पर कैसे काम कर रहा हैं उसके बारे में बताता है।

"ठीक है अजय!!! मैं समझ रहा हूं, हमारा पाला कीसी सरफिरे आदमी से पड़ गया है। विक्रम ने बड़ी ही चालाकी से सबका मर्डर किया है। यह बहुत ही शातिर आदमी है। इस केस को सॉल्व करने के लिए हमें उस कातिल के दिमाग से चलना पड़ेगा। सबसे पहले हमें सब खूनों की वजह पता करनी होगी। मुझे लगता है कि यह पैसों का मामला नहीं है। इन सब मर्डर के पीछे कहीं ना कहीं कोई बड़ा राज छुपा हुआ है। उसके पास अभी भी एक केमिकल की बोतल है। इससे पहले कि वह कोई और कांड करें, हमें उसे जल्द से जल्द पकड़ना होगा। तुमने अपने सब खबरीओ को खबर कर दी है....ना?"

"हां सर!!! मैंने अपने सब खबरीओ को already काम पर लगा दिया है।"

प्रताप सिंह कुछ सोचते हुए अपनी जेब से सिगरेट का पैकेट निकलते है और सिगरेट के कस पे कस लगाते है। सिगरेट के धुए से अजय थोडा परेशान हो जाता है।

"बरखुरदार!!! तुम सिगरेट लोगे?"

"नहीं सर!!! मैं सिगरेट नहीं पीता।"

"ठीक है!!! तुम एक काम करो, यह फाइल मेरे पास रख दो। मैं 2 दिनों में सब डिटेल पढ़कर तुमको कॉल करता हूं।"

"ठीक है सर!!! मैं निकलता हूं।" ऐसा कहकर अजय अपनी कुर्सी पर से खड़ा हो जाता है।

"ok!!! जय हिंद....." प्रताप सिंह अभी भी कुर्सी पर बैठे-बैठे सिगरेट के कस पे कस लगा रहा था।

"जय हिंद सर!!!" ऐसा कहकर अजय वहां से अपने पुलिस स्टेशन के लिए निकलता है।

अजय पुलिस स्टेशन में जाकर अपनी केबिन के अंदर बैठा हुआ है और सब इंस्पेक्टर राणे के साथ केस के बारे में बात करता है। अचानक, उसका सिर घूमने लगता है और सिर भारी हो जाता है। राणे अजय से पूछता है "क्या हुआ सर आपको?"

"राणे.... मेरा सिर घूम रहा है। तुम एक काम करो डॉक्टर शर्मा को फोन करो।"

राणे डॉ शर्मा को फोन करता है। डॉ शर्मा राणे को कहते है कि वह तुरंत ही अजय को लेकर फॉरेंसिक लैब पर आ जाए। राणे तुरंत ही अजय को लेकर फॉरेंसिक लैब पर जाता है। वहां पर अजय बेहोश हो जाता है। डॉ शर्मा अजय की जांच करके तुरंत ही उसकी सारवार शुरू कर देते है। करीब 1 घंटे बाद, अजय को होश आता है।

अजय जब अपनी आंखें खोलता हैं तो राणे और डॉ शर्मा उसके पास बैठे थे। अजय उनको देखकर बोलता है "शर्मा जी...... राणे....."

डॉ शर्मा जी अजय से पूछते है कि "अब कैसा महसूस हो रहा है?"

"अब अच्छा लग रहा है। लेकिन क्या हुआ था मुझको?"

"सर!!! आपका सिर घूम रहा था, ऐसा आपने मुझे बताया था। मैं आपको फॉरेंसिक लैब पर लेकर आया था। यहां पर आकर आप बेहोश हो गए थे।" अजय राणे से बोलता है।

"हा....राणे!!! मुझे पुलिस स्टेशन पहुंचकर चक्कर आने लगे थे और सिर भी काफी भारी हो गया था। पता नहीं ऐसा क्यों हुआ?"

"मुझे मालूम है ऐसा क्यों हुआ" डॉ शर्मा अजय की ओर देखकर बोलते हैं।

"क्या हुआ था मुझे? अजय बड़ी बेताबी से डॉ शर्मा की ओर देखकर बोलता है।

"Cube-c15"

"What............? इसका मतलब विक्रम ने मुझे जहर देकर मारने की कोशिश की?"

"शायद..."

"शायद.....मतलब?"

"इसका मतलब यह है कि तुम्हारी बॉडी में से Cube-c15 की जीतनी मात्राएं निकली है उसमें आदमी सीर्फ बेहोश हो सकता है, मर नही सकता। इसका सीधा मतलब यह होता है विक्रम ने तुम्हें मारने की कोशिश नहीं की है। लेकिन साथ में यह भी सच है कि उसने अपनी आखरी बोतल का इस्तेमाल कर लिया है। अजय..... तुम ध्यान से याद करो, आज सुबह तुम किस किस से मिलने गए थे और वहां पर क्या-क्या पीया था?"

"मैंने सिर्फ अपने पुलिस स्टेशन में चाय पी थी वह भी राणे के साथ.... क्यों राणे?"

"हां... डॉक्टर शर्मा मैंने भी चाय पी थी लेकिन मुझे तो कुछ भी नहीं हुआ।"

“और दूसरी जगह ?”

"और मैं कमिश्नर साहब से मिलने गया था, वहां पर भी हम दोनों ने चाय पी थी।“ अचानक, अजय कुछ सोचते हुए राणे से कहता है “कमिश्नर साहब.....!!! राणे.... कमिश्नर साहब.....!!! कमिश्नर साहब के ऑफिस फोन करके कमिश्नर साहब की तबीयत के बारे में पूछो।"

राणे कमिश्नर की ऑफिस में फोन करके कमिश्नर साहब के हालचाल पूछता है और बाद में अजय और डॉक्टर शर्मा से कहता है कि "कमिश्नर साहब बिल्कुल ठीक है, उनको कुछ नहीं हुआ है।"

"Thank God" अजय राहत की सांस लेकर बोलता है।

"अजय.... कमिश्नर साहब के बाद तुम और किस से मिलने गए थे?"

"शर्मा जी, कमिश्नर साहब के ऑफिस से मैं सीनियर ऑफिसर प्रताप सिंह यादव के पुलिस स्टेशन पर गया था और उनसे इस केस की चर्चा कर रहा था लेकिन वहां पर भी मैंने कुछ पीया नहीं था।"

"क्या इंस्पेक्टर प्रताप सिंह ने कुछ पीया था?"

"नहीं... शर्मा जी, उसने भी कुछ नहीं पीया था। हां... लेकिन वह सिगरेट पी रहे थे।"

"ohhh...no....अजय....सिगरेट..."

"क्या.... यह केमिकल सिगरेट मे भी इस्तेमाल हो सकता हैं?" अजय बड़ी ही बेसब्री से डॉ शर्मा से पूछता है।

"हा.... यह केमिकल सिगरेट मे भी इस्तेमाल किया जा सकता है।"

"राणे.... तुरंत ही प्रताप सिंह के पुलिस स्टेशन में फोन करके उनकी तबीयत के बारे में पूछो।" अजय हडबडाहट में राणे से कहता है।

राणे तुरंत ही प्रताप सिंह के पुलिस स्टेशन में फोन लगाता है।

क्रमशः