अजय दौड़कर बंगले के अंदर गार्डन में पहुंचता है, वहां पर वकील साहब चाय की चुस्कियां ले रहे थे। अजय चिल्लाकर बोलता है "बड़े पापा.........!!!' वकील साहब मुडकर अजय की ओर देखते है।
"अपनी चाय टेबल पर रख दीजिए, बड़े पापा!"
"क्यों? क्या हुआ भाई?" ऐसा कहकर वकील साहब चाय का कप टेबल पर रखते हैं और खुद कुर्सी से उठते हैं, तभी अचानक वो गिर पडते हैं। अजय दौड़कर उनके पास जाता है और उनको संभालता है। "बड़े पापा! क्या हुआ?"
वकील साहब की सांसे तेज हो जाती है। वो कुछ बोलने की कोशिश करते है लेकिन बोल नहीं पाते हैं। अजय तुरंत ही हॉस्पिटल में फोन करके एंबुलेंस मंगवाता है। बंगले के नौकर चाकर भी वहां पर आते हैं। सब लोग मिलकर वकील साहब को कुर्सी पर बिठाते है। अजय सबको सूचित करता है कि कोई भी चाय या दुध को हाथ नहीं लगायेगा, उसमें जहर मिला हुआ है।
अजय नौकर से पूछता है कि "ईशान कहां पर है? नौकर कहता है कि "ईशान बाबा तो अपने कमरे में सो रहे हैं।" अजय कहता कि "तुरंत उसको बुलाकर लाओ" नौकर ईशान को बुलाने जाता है।
एंबुलेंस बंगले में दाखिल होती हैं। एम्बुलेंस के कर्मचारी वकील साहब की सारवार शुरू कर देते हैं।
तब तक ईशान दौडकर वहां पर आता है और गभराकर सबसे पूछता है "क्या हुआ है? पापा को!!" अजय उससे कहता हैं कि "वकील साहब को किसने जहर देकर मारने की कोशिश की है।" तभी एंबुलेंस के कर्मचारी अजय को कहते हैं कि "इनको तुरंत ही हॉस्पिटल लेकर जाना पड़ेगा।" अजय ईशान से कहता है कि "तुम बड़े पापा को एंबुलेंस मे हॉस्पिटल लेकर जाओ, मैं अपनी जीप में वहां पर आता हूं।" ईशान वकील साहब को लेकर एंबुलेंस में और अजय अपनी जीप में हॉस्पिटल के लिए निकलते है। अजय रास्ते में प्रिया को भी फोन करके सब कुछ बताकर हॉस्पिटल पहुंचने के लिए कहता है।
अजय हॉस्पिटल पर पहुंचता है वकील साहब कै ICU में admit कराया गया। ICU के बाहर अजय और ईशान दोनों चक्कर लगा रहे थे। तब तक प्रिया भी वहां पर पहुंच जाती है वह अजय और ईशान से वकील साहब के हालचाल पूछती है कि "बड़े पापा की हालत कैसी हैं?" ईशान बड़े गमगीन चेहरे से रोते रोते प्रिया से कहता हैं कि "डॉक्टर ने कहा है बहुत ही सीरियस है।" प्रिया की आंखों से भी आंसू छलकने लगते है। अजय उन दोनों का हिम्मत देकर कहता है कि "सब कुछ ठीक हो जाएगा।"
अजय ईशान को संभालता है, कुर्सी पर बिठाता है और कहता है कि "देखो ईशान...! मैं जानता हूं कि यह बात करने का सही वक्त नहीं है लेकिन तुम्हारे Bikers Gangs के बारे में मैं सब कुछ जानता हूं। तुम लोग रात को हाईवे पर जाकर स्टंट करते थे। तुम मुझे यह बताओ कि तुम्हारा दोस्त विक्रम कहां पर मिलेगा?"
ईशान अपनी आंखें पोछते हुए बोलता है कि "पता नहीं, मैं भी कई दिनों से उससे नहीं मिला हूं। जिस दिन से डॉक्टर अंकल के बेटे की रोड एक्सीडेंट में मौत हो गई थी तब से हम लोगों ने स्टंट करना और रात को मिलना बंद कर दिया था।'
"तुम विक्रम से कैसे मिले?"
"डॉक्टर अंकल का बेटा उसका खास दोस्त था वो उसके साथ ही रात को आता था। बाद में वो हमसे काफी घूलमिल गया था और हमारा दोस्त बन गया था।"
"तुम उसके बारे में और क्या-क्या जानते हो? उसने अपने माता-पिता, गांव, परिवार के बारे में कुछ बताया था।"
"नहीं, हम सबके बीच खास करके बाइक के स्टंट के बारे में ही बातचीत होती थी। उसके परिवार के बारे में मैं कुछ नहीं जानता हूं।"
"ईशान तुम जानते नहीं हो कि वो कितना खतरनाक आदमी है। उसने 5-5 मर्डर कीए है और तुम्हारे पिताजी को भी शायद उसने ही मारने की कोशिश की है।"
"लेकिन क्यों? वह क्यों किसी को मारने की कोशिश करेगा। वह बिल्कुल भी ऐसा नहीं था।"
"पैसों की लालच अच्छे-अच्छो को बदल के रख देती है। खैर!!! तुम मुझे यह बताओ कि क्या विक्रम और बाबूराव की बेटी मुस्कान एकदूसरे से प्यार करते थे।"
"हां शायद.... करते थे। लेकिन विक्रम किसी का खून क्यों करेगा, यह बात मुझे समझ में नहीं आ रही है।"
"वो तो विक्रम को ही पता होगा। तुम मुझे यह बताओ कि बड़े पापा के PA मनोहर तिवारी कैसा आदमी है?"
"मनोहर काका?.... वो तो बड़े सीधे सादे आदमी है। अपने काम से काम रखते हैं। पिताजी उन पर आंख बंद करके भरोसा करते हैं।"
"ईशान.... अवसर हम जीस पर आंख बंद करके भरोसा करते हैं वो ही हमारी आंखें खोल देते हैं।"
"क्या मतलब?"
"मतलब यह कि तुम्हारे मनोहर काका भी इन सब में कहीं न कहीं शामिल है।"
"हो ही नहीं सकता। मुझे उन पर पूरा भरोसा है, वह पापा के खिलाफ कोई भी गलत कदम उठा नहीं सकते।"
"ठीक है ईशान!!! लेकिन विक्रम के मोबाइल के कोल रिकॉर्ड से हमें पता चला है कि उसने तुम्हारे मनोहर काका से भी बात की है। मुझे उससे मिलना ही होगा।"
"आजकल उनकी तबीयत कुछ ठीक नहीं रहती थी इसलिए वह शायद घर पर आराम कर रहे होंगे।"
"ईशान, तुम मुझे उसके घर का पता बताओ। मैं वहां जाकर उनसे बात करता हूं। पता तो चले, आखिर वह किस सिलसिले में विक्रम से बात किया करते थे तब तक तुम बड़े पापा का ख्याल रखो।"
ईशान अजय को मनोहर तिवारी के घर का पता देता है। अजय मनोहर तिवारी से मिलने और पूछताछ करने के लिए हॉस्पिटल से निकलता है।
अजय मनोहर तिवारी के घर पर पहुंचता है और उसके घर की डोरबेल बजाता है। मनोहर तिवारी की बेटी पूजा दरवाजा खोलती है। अजय उससे पूछता है "क्या मिस्टर मनोहर तिवारी का घर यहीं हैं?"
"हां.... लेकिन आप कौन हो?" पूजा अजय से पूछती है।
"मैं इंस्पेक्टर अजय उनसे कुछ पूछताछ करने आया हूं। कहां है वो?"
"उनकी तबीयत ठीक नहीं है इसलिए वह अपने कमरे में आराम कर रहे हैं।"
"क्या मैं उनसे मिल सकता हूं।"
"मिल सकते है लेकिन........"
"हा, मैं उनकी तबीयत का ख्याल रखकर ही पूछताछ करुंगा, तुम फिकर मत करो।"
पूजा अजय को मनोहर तिवारी के कमरे मे लेकर जाती है। मनोहर तिवारी अपने बेड पर लेटा हुए था। अजय और पूजा को देखकर वह अपने बेड पर से उठने की कोशिश करता है। अजय उनको देखकर कहता है "नहि-नहि....आप उठने कि कोशिश मत किजिए, लेटे रहिये। अब कैसी तबीयत है आपकी?"
"ठीक हूं। पर आप कौन?" मनोहर तिवारी अजय से पुछता है और बाद में, पूजा की और देखता है। पूजा उनसे कहती हैं "पापा यह इंस्पेक्टर अजय है ये आपसे कुछ पूछताछ करने आये है।"
"कैसी पूछताछ?" मनोहर तिवारी अजय की ओर देखकर बोलता है।
अजय पूजा की ओर देखकर बोलता है "क्या हम अकेले में बातचीत कर सकते हैं।" पूजा उस कमरे से निकल जाती है। अजय मनोहर तिवारी की ओर देखकर बोलता है कि 'देखिए तिवारी जी, मैं गोल घुमा कर बात करने में यकीन नहीं करता हूं इसलिए एक सीधा साधा और स्पष्ट सवाल आपसे पूछता हूं कि आप विक्रम के बारे में क्या जानते हो?"
"विक्रम? कौन विक्रम? ईशान बाबा का दोस्त।"
"हां.... वही विक्रम...."
"विक्रम के बारे में मैं क्या बता सकता हूं?"
"क्यों, आप उससे फोन पर बात नहीं करते थे?"
अजय के इस सवाल से मनोहर तिवारी के चेहरे का रंग उड़ जाता है। वह अजय से नजरे चुराकर कहते हैं कि "आप क्या कहना चाहते हैं?"
"आपने बाबूरावजी के डॉक्यूमेंट लेकर एक सिंमकार्ड खरीदा था। बाद में, आपने विक्रम से बात की.... क्यों?" इस सवाल से मनोहरजी के पसीने निकलने शुरू हो जाते है।
"तिवारीजी, अभी मैंने पूछताछ शुरू भी नही की और आप के पसीने निकलने लगे। बताइए...... विक्रम से आप ऐसी क्या बात करते थे जीसके लिए आपको बाबूरावजी के नाम से सिमकार्ड लेना पडा।"
"दरअसल..... सर!! मुझे वकील साहब ने ही ऐसा करने के लिए बोला था।" मनोहर तिवारी घबराकर कहते हैं।
"बड़े पापा ने?.... वह आपसे विक्रम से बात करने को क्यों कहेंगे?"
"मैं सच बोल रहा हूं सर!! वकील साहब ने ही मुझे डुप्लीकेट सिमकार्ड लेने को कहा था और एक मोबाइल भी लेकर दिया था। मैंने वकील साहब के क्लाइंट बाबूरावजी के डॉक्यूमेंट लेकर वो सिमकार्ड खरीदा था।"
"वकील साहब ऐसा क्यों करेंगे भला....?"
"अपने ईशान बाबा की बजह से....."
"क्या मतलब?"
"दरअसल सर!!! ईशान बाबा को मिस्टर हरदीप चड्ढा की बेटी से प्यार हो गया था इसलिए वकील साहब उन दोनों की शादी कराना चाहते थे लेकिन हरदीप चड्ढा अपनी बेटी की शादी कहीं ओर कराना चाहते थे। इसलिए वकील साहब हरदीप चड्ढा के घर पर नजर रखना चाहते हैं जिसके लिए उसने ईशान बाबा के दोस्त विक्रम को तैयार किया।"
"इसलिए तुम विक्रम से फोन पर बात करते थे और हरदीप चड्ढा के घर की जानकारी लेते थे।"
"हां......सर!!!"
"लेकिन दूसरे मोबाइल और डुप्लीकेट सिम से से क्यों बात करते थे? ताकि किसी को तुम पर शक ना हो इसलिए?"
"हां......सर!!!"
"और जब वकील साहब की एक भी चाल कामयाब नहीं हुई तब तुमने और वकील साहब ने मिलकर विक्रम को मिस्टर हरदीप चड्ढा की सुपारी दे दी।"
"नहीं सर!!! ये आप क्या कह रहे हो? हमने विक्रम को किसको मारने की सुपारी नहीं दी है।"
"तो फिर विक्रम ने मिस्टर चड्ढा का मर्डर क्यों किया?"
"हमें नहीं पता सर!!! विक्रम ने ऐसा क्यों किया? हम तो सिर्फ मिस्टर चड्ढा के घर की जानकारी हासिल करना चाहते थे। हमको ऐसा कोई अंदाजा भी नहीं था कि विक्रम ऐसा कुछ करेगा, वरना वकील साहब कभी भी विक्रम से बात नहीं करते।"
"बात नहीं करते तो ही अच्छा होता।" अजय एक गहरी सांस लेकर बोलता है।
"सर...!!! आपका मतलब क्या है?"
"उस विक्रम की वजह से आज वकील साहब ICU में है।"
अजय की बात सुनकर मनोहर तिवारी चौक जाते है और अपने बेड से उठने की कोशिश करते है। तभी अजय उनको बेड पर उठने से मना करते हैं और कहते है कि " वकील साहब, अभी ठीक है। हम सब उसका ख्याल रख रहे हैं।"
"मुझे अपने वकील साहब से मिलना है।"
"आप जब ठीक हो जाएंगे तब मैं आपको उनसे मिलने के लिए ले जाऊंगा। अभी आप अपना ख्याल रखिए।" ऐसा कहकर अजय मनोहर तिवारी के घर से हॉस्पिटल के लिए निकलता है।
अजय हॉस्पिटल पर जाकर ICU की और बढ़ता है। वहां ईशान और प्रिया एक दूसरे को गले से लगाकर जोर जोर से रो रहे होते हैं। अजय दौड़कर उन दोनों के पास जाता है और दोनों से पुछता है "क्या हुआ?" तब प्रिया अजय से रोते हुए कहती है "बड़े पापा अब इस दुनिया में नहीं रहे।"
"क्या?????????? क्या कह रहे हो?" ऐसा कहकर अजय अपना सिर पकड़कर वहां पर बैठ जाता है।
क्रमशः