Immoral - 30 in Hindi Fiction Stories by suraj sharma books and stories PDF | अनैतिक - ३०

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अनैतिक - ३०

पापा, अंकल जल्दी चलो हमें कही जाना है..

अरे पर कहा बेटा, और क्या हुआ..तू रो क्यूँ रहा है...

अंकल मै रास्ते में बतात हूँ, पहले जल्दी चलो.. किशोर इन सब का ध्यान रखना कहकर मै उन्हें लेकर सीधा अंकल की कार में निकल गया..

पर हुआ क्या है? पापा ने पूछा

पापा वो...

अंकल ने कहा बेटा बता भी क्यूँ डरा रहा है...बता हुआ क्या है?

मेरे दोस्त केशव का कॉल आया था, वो किसी काम से गाँव से बाहरजा रहा था की तभी उसे रोड पर भीड़ जमी दिखी जब उसने पास जाकर देखा तो एक लड़के का एक्सिडेंट हुआ था..।।

अच्छा तो तेरा कोई दोस्त है क्या बेटा..किसका एक्सीडेंट हुआ है?

अंकल ...निकेत भैय्या का ..

क्या?...कब? कैसे? और कैसा है वो?

अंकल मुझे भी नहीं पता, केशव ने उसे हॉस्पिटल ले गया और मुझे कॉल किया..

केशव? वो रीना और तुम्हरे साथ स्कूल में था, वो लड़का?

हाँ अंकल..

घर से माँ और आंटी के कॉल आ रहे थे पर मैंने अंकल से कहा एक बार हम हॉस्पिटल पहोचकर देख लेते है फिर घर पर बताते है।। रास्ते में ट्रैफिक बहोत था, और बारिश भी आ रही थी फिर भी जल्दी ही हम हॉस्पिटल पहोच गये..

पापा अंकल को संभाल रहे थे, मै रिसेप्शनिस्ट के पास जाकर पूछा,

अभी एक एक्सीडेंट केस आया था, कहा है वो?

सर, इमरजेंसी वार्ड..

हम इमरजेंसी वार्ड के तरफ जा ही रहे थे की मुझे सामने केशव दिखा..उसके कपडे पुरे खून से लटपट थ, मैंने उसे साइड में ले कर पूछा,

क्या लगता है?

मुश्किल है ..सीर पर मार लगी है..

हम सब ऑपरेशन रूम के बाहर डॉक्टर का इन्तजार करने लगे, थोड़े देर बाद डॉक्टर बाहर आये।।

मुझे समझ नहीं आ रहा था की क्या पुछना चाहिए..इसीलिए मैंने सिर्फ एक ही बात पूछी

सर,"बच तो जायेगा ना वो?

कहना मुश्किल है, सीर पर काफी चोट लगी है, खून भी कम हो गया है, पर हम देखते है..ऑपरेशन करना पड़ेगा..

अंकल ने मुझे पूछा क्या कहा डॉक्टर ने, मैंने उन्हें बताया की वो बोल रहे है ऑपरेशन करना पड़ेगा

पापा ने कहा, "घर पर बताना पड़ेगा"

हाँ पापा मैंने किशोर से बात की है, वो सबको हॉस्पिटल लेकर आ राहा है, थोड़ी देर में सब हॉस्पिटल आ गये।। मैंने माँ को कहा था की एक शर्ट-पेंट लाना, केशव के कपड़ो पर खून लगा था उसने अपने कपडे बदले, अंकल ने अपनी पहचन से बड़े डॉक्टरों को भी हॉस्पिटल में बुला लिए थे, ऑपरेशन शुरू हो गया..तभी केशव ने मुझे साइड में आने का इशार किया, रीना, कशिश और किशोरे ने हम दोनों को बात करते हुए देख कर हमारे पास आने लगे..मैंने उन्हें समझाया कोई बात नहीं पर वो सुनना चाहते थे की केशव क्या बोल रहा है ..

हाँ केशव बोल, मैंने कहा

भाई, एक बात बतानी थी, मैं पहले बताने वाला था पर ..मुझे लगा ये सही वक़्त नहीं है..

क्या हुआ? बोल

ये ऐक्सिडेंट नहीं है..

क्या? एक्सीडेंट नहीं है मतलब?

मतलब एक्सीडेंट नहीं है ..किसीने उसके सर पर पीछे से लोहे के रॉड से मारा है और फिर वो निचे गिर गया

पर तुझे कैसे पता चला?

जब मै निकेत को उठा कर एम्बुलेंस में रख रहा था मुझे वह एक रॉड दिखाई थी, जिसपर खून लगा था

कहा है वो रॉड?

मैंने मेरे कार में रखा है, ताकि अगर पुलिस केस हो तो उन्हें दे सकू..

वह..बढ़िया काम किया तूने..पर ऐसा कौन कर सकता है..?

अब ये तो पुलिस ही पता लगाएगी, पर ये हम पर है की हमें पुलिस केस करना है या इसे महज एक्सीडेंट केस ही रखना है

मैंने कुछ देर सोचा, मुझे लगा अभी ये बात अंकल को बताना गलत होगा पर अगर देर से बताने पर कुछ गड़बड़ हो गयी तो..

रीना और किशोर ने कहा हमें पापा को बताना चाहिए.., मैंने अंकल और पापा को साइड में बुलाया और पूरी बात बता दी।। उन्होंने तुरंत अपने दोस्त एसीपी को फ़ोन कर सारी बाते बता दी और थोड़े देर में पुलिस आ गयी. हमने वो रॉड उन्हें दे दी.. डॉक्टर्स ऑपरेशन रूम से बाहर आने लगे और उन्होंने कहा, "जब तक उसे होश नहीं आ जाता कुछ नहीं कह सकते, इन सबके बिच मेरा ध्यान कशिश पर गया वो अकेली बैठी थी, रो रही थी.

क्या हुआ? कुछ नहीं होगा सब ठीक हो जायेगा..

ये सब मेरे वजह से हुआ है..

तुम्हारी वजह से ?

हाँ, अगर मै उनके दोस्तों के साथ चली जाती तो ये नहीं होता..

पागल हो गयी हो क्या? समझ भी रहा है तुम क्या बोल रही हो?

सही बोल रही हूँ, वो जैसे भी है पति है मेरे...

वाह रे भारतीय नारी