उस दिन के बाद मैंने सिगरेट छोड़ दी, मुझे भी यकीन नही हो रहा था की मै ऐसा कर सकता था, मुझे लगा था शायद धीरे धीरे छूटेगी, पर कहते है न अगर किसी चीज का हम निश्चय कर ले तो वो हम पा सकते है...मैंने पहले एक हफ्ता कोशिश करी जब भी मुझे सिगरेट की याद आती मै कशिश को याद कर लेता..८-१० दिन लगे पर पूरी तरह छुट गयी पर हाँ अगर कभी किसी को पिता हुआ देखा तो फिर से मुझे..पर मैंने खुद पर नियंत्रण कर लिया था...अब मुझे बाकी सिगरेट की ज़रूरत नहीं थी वैसे भी मेरे पास कोई ८-१० सिगरेट ही बची थी, जब मै उसे फेकने बाहर जा रहा था तब कशिश ने मुझे देख लिया, और उसके चेहरे पर वो हँसी देख मुझे ऐसा लगने लगा था जैसे मैंने उसको कितनी बड़ी ख़ुशी दे दी हो..
हम दोनों और करीब आते गये अब वो मुझे उसके बारे में सारी बाते बताने लगी, उसके परिवार की जो मैंने माँ से सुनी थी वो बाते कशिश मुझे बताने लगी, मैंने उसे नहीं कहा की मुझे ये सब पता था..बस सुनता रहता था, शायद वो अपने दिल के घहरे जख्म को अब खुदर रही थी पर ऐसा करने से उसे ही ज्यादा दुःख होता इसीलिए मैंने उसे ज्यादा पूछता नहीं था, वो जो बताती बस सुनता ..
आज मेरा जन्मदिन था मै रोज की तरह १-२ बजे तक उठा था अब मेरे बाल और दाढ़ी तो मानो कोई हिमालय के साधू की तरह बड गयी थी, पर मुझे अच्छी भी लगने लगी थी, मै उठा और रेडी होकर हॉल में आया, माँ और पापा ने विश किये, और फिर हम बाते करने लगे की तभी मुझे मेरे सारे दोस्तों के कॉल्स आ रहे थे तो मैंने उनसे बात की, अन्दर बारिश के वजह से नेटवर्क प्रॉब्लम रहती मै बाहर आकर बात करने लगा की तभी पीछे से किसी ने आकर मेरी आँखों पर हात रख लिया...हात किसी लड़की का था पर किसका अगर गलती से भी किसी गलत लड़की का नाम बोलता तो पीछे खड़ी लड़की को बुरा लग सकता था इसीलिए मैंने चुप रहना ही उचित समझा पर जब पीछे मुड़ा तो रीना का हात था,
यार तेरा पति तुझे हर हफ्ते भेज कैसे देता है?
वो हँसने लगी, फिर उसने मुझे बताया की आज कशिश का बर्थडे भी है ..मुझे धक्का सा लगा क्या ये सिर्फ इत्तफाक था या भगवान का इशारा खैर अभी उस बातो का वक़्त नहीं था, बातो बातो में मेरी नज़र रीना के पीछे गयी..कशिश थी ..उसे देख कर मानो मै एक पल के लिए सब भूल गया था वो आज इतनी सुन्दर लग रही थी ब्लैक साड़ी में..मै बस उसे देखता ही रह गया, मेरा मुह खुला रह गया वो भी मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी की तबी रीना ने मेरे कान में धीरे से कहा
"मेरी भाभी है वो"..मैंने एकदम से उसपर से ध्यान हटाया और हम अन्दर आ गये...रीना ने मुझे इशारे से कहा की मेसेज पड.. तो मैंने जल्दी से जेब से फ़ोन निकला, मुझे एक मेसेज आया हुआ था रीना का,
"कशिश ने बचपन से कभी जन्मदिन नहीं मनाया, और आज उसके शादी को डेढ़ साल हो गये है, आज हम मिलकर तुम दोनों का बर्थडे मनाते है उसे भी अच्छा लगेगा..मैंने बिना कुछ कहे बस उसकी ओर देखा और इशारे में हाँ कहा, उसने मुझे ये भी बताया था की निकेत कशिश का जन्मदिन भूल गया शायद वो उसका भाई था इसीलिए वो मुझे ये बताना नही चाहती थी की निकेत को कशिश पसंद नहीं थी..वैसे पसंद कशिश को भी निकेत कहा था पर शादी हो गयी थी तो रिश्ता निभाना पड़ता... कशिश और मैंने मिलकर केक काटा, रीना के माँ पापा भी आये थे पर निकेत नहीं आया..उसे घर पर कोई कुछ नहीं कहता था...
वो सब चले गये, मैंने रीना को थैंक यू मेसेज भेजा और फिर माँ पापा मै बात करने बैठ गये..जर्मनी से भी मेरे दोस्तों के कॉल्स मेसेज आ रहे थे वो दिन रात बस थैंक यू बोलने में ही गया ..जितनी बार मैंने सबको थैंक यू बोला उतनी बार अगर भगवान का नाम लेता तो शायद हरी दर्शन कहो जाते..
अब मुझे ३ महीने होते आये थे मै अक्सर रीना के घर आया जाया करता था..हाँ सिर्फ कशिश के लिए पर ये बात आपको और मुझको पता थी या फिर शायद कशिश भी समझ गयी थी पर हमारे घरवालो को नहीं पता थी..मै जब भी जाता उसके चेहरे पर मुझे देख कर प्यारी मुस्कान आ जाती ..बस यही तो चाहता था मै ..मुझे समझने लगा था की वो भी धीरे धीरे मेरे करीब आने लगी थी..पर हम दोनों की एक मर्यादा थी जिसे न वो भूल सकती थी ना ही मै...बस ये ही बात सोच कर दिल उदास हो जाता ..अब हम रोज बाते करने लगे वो मेरे लिए रात में जागने लगी..मै भी उसके लिए दिन में जल्दी उठने लगा था ..