Premier Amour - 2 in Hindi Fiction Stories by akriti choubey books and stories PDF | Premier Amour - 2

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Premier Amour - 2

मेंडी भागते हुए आया,,अबीर सर वो लोग कबसे दरवाजा पीट रहे है, ओर रूम से सामान टूटने की भी आवाज़ आ रही है।
अबीर उठकर जाने लगा,,तभी सौरभ ने उसका हाथ पकड़ लिया,,,वडी व्हाट हैप्पण्ड,,ओर ये??

आकर बताता हूँ तू खाना खा ले,,ओर हा गाजर का हलवा भी है,,,
वाओ ,,, वडी यु आर ग्रेट,,
चल मस्का मत लगा चुप चाप खा ले
इतना कहकर अबीर मेंडी के साथ चला गया।
वो जैसे ही उस दरवाजे के पास पहुँचा उसे अंदर से सामान टूटने की ,चिल्लाने की आवाज आ रही थी।

उसने मेंडी की तरफ हाँथ किया तो मेंडी ने उसने हाथों में रूम कीज़ दे दी ।उसने जैसे ही रूम का दरवाजा खोला हर तरफ बस कांच ,फ्लावर पॉट के टुकड़े,पिल्लो बेडशीट जमीन पर पड़ी,पुरे रूम का हाल ऐसा था मानो टोर्नेडो साइक्लोन यही आया हो।

अचानक एक हाँथ पीछे की तरफ से उसकी तरफ आया,
मेंडी अचानक से चिल्लाया ,,,सरर..

अबीर ने बिना पीछे मुडे ही उस हाँथ को पकड़ लिया,,उस हाथ से फ्लावर पॉट छूट कर नीचे गिर गया।
मेंडी की जान में जान आई,,,,
अबीर पीछे मुड़ा तो पीछे एक 21 साल की लड़की खड़ी थी बाल पूरे बिखरे हुए ,पूरे चेहरे पे पसीना ,आँखो में आंसू जो बहकर गाल पे आ गए थे, ओर जो बार बार अपने हाथ को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी।

अबीर ने उसका हाथ छोड़ दिया,,उसने अपने हाथ की तरफ ध्यान दिया ,जो अबीर के इतने जोर से पकड़ने के कारण लाल हो गया था।

अबीर ने रूम की दूसरी तरफ देखा तो वहाँ पांच ओर लड़कियां थी।जिनमे से एक बेहोश थी।और कुछ आधी बेहोशी में थी।एक ओर लड़की डर के कारण रोए जा रही थी।
अबीर ने एक नज़र उस लड़की को देखा जिसने उसपे हमला किया था,,वो अभी भी अपने हाथ को ही देख रही थी।
वो उस लड़की के पास गया जो रो रही थी।,,,,,वो अबीर को अपने पास आता देख ओर भी घबरा गई।
....पास मत आना मेरे,,मे,,,मेंरे पास मत आना।
अबीर चला जा रहा था।
वो बैठी हुई थी ।अबीर जैसे ही उसके पास पहुचा उसने आंखे बंद कर ली।
अबीर,,,,लो...

उसने आंखे खोलकर देखा तो अबीर उसके पास घुटने के बल बैठा हुआ था,,ओर उसके हाथ मे रुमाल था।
...उस लड़की ने अबीर की तरफ देखा जो उसे ही देख रहा था,,,,अबीर ने फिर कहा ,,,,लो
वो बापस जमीन की ओर देखने लगी,,
अबीर उसकी तरफ देखकर,,,,में पक्का कुछ नही करूंगा ले लो,,,

उसने वो रुमाल ले लिया ,,,,अबीर वहा से उठके मेंडी के पास आ गया।
वो लड़की जिसने अबीर पर हमला किया था अपना हाथ पकड़के बैठी थी।
अबीर ने एक नज़र उसे देखा फिर मेंडी को कुछ इशारा किया,,मेंडी बाहर से फस्टेड बॉक्स ले आया उसने वो अबीर को दे दिया।
अबीर ने उसके पास जाकर उसके सामने हाथ आगे किया।
उसने अबीर को देखा ओर फिर अपने हाथ की तरफ देखने लगी,,,
अबीर ने उसे देखकर गुस्से से सर झटका ओर उसका हाथ पकड़के अपनी तरफ कर लिया,,,,वो लगातार अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश कर रही थी,,
.......छोड़ो मुझे,,छोड़ो
अबीर ने उसे गुस्से से देखा और मुह पर उंगली रखकर चुप रहने का इशारा किया।
लेकिन वो लगातार चिल्लाए जा रही थी
.....छोड़ो ,,,मुझे हाथ मत लगाओ
अबीर गुस्से से,,,,एक दम चुप ,,,अब मुह से एक आवाज़ भी आई तो.....
वो एक दम चुप हो गई,,,,
अबीर ने बॉक्स से दवाई निकाली और उसके हाथ मे जहा निशान पड़ गए थे वहा लगाने लगा।

दवाई लगाने के बाद वो उसकी तरफ गुस्से से देखा,,,आइंदा ऐसी कोई भी हरकत करने की कोशिश की तो जिन हांथों से दवाई लगाई है ना,,उन्ही हाथों से हाथ तोड़ भी सकता हूँ।
इतना कहकर वो दोनों बाहर चले गए।बाहर आते ही अबीर ने मेंडी से कहा,,,,रूम की हालत बहुत खराब हो गई है इन्हें दूसरे रूम में शिफ्ट करो ,,ओर इस रूम की सफाई करवाओ।
मेंडी,,यस सर,,,
इतना कहकर वो वापस डाइनिंग एरिया में आ गया
उसने देखा सौरभ वही सो गया था।
उसे देखकर उसके चेहरे पे स्माइल आ गई।
उसने उसके पास आकर उसे जगाया,,,,,बच्चा,,, चल रूम में चलकर सोना,,उठ ।

सौरभ नींद में ही,,,अर्जुन सोने दे ना,,वैसे भी दो रातों से सोया नही हूँ।
...वडी अर्जुन नही मैं हूँ,,उठ यहा ठंड लग जाएगी।

सौरभ इतनी आंख खोलकर जिनको देखकर लग भी नही रहा कि उसने आंखें खोली है,,,,ओके,,,इतना कहकर वो चलने लगा,,
सामने जाकर वो पिलर से टकराने ही वाला था की अबीर ने उसका हाथ पकड़कर खींच लिया।
ओये कुम्भकर्ण आंख तो खोल के तो चल,,,
...खोली तो है वडी,,,,
....ह्म्म,, तभी रूम की जगह किचन में जा रहा है।
सौरभ ने एक आंख खोलकर देखा ओर जीभ बाहर निकालकर पलट के अबीर की तरफ देखा जो उसे ही घूर रहा था,,,,,ह्म्म वडी क्या है ना बहुत दिनों में वापस आया हूँ ना तो बस याद नही रहा,,,,,आंखें मेरी खुली थी,,,पक्का

हां मेरे भाई तू ही एक सच्चा है।चल बातें बाद में बना लियो अभी सो जा,,,,,एंड डोंट वरी तुझे रूम का रास्ता में बता देता हूं।
सौरभ मुह बनाते हुए,,,,पता है मुझे में चला जाऊंगा
अबीर,,,ह्म्म,,गुड नाईट
सौरभ उबासी लेते हुए,,,,उड बाइट,,,
अबीर,,,,हाठ जोड़ते हुए,,भाई तू जा सो जा,,,

सौरभ अभी भी आधा सोता हुआ चल रहा था,अबीर उसे देखते हुए,,,पता नही ये कब बड़ा होगा। इसे देखकर कोई कह सकता है कि इसने सुबह किसी की जान ली है ,,,,इतना कहकर वो भी अपने रुम में चला गया

सुबह4:30 बजे,,,,अबीर ओर सौरभ जॉगिंग करते हुए।दोनों ट्रैक पेंट ओर हुदी वाली जैकेट पहने थे।दोनो ने सर पे हुदी दाल रखी थी।

दोनो एक जगह रुके,,सामने एक चाय की टपरी थी,,,,
दोनो एक दूसरे की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए,,,रेडी स्टडी पो...इतना कहकर दोनो ने रेस लगा दी।
अबीर पहले पहुचा,,,,हेएए,,आई एम विन
सौरभ मुह बनाते हुए,,,दैट्स नॉट फेयर,,,यार में फिर हार गया,,
अबीर हस्ते हुए,,,हा वो इस लिए क्योंकि में तुझसे बड़ा हूँ,,,,
हम्ह बड़े आये,,,सिर्फ 2 मिनिट40 सेकेंड बड़े हो 20 साल नही।
अबीर उसके गले मे हाथ डालते हुए,,,,चल कोई नई आज तुझे स्पेशल चाय पिलाता हूँ।

काका दो स्पेशल चाय,,,,,दोनो वही टपरी के बाहर बेंच पर बैठ गए।
सौरभ,,,,वडी कल बात अधूरी रह गई थी,,क्या बता रहा था तू...
अबीर ,,,,यह नही घर चलकर बात करते है,,,ओर हा रमण सर को तुझसे कुछ बात करनी है,,तो याद से कर लियो।
सौरभ,,,यार ये खड़क सिंह मेरे पीछे ही क्यों पड़े रहते है,,,,तुम भी तो होना,तुमसे कुछ नही कहते।बस सारे रूल्स मुझे ही समझाते रहते है।

अबीर,,,,,,मुझे इसलिए कुछ नही कहते क्योंकि में कभी भी रूल्स नही तोड़ता,,,ओर तू कोई भी रूल्स नही मानता।
...यार वडी रूल्स बनते ही टूटने के लिए है,,,
अबीर मुह बनाते हुए,,,,तू ओर तेरी अजीब फिलॉस्फी,,,अब चल कुछ काम भी कर ले,,,वैसे भी 6 बजने बाले है।रमण सर को रिपोर्ट करना है।

सौरभ,,,तू ही करना में खड़कसिंह से सामने भी नही जाने वाला,,,,,भूखे शेर के जैसे खाने को तैयार रहते है आल टाइम,,,
अबीर उसके बाल बिगाड़ते हुए,,,,मेरे भाई में कल ही रिपोर्ट कर चुका हूँ।तुझे रिपोर्ट करना है,,,जल्दी चल वर्ना टाइम पर से डांत खाएगा।
अबीर ने पैसे दिए और दोनों घर की ओर चल दिये


क्रमशः