Darr - 4 in Hindi Horror Stories by सीमा कपूर books and stories PDF | डर - भाग 4

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डर - भाग 4

रोते-रोते शामा मौत की दुआ मांगने लगी, उसका शरीर पूरा मानो बेजान सा हो गया अब वह चलने में भी असमर्थ हो गई 'पर हिम्मत नहीं हारी,बाथरूम से बाहर आकर फर्श पर आ गिरी और वह बेहोश हो गई/ कुछ समय बाद जब उसे होश आया और उसने आंखें खोली तो उसने अपने सामने खून से लथपथ खुले लंबे बालों,डरावने चेहरे वाले,साए को देखा।

वह उसे कह रहा था अब तेरी बारी हैं यह घर मेरा हैं तेरा नहीं चली जा यहां से-

शामा ने दबी आवाज़ और नम आंखों से कहां मुझे छोड़ दो मैं चली जाऊंगी-मत करो मेरे साथ ऐसा मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा हैं
जो तुम मेरे साथ ऐसा कर रही हो शामा हाथ जोड़कर रोते रोते बार-बार यहीं कह रही थी चली जाऊंगी मुझे छोड़ दो वह साया और करीब आने लगा उसकी और अपनी बड़ी बड़ी आंखों से अपने हाथ जोड़कर घूर रहा था।।

और जो शामा बोल रहीं थी उसकी नकल कर रहा था शामा ने कहां तुम चाहती हो ना कि मैं यहां से चली जाऊं चली जाऊंगी तुम बस मेरा पीछा छोड़ दो/फिर उस साए ने घर के एक कमरे की ओर इशारा किया
फिर साए ने कहां चलो तुम एक काम करो मैं तुम्हें छोड़ दूंगी_
शामा ने कहां ठिक हैं करूंगी
साए ने कहां पहले सुन तो लो और हंसने लगीं

शामा ने कहां कौन सा और कैसा काम वैसे भी मैं सब करने को तैयार हूं-
साए ने कहां ठिक हैं तुम्हारी मर्ज़ी,
तब शामा उस कमरे की ओर गई फिर उस साए ने कमरे की ज़मीन की ओर इशारा किया

पर शामा कुछ समझ नहीं पा रही थी कि यह सब क्या हो रहा हैं बस डरती कांपी हुई बस वही कर रही थी जो उससे साया करवा
रहा था।
मानो कि जैसे भी शामा की बुद्धि शून्य हो गई हो-
हताशा से भरी सहमी शामा जब-जब उस साए की ओर देखती डर जाती और अपनी आंखें बंद कर लेती और दूसरी ओर वह साया शामा की नक्ल कर ताली बजाता एवं हंसने लगता शामा उसकी इस हरकत से कपकपाती और कुछ बोल भी नहीं पाती डर के मारे/
वह साया कमरे की ज़मीन के बीच में आकर खड़ा हो जाता (वह कमरा शामा का हि था)

साए ने कहां इसको तोड़ो,आओ इधर
शामा कपकपाती हुई आई और कहां मैं कैसे तोडू इसे/ मेरे पास कुछ भी तो नहीं है अब (रात के 4:00) बजने को थे और दिन निकलने को था।।

शामा मन ही मन में कहने लगी शायद दिन निकलते हैं यह साया चला जाए.?
जैसे-जैसे शामा घड़ी की और देखती वैसे वैसे वह साया भी घड़ी की और देखता और शामा की और मुस्कुरा कर देखता_
यह देख शामा डरते डरते सिमटने लगती वह साया शामा को कहता चलो कमरे के बीच में आकर खड़ी हो जाओ ,शामा आकर खड़ी हो गई और घड़ी की ओर देखने लगी समय 4:30 बज गए थे_
जब पलट कर देखा (तो साया गायब हो गया था शामा अपनी डरी डरी नजरों से चारों ओर देखने लगी एक जोर दार हवा का झोंका आया घर के सभी दरवाजे खिड़कियां खुल गए)
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क्रमशः