वे दोनों साथ खाते पीते।समय गुज़रने के साथ उनके सम्बन्ध प्रगाढ होने लगे।राजन,नज़मा को चाहने लगा।प्यार करने लगा।एक दिन वे पार्क के एकांत कोने मे बैठे बाटे कर रहे थे।राजन,नज़मा का हाथ अपने हाथ मे लेते हुए बोला,"नज़मा आई लव यू।मुझे तुमसे प्यार ही गया है।"
"तुमने मेरे दिल की बात कह दी,"राजन के दिल की बात सुनकर नज़मा बोली,"राजन मैं भी तुम्हे चाहती हूं।तुमसे प्यार करती हूं"।
"नज़मा,मैं अपने प्यार को स्थायी रूप देना चाहता हूँ।"
"कैसे?"नज़मा ने प्रश्नसूचक नज़रो से राजन को देखा था
"तुम्हे हमेशा के लिए अपना बनाकर।तुमसे शादी करके।"
"सच"नज़मा खुशी मिश्रित आशचर्य से बोली थी।
"मैं सच कह रहा हूं।तुमसे शादी करके तुम्हे अपनी पत्नी बनाना चाहता हूँ।
"राजन तुम्हारी जीवन संगनी बनकर मुझे खुशी होगी,लेकिन शादी के बारे में तुम्हे मेरी माँ से बात करनी होगी।"
"तो चलो।"और राजन, नज़मा के साथ उसके घर जा पहुंचा।राजन, नज़मा की माँ से बोला,"मैं नज़मा से प्यार करता हूँ और उससे शादी करना चाहता हूँ।"
राजन की बात सुनकर सुल्ताना बोली,"मुझे तुम दोनों की दोस्ती पर कोई ऐतराज नही है।लेकिन तुम्हारी शादी नज़मा से नही हो सकती।"
"मुझ में क्या कमी है,जो मैं नज़मा से शादी नही कर सकता।"सुल्ताना की बात सुनकर राजन ने पूछा था।
"तुम दोनों की शादी में धर्म रुकावट है,"सुल्ताना बोली,"तुम हिन्दू हो और नज़मा मुसलमान है।इसलिए तुम दोनों की शादी सम्भव नही है।"
"मम्मी आप टीचर है।खुले विचारों की शिक्षित महिला होकर आप ऐसी संकीर्ण और दिकयानुसी बाते कर रही है,"राजन बोला,"शादी एक मर्द की एक औरत से होती है।"
"राजन शादी कोई गुड्डे गुड़ियों का खेल नही है।शादी के लिए समाज ने कुछ रीति रिवाज,नियम और परम्पराए बना रखी है।इनको मानना पड़ता है।धर्म और जाति का ख्याल भी रखना पड़ता है,"सुल्ताना, राजन को समझाते हुए बोली,"तुम नज़मा से शादी का ख्याल अपने दिल से निकाल दो।अपनी जाति धर्म की किसी लड़की से शादी कर लो।"
"मैं नज़मा को चाहता हूं।प्यार करता हूं।"राजन ने सुल्ताना को बहुत समझाना चाहा लेकिन उसने अपनी बेटी की शादू राजन से करने से साफ इंकार कर दिया।
नज़मा बचपन से माँ को देखती आ रही थी।उसका सोचना था।उसकी माँ खुले विचारों की औरत है।लेकिन आज उसे पता चल गया था कि धर्म के मामले में वह भी दूसरी मुस्लिम औरतों की तरह रूढ़िवादी,पुरातनपंथी और दकियानूसी हे।नज़मा ने राजन को समझाया था,"कुछ दिन रुको।मैं कोशिश करूंगी,माँ को मनाने की।
"मुझे नही लगता तुम्हारी माँ मान जाएगी।फिर भी तुम कोशिश करके देख लो।"
नज़मा ने अपनी माँ को मनाने के प्रयास शुरू कर दिए।उसने राजन से मिलना भी बंद कर दिया।वह माँ कि हर बात मानने लगी।एक दिन माँ का अच्छा मूड देखकर नज़मा बोली," अम्मी में राजन से प्यार करती हूँ।"
"देख बेटी मैं पहले ही कह चुकी हूं।तेरा निकाह राजन से नही हो सकता।"
"लेकिन अम्मी क्यू?"
"देख नज़मा मैं जानती हूँ।तू राजन से प्यार करती है और उसे अपना जीवन साथी बनाना चाहतो है।लेकिन याद रखना अगर तूने मेरी मर्जी के खिलाफ राजन से शादी करने की कोशिश की तो मेरा मरा मुँह देखेगी।"
यह सच था कि वह राजन से प्यार करती थी।उसे जीवन साथी के रूप में पाना चाहती थी।लेकिन अपने प्यार को अपना बनाने के लिए वह अपनी माँ को भी नही खोना चाहती थी।