BOYS school WASHROOM - 15 in Hindi Moral Stories by Akash Saxena "Ansh" books and stories PDF | BOYS school WASHROOM - 15

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BOYS school WASHROOM - 15

"तुम लोगों को कहीं देखा है पहले…"प्रज्ञा सोचते हुए बोली


"हाँ..हाँ ऑन्टी वो हम आपके घर के पास ही मे रहते हैँ, मिस्टर एंड मिसेस कांजी" हर्षित ने तुरंत ही जवाब दिया।


विशाल "अच्छा तो हम चलते हैँ आप लोग एन्जॉय करिये"।


इतना कहकर विशाल और हर्षित दोनों वहां से खिसक लिए...उसके कई दिन बाद तक सब कुछ नार्मल चलता रहा….हर्षित, विशाल और राहुल स्कूल मे दिखाई नहीं दिए और इधर यश और उसका भाई भी अपने एक्साम्स मे बिजी हो गए। फिर दिन आया स्कूल के फेयरवेल का या फिर यूँ कहूं की यश की फेयरवेल पार्टी का।


सब स्कूलों की तरह ही एक्साम्स से पहले जूनियर क्लास के बच्चे जुटे हुए थे अपने सीनियर्स को फेयरवेल देने की तैयारी मे….सब तैयारियां हुयी सब को इनविटेशन पहुंचे और फाइनली वो दिन जिसका इंतजार हर किसी को होता है ""फेयरवेल डे""। वैसे तो फेयरवेल एक्साम्स से एक महीने पहले ही हो जाता है लेकिन एक्साम्स से करीब दस दिन पहले फेयरवेल करने का डिसिशन प्रिंसिपल ने लिया था लेकिन इसकी कोई ख़ास वजह नहीं थी।


और अब दिन आया फेयरवेल का सब सीनियर्स तैयार हो कर स्कूल मे एंटर हो रहे थे…..सब के चेहरों पर एक प्यारी सी मुस्कान और ऐसे ही धीरे धीरे स्कूलों का ऑडिटोरियम हॉल भरने लगा, ….और बात करें यश की तो आखिर हेड बॉय होने के नाते यश को तो सबसे अच्छा दिखना ही था….फंक्शन मे एक तो पहले से ही इतने बच्चे थे और ऊपर से म्यूजिक भी काफ़ी तेज़ आवाज़ मे बज रहा था जिससे की वहां काफी शोर हो रहा था। हॉल मे सभी टीचर्स और बच्चे भर गए जिसमे हर्षित, विशाल और राहुल भी शामिल थे..। छोटे बच्चे नहीं बस सीनियर्स, फंक्शन लगभग शुरू ही होने वाला था लेकिन उस से पहले ही प्रिंसिपल की नज़र उन तीनों पर पड़ ही गयी…..तीनों भीड़ मे छुपते-छुपाते चुप चाप खड़े थे लेकिन शायद प्रिंसिपल को उनका वहां होना भी अच्छा नहीं लगा….प्रिंसिपल ने तुरंत ही एक टीचर को आवाज़ लगायी लेकिन इतना शोर होने की वजह से शायद प्रिंसिपल की आवाज़ कोई सुन ही नहीं पाया….लेकिन वहीँ पास मे यश खड़ा तो प्रिंसिपल ने यश से ही उन तीनों को बुलाने के लिए बोल दिया और इधर यश को प्रिंसिपल से बात करते हुए उन तीनों ने देख लिया…..


यश को भी मस्ती करने की सूजी, उसने बिना सोचे समझे एक मस्ती भरी मुस्कान लिए हर्षित को आवाज़ लगा दी…"ओये हर्षित….हर्षित ओये हर्षित….हर्षित हो रहा है हर्षित" ये कहता हुआ वो उनके पास गया और उन्हें प्रिंसिपल के पास जाने के लिए कहा….तीनों भीड़ मे से निकल कर प्रिंसिपल के पास जाने लगे और यश हँसता हुआ उनके पीछे पीछे….


हर्षित के साथ साथ ही तीनों प्रिंसिपल को मॉर्निंग विश करते हुए उनके सामने जाने कर खड़े हो गए तीनों काफी घबराये हुए थे और उनका घबराना भी बिलकुल लाज़मी ही था….प्रिंसिपल ने भी उन्हें वापस विश करते हुए साइड मे आने का इशारा किया…..


'हाँ, तो क्या मै आप तीनों के यहाँ होने की वजह जान सकता हूँ?' प्रिंसिपल ने बड़े ही प्यार और धीमी आवाज़ मे उन तीनों से पूछा….कुछ देर तक तो तीनों चुप चाप खड़े रहे….लेकिन फिर प्रिंसिपल के दोबारा पूछने पर….हर्षित ने ही जवाब दिया…."सर इट्स फेयरवेल"...


प्रिंसिपल-"तो मतलब"


हर्षित- सर ये हमारा लास्ट डे है...तो हमने सोचा की….


क्या? क्या सोचा आपने?.... प्रिंसिपल ने जैसे ही अपनी आवाज़ ऊंची करते हुए कहा….उनके आस पास खड़े लोग उनकी तरफ देखने लगे….


ये सब देख कर यश बस मुस्कुराये ही जाi रहा था…..

"सर रहने दीजिये ना इट्स फेयरवेल" यश प्रिंसिपल से बोला….


"देखो इसे इतना कुछ होने के बाद भी ये तुम्हारी साइड ले रहा है"......तीनों बस चुप चाप सर झुकाये खड़े थे।


इतने शोर मे भी एक अजीब सी शांति छा गयी…..और फिर प्रिंसिपल ने कुछ ऐसा कहा जिसे सुन कर राहुल, हर्षित और विशाल तीनों ही गुस्से से भर गए…..शायद कहीं ना कहीं उन्हें अपनी सेल्फ रेस्पेक्ट गिरती हुयी महसूस हुयी…..और विशाल ने यश के पास जाते हुए कहा "तेरी इतनी औकात नहीं" और तीनों वहां से गुस्से मे निकल गए…..